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सम्पादक – इमरान मेरे से भी रुकना अब बहुत मुश्किल था… मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी बुर के छेद पर रखा और हल्का सा ही दबाव दिया।
मुझसे कहीं ज्यादा जल्दी मधु को थी, उसने अपने चूतड़ ऊपर को उचकाए… और मेरा मोटा सुपाड़ा उसकी मक्खन की टिकिया को चीरते हुए भक्क की आवाज के साथ अंदर घुस गया।
मधु- अहाआह्ह्ह ह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ…
बस एक जोर से सिसकारी ही ली मधु ने, उसको शायद कोई ज्यादा दर्द नहीं हुआ था।
य्ह इसीलिए हुआ होगा कि या तो मधु बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी या फिर उसकी बुर में बहुत चिकनाई थी जो उसने इतना मोटा सुपाड़ा आसानी से ले लिया था।
पर हाँ… उसने अपने चूतड़ को पीछे करना चाहे पर मैं उसके छोटे मगर कोमल से दोनों चूतड़ों के गोले कसकर पकड़े रहा, मैंने उसको हिलने तक का भी मौका नहीं दिया।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी बुर में फंस गया था। उसको तकलीफ तो हो रही थी मगर ज्यादा नहीं, यह मुझे पता लग गया था।
इससे पहले भी मैंने कुआंरी बुर में लण्ड को डाला था इसलिए मुझे पूरा अनुभव है।
मैं कुछ देर तक ऐसे ही लण्ड को उसकी बुर में फंसाये रहा फ़िर मैंने देखा वो अब खुद ही अपने चूतड़ों को उठाकर लण्ड को अंदर करने की कोशिश कर रही है।
उसकी इस प्यारी सी हरकत पर मेरा दिल खुश हो गया, मैंने उसके चूतड़ों को कसकर पकड़ कर अपनी कमर को एक धक्का दिया।
मधु- आअह्ह ह्ह्हाआ आआ…
इस बार जरा जोर से सिसकारी क्योंकि धक्का थोड़ा जोर से लग गया था।
मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी कोमल सी बुर को चीरता हुआ अंदर चला गया था और कमाल तो तब हो गया जब मेरा पूरा लण्ड मधु की बुर में बिना किसी रुकावट के चला गया।
अगले दो ही प्रयासों में मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी बुर में डाल दिया, मधु ने कोई ज्यादा विरोध नहीं किया, उसने बहुत प्यार से मेरा पूरा लण्ड ग्रहण कर लिया।
मैंने बहुत ध्यान से उसकी बुर में फंसे हुए अपने लण्ड को देखा, लण्ड बुरी तरह से जकड़ा हुआ था, उसकी बुर लाल सुर्ख हो रही थी मगर खून निकलने का कोई निशान नहीं था।
मतलब उसकी बुर की झिल्ली पहले से ही फटी हुई थी, अब यह पता नहीं कि खेलकूद में फटी थी या किसी दूसरे के लण्ड ने कमाल दिखाया था।
मुझे थोड़ा सा अफ़सोस तो हुआ मगर फिर भी बुर बहुत टाइट थी, मेरा लण्ड टस से मस नहीं हो रहा था, मैं उसी का मजा लेने लगा,
मैंने धीरे धीरे लण्ड को बाहर निकाला और फिर से अंदर कर दिया।
मैं बहुत जरा सा ही लण्ड बाहर निकाल रहा था… अधिक से अधिक दो इंच… बस इसी तरह उसको चोदने लगा, कुछ ही देर में लण्ड ने वहाँ जगह बना ली और मेरा लण्ड आराम से अंदर बाहर होने लगा।
अब कमरे में फच फच आवाज भी आ रही थी, मधु की बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, लण्ड इतना फंसा फंसा अंदर आ-जा रहा था कि मुझे जन्नत का मजा आ रहा था।
मैंने अपनी स्पीड बहुत धीमी कर दी, मैं उसको बहुत देर तक आराम से चोदना चाहता था।
मैंने उसके लांचे को ठीक से ऊपर को किया और आराम से लण्ड पेलने लगा। मधु मजे से सिसकारी ले रही थी।
मैं- अह्हा… हाँ तो अब… मधु सच बता… क्या किया अरविन्द अंकल ने तेरी दीदी के साथ?
मधु ने मस्त आँखों से मेरी ओर देखा, अब वो भी इस चुदाई की अभ्यस्त हो गई थी, उसने सिसकारते हुए ही जवाब दिया- अह्हा अह्ह्ह हाँ… अंकल ने दीदी के साथ यही सब किया था… तभी से मेरा दिल भी कर रहा था.. अह्हा अह्ह्ह्ह्ह्हाआआ…
मैं- क्या उन्होंने तेरे सामने ही सलोनी को चोदा?
अब मैं उसको जल्द से जल्द पूरी तरह खोलना चाह रहा था इसीलिए अभी शब्द खुलकर बोलने लगा…
मधु ने मुस्कुराकर मुझे देखा- हाँ.. मैं उनके सामने तो नहीं पर यहीं रसोई में तो थी ही… अह्ह्ह अह्ह्ह्ह्हाआआ… उनको पता तो था ही… अह्हा अह्ह्ह अह्ह्ह्ह… और वो सब कुछ दरवाजा खोलकर ही कर रहे थे।
मैंने एक कसकर धक्का लगाया।
‘आह्ह्ह्हा आआआह आआआ…’ वो भी तेजी से सिसकारी।
मैं- अरे क्या कर रहे थे… देख अगर तुझे हमेशा मुझसे मजे लेने हैं और मेरा प्यार चाहिए तो तुझे सब कुछ खुलकर बताना होगा… देख मुझे सलोनी के कुछ भी करने पर कोई ऐतराज नहीं है… बस मैं जानना चाहता हूँ कि वो सब कुछ कैसे करती है… और तू इतनी छोटी भी नहीं है जो सब कुछ ना समझती हो… इसलिए सब कुछ खुलकर बता !
