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हैलो दोस्तो, मेरा नाम मनु है। और मैं मुंबई में रहता हूँ। मेरी उमर 27 साल है। मेरा गाँव का नाम इटावा है, जो उ.प्र. में है।
मैं इस साईट को बहुत ही पसंद करता हूँ क्योंकि इस साइट की कुछ कहानियाँ मुझे बहुत अच्छी लगीं।
यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है,
बात उन दिनों की जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरी क्लास में मेरे कुछ दोस्त गंदे मज़ाक किया करते थे, जैसे एक-दूसरे का लिंग पकड़ना, गंदी बातें करना, कहानी, चुटकले सुनाना.. आदि!
एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे एक पारिवारिक चुदाई की कहानी सुनाई। फिर जब शाम को स्कूल से घर वापिस आया, पर वो कहानी मेरे दिमाग़ में चलती रही और जब मैं अपने घर में किसी भी लड़की या महिला को देखता तो अजीब सा महसूस करने लगता था।
मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार है जिसमें दादा,दादी, ताऊ और ताई चाचा चाची सभी लोग रहते हैं।
तो कुछ दिनों के बाद दीवाली आने वाली थी तो अधिकतर छोटे शहरों में दीवाली के पहले घर की साफ़-सफाई होती है, मेरे घर की भी साफ़-सफाई हो रही थी तो मैं भी अपने घर में काम कर रहा था।
मैंने देखा कि हमारे यहाँ एक पुरानी टंकी थी, जिसमें एक किताब रखी थी। मैं उस किताब को उठा कर देखने लगा, तो मेरी आँखें फटी रह गईं क्योंकि वो किताब भी पारिवारिक यौन सम्बन्धों वाली थी।
मैंने चुपके से उसको अपने स्कूल के बैग में रख लिया और अपना काम करने लगा।
फिर जब रात को हम भाई-बहन सब पढ़ने के लिए बैठे तो मैंने उस किताब को निकाला और अपनी इंग्लिश बुक के अन्दर रख कर पढ़ने लगा।
उसमें एक माँ और बेटे के बीच सेक्स की कहानी थी, उसे पढ़कर मेरा लिंग खड़ा होने लगा और मुझे बहुत मज़ा आने लगा, पर मुझे हस्तमैथुन की जानकारी नहीं थी, तो मैंने अपने लिंग को ऊपर से ही दबाने लगा और दबाते-दबाते मुझे पेशाब लगने लगी और मैं पेशाब करके सो गया, पर मेरे दिमाग़ में वो कहानी अपनी जगह बना चुकी थी और मेरे मन में भी सब वो चलता रहता था।
फिर कुछ दिनों के बाद मैं अपने ताई के घर गया, वो ब्लाउज सिलने का काम करती हैं। उस समय वो मशीन पर ब्लाउज सिल रही थीं और उनका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था। उनके ब्लाउज में से उनके उरोज़ बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे।
चूंकि वो मशीन चला रही थीं तो उनके उरोज बड़ी ज़ोर-ज़ोर से हिल भी रहे थे। मैं ये सब बहुत प्यार से चोरी से देख रहा था और मेरा लिंग भी खड़ा हो गया था। मैं उसको धीरे-धीरे अपने पैरों से दबा रहा था।
फिर अचानक से मेरी ताईजी उठीं और मेरी तरफ देखने लगीं। मैं डर गया, मैंने अपनी नज़र नीचे कर लीं।
फिर वो बोली- मनु, मैं लेट्रिन करने जा रही हूँ, तुम यहाँ बैठे रहोगे क्या?
मैंने कहा- हाँ.. आप जाइए!
