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हॉट सेक्सी गर्ल की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरे ऑफिस की लड़की ने अपनी चूत की प्यास बुझवाने के लिए मुझे अपने घर बुलाया. मुझे भी चूत की जरूरत थी तो …
अब आगे की हॉट सेक्सी गर्ल की चुदाई कहानी:
और फिर अगला दिन तो पूरा का पूरा ही ऑफिस के चुतियापे में ही बीत गया। सबसे पहले HRD मेनेजर से मुलाक़ात हुई। उम्र कोई 40-45 साल के लपेटे में रही होगी। गदराया सा बदन और नितम्ब देखकर तो लगा कभी यह इमारत भी बुलंद रही होगी अब तो खंडहर सी होने लगी है।
जिस प्रकार वह आत्मीयता से बात कर रही थी लगता है थोड़ी सी मेहनत की जाए तो इस आंटी को गुलफाम की सब्ज परी बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। ट्रेनिंग के लिये मेरे अलावा और जगह से भी स्टाफ के लोग आये हुये थे जिन्होंने 5-10 पहले ज्वाइन किया था।
उनसे परिचय के बाद वहाँ के लोकल सेल्स और फील्ड स्टाफ से भी मेरा परिचय करवाया गया। उसके बाद मुझे फेक्ट्री में विजिट करना था जहाँ मुझे 3-4 दिन प्रोडक्शन प्रोसेस समझना था।
उन्होंने बताया कि उनके गेस्ट हाउस में अभी रूम खाली नहीं हैं तो मुझे अभी 3-4 दिन होटल में ही रुकना पड़ेगा। मेरे लिए तो यह बहुत ही अच्छी बात थी।
होटल लौटते-लौटते 7 बज गए थे। दिन में 2-3 बार नताशा का फोन भी आया था पर उसे सॉरी बोलना पड़ा कि मैं आज जल्दी नहीं आ सकूंगा। उसने कल (सन्डे) के प्रोग्राम के बारे में पूछा तो मुझे उसके प्रस्ताव के लिए मना ही करना पड़ा। मैंने उसे समझाया कि मैं अभी होटल में 3-4 दिन और रुकुंगा तो हम लोग आराम से यहाँ मिल सकते हैं।
मुझे लगता है मेरी बातों से उसे निराशा तो जरूर हुई होगी पर मैं किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठा सकता था।
फिर नताशा ने बताया कि वह कल दिन में समय मिला तो होटल आने की कोशिश करेगी।
अगले दिन सन्डे था तो मैं थोड़ा देरी से उठा। 10 बज गए थे मैं नहाकर तैयार हो गया था और चाय पी चुका था। मैं सोच रहा था आज दिन में थोड़ी देर बंगलुरु के दर्शनीय स्थल का भ्रमण ही कर लिया जाए।
साली नताशा ने तो आज फोन ही नहीं किया, कहीं नाराज़ तो नहीं हो गई है। एक बार तो मैंने उसे फोन करने की सोची पर बाद में मैंने अपना इरादा बदल लिया।
कोई 4 बजे का समय रहा होगा। नताशा का फोन आया। “क्या कर रहे हो जानू?” “बस तुम्हें ही याद कर रहा था.” “चल … झूठे कहीं के.” “क्यों?” “इतनी याद आ रही थी तो फिर आये क्यों नहीं?” “वो.. यार … दरअसल मैं …”
“अच्छा सुनो!” उसने मेरी बात को बीच में ही काटते हुए कहा। “हाँ बोलो डिअर?” “वो मेरी कजिन है ना?” “हाँ … उसे क्या हुआ?” “अरे … उनकी फॅमिली में किसी दूर के रिश्तेदार की डेथ हो गई थी तो आज वो सभी वहाँ जाने वाले हैं और रात को वहीं रुकेंगे। उन्होंने तो मुझे भी साथ चलने का बोला था पर मैंने मना कर दिया।”
“ओह … सो सैड … डेथ कैसे हो गई? कितनी एज थी?” “ओहो … छोड़ो ना यह सब!” “क्या मतलब?” “अरे यार … किस्मत ने इतना सुनहरा मौक़ा हम दोनों को दे दिया है. और तुम फालतू बातों में लगे हो. तुम फटाफट यहाँ चले आओ.”
