This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
नमस्कार मेरे दोस्तो, मुझे कुछ लोगों ने मेरी कहानी पढ़कर उत्तर दिया तो मुझे अच्छा लगा। अगर कोई और सच्ची घटना में रुचि रखता हो तो अपने कमेन्ट जरूर ईमेल करें।
कुछ दिनों के बाद मैं कानपुर पढ़ने के लिए गया। वहाँ पर मैंने एक रूम लिया, जिसमें सिर्फ़ मैं अकेला ही रहता था।
मेरा रूम नीचे था, बाजू वाले में एक बन्दा रहता था और ऊपर मेरा मकान मलिक का निवास था।
मेरे मकान मालिक के साथ उसकी जोरू और 4 बच्चे रहते थे। उसकी उम्र 34, उसकी जोरू की उम्र 30 साल होगी।
मैं जैसे ही कानपुर आया तो मुझे कुछ दिन तक यहाँ अच्छा नहीं लगता था, सो वापिस घर जाने का मन करता था, पर जा नहीं सकता था।
मेरा रूटीन सुबह 10 बजे कॉलेज जाना और शाम को 4 बजे वापिस आना, खाना-पीना होटल में होता था। एक महीने तक यही रूटीन चलता रहा। रात को मेरी सेक्स की इच्छा होती थी, पर मैं नया था और मुझे सेक्स बुक की शॉप मालूम नहीं थी और किसी से पूछ भी नहीं सकता था।
धीरे-धीरे मेरी सेक्स इच्छा खत्म होने लगी थी और मेरा मूड पूर्ण रूप से पढ़ाई पर था। धीरे-धीरे 2 महीने बीत गए।
मेरा मकान-मलिक कभी-कभी मेरे रूम में आता था और बोलता था- मनु, अगर तुम्हें कोई परेशानी हो तो बोलो..!
मैंने कहा- नहीं सब ठीक है। बस कॉलेज से वापिस आने के बाद समय पास नहीं होता है, बोरियत होती है!
तो वो बोले- ऊपर आ जाया करो.. टीवी देख लिया करो!
मैंने कहा- आप तो होते नहीं है, फिर अकेले मैं कैसे आ सकता हूँ?
तो वो बोला- तेरी भाभी तो रहती है! फिर मैंने कहा- ठीक है!
कुछ दिनों के बाद मैं शाम को ऊपर गया उनके ऊपर वाले हिस्से में। उधर 2 कमरे, रसोई और सबसे ऊपर छत थी।
मैं जब ऊपर गया तो मुझे कोई दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने आवाज़ लगाई- भाभी कहाँ हो? तो उन्होंने बोला- मैं ऊपर छत पर हूँ!
मैं ऊपर चला गया, तो मैंने देखा वो अपने सबसे छोटे बच्चे को दूध पिला रही थीं और उनका एक स्तन दिख रहा था।
मैंने शर्म से अपनी नज़र नीचे कर लीं और इधर-उधर की बातें करने लगा।
फिर उनका बच्चा रोने लगा तो उन्होंने अपना दूसरा खरबूजा खोला और उसका निप्पल उसके मुँह में रख दिया, पर अपना पहला दूध ऐसे ही खुला छोड़ दिया।
उनके मम्मे थोड़े से सांवले रँग के थे, पर निप्पल एकदम कसे हुए और नुकीले थे। मैं ये सब बड़ी चोरी की नज़र से देख रहा था। लगभग एक घन्टे तक हम लोग बातें करते रहे। फिर वो नीचे आ गईं।
मैंने कहा- मैं चलता हूँ। तो उन्होंने बोला- बैठो ना.. टीवी ऑन कर लो!
फिर उन्होंने अपनी छोटी लड़की को आवाज़ लगाई, वो उनके पड़ोसी के घर में गई थी।
तो उन्होंने मुझे बोला- जा मनु.. उसको आवाज़ लग ले!
मैं आवाज़ देने के लिए खिड़की पर आया, तो मैंने देखा कि वहाँ पर दो खूबसूरत लड़कियाँ बैठी थीं।
जैसे ही मैंने आवाज़ लगाई तो वो दोनों हँसने लगीं, मैं भी ज़रा मुस्कराया और वापिस आ गया।
फिर मैं अपने कमरे में आ गया और थोड़ी देर बाद खाना खाने चला गया। अगले दिन शाम को फिर मैं वापिस ऊपर गया, उस दिन भाभी रसोई में थीं और उसके साथ वो पड़ोस वाली लड़की भी थी। जैसे ही मैंने उसको देखा तो वापिस नीचे आने लगा।
तो भाभी बोलीं- अरे बैठो न..!
फिर मैं उधर बैठ गया और धीरे-धीरे उस लड़की से बातें करने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। पूरा फिल्म का सीन मेरी आँखों के सामने था। फिर नीचे आया, खाना खाया और सो गया और रुटीन अब ऐसे ही चलने लगा।
15 दिन के बाद मैंने सोचा उस लड़की को ‘आई लव यू’ बोला जाए, पर कैसे..?
