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मैं गिरि 29 साल का हूँ और गुडगांव में जॉब करता हूँ, यह कहानी मेरे पहले प्यार की है जो अब मेरे साथ नहीं है, आज वो एक बड़े घर की बहू है और मुझसे बहुत दूर हो गई है।
मैंने इस कहानी में उसका नाम बदल दिया है। क्योंकि मैं उसे बदनाम नहीं करना चाहता हूँ बाकी सब सत्य है। यह 3 साल पुरानी बात है, जब मैं एक कंपनी में जॉब कर रहा था, कुछ दूर एक दुकान थी, जहाँ 4 लड़कियाँ काम करती थीं। उनमें से दो तो बहुत ही खूबसूरत थीं, उनमें से एक का नाम मुक्ता था और दूसरी का नाम सरिता था।
मुक्ता जब बाहर आकर जब सामने के रेस्टोरेन्ट से खाना लेने जाती थी और चलती थी, तो उसके मस्त बड़े-बड़े पुट्ठे ऊपर-नीचे हुआ करते थे। उसके मस्त पुट्ठे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। उसके मम्मे हय.. क्या मस्त उठे हुए थे मेरे ख्याल 36 साइज़ के रहे होंगे।
बहुत मस्त ग़ोरी लौंडिया मुझे तो एक माल लगती थी वो..! उसकी मस्त लम्बाई, चेहरा भी उसका गोरा और सेक्सी था। एक दिन में भी रेस्टोरेन्ट में खाना लेने गया तो वो भी वहाँ थी। जब कैश काउंटर पर बैठे आदमी ने उसे कैश देने के लिए कहा तो शायद वो जल्दी में अपना पर्स अपनी शॉप में ही भूल गई। क्योंकि हम एक-दूसरे को तो देखते थे बस बातचीत ही नहीं होती थी लेकिन जानते थे कि हम आस-पास ही रहते हैं।
इसलिए मैंने मुक्ता से कहा- मैं बिल पे कर देता हूँ.. आप बाद में दे देना। तो वो मुस्कराई और कहा- ठीक है! उसके बाद शाम को जब मैं ऑफिस से घर जा रहा था, तो पीछे से आवाज आई। मैंने पीछे देखा तो मुक्ता थी। उसने दिन के लिए ‘थैंक्स’ कहा, फिर बस स्टॉप तक मेरे साथ चली। वहाँ पर बस काफी देर से आई, तब तक हम में काफी बातें अपने काम से सम्बंधित हुईं।
फिर उसने मेरा और मैंने उसका फोन नम्बर लिया। उसकी बस आई तो वो चली गई। फिर हम एक-दूसरे से इसी तरह मिलने लगे, फोन पर भी बातें होने लगीं। एक दिन रात को उसने मुझे ‘आई लव यू’ कहा.. तो मैं बहुत खुश हुआ और इस तरह हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई। फिर एक दिन उसने कहा- फिल्म देखने चलते हैं..!
तो हमने अगले दिन शाम को फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया। पास में ही ‘ईडीइम’ मॉल था, उसमें ‘जब वी मेट’ लगी थी। हाल के अन्दर हमने कोने की सीट ली थी। आगे-पीछे की सीट में भी कोई नहीं था। फिल्म के आधे घंटे के बाद उसने मुझे ‘किस’ किया और मुझसे लिपट गई।
मेरे लिए यह बिल्कुल नया था क्योंकि मैं पहली बार किसी लड़की के साथ था। मैंने भी उसके होंठों को चूम लिया और फिर मेरे हाथ उसके मम्मों पर चले गए। उसने कुछ नहीं कहा बल्कि वो और जोर से मेरे होंठों को चूमने लगी। मैंने उसके कुर्ते के ऊपर से उसकी ब्रा में अपने एक हाथ को डाल दिया! आ..हह.. क्या नरम मम्मे थे!
उसके निप्पल सख्त हो गए थे, उसके मुँह से ‘आ..आ..ह..’ की आवाजें आने लगीं। वो पागलों की तरह मुझसे लिपट कर मेरे पूरे मुँह पर चुम्बन करने लगी। मैंने उसका एक मम्मा उसके कुर्ते के ऊपर से बाहर निकाल कर चूसने लगा और दूसरा मम्मा दबाने लगा।
उससे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। मेरा लण्ड भी पूरा तनकर फटने को हो रहा था। अचानक इंटरवल हो गया।
मैं बाहर गया और उसके लिए सैंडविच और कोल्ड ड्रिंक लाया, फिर फिल्म शुरु हुई, तो मैंने शुरूआत की और उसकी कुर्ती को पूरा ऊपर किया और उसकी ब्रा को भी ऊपर चढ़ा दिया और फिर दोनों मम्मों को दोनों हाथों में लेकर खूब चूसा उसके होंठों को, गालों को भी चूसा। फिर एक हाथ मैंने उसकी जाँघों पर रखा और उनको सहलाने लगा और फिर उसके पुट्ठे को खूब दबाया..!
