This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
सम्पादक – इमरान मैं- अच्छा, यह बता पहले इसमें कोई ऐसे ही अपना लण्ड घुसाया है? मैंने उसकी बुर को कुरेदते हुए पूछा। मधु- हाँ मेरे पापा ही… रोज रात को… कुछ कुछ करते हैं।
मुझे पहले से ही पता था… साला बहुत ही हरामी था, शराब पीकर जरूर इसको पेलता होगा… मैं तो केवल छेड़खानी ही समझ रहा था मगर अब पता चला कि सुसरा सब कुछ ही करता है।
मैं अभी मधु से उसके बारे में और कुछ भी पूछना चाह रहा था कि तभी नलिनी भाभी का फ़ोन आ गया।
मैंने तुरंत रिसीव किया क्योंकि इस समय नलिनी भाभी की हर कॉल बहुत मजेदार हो रही थी, पता नहीं इस समय वो मुझे क्या बताने वाली थी।
मधु भी अपनी बुर को साफ़ कर मेरे पास ही आकर बैठ गई।
मैं तो अभी नंगा ही बैठा था पर उसने अपनी बुर को लांचे से ढक लिया था और मेरे मुरझाते हुए लण्ड को देख हंस रही थी।
मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया क्योंकि मुझे लग गया कि नलिनी भाभी ने मुझसे बात करने को नहीं बल्कि वहाँ की मस्ती सुनाने को ही फ़ोन मिलाया था।
ओह… ये दोनों तो मेहता अंकल के साथ थी। दरअसल मेहता अंकल की बेटी की शादी थी, मेहता अंकल की बीवी का देहांत हुए बहुत साल हो गए हैं, उनकी दो बेटियाँ हैं… एक की शादी हो चुकी है, वो लंदन में रहती है, दूसरी की शादी हो रही थी… दोनों ही बहुत सेक्सी और खूबसूरत हैं।
जिसकी शादी हो रही है, उसका नाम ऋतु है, बड़ी का नाम मुझे याद नहीं है क्योंकि उससे कभी मुलाकात नहीं हुई।
मेहता अंकल दिखने में बहुत बूढ़े लगते हैं, सर पर बहुत कम बाल जो पूरे पके हुए हैं, यहाँ तक कि उनकी ऑय ब्रो तक सफ़ेद हो चुकी हैं।
मैंने हमेशा उनको पूजा पाठ में ही लगे हुए देखा है… मगर इस समय उनका यह रूप देख मैं भौंचक्का रह गया, मुझे यह तो पता चल गया कि वो तीनों अपने ही घर के किसी अलग कमरे में अकेले हैं।
मैं और मधु ध्यान से वहाँ की बातें सुनने लगे।
मेहता अंकल- अरे क्यों ज़िद कर रही है तू सलोनी? मान जा ना… तुम दोनों मिलकर इस स्वांग को बहुत अच्छा करोगी।
सलोनी- अरे नहीं ना… मैं तो बस डांस का ही सोच कर आई थी तो बस वही करुँगी, यह आप भाभी से करा लो।
नलिनी भाभी- नहीं भई.. मुझे तो इससे दूर ही रखो… जब तक तू नहीं करेगी मैं भी नहीं करुँगी।
सलोनी- ओह… दूर हटो ना अंकल… क्यों इतना चिपके जा रहे हो… बस्स्स… नाआअ कितना चूमोगे… अब थोड़ा दूर हटकर बैठो…
ओह, इसका मतलब अंकल सलोनी को चूमने में लगे थे।
मेहता अंकल- देख बेटा मान जा… यह हमारा रिवाज़ है ..इस कार्यक्रम में एक स्वांग जरूर होता है… अब ऋतु की माँ तो है नहीं… वरना कोई ना कोई वो तैयार कर लेती… अब तो तुम ही मेरी सबसे ज्यादा अपनी हो… ऋतु भी तुमको कितना मानती है… अगर तुम लोगों ने नहीं किया तो सब रिश्तेदार मुझे ही दोष देंगे… मेरी बहुत बदनामी होगी।