एक बार तो मुझे अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हुआ। साली यह किस्मत तो हर समय लौड़े लगाने को तैयार रहती है आज इस कदर मेहरबान हो रही है मैंने तो ख्वाब में भी नहीं सोचा था। फिर नताशा ने मुझे अपनी कजिन का पता बताया।
मैंने मार्किट से एक बुके और मिठाई का पैकेट ले लिया। मैं सोच रहा था उसके लिए कोई गिफ्ट भी ले लूं पर मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि उसके लिए क्या लिया जाए जिसे पाकर वो ख़ुशी से झूम उठे। जब कुछ समझ नहीं आया तो मैंने निश्चय किया कि कल उसको साथ लेकर उसके मनपसंद की कोई बढ़िया गिफ्ट खरीदकर उसे दे दूंगा।
और फिर जब मैं नताशा के बताये एड्रेस पर पहुंचा तब तक 7 बज चुके थे। थोड़ा धुंधलका सा हो रहा था। मैंने उसके फ्लैट के पास पहुँच कर उसे फोन पर अपने पहुँचने के बारे में बताया तो वह मुझे लेने के लिए नीचे आ गई।
उसने बालों की चोटियाँ बना रखी थी और काले रंग की पतली सी पजामे और लंबा सा कुर्ता पहन रखा था जिसमें अन्दर की तरफ ब्लाउज था और बाहर से खुला हुआ सा था। बलाउज और पजामे के बीच में उसका पतला सा पेट और नाभि का गोल और गहरा छेद नज़र आ रहा था। जिस प्रकार उसकी पजामी उसकी जाँघों पर कसी हुयी लग रही थी मुझे मुझे लगता है आज उसने अन्दर पैंटी और ब्रा नहीं पहनी है।
हम दोनों चुपचाप फ्लैट में आ गए। मैंने आप पास नज़र दौड़ाई कहीं कोई देख तो नहीं रहा। वैसे बड़े शहरों की एक तो अच्छी बात होती है कि किसी को दूसरे के बारे में कोई ज्यादा चिंता नहीं होती। अन्दर आकर नताशा ने गेट बंद कर लिया।
मैंने अपने हाथों में पकड़ा बुके और मिठाई का डिब्बा उसे पकड़ा दिया। नताशा ने ‘थैंक यू’ बोलते हुए उसे हॉल में रखी मेज पर रख दिया और फिर दौड़ कर मेरे सीने से लग गई।
उसने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दी और मेरे होंठों को चूमने लगी। मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी कमर और नितम्बों पर हाथ फिराना चालू कर दिया। अब तो मेरी अंगुलियाँ आराम से उसकी गांड और चूत की गर्माहट महसूस कर सकती थी।
जैसे ही मेरे हाथ उसके नितम्बों की खाई में सरकने लगे वह अपने पंजों के बल होकर मेरे गले में झूलने सी लगी।
मैंने अब अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ लिया उसे ऊपर उठाने की कोशिश करने लगा। वह थोड़ा सा उछली और फिर उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के गिर्द डाल कर कस ली। हे भगवान्! आज तो नताशा किसी स्कूल गोइंग किशोरी की तरह चुलबुली सी हो रही थी।
मेरे पुराने पाठक, पाठिकाओं को जरूर याद होगा एक बार मिक्की (याद करें तीन चुम्बन) ने ऐसे ही उछलकर मेरी कमर के गिर्द अपनी मखमली टांगें मेरी कमर में कस ली थी।
फिर उसने मुझे बेडरूम की ओर चलने का इशारा किया। मैं उसे बांहों में लिए बेड रूम में आ गया। ट्यूब लाईट की दूधिया रोशनी पूरे कमरे में फैली हुयी थी। डबल बेड पर सुनहरे रंग की नई चादर बिछी हुयी थी. उस पर गुलाब और मोगरे की पत्तियाँ बिखरी हुयी थी। शायद बढ़िया रूम फ्रेशनर भी किया हुआ था।
अब मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया। उसकी जांघें अब भी मेरी कमर के बीच लिपटी हुई थी। मैंने उसके गालों और होंठों पर चुम्बन लेने शुरू कर दिए।
नताशा की मीठी सीत्कारें कमरे में गूंजने लगी थी। कभी वह मेरे मुंह में अपने जीभ डाल देती तो मैं चूसने लगता और कभी मैं अपनी जीभ उसके मुंह में डाल देता तो वह किसी लोलीपोप की तरह उसे चूसने लगती।
मेरा लंड तो किसी लोहे की सलाख की तरह सख्त हो गया था और उसकी चूत के ऊपर ठोकर सी मारने लगा था।
“प्रेम …” “हाँ जानेमन?” “कल पता है मैं तो सारी रात तुम्हारे ही ख्यालों में खोई रही और बस तुम्हें ही याद करती रही.” “हम्म.”
