This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
प्रेम हाय मेरा नाम प्रेम है, आपकी तरह मैं भी अन्तर्वासना का पाठक हूँ। मैंने अन्तर्वासना की लगभग सभी कहानियाँ पढ़ी हैं और आज मैं अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ। आम तौर पर कई लेखक सीधे ही अपने सम्भोग के बारे में लिखते हैं, लेकिन मुझे तो वो कहानियाँ पसंद हैं, जिनमें कोई कथानक हो, उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आए। अगर मुझसे लिखने में कोई गलती हो जाए तो प्लीज नजरअन्दाज कर दीजिएगा।
बात कुछ एक साल पुरानी है, जब मैं मुंबई में अपनी इंजीनियरिंग के तीसरे साल में था। मेरा कॉलेज सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक था। मैं अपनी कॉलेज लाइफ जैसे-तैसे काट रहा था, मतलब सिंसियरली।
लेकिन शायद ऊपर वाले से ये देखा नहीं गया और मेरा उदास जीवन खुशहालियों से भर दिया।
ऐसे ही एक दिन मैं शाम को अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए निकला। उस रात हमने खूब ऐश किया और जब वक़्त का पता चला, तब 12 बज गए थे। मेरे दोस्त निकलने को तैयार नहीं थे, तो में अकेला ही वहाँ से चल पड़ा। रात के बारह बज गए थे, तो कोई ऑटो और टैक्सी भी नहीं थी तो मैं चलते-चलते जा रहा था और अचानक एक लड़की अपने स्कूटी पर आ रही थी।
क्या रूप की रानी थी…!
उसका नाजुक बदन, गोरा रंग और अति आकर्षक थी। मैं उसे देखता ही जा रहा था और वो मुझे वो मुझे कुछ इशारे कर रही थी लेकिन मैं उसे देख रहा था और अगले ही पल उसने मुझे ठोक दिया और मैं जमीन पर गिर गया।
कुछ ज्यादा नहीं पर पैर में मोच आ गई थी। वो झट से अपने स्कूटी से उतार कर मुझे उठाने लगी, पर पैर में मोच की वजह से मैं ठीक से चल नहीं पा रहा था।
उसने मुझसे पूछा- क्या मैं आपको छोड़ दूँ..?
मैंने कहा- अभी तो पकड़ा भी नहीं और छोड़ने की बात कर रही है..? उसने कहा- मेरा वो मतलब नहीं था !
मैंने कहा- मैं मजाक कर रहा था और इट्स ओके… मैं चला जाता हूँ।
“कहाँ.. ऐसे-कैसे जाओगे… जिद मत करो, मैं आपको आपके घर छोड़ दूँगी।”
मैंने कहा- मैं घर में नहीं रहता।
उसने कहा- व्हाट…!
मैंने कहा- मेरा मतलब मैं हॉस्टल में रहता हूँ और इस शहर में बाहर का हूँ।
तब भी उसन जिद करके मुझे अपनी स्कूटी पर बिठा लिया। फिर हम स्कूटी पर बैठ कर जा रहे थे, ठंडी का मौसम था।
मैंने उससे कहा- गाड़ी जरा धीरे चलाओ..!
उसने कहा- क्यों घबरा रहे हो…?
मैंने कहा- हाँ, मुझे डर लगता है गिरने का, लेकिन गाड़ी से नहीं…!
उसने कहा- तो…! मैंने कहा- मुझे तो तुम्हारे प्यार में गिरने का…?
इस पर वो कुछ नहीं बोली, बस शर्मा गई। ठंडी का मौसम होने की वजह से ठंडी हवाएँ चल रही थीं और हवाओं की वजह से में उसे जुल्फों में खो गया था और ठंडी भी लग रही थी। फिर मेरा हॉस्टल आ गया। मैंने उसे रुकने को कहा।
मैंने देखा कि वो ठण्ड से कांप रही थी। मैंने तुरंत अपना जैकेट निकाल कर उसे देने लगा, पर उसने मना किया।
मैंने फिर से उसे जबरदस्ती दे दिया और कहा- अभी-अभी लौंड्री से लेकर आया हूँ, गन्दा नहीं है।
वो हँसने लगी और कहा- इसकी जरुरत नहीं है।
मैंने कहा- अगर तुमने नहीं लिया, तो मैं तुम्हें माफ नहीं करूँगा और वैसे भी मैं तुम्हें कांपता हुआ देख नहीं सकता।
लेकिन फिर भी उसने थोड़ा सा इंकार किया। फिर मैंने थोड़े गुस्से से कहा- हमेशा के लिए नहीं दे रहा हूँ, चाहे तो तुम मुझे लौटा सकती हो।
और मैंने अपना नम्बर उसे दे दिया और कहा- आने से पहले मुझे कॉल करना।
वो फिर से हँसी और जाने लगी, “ठीक है और थैंक यू..!”