मैंने बदस्तूर अपने धक्के एक ही स्पीड में चालू रखे।
मधु भी अब मजे लेती हुई बहुत ही मजेदार तरीके से बताने लगी, उसके मुख से आहों के साथ सलोनी की चुदाई की कहानी सुनने में बहुत मजा आ रहा था- अह्हा वो क्या है भैया… अंकल ने दीदी को कपड़े पहनाने के लिए उनके सभी कपड़े उतार दिए… वैसे भी उन्होंने केवल एक नाईटी ही पहनी थी, वो अंकल के सामने ऐसे ही नंगी घूम रही थी, अंकल उनको बार बार छू रहे थे।
मैं- और अंकल क्या पहने थे? आह्ह्हा…
मधु- अह्हा अह्हा… उन्होंने सिर्फ़ तौलिया ही बाँधा हुआ था क्योंकि मुझे नहलाने के बाद उन्होंने कुछ नहीं पहना था।
मैं- मतलब तूने अंकल का लण्ड देख लिया था?
मधु- अह्हा अह्ह्ह्हाआ हाँ… वो तो बाथरूम में ही देख लिया था जब मुझे नहलाने के लिए उन्होंने अपना पायजामा खोल दिया था।
मैं- तो उन्होंने तेरे साथ भी कुछ किया था?
मधु- नहीं.. बस छुआ ही था…
मैं- क्या तूने भी उनका लण्ड छुआ था?
मधु- अह्ह्हाआआ वैसे नहीं… बस जब वो उसको मेरे से चिपकाते थे… तभी उसको अपने से दूर करती थी।
मैं- अच्छा छोड़ ये सब.. फिर बता क्या हुआ?
मधु- अंकल दीदी को पकड़ बार बार अपना बम्बू उनके चूतड़ों में घुसा रहे थे… दीदी उनको मना तो कर रही थी मगर वो मान ही नहीं रहे थे… फिर दीदी ने मुझे रसोई में काम करने भेज दिया… कुछ देर बाद जब मैं आई तो दीदी को यहाँ बेड के बराबर में खड़ा कर वो उनको चोद रहे थे…
मैं- ओह, तो तूने क्या देखा? क्या उनका लण्ड सलोनी की चूत में था या वो पीछे से चूतड़ों में घुसाये हुए थे?
मधु- अह्हा अह्ह्ह्हाआ मैंने पूरा देखा… उनका बम्बू दीदी के आगे ही घुसा हुआ था और दीदी पूरा मजा ले रही थी… अह्हा अह्ह्हाआ अहह अह्ह्हाआआ… वो ये भी कह रही थी कि जल्दी करो अंकल, ये आते होंगे… वो उनको बिल्कुल मना नहीं कर रही थी.. फिर उनका पानी भी निकला.. जैसे आपने उस रात मेरे ऊपर गिराया था… आह्ह अह्ह्हाआआ अह्हा अह्हा…
मैं- ओह्ह्ह तो तूने उनको डिस्चार्ज होते हुए भी देखा… अह्हा मतलब वो तेरे से डर रहे थे इसीलिए तुझे वहाँ से हटाकर उन्होंने चुदाई की… अह्हा…
मधु- अरे नहीं भैया… वो तो वैसे ही दीदी ने कहा होगा… फिर दोनों नंगे ही रसोई में पानी पीने आये… अंकल बार बार मेरे को भी छू रहे थे इसलिए मैंने कच्छी पहन ली… अह्हा अहहः अह्हा…
उसकी बातें सुनकर मुझे इतन मजा आया कि मैं तेजी से धक्के लगाने लगा और कुछ देर में ही मेरा निकलने वाला था।
मैंने तेजी से लण्ड उसकी बुर से बाहर निकाल लिया और उसके मुँह की ओर ले गया।
आश्चर्यजनक रूप से उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और मुठ मारने लगी.. जैसे ही उसमें से पानी निकला, उसने अपने होंठ वहाँ रख दिए…
उसने एक सेक्स की देवी की तरह ही मुझे मजा दिया, मेरे लण्ड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया।
मैं- मधु तूने पहले भी सेक्स किया है न? मधु- क्या भैया? मैं- हा हा.. अरे अब भैया तो मत बोल ना… तूने मेरे साथ चुदाई कर ली.. फिर भी? मधु- तो क्या हुआ… इससे क्या होता है…!!
मैं- अच्छा, यह बता पहले इसमें कोई ऐसे ही अपना लण्ड घुसाया है?
मैंने उसकी बुर को कुरेदते हुए पूछा। मधु- हाँ मेरे पापा ही… रोज रात को… कुछ कुछ करते हैं।
मुझे पहले से ही पता था… साला बहुत ही हरामी था, शराब पीकर जरूर इसको पेलता होगा… मैं तो केवल छेड़खानी ही समझ रहा था मगर अब पता चला कि सुसरा सब कुछ ही करता है।
मैं अभी मधु से उसके बारे में और कुछ भी पूछना चाह रहा था कि तभी नलिनी भाभी का फ़ोन आ गया।
मैंने तुरंत रिसीव किया क्योंकि इस समय नलिनी भाभी की हर कॉल बहुत मजेदार हो रही थी, पता नहीं इस समय वो मुझे क्या बताने वाली थी। कहानी जारी रहेगी।
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