नलिनी भाभी- हाँ सलोनी, ये कह तो सही रहे हैं… इस स्वांग के द्वारा ही लड़की को शादी का मतलब बताना होता है… पुराना रिवाज़ है पर जरूरी होता है और बहुत मजा आता है।
सलोनी- ठीक है… पर मैं लड़का बनूँगी और आप लड़की।
मेहता अंकल- अरे नहीं बेटी… तू कहाँ इतनी दुबली पतली और यह कहाँ नलिनी… क्यों स्वांग की ऐसी तैसी करने में लगी हो, मान जाओ ना… तुम कितनी खूबसूरत लगोगी।
सलोनी- ओह पर अंकल मैंने कच्छी नहीं पहनी है… और फिर आपका ये लहँगा…कितना झीना और छोटा है… हल्का सा घूमने में ही ये तो पूरा उठ जाएगा… मैं नहीं पहन पाऊँगी इसे।
मेहता अंकल- हा हा.. क्या यह सलोनी बोल रही है? जिसको कपड़ों की कभी परवाह ही नहीं रही… अरे भई ..सब लेडीज ही तो हैं यहाँ… और देखना इसमें कितना मजा आएगा…
सलोनी- नहीं.. पहले किसी कच्छी का इंतजाम करो… तभी पहनूंगी।
मेहता अंकल- अरे बेटा.. अब मैं कहाँ से लाऊँ कच्छी… ऋतु की तो सभी उसी के कमरे में होंगी… और वो तेरे आएँगी भी नहीं… ऐसा कर इस नलिनी की पहन ले।
सलोनी- हाँ भाभी… लाओ आप अपनी कच्छी दो… मुझे उतारकर… वही ट्राई करके देखती हूँ… वैसी भी आप तो पेंट शर्ट ही पहनोगी।
नलिनी भाभी- अरे अगर मैंने पहनी होती तो कब का दे देती, मैंने भी नहीं पहनी…
मेहता अंकल- अरे यार, अब ये सब छोड़ो… चलो जल्दी से तैयार हो जाओ…
सलोनी- ठीक है, पर आप तो जाओ यहाँ से…
मेहता अंकल- अब मेरे से ये सब क्या… ऐसा क्या है जो मैंने नहीं देखा… यही तो मौका है जब मैं तुम्हारी ख़ूबसूरती को अच्छी तरह से देख सकता हूँ और उसकी जी भरकर तारीफ कर सकता हूँ।
सलोनी- जी नहीं… मुझे नहीं करवानी आपसे अपनी तारीफ… मुझे अच्छी तरह पता है कि आप कैसे तारीफ करते हो… आप बाहर जाओ, हम दोनों तैयार होकर आती हैं।
नलिनी भाभी- वही मुझे तो आपके सामने तैयार होने में कोई ऐतराज नहीं है… हा हा हा…
मेहता अंकल- यह आज सलोनी को हो क्या गया है, जब पहले मैं मना करता था, तब तो सब कुछ दिखाती रहती थी… और आज देखो तो कैसे नखरे कर रही है यह?
नलिनी भाभी- उसको तो यही लगता है ना कि आपको दिखाने से भी क्या फायदा… चुसे हुए गन्ने से भी कोई रस निकलता है क्या?
मेहता अंकल- ऐसा मत कह तू नलिनी… तुझे पता नहीं… मेरी बेटी लन्दन से ऐसी गोलियाँ लाई है जो मुझे फिर से जवान कर रही हैं…
नलिनी भाभी- कैसा जवान अंकल… क्या आपके मरियल पप्पू में भी जान आ रही है… या ऐसे ही?
मेहता अंकल- अरे नहीं कल पूरी रात पप्पू ने खूब कसरत की है… तभी तो मैं तुम दोनों को इतना प्रेस कर रहा हूँ…
नलिनी भाभी- हैईईईन्न्न्न्न्न क्या कह रहे हो आप अंकल… कैसी मेहनत ..क्या ऋतु की सुहागरात से पहले ही आपने ही तो नहीं उसके साथ सुहागरात मना ली?
मेहता अंकल- अरे नहीं बेटा, उसके साथ तो नहीं… पर रिया के साथ…
मुझे याद आ गया… रिया उनकी बड़ी बेटी का नाम है जो लन्दन में रहती है और बहुत ही ज्यादा बोल्ड है।
नलिनी भाभी- अच्छा तो अपनी पुरानी कहानी फिर शुरू कर दी आपने?