मैंने कहा- यू आर ऑलवेज वेलकम।
फिर वो चली गई और मैं भागता हुआ अपने रूम में गया, क्यूंकि मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ था, ना ही मोच थी। फिर मैं उसके खयालों में खो गया। आँखों के सामने उसी का चेहरा आ रहा था। दो दिनों बाद उसका फ़ोन आया।
उसने कहा- हैलो, मैं स्नेहा बोल रही हूँ !
मैंने कहा- कौन स्नेहा?
उसने कहा- इतनी जल्दी मुझे भूल गए?
मैंने कहा- कुछ हिंट तो दो !
फिर मेरी समझ में आया कि उसका नाम स्नेहा है, उसने मुझे काफी शॉप में बुलाया। मैंने बिना समय गंवाए अपनी अपाचे बाइक निकाली और पांच मिनट में उसके सामने जाकर खड़ा हो गया।
उसने कहा- इतने जल्दी आ गए?
मैंने कहा- तुमने बुलाया है तो लेट कैसे होता?
उसने कहा- जरा धीरे बाइक चलाया करो।
मैंने कहा- तुम तो ठीक से आई हो, या आज भी किसी को ठोका है..!
उसने कहा- नहीं, उसकी नौबत नहीं आई… आज मैं ऑटो से आई हूँ।
फिर हमने बातें की और उसने कहा- अब चलते हैं, देर हो गई।
तो मैंने उसको उसके घर छोड़ दिया, वो मुझे ‘बाय’ बोल कर जाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर खींचा।
वो मेरे करीब आ गई और मैंने झट से उसके गालों पर ‘किस’ कर दिया और ‘बाय’ बोल दिया।
उसने कुछ नहीं कहा बस शर्मा कर चली गई। फिर हमारा मैसेजिंग का सिलसिला चलने लगा। एक दिन मैंने उसे मेरे चाचा के घर (जो कि मेरे हॉस्टल के पास ही रहते हैं) मिलने को कहा। उसने हामी भर दी। फिर मैं उसे पिक करके चाचा के घर चला आया और चाचा-चाची को उससे मिलाया। हमने ढेर सारी बातें की और रात को उसे छोड़ने के लिए चला गया।
रास्ते में मैंने बाइक रोकी और उससे कहा- कुछ बात करनी है।
उसने कहा- चलते-चलते भी कह सकते थे, बीच में क्यों रोकी..!
मैंने कहा- बात ही ऐसी है।
उसने कहा- क्या बात है।
मैंने उसे झट से ‘आई लव यू’ बोल दिया। उसने कहा- शर्म नहीं आती, इतनी रात को पूछते हो।
मैंने कहा- मुझे जवाब चाहिए और मैं इंतजार करता हूँ।
फिर मैंने उसे उसके घर छोड़ दिया और अगले दिन उसका फ़ोन आया।
उसने कहा- मेरे घर आ जाओ।
मैं उसके घर चला गया।
उससे कहा- कहाँ है, तुम्हारे माँ और पिताजी। उसने कहा- क्या करना है उनसे मिल कर..! वैसे भी आज कोई नहीं है, तो सोचा थोड़ी प्यार भरी बातें करते हैं।
मैं समझ गया। मैंने उसे झट से अपने बांहों में भर लिया।
पहले तो वो कुछ भी नहीं बोली बाद कहने लगी- यह क्या कर रहे हो? मैंने तो सिर्फ प्यार भरी बातें कही थी।
मैंने उससे कहा- तुम बातें करो और मैं प्यार करता हूँ।
वो हँसने लगी। फिर मैंने उसके गाल को किस किया, वो लजा रही थी। फिर मैंने धीरे-धीरे उसके गले को चूमा, वो गरम होने लगी। फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। बिना किसी हिचकिचाहट के, हम दोनों ने एक-दूसरे को चूमना चालू कर दिया।
वो गर्म हो चुकी थी, फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठा कर उसके बेडरूम में चला गया। उसे बेड पर लिटा दिया और फिर से उसे चूमने लगा। फिर धीरे-धीरे में उसके उभारों पर आ गया। मैंने जैसे ही उसे छुआ, उसके शरीर में मानो बिजली दौड़ गई।
फिर मैंने उसके कपड़े उतार दिए और फिर उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके मम्मों को चूमा और उसको अपने मुँह में लेकर धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। हम दोनों स्वर्ग का आनन्द ले रहे थे।
फिर दस मिनट बाद मैं उसके मम्मों से अपनी जीभ को धीरे-धीरे नीचे ले जा कर उसकी कमर पर चुम्बन करने लगा। इससे वो और उत्तेजित होने लगी। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी और उन सिसकारियों ने मुझे और भी उत्तेजित किया। हम दोनों पूरे जोश में थे, इस दौरान वो झड़ चुकी थी। फिर मैंने धीरे से उसकी गीली पैंटी निकाल दी और जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, तो जैसे 1000 वोल्ट का झटका लग गया।
क्या मुलायम चूत थी..!
उसकी चूत पर हल्के बाल थे। चूत का