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सारिका कंवल मैंने दर्द को सहते हुए जोर लगाया और उसने भी तो पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया। मैं उसके सुपाड़े को अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी। उसने मुझे चूमा और कहा- तुम्हारी बुर कितनी कसी हुई है.. कितने दिनों के बाद चुदवा रही हो..? मैंने कहा- तीन महीने के बाद… अब देर मत करो.. चोदो ! उसने कहा- ठीक है, पर कोई परेशानी हो तो कह देना ! मैंने कहा- ठीक है, पर आराम से धीरे-धीरे और सीधे-सीधे घुसाना ! उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा फिर मेरे होंठों से होंठ सटाकर चूमते हुए अपना काम शुरू कर दिया, उसने मुझे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया। मुझे भी कुछ समय के बाद सहज लगने लगा तो मैंने भी अपनी कमर उछालाना शुरू कर दिया। अब मुझे मजा आने लगा, उसने अब अपनी गति तेज़ कर दी, मैं सिसकारियाँ लेने लगी। मेरी योनि से पानी रिसने लगा, जो उसके लिए काम और आसन करता जा रहा था। उसके धक्कों से मेरी योनि में उसका लिंग इतनी आसानी से जा रहा था कि क्या कहूँ ! मैं तो मस्ती में उसके बाल तो कभी उसके पीठ नोचने लगी। वो भी कभी मेरे गाल काटता तो कभी चूचुकों को और जोर से दबाता। हम दोनों कभी एक-दूसरे को देखते, कभी चूमते, चूसते या काटते और वो तेज़ी से मेरी योनि को चोदे जा रहा था। वो लगातार 15-20 धक्के मारता तेज़ी में फिर 2-4 धक्के के बाद जोर से फिर पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा कर जोर से मेरी बच्चेदानी में सुपाड़े को रगड़ने लगता। इस तरह मुझे बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों की साँसें तेज़ हो रही थीं और पसीने से तर होने लगे थे। पर उसका पसीना भी मुझे किसी खुशबूदार फूल की तरह लग रहा था। उसे भी शायद मेरे पसीने की गंध अच्छी लग रही थी। उसने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है? मैंने जवाब दिया- बहुत मजा आ रहा है, तुम्हें कैसा लग रहा है? उसने कहा- मुझे तो बहुत मजा आ रहा है, तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि लंड का चमड़ा खिंचा जा रहा है और फूली हुई है तो गद्देदार लग रही है ! उसकी तारीफ़ सुन कर मैं खुश हुई और मुस्कुराते हुए उसका साथ देने लगी। उसने कहा- कुछ बात करते हुए चुदवाओ तो मजा और भी आएगा ! मैंने कहा- ठीक है ! फिर हम बातें करने लगे और साथ ही वो मुझे चोद रहा था। उसने कहा- क्या तुम ऐसे ही चुदवाओगी या किसी दूसरे तरीके से भी? मैंने कहा- तुम्हें जैसा अच्छा लगे चोदो ! तब उसने कहा- मैं धक्के लगाते हुए थक गया हूँ.. क्या तुम ऊपर आना चाहोगी? तब मैंने कहा- ठीक है ! फिर उसने मुझे पकड़ कर उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया। हम दोनों बैठ गए और मैंने उसके गले में हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया। उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और कहा- अब तुम चुदवाओ ! अब मैंने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए। कुछ देर के बाद मैंने वो किया जिसका उसने कभी सोचा नहीं था। मैंने अमर के साथ जो किया वही किया। मैं 8 लिखने के अंदाज में अपनी कमर को घुमाना शुरू किया। उसने तब कहा- तुम तो सच में खिलाड़ी हो कितना मजा आ रहा है करते रहो ! करीब 10 मिनट तक करने के बात मैं भी थक चुकी थी, उसको कहा- अब मैं थक गई हूँ। तब उसने मुझे नीचे उतार दिया और कहा- चलो अब घोड़ी बन जाओ ! और मैं झुक कर दोनों घुटनों को मोड़ कर अपनी हाथों के बल कुतिया सी बन गई। उसने पहले तो पीछे से मेरी योनि को चाटा फिर लिंग को योनि पर टिका कर धक्का दिया। लिंग पूरा घुस गया। इस तरह लिंग सीधा मेरी योनि की आगे की दीवार से रगड़ खाने लगी। मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं मस्ती में सिसकारी लेते हुए कहने लगी- हाँ.. ऐसे ही ऐसे चोदो मुझे.. ह्म्म्मम्म आ..हह..स्सस्सस्स ! करीब 10 मिनट तक ऐसे चोदने के बाद मैं अब झड़ने वाली थी। मेरे शरीर की अकड़न देख कर वो समझ गया कि मैं अब झड़ने जा रही हूँ, उसने तुरंत मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरी टाँगों को फैला कर उसने अपने कन्धों पर रख दिया और कहा- तुम्हें अब और ज्यादा मजा आएगा ! उसने लिंग मेरी योनि में घुसा दिया और चोदने लगा, मैं उसके चूतड़ों को कस के पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी। उसकी साँसें मेरी साँसों से तेज़ हो रही थी। उसने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ ! मैं भी अब और खुद को रोक नहीं सकती थी। बस एक-दो धक्कों में ही मेरा स्खलन हो गया। मैंने उसे अपनी पूरी ताकत से पकड़ लिया। अब उसकी बारी थी, उसके धक्कों में तेज़ी दुगुनी हो गई और फिर 5-8 जोरदार धक्कों के साथ वो भी झड़ गया। मैंने महसूस किया कि कुछ गर्म चीज़ मेरे अन्दर पिचकारी की तरह गई और मेरी योनि उसके वीर्य से भर गई। वो हाँफते हुए मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे ऊपर निढाल हो गया। करीब 5 मिनट हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर वो मुझसे अलग हुआ, उसका लिंग सिकुड़ कर आधा हो गया था और मेरी योनि से उसका वीर्य बहने लगा था। उसके पूरे बदन से पसीना बह रहा था और मेरे सीने और जाँघों के पास योनि के किनारों से भी पसीना बह रहा था। मैंने अपनी पैन्टी से योनि पर वीर्य साफ़ किया। रात के 12 बज चुके थे। हम दोनों वहीं लेट गए और बातें करने लगे। उसने मुझसे कहा- मैंने बहुतों के साथ सेक्स किया है और हर औरत में एक अलग ही मजा होता है, पर असली मजा तब आता है जब कोई पूरा साथ दे तुम्हारी तरह! मैंने भी तब कहा- मुझे सेक्स बहुत पसंद है और मैं उसे पूरा मजा लेना चाहती हूँ, तुम्हारे साथ बहुत मजा आया ! फिर उसने कहा- कहीं तुम्हें कुछ तकलीफ तो नहीं हुई इस दौरान? मैंने उत्तर दिया- शुरू में लंड अन्दर जाते हुए थोड़ा दर्द हो रहा था, पर इतना तो चलता है ! फिर उसने मुझे मुस्कुराते हुए देखा और मेरे होंठ चूम लिए और कहा- तुम इतने दिनों के बाद चुदवा रही थी और ऊपर से तुम्हारी बुर औरों के मुकाबले थोड़ी छोटी है, इसलिए मुझे कसी हुई लगी। मुझे भी ऐसा लग रहा था कि मेरे लंड का चमड़ा खिंच कर पूरा ऊपर आ जाएगा ! हम काफी देर यूँ ही बातें करते रहे। वो मेरी और मेरे जिस्म की तारीफ़ करता रहा। अब उसने बातें करते हुए फिर से मेरी योनि को सहलाना शुरू कर दिया। मैंने उससे कहा- अभी मन नहीं भरा क्या ! उसने जवाब दिया- अगर पास में तुम्हारी तरह कोई जवान औरत हो तो भला किसी मर्द का मन भरेगा ! और उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने भी अपनी प्रतिक्रिया दिखाई और उसका लिंग पकड़ कर हिलाने लगी साथ ही उसे चूमने और चूसने लगी। उसने मुझसे कहा- सारिका, हम इन 5 दिनों में हर तरह से सेक्स करेंगे और किसी रोज तुम्हारी सहेली को साथ रख कर तीनों मिल कर करेंगे ! मुझे उसकी बातें रोचक लग रही थीं और मैं फिर से गर्म होने लगी थी। उसका लिंग भी अब कड़ा हो गया था। कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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