सलोनी- आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले अंकल… पहले मुझे आप ऋतु के बारे में बता रहे थे और अब मालूम पड़ रहा है कि रिया भी … अपनी दोनों लड़कियों को ही आपने चखने के बाद ही विदा किया, अगर आपके दामाद को पता चल गया तो?
मेहता अंकल- तो क्या? साले इतना पैसा ले रहे हैं… तो क्या माल भी चोखा मिलेगा… और फिर मेरी बेटियां हैं… मेरा ख्याल नहीं रखेंगी तो फिर किसका रखेंगी…
सलोनी- फिर अब आप क्या करोगे… अब तो रिया और ऋतु दोनों ही चली जाएँगी…
मेहता अंकल- तो क्या हुआ? तुम दोनों मेरी बेटी नहीं हो क्या? कभी सलोनी तो कभी नलिनी… और कभी तुम दोनों ही मेरे पास आते रहना…
सलोनी- अच्छा जी… हमको नहीं बनना ऐसी बेटी…
उनकी बातें सुनकर मुझे लगने लगा कि जरूर वहाँ कुछ रोमांच वाला होगा… मेरा दिल उनको देखने का करने लगा।
मधु मुझे बहुत गौर से देख रही थी- क्या हुआ भैया? क्या मैं दीदी को कच्छी देकर आ जाऊँ?
मैं- तू तो पागल है… तू अगर कच्छी लेकर भी गई… तो क्या सलोनी पहनेगी… अरे उसको तो ऐसे ही मजा आता है… चल हम लोग भी वहीं चलते हैं… तू भी एन्जॉय कर लेना…
मधु- तो क्या मैं भी नहीं पहनूँ…
मैं- अरे तू क्या करेगी वहाँ… तुझे कौन देख रहा है? और तेरा तो लांचा भी पूरा ही है… चल ऐसे ही चल… कहीं तेरी कच्छी देख सलोनी का मूड न बदल जाए !
मैंने जल्दी से पेंट शर्ट ही डाली और मधु के साथ निकल गया… मैंने फोन ऑफ कर दिया।
मेहता अंकल के फ्लैट पर काफी चहल पहल थी…
जहाँ गाना बजाना चल रहा था, मैं मधु को वहीं छोड़ सलोनी की ड्रेस का बहाना कर अंदर चला गया।
मुझे उनके फ्लैट का अच्छा आईडिया है ,मैं कई बार पहले भी आ चुका था… मुझे पूरा भरोसा था कि ये लोग मेहता अंकल के कमरे में ही होंगे।
मैं वहाँ पहुंचा मगर कमरा तो अंदर से बंद था।
मैंने तुरंत भाभी को कॉल की, कुछ देर बाद भाभी ने कॉल रिसीव की- क्या हुआ?
मैं- अरे दरवाजा तो खोलो… मैं भी देखना चाहता हूँ। नलिनी भाभी- कहाँ हो तुम? मैं- यहीं आपके कमरे बाहर… नलिनी भाभी- ओह… ऐसा करो ऋतु के कमरे से यहाँ बाथरूम में आ जाओ।
मुझे याद आ गया कि वहाँ दोनों कमरे का कॉमन बाथरूम था और नलिनी भाभी भी शायद वहीं से बात कर रही थीं।
मैं जल्दी से ऋतु के कमरे में गया, वो पूरा खाली था, और हो भी क्यों ना, ऋतु भी तो बाहर कार्यक्रम में ही बैठी थी।
मैं जल्दी से बाथरूम में प्रवेश कर गया… नलिनी भाभी वहीं थी, उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया।
उनके बदन पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही था, मैंने पेटीकोट के ऊपर से ही उनके मुलायम चूतड़ों को मसला और बहुत धीमे से पूछा- क्या हो रहा है यहाँ?
उन्होंने फुसफुसाते हुए ही जवाब दिया- चुप करके केवल अपनी जोरू की चुदाई देख !
और वो बाथरूम से बाहर फिर से मेहता अंकल के कमरे में चली गई।
मैंने बाथरूम के दरवाजे को भिड़ा दिया और इतना गैप कर लिया कि कमरे की हर वस्तु देख सकूँ।
सामने ही उनका किंग साइज़ बेड पड़ा था… और वहाँ का दृश्य देखते ही मैं भौचक्का सा खड़ा रह गया।
यह तो वही सब हो रहा था जिसे मैं कबसे देखना चाह रहा था !
कहानी जारी रहेगी।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000