तो मैंने एक लेटर लिखा, उसको दिया और बोला- पढ़ लेना और फाड़ देना, बस कुछ हंगामा मत करना।
उसने मेरे प्रपोज़ल को स्वीकार कर लिया और हम लोगों की प्रेम-कहानी शुरू हो गई। खिड़की पर आकर एक-दूसरे को फ्लाईंग किस करना, बातें करना.. बहुत अच्छा लगता था। सब कुछ अच्छा चल रहा था।
पर एक दिन मैं ऊपर गया और आवाज़ दी- भाभी कहाँ हो?
मेरी अकसर यह आदत थी कि ऊपर जाते हुए आवाज़ लगाने की, पर कोई रेस्पॉन्स नहीं आया तो मैं अन्दर कमरे में चला गया।
जैसे ही मैं अन्दर गया, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। मैंने देखा कि मेरे मकान-मालकिन अपने कपड़े बदल रही थीं। उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था और मेरी तरफ उनकी पीठ थी। उनके काले-काले बड़े-बड़े चूतड़ तरबूज़ की तरह दिख रहे थे और उनका चूतड़ के बीच का छेद मुझे बहुत प्यारा लग रहा था।
मैंने लाइफ में पहली बार एकदम नंगी औरत देखी थी।
लगभग एक मिनट तक मैं उन्हें लगातार देखता रहा था। मेरी धड़कने बढ़ चुकी थीं क्योंकि वो पूरी नंगी खड़ी थीं और शीशे में देख कर अपने बाल बना रही थीं। शायद उन्हें नहीं मालूम था कि पीछे मैं खड़ा था और शीशा भी छोटा था जिससे मैं उन्हें दिख नहीं रहा था।
फिर जैसे ही वे अपना पेटीकोट उठाने के लिए मुड़ीं, तो मुझे देखा और पूछा- अरे मनु तुम कब आए?
मैंने कहा- बस अभी..!
और मैंने अपनी नज़र नीचे कर लीं। आज मैं फिर से औरत की योनि (चूत) नहीं देख पाया क्योंकि उन्होंने अपना पेटीकोट उठा लिया और पहन लिया था। वो पैन्टी नहीं पहनती थीं।
ज़्यादातर छोटे शहरों में बच्चे होने के बाद औरतें पैन्टी नहीं पहनती हैं। तो फिर मेरा मूड घूम चुका था और मैंने अपनी नज़रें उठा कर फिर उन्हें देखने लगा और मुझसे कपड़े पहनते हुए बातें कर रही थीं, पेटीकोट पहनने के बाद उन्होंने अपनी काले रंग की ब्रा उठाई और उसको पहनने लगीं। पर वो थोड़ी छोटी थी और उनके उरोज (मम्मे) पर फिट नहीं आ रही थी।
तो मैंने पूछ लिया- भाभी शायद छोटी है यह.. और हँसने लगा।
तो वो बोलीं- नहीं यह छोटी नहीं है, मेरे बड़े हैं..!
और वे भी हँसने लगीं। फिर उन्होंने अपने हाथों से अपने मम्मे दबा कर ब्रा को पहन लिया और मुझसे बोलीं- ज़रा तेरे पीछे ब्लाउज पड़ा देना तो…!
मैंने पीछे देखा और लाल रंग का ब्लाउज था, जो उनको दे दिया।
वो अपना ब्लाउज पहनने लगीं, पर उसके एक ऊपर का और एक नीचे का बटन टूटा हुआ था।
मैंने कहा- भाभी इसके बटन तो टूटे हुए हैं..!
तो वो बोलीं- जब तेरी शादी हो जाएगी तब तुझे मालूम पड़ेगा कि बटन क्यों टूटे हैं। और हँसने लगीं।
फिर अपने रसोई के काम में लग गईं और मैं कुछ देर यूँ ही खड़ा रहा, फिर वापिस अपने रूम में आ गया।
मेरे दिमाग में सिर्फ़ वो ही नजारा दिख रहा था। मैंने सोचा कि जब मैं उनको पूरा नंगा देख रहा था और उन्होंने मुझे देख भी लिया था पर कुछ कहा क्यों नहीं?
क्या उनका भी मन था मुझे दिखाने को..!
या फिर उनके दिमाग़ में कुछ भी ग़लत नहीं है। कहीं मुझे कोई गलतफहमी तो नहीं हो रही है। क्या करूँ..?