आ..ह.. क्या मस्त नरम गोल-गोल कूल्हे थे उसके..! कब से चाहता था उनको दबाना, मजा आ गया..! मुझे मोटे पुट्ठे वाली और बड़े मम्मे वाली औरतें बड़ी मस्त लगती हैं। फिर मैंने उसके आगे टाँगों के बीच में अपना हाथ रख दिया।
उसने हाथ हटा दिया और कहने लगी- गिरि, कंट्रोल नहीं हो रहा है, यहाँ रहने दो! मैंने हाथ हटा दिया और फिर ऊपर उसके मम्मों को दबा-दबा कर, चूस-चूस कर मैंने लाल कर दिए। उसके बाद फिल्म खत्म होने के बाद मैं और मुक्ता मैक्डोनाल्ड में गए और हमने काफी पी।
वो और में एक-दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे। मैंने उसके गले में देखा तो वहाँ पर लाल निशान थे, जो कि मेरे चूसने की वजह से थे। फिर हम थोड़ी देर वहाँ घूमते रहे और घर चले गए।
रात को उसका ‘मिस कॉल’ आया तो मैंने फोन किया। तो वो बोली- तुम्हारी बहुत याद आ रही है! उसकी आवाज बड़ी मादक थी। उसने पूछा- तुमने क्या पहना है? तो मैं बोला- नेकर पहना है!
उस समय गर्मी का मौसम था। ये जून की बात है, तो मैंने पूछा- तुमने क्या पहना है? तो वो बोली- गाउन पहना है! फिर वो बोली- दिन में पिक्चर हॉल में जो हमने किया, उसकी बड़ी याद आ रही है! तुम्हारा क्या हाल है? मैंने कहा- बुरा हाल है, मन करता है कि उड़ कर तुम्हारे पास आ जाऊँ!
वो बोली- तो आ जाओ न.. किसने रोका है… मैं तुमको अपनी बांहों में भर लूँगी और बहुत सारा प्यार करूँगी… मेरा बुरा हाल है गिरि, आ जाओ ना.. बहुत याद आ रही है! मैंने कहा- अगर आ गया तो क्या करोगी?
तो वो बोली- बहुत-बहुत सारा प्यार करूँगी अपने राजा कोऽअह… आ… क्या हो रहा है मुझे गिरि! ‘क्या हुआ जान..!’ वो बोली- नीचे गीला-गीला हो गया है, बहुत मन कर रहा है, गिरि… प्लीज़ आ जाओ…! मैंने कहा- कहाँ गीला हो रहा है मेरी जान.. क्या मन कर रहा है? उसने अचानक ये बात कही, तो मेरे मुँह से यही निकला।
वो बोली- सेक्स करने का बड़ा मन कर रहा है आ… अब तड़पाओ मत! मेरे लिए यह बात बिल्कुल नई थी, तब तक मैंने कभी सेक्स नहीं किया था। वो बोली- तुम्हारा क्या हाल है… सच बताना? मैंने कहा- बुरा हाल है! तो वो बोली- क्या कर रहे हो?
मुझसे कहा नहीं गया कि मैं अपना लण्ड हाथ में लेकर ऊपर-नीचे कर रहा हूँ। मैंने पूछा- तुम क्या कर रही हो? उसने कहा- मुझसे रहा नहीं जा रहा है! मैंने अपने नीचे उंगली डाल रखी है और ऐसा महसूस कर रही हूँ कि तुम मेरे साथ सेक्स कर रहे हो! अब वो खुल कर बात कर रही थी।
तो मैंने भी कहा- जानू.. मैंने भी अपना पकड़ कर उसे ऊपर-नीचे कर रहा हूँ और सोच रहा हूँ कि तुमसे सेक्स कर रहा हूँ! फिर उसने कहा- मुझे महसूस करो और जोर-जोर से करो… मैं भी ऊँगलियाँ अपने नीचे तुम्हारा ‘वो’ समझ कर जोर-जोर से डाल रही हूँ..! फिर इस तरह हम दोनों ने अपने को झड़ कर रिलेक्स किया। फिर उसने कहा- कहीं ऐसी जगह मिलते हैं जहाँ तुम और मैं हो बस.. और कोई ना हो… तो मैंने कहा- किस जगह मिलें? तो वो बोली- तुम्हारे घर में!
तो मैंने कहा- अभी तो पासिबल नहीं, लेकिन जल्दी ही शायद हो पाएगा। तो वो बोली- इंद्रप्रस्थ पार्क में कल लंच के बाद चलते हैं…! मेरी कई सहेलियाँ अपने बॉयफ्रेंड के साथ वहीं जाती हैं। मैंने कहा- ठीक है!
अगले दिन हम दोनों ने ही लंच के बाद ऑटो किया और वहाँ पहुँच गए। पूरे पार्क में जोड़े ही जोड़े थे, जो कि झाड़ियों में या पेड़ के पीछे अपने में मस्त थे। कोई अपनी गर्ल-फ्रेंड के मम्मे दबा रहा था, तो कोई होंठों को चूस रहा था। मैंने पहली बार देखा कि लोग खुले में भी ये सब करते हैं। वो बिल्कुल किनारे मुझे पार्क में ले गई, जहाँ पेड़ों के बीच में हमको कोई नहीं देख सकता था।
तो मैंने कहा- कोई आएगा तो क्या कहेगा? तो वो बोली- मेरी सहेलियाँ यहीं आती हैं.. और सुबह उन्होंने ही यह जगह बताई है, कोई नहीं आएगा मेरे राजा.. अब आ भी जाओ… कल रात को बहुत तड़पाया तुमने! और वो मुझसे लिपट गई। इतनी तड़प थी उसमें कि उसने मेरे होंठ चूस-चूस कर लाल कर दिए और मेरे हाथ अपने मम्मे पर खींच लिए और मुझ से लिपट कर मुझे चूमने लगी।
मेरी पहली बार में तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.. अगर कोई आ गया तो बहुत बदनामी होगी! लेकिन उसे तो जैसे कोई चिंता ही नहीं थी, उसने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि अब मैंने भी सोचा जो होगा देखा जाएगा। मैंने भी उसकी कुर्ती को और ब्रा को ऊपर करके उसके मम्मों अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा और दबाने लगा।
क्या गजब की लड़की थी कि सेक्स में उसकी आवाज अजीब सी हो गई! उसने खुद ही मेरे पैन्ट की चैन खोली और मेरा लंड हाथ में ले लिया और जोर-जोर से सिसकारी भर के हिलाने लगी और बोली- तुम्हारा तो बहुत मोटा और लाल है.. आह.. अब मैं नहीं छोडूँगी! फिर उसने मेरे लण्ड को अपने दुपट्टे से साफ़ किया और मुँह में लेने लगी।
मैंने कहा- क्या कर रही हो? उसने कहा- चुप रहो.. अब मैं तुमको बताऊँगी कैसे क्या करते हैं! वो जोर-जोर से मेरे टोपे को चूसने लगी और मेरे गोटियों को दबाने लगी। मेरे लिए यह बिल्कुल नया था। कभी सपने भी नहीं सोचा था कि ये सब भी लड़कियाँ करती हैं।
लेकिन मुक्ता ने सच में मजा दे दिया। मेरा पहली बार था, सो मैं जल्दी ही झड़ गया और मैंने लौड़ा उसके मुँह से जल्दी से खींच लिया और मेरा माल वहीं निकल गया। अब वो बोली- अब तुम्हारी बारी है! मैं बोला- क्या मुझे भी ऐसा ही करना पड़ेगा? नहीं.. मैं नहीं करूँगा मुझे घिन आती है, उल्टी हो जाएगी!
मेरी मुक्ता की इस वासना से मुझे बहुत ही आनन्द आ रहा था और मैं खुद को उसके सामने अनाड़ी समझ रहा था। उसमें बहुत आग थी उसकी इस आग को मैं अगले भाग में लिखूँगा तब तक आपसे अनुरोध करता हूँ कि यदि आप अपने कमेन्ट देना चाहते हों तो मेरी ईमेल आईडी पर मुझे ईमेल कीजिए। [email protected]
कहानी का अगला भाग: मस्त मुक्ता और उसकी वासना-2
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