दरअसल मैं आपको बताना चाहता हूँ हमारे घर में लेट्रिन जाने से पहले सारे कपड़े निकाल कर जाया जाता है, पर लेट्रिन दूर होने के कारण सभी महिलायें सिर्फ़ साड़ी में और आदमी लोग सिर्फ़ अंडरवियर पहन कर जाते हैं।
तो फिर मेरी ताई ने अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिया। पहले उन्होंने अपनी साड़ी निकाल दी और वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। उनके ब्लाउज में से उनके उरोज बहुत अच्छे लग रहे थे।
फिर वो एकदम से थोड़ा पर्दे के पीछे चली गईं क्योंकि वो मेरे सामने कपड़े नहीं निकाल सकती थीं।
मैं भी चुपचाप से उनके पीछे गया, तो मैंने देखा कि वो अपने ब्लाउज के हुक खोल रही थीं। जैसे ही उन्होंने अपने ब्लाउज के सारे हुक खोले तो उनके उरोज एकदम से मेरी आँखों के सामने आ गए।
वो ब्रा और पैन्टी नहीं पहनती थीं।
फिर उन्होंने धीरे से अपना पेटीकोट का नाड़ा खोला और सिर्फ़ साड़ी लपेट ली। मैं सब कुछ चोरी से देख रहा था, पर मैं उनकी योनि को नहीं देख पाया।
फिर वो लेट्रिन करने के लिए चली गईं और मैं वापिस अपने घर आ गया।
कुछ दिनों के बाद मैं फिर से उनके घर पर गया। वो पहले की तरह ब्लाउज ही सिल रही थीं और उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था, उनके मम्मे हिल रहे थे और मैं ये सब चुपचाप देख रहा था।
थोड़ी देर बाद उन्होंने सिलाई बंद कर दी और शांत बैठ गईं और मेरी तरफ देखने लगीं। मैंने अपनी नजरे फेर लीं और इधर-उधर देखने लगा।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा शायद उनको कुछ परेशानी है तो मैंने पूछा- ताईजी क्या हुआ?
तो वो बोलीं- मेरे पेट में कुछ दर्द हो रहा है!
तो मैंने कहा- आप आराम कीजिए सिलाई का काम कल कर लीजिएगा।
तो उन्होंने बोला- ठीक है!
और वो बिस्तर पर लेट गईं और आँखें बंद कर लीं।
फिर मैं वहाँ से वापिस आ गया।
फिर जब मैं 10वीं क्लास पास कर के 11वीं में आया और मैंने साइंस का विषय लिया और हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, तो मैंने पार्ट टाइम के लिए एक हॉस्पिटल में जॉब कर लिया।
एक दिन मैं अपने बड़ी ताई के घर गया। वो हार्ट-पेशेंट हैं, उनकी तबीयत अकसर ठीक नहीं रहती है।
मैंने पूछा- ताईजी क्या हुआ आज तबीयत कैसी है?
वो बोलीं- ठीक है.. बस छाती में दर्द होता है!
मैंने पूछ लिया- ताईजी छाती में किधर दर्द होता है?
तो एकदम से अपना साड़ी का पल्लू हटाकर मुझे दिखाने लगीं। उनके बड़े-बड़े मम्मे ब्लाउज में आम की तरह दिख रहे थे और मेरे लिंग भी खड़ा हो गया था। मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया।
मैंने सोचा क्यों ना आज ताईजी के मम्मे को छुआ किया जाए, तो मैंने धीरे से उनके गर्दन के पास हाथ रखकर बोला- ताईजी यहाँ दर्द होता है?
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने ब्लाउज के ऊपर से अपने मम्मे पर रख दिया। मैं भी बस यही चाहता था। फिर मैं धीरे से उनके मम्मे को अपने हाथ से दबाने लगा और पूछने लगा- ताईजी, यहाँ दर्द होता है?
तो वो भी मेरे हाथ को पकड़ कर अपने मम्मे पर फिराने लगीं और मुझे बताने लगीं।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और जानबूझ कर उनके ब्लाउज के अन्दर हाथ डालकर उनको पूछने लगा- यहाँ पर..!
तो उन्होंने कुछ नहीं बोला, फिर मैंने अपना हाथ उनके गुलाबी निप्पल पर रख दिया और धीरे से सहलाने लगा। उनकी आँखें बंद होने लगी थीं।
फिर अचानक से मेरी ताईजी की लड़की कमरे में आ गई। मैं डर गया और मैंने अपना हाथ मम्मे पर हटा लिया और इधर-उधर की बातें करने लगा।
ताईजी भी अपनी आँखें खोल कर सामान्य हो गईं।
मेरी ताईजी की लड़की मुझे 3 साल बड़ी है, उसके मम्मे ज़्यादा बड़े नहीं है, पर संतरों की तरह है और वो ब्रा भी नहीं पहनती है, सिर्फ़ शमीज़ पहनती है।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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