आज मेरे दिमाग़ में वो लड़की नहीं आ रही जिससे मुझे लव हो गया था।
मेरे दिमाग़ में तो बस मकान मालकिन के तरबूज़ जैसे चूतड़ और उनके बीच का छेद ही दिख रहा था। ऐसा मन हो रहा था कि उनके उस छेद को स्पर्श करूँ, ऊँगली करूँ और चाटूं…! क्योंकि मुझे चाटने में बहुत अच्छा लगता है।
फिर खाना के बाद सो गया और अगले दिन कॉलेज से आने के बाद फिर मैं ऊपर गया तो मेरी मकान-मालकिन बिस्तर पर बैठी थीं और टीवी देख रही थीं। मैं जाकर साइड वाली कुर्सी पर बैठ गया। टीवी में ‘कसूर’ पिक्चर आ रही थी, जो एक लव मूवी है।
तभी कुछ देर के बाद वो बोलीं- क्यों मनु.. आज कल तुम्हारी भी लव-स्टोरी चल रही है?
मैंने कहा- नहीं तो भाभी..!
तो उन्होंने बोला- तुम सबको झूट बोल सकते हो, पर मुझे नहीं.. मुझे सब मालूम है।
मैंने कहा- अगर आपको मालूम तो भाईसाहब को मत बताना, क्योंकि कहीं वो मेरा रूम खाली ना करवा दें।
तो उन्होंने बोला- नहीं बताऊँगी, पर तुम मुझे यह बताओ कि कुछ किया भी है या नहीं.. मतलब जो फिल्मों में होता है, वो सब किया या नहीं?
मैंने कहा- नहीं..!
तो वो बोली- कब करोगे? जल्दी करो और मज़े ले लो!
मैंने कहा- जी भाभी। फिर हम लोग इधर-उधर की बात करने लगे।
मैं नीचे आ गया और मेरी गलतफहमी दूर हो गई। मेरे दिमाग़ में जो उनके लिए गलत विचार थे, वो सही थे क्योंकि वो मुझे एक देवर की तरह ही देख रही थीं, उनकी कोई भी गलत सोच नहीं थी। वो सब कपड़े पहनते हुए मेरे देखना सिर्फ़ एक इत्तफाक़ था और किसी की ग़लती नहीं थी।
अब फिर से मेरे दिमाग़ में मेरी गर्ल-फ्रेण्ड की सूरत घूमने लगी, पर भाभी की एक बात ने मुझे सारी रात सोने नहीं दिया कि ‘मज़े ले लो..!’
फिर मैंने अगले दिन फ़ैसला कर लिया कि अब इस गर्लफ्रेण्ड के साथ मज़े लेकर रहूँगा।
मैं कॉलेज नहीं गया और कुसुम (उस लड़की का नाम) को अपने कमरे में आने को बोला।
पहले वो मना कर रही थी, पर थोड़ी देर बाद आ गई। गर्मियों के दिन थे, दोपहर का समय था, सभी लोगों के कूलर चल रहे तो और पूरा मोहल्ला सो रहा था। तो वो मेरे कमरे में आई, एक अजीब सी खुशबू आने लगी।
मैंने फिर कमरे को अन्दर से बंद कर दिया। मेरे साथ पलंग के ऊपर बिस्तर पर बैठ गई।
हम दोनों लोग इधर-उधर की बातें करने लगे। फिर मैंने उसके हाथों पर चुम्बन लिया और उसके गालों पर चुम्बन करने लगा।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। फिर मैंने उसके होंठों पर चूमा और उसके मम्मे दबाने लगा।
वो सलवार-कुर्ता पहनती थी। उसके मम्मे बहुत ही मुलायम थे, बिल्कुल पानी से भरे गुब्बारों की तरह। उसके निप्पल भी टाइट होने लगे थे।
फिर हम दोनों लेट गए और फोरप्ले करने लगे।
मैंने उसकी कुर्ती को ऊपर उठाकर उसकी गर्दन तक उँचा कर दिया। वो सिर्फ़ समीज़ पहनती थी। उसकी सफ़ेद समीज़ को भी मैंने ऊपर कर दिया।
अब मेरे सामने उसके प्यारे से उरोज़ थे। मैं उसके उरोज़ को एक हाथ से दबाने लगा और दूसरा उरोज़ मैं अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
वो ज़ोर-ज़ोर से ‘आहें’ भर रही थी। हम दोनों की साँसें बहुत तेज चल रही थीं। इन सब से मेरा लिंग एकदम खड़ा हो गया और मेरी पैंट फाड़ कर बाहर निकलना चाहता था।
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार को नीचे खिसका दिया। उसकी रंगबिरन्गी कच्छी पूरी गीली हो चुकी थी, मेरा सपना पूरा होने वाला था, मेरे सामने किसी औरत की योनि दिखने वाली थी।
मैं उसकी योनि को उसकी पैन्टी के ऊपर से ही अपने हाथ से सहला रहा था और पैन्टी में से पिचकारी सी चल रही थी।
मैंने अपना हाथ अब उसकी पैन्टी के अन्दर डाला ही था कि अचानक मेरे कमरे की डोरबेल बजी। हम दोनों चौंक गए कि इस समय कौन आया होगा।
मेरी सच्ची कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000