“पता है मेरा मन कर रहा था.” “क्या?” “कि एक पूरी रात तुम्हारे आगोश में बिताऊँ.” “हाँ जान तुम्हारी यह तमन्ना तो आज पूरी होने वाली है। आओ तुम्हारी तमन्ना पूरी कर दूं.” और फिर हम दोनों ने अपने कपड़े और जूते निकाल फेंके।
हे भगवान्! उसका गदराया हुआ सा बदन देखकर तो लगता है यह नताशा तो पूरी बोतल का नशा है। पतली कमर और गदराया हुआ सा नाभि के नीचे का भाग, सुतवां जांघें और मोटे कसे हुए नितम्ब उफ्फ्फ … इस फित्नाकार मुजसम्मे को कहर कहूं, बला कहूं, क़यामत कहूं या फिर खुदा का करिश्मा कहूं कुछ समझ ही नहीं आ रहा।
उसे देखकर मेरा लंड तो किसी घोड़े की तरह हिनहिनाने लगा था। नताशा ने उसे अपने हाथों में पकड़ लिया और मसलना चालू कर दिया। फिर उसने बेड की साइड टेबल पर रखी क्रीम निकाली और मेरे लंड पर लगाने लगी।
उसकी नाज़ुक अँगुलियों का अहसास पाते ही मेरा लंड बेकाबू होकर उछलने ही लगा था। अब मैंने उसके हाथों से वह क्रीम की डिब्बी लेकर उसे लेट जाने का इशारा किया।
नताशा तो शायद इसी के इंतज़ार में थी। उसने अपनी जांघें चौड़ी कर दी। मोटे-मोटे पपोटों वाली चूत तो आज ऐसे लग रही थी जैसे कोई खिला हुआ गुलाब हो।
मेरी अंगुलियाँ तो उन पंखुड़ियों की नाज़ुकी महसूस करके जैसे निहाल ही हो गई थी। मैंने पहले तो उसकी चूत पर हाथ फिराया और फिर उसकी नथनिया को पकड़कर होले से खींचकर दबाया तो उसकी एक मीठी किलकारी निकल गई।
अब मैंने उसकी चूत की फांकों को चौड़ा किया। गहरी लाल चुकंदर सी चूत के पपोटे खुलकर गुलाब का फूल सा नज़र आने लगा तो मैंने अपने होंठ उसपर लगा दिए। पहले तो अपनी जीभ उन पर फिराई और बाद में उसकी मदनमणि को उस सोने की रिंग समेत अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
नताशा के ऊपर तो जैसे नशे का खुमार सा चढ़ने लगा था। मैंने जैसे ही उसके दाने पर अपने दांत गड़ाए उसकी एक हल्की सी आह निकल गई. उसने अपनी जांघें मेरे सर के चारों ओर लपेट ली और मेरे सर के बालों को अपने हाथ में पकड़ किया।
“आआईईई ईईईई … प्रेम … आह …”
मैं 4-5 चुस्की लगाकर हट गया और फिर उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगा दी। बाद में अपनी एक अंगुली उसके छेद में डालते हुए अन्दर भी क्रीम लगा दी। नताशा के पूरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई।
“ईईईस्स स्स्स” उसने मेरा हाथ हटाने की एक नाकाम सी कोशिश तो जरूर की पर ज्यादा विरोध नहीं किया।
मैंने 3-4 बार अपनी अंगुली को अन्दर-बाहर किया। अब मैं उसके ऊपर आ गया और अपने लंड को उसकी मक्खन सी मुलायम चूत के चीरे पर घिसने लगा।
“आह … प्लीज जल्दी करो … आह …”
अब देरी करना ठीक नहीं था। मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी रसीली चूत में घोंप दिया। नताशा के मुंह से हुच्च की सी आवाज निकली और फिर एक मीठी किलकारी निकल गई। “उईईईई माआआआ …”
अब मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को घिसते हुए धक्के लगाने शुरू कर दिए। जैसे ही मेरा लंड उसकी मदनमणि में पहनी सोने की बाली (रिंग) से रगड़ खाता तो नताशा की एक मीठी चीख सी निकालने लगती।
मैंने उसके उरोजों को भी मसलना और चूसना शुरू कर दिया था। बीच बीच में उसकी फुनगियों को भी अपने दांतों से काटना जारी रखा।
नताशा तो अगले 3-4 मिनट में ही एक बार झड़ गई। और उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया।
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