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पूजा पटेल नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम पूजा है। बहुत सारी कहानियाँ पढ़ने के बाद आज में आप लोगों को अपनी कहानी बताने जा रही हूँ। पहले मुझे यह सब बताने में बहुत अटपटा सा लगता था लेकिन अब मैं अन्तर्वासना की प्रशंसक हूँ। खैर आपका ज्यादा समय बरबाद नहीं करते हुए अपनी कहानी पर आती हूँ। मैं छत्तीसगढ़ के एक छोटे शहर में रहती हूँ, मैं शादीशुदा, साधारण सी दिखने वाली गृहिणी हूँ। फिलहाल मेरे कोई बच्चे नहीं हैं जिसका कारण मेरे पति का शराबी होना है, मेरे से, मेरे चिकने बदन, मेरे वक्ष के उभारों, मेरी सफ़ेद जांघों, मेरे गद्देदार कूल्हों से ज्यादा उसे शराब से प्रेम है, वो हमेशा शराब पीकर आता है और सो जाता है। मैंने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन दिन ढलने के बाद सब बेकार ! और फिर मैंने समझाना भी छोड़ दिया। रात में आते और शराब की बदबू मेरा मज़ा ख़राब कर देती और वो हमेशा इतनी पीकर आता और सो जाता। कुछ दिनों के बाद मुझे मेरे पड़ोस में रहने वाली एक मेरी सहेली के बारे में कुछ ऐसा पता चला कि मेरा भी मन डोल गया। मैंने पूछताछ कर पता लगाया कि उसका मेरे पड़ोस के एक युवा के साथ नाजायज सम्बन्ध है। हालाँकि सुनकर मुझे ऐसे जरूर लगा कि मैं भी किसी से सम्बन्ध बना लूँ लेकिन बदनामी के डर से हिम्मत नहीं हुई। फिर अन्तर्वासना से मुझे तरकीब सूझी के घर पर किसी को बुलाया जाय और उसे ललचा कर अपनी प्यास बुझाई जाए। और एक दिन मेरी इच्छा पूरी हो गई, मेरा फ्रिज ख़राब हो गया मैंने सोचा जो फ्रिज ठीक करने आएगा, वो अगर मुझे भाया तो उसे अपने दूध के दर्शन करा कर उसे रिझा लूँगी; मेरा पति तो वैसे भी दिन भर घर नहीं आता है लेकिन मेरी ख़राब किस्मत ने यहाँ भी पीछा नहीं छोड़ा। जो आदमी फ्रिज के लिये आया वो बिल्कुल भी अच्छा नहीं दीखता था। खैर कहते हैं उसके घर में देर है अंधेर नहीं, एक दिन में अपने कम्प्यूटर के लिए स्पीकर लेने गई। वहाँ मैंने देखा के जो कम्प्यूटर इंजिनियर है, वो बहुत स्मार्ट है। बस उसी पल मैंने ठान लिया के मेरे पति की कमी इससे ही पूरी होगी। मैंने वो स्पीकर ख़रीदा और उसे कहा- अगर मैं यह स्पीकर लगा नहीं पाई तो आपको आना होगा। तो उसने कहा- जी बिल्कुल ! वैसे यह लगाना बहुत ही आसान है। और उसने मुझे सारा तरीका समझाया। मैं समझ तो गई लेकिन उसका नम्बर ले लिया। घर आकर मैंने स्पीकर को डिब्बे से निकाला और नहाने चले गई। नहाते नहाते मैंने उसके बारे में सोचते सोचते अपनी चूत में उंगली की और एक ढीला सा गाउन पहन कर बाहर आ गई। अब मैंने सीधे उसे कॉल किया और कहा- मैंने अभी आपकी दुकान से एक स्पीकर ख़रीदा है और मैं उसे अपने कम्प्यूटर में लगा नहीं पा रही हूँ, क्या आप मेरे घर आकर मेरी मदद कर देंगे? ‘जी मैडम जी, बिल्कुल !’ उसने जवाब दिया। मैंने अपना पता उसे नोट कराया और उसे जल्दी आने को कह कर फ़ोन रख दिया। इन्तजार करते करते लगभग आधे घंटे बाद फिर मेरे फ़ोन पर घंटी बजी, मैंने देखा उसी का ही नंबर था। फ़ोन उठाते साथ ही उसने कहा- मैडम, मैं आपके दरवाजे पर हूँ। ‘मैं आकर खोलती हूँ।’ मैंने कहा। मैंने सोचा कि मेरे दूध के दर्शन उसे अच्छे से हों, इसलिए मैंने गाउन थोड़ा आगे किया और चल पड़ी दरवाजे की ओर ! दरवाजा खोलते ही उसने मुझे देखा और देखता ही रह गया, साड़ी वाली औरत मरून गाउन में उसे भी सेक्सी ही लगी होगी। अब मैंने उसे अन्दर बुलाया और उसे कम्प्यूटर के पास ले गई। कम्प्यूटर मेरे बेडरूम में था जहाँ मैंने अपनी कुछ ब्रा और कच्छियाँ ऐसे फैलाई थी जैसे सूखने को रखा हो। उसके आते साथ में उसे कम्प्यूटर के सी पी यू के उस जगह को दिखाया जहाँ मैंने स्पीकर लगाया था। अब झुकना तो पड़ेगा ही और फिर इतनी ढीली गाउन भी तो इसीलिए ही पहनी थी, मैंने ध्यान दिया उसकी नज़र मेरे स्तन पर ही थी। अगले दस मिनट तक मैं किसी न किसी बहाने से उसे अपने दूध के दर्शन करा देती और उसे स्पर्श भी करा देती। अब मैंने नोट किया कि उसकी पैंट के ऊपर उभार दिखने लगा था। अब मैंने लाज शर्म छोड़ कर उसे पकड़ने की सोची लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई। फिर अगले दस मिनट मैंने उससे कम्प्यूटर के बारे में बहुत सारी जानकारी ली और उसने दी। उसके जाते तक मेरी हिम्मत नहीं हुई लेकिन मैंने उसके व्यव्हार की बहुत तारीफ की और उसे कहा- आपसे मिल कर बहुत अच्छा लगा। फिर मुझे एक बात समझ में आई कि एक बार में कुछ नहीं किया जा सकता। और फिर मैंने धीरे धीरे उस से बोलचाल और दोस्ती बढ़ाई और लगभग एक हफ्ते के बाद वो दिन आया जब हम एक दूसरे से बिना वजह कॉल करने लगे। और फिर एक दिन हमें उस चीज़ का भी मौका मिला जो मेरा अरमान था। मुझे एक चीज़ तो समझ में आ गई कि अगर घर में कम्प्यूटर है तो स्मार्ट-स्मार्ट लड़कों को घर पर आसानी से बुलाया जा सकता है और उनसे बातचीत भी आराम से चालू हो सकती है। अब मेरी किस्मत में एक स्मार्ट सा लड़का था लेकिन मैं बस इसी सोच में रहती थी कि कैसे उसे दोस्त से कुछ आगे बनाया जाए। फिर मैंने एक तरकीब सोची और व्हाट्सएप पर उसे नॉनवेज चुटकला भेजा और इंतज़ार करने लगी उसके जवाब का। उसने उस पर खास तव्वजो नहीं दिया और मुझसे नार्मल बातें करने लगा। हाँ इस तरकीब का एक फायदा यह हुआ कि अब वो भी मुझे नानवेज चुटकले भेजने लगा। अब लंड चूत की बात हमारे बीच आम हो चली थी। लेकिन फिर भी बात नहीं बनते हुए देख कर मैंने एक काम किया, एक दिन मैंने कहा- मैं घर में अकेली हूँ और मेरी चूत गीली हो रही है। और उसे अपने मम्मों की फोटो भेजी और कहा- इनमें दर्द हो रहा है, बहुत दिनों से दबी नहीं हैं।तब उसने कहा- अगर मैं वहाँ होता आप की मदद जरूर करता। मैंने कहा- आ जाओ, मदद के बदले तुम्हें कुछ न कुछ जरूर मिलेगा। और मैंने अपने कुछ और तस्वीर भी भेजीं। उसने कहा- आपके पति कहाँ हैं? मैंने उसे बताया- वो रात आठ बजे से पहले ऑफिस से नहीं आते हैं। उसने कहा- तो मैं आ रहा हूँ। अब मैं एकदम खुश… मेरी एक सप्ताह की मेहनत आज सफल होती दिख रही थी। अब मैंने अपना बेडरूम ठीक किया और बिना ब्रा और पेंटी पहने अपना वही ढीला वाला गाउन पहन लिया और इंतज़ार करने लगी उसके फ़ोन का ! मुझे मालूम था कि वो आकर घंटी नहीं बजाता, फ़ोन करता है। और वो इंतज़ार का समय कैसे गुजरा, बस मैं जानती हूँ। खैर उसके नमबबर से काल घंटी बजा और मैं दरवाजे पर, उसके अन्दर आते ही मैंने दरवाजा बंद किया और सीधा उसका हाथ पकड़ कर अपने बेडरूम में ले आई। वो कुछ कहने ही वाला था कि मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और ज़ोरदार तरीके से उसके होंठों को चूसने लगी। मुझे मालूम था कि वो बहुत शर्मीला है इसलिए मैंने उससे कोई उम्मीद नहीं रखी थी। लेकिन वो उतना भी सीधा नहीं था, मैं उसे चूम रही थी और वो मेरे मम्मों को मसल रहा था। मैंने भी देर नहीं करते हुए झट से अपना गाउन उतार दिया और उसके टी शर्ट को भी उतार फेंका और उसकी जीन्स को उसे खुद खोलने को कहा। उसने अपनी जीन्स तुरंत उतार दी। मैंने देखा कि उसका लंड उसकी चड्डी में संभल नहीं रहा था। चड्डी का टैंट बना हुआ था और मैं उसके टेंट का बम्बू देखने को मरी जा रही थी। मैंने भी देर ना करते हुए तुरंत उसकी चड्डी उतार कर फ़ेंक दी, उसका लंड छह इंच का रहा होगा, अच्छा मोटा… मेरे पति के लंड से बड़ा भी था और दोगुना मोटा भी ! मैंने मन में ही सोचा कि मेहनत बेकार नहीं हुई। अब मैं उसके लंड से खेलने लगी, हाथ में लेकर सहलाया और चूसने लगी। उसका लंड इतना सख्त था कि क्या बताऊँ… मेरे शराबी पति का लंड खड़ा होकर भी खड़ा सा नहीं लगता था। अब उसने मेरे बालों को अचानक से पकड़ से लिया और कहा- रुक जाओ ! मैंने कुछ नहीं कहा और चूसने में लगी रही, मुझ पर तो लंड का नशा छाया था और मैं उसका पूरा का पूरा लंड-रस पी गई। मैं जानती थी कि लड़के पहली बार में जल्दी साथ छोड़ देते हैं। अब मैं उसे खींच कर बेड पर ले आई और अपने ऊपर लेटा लिया। वो हर समय मेरे मम्मों को चूसने में और दबाने में ही लगा था, कभी इधर का दबाते हुए उधर का चूसता, कभी उधर का दबाते हुए इधर का चूसता ! और इधर मेरी चूत में आग लगी थी, उसका लंड जो मेरी जांघ में टकरा रहा था, उसे मैंने अपने हाथ से अपने चूत में लगाया और उसने उसे तुरंत मेरे अन्दर भर दिया। मैं जन्नत में थी, मुझे थोड़ा तो दर्द हुआ था लेकिन इसी दर्द के लिए तो इतनी मेहनत की थी। उसने करीब बीस मिनट तक मेरी चुदाई की, उसके बाद फिर हम दोनों साथ में नहाए और नहाते नहाते भी एक दूसरे के शरीर का पूरा मज़ा लिया। फिर वापस दोनों ने कपड़े पहने और इसी तरह रोज चुदाई करने का मामला तय कर लिया। बस फिर उसके बाद लगभग हर उस दिन जब मेरे पति ऑफिस रहते, मैं उसे बुला लेती और जी भर के चुदवाती। हालांकि यह चुदाई तब बंद हो गई जब मेरे पति का दूसरे शहर तबादला हो गया। मैं फिर किसी कंप्यूटर इंजिनियर की तलाश में हूँ क्योंकि उसके घर आने से पड़ोसियों को बताने का बहाना मिल जाता है और उसका नंबर भी फ़ोन पर आराम से सेव किया जा सकता है। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताइएगा। [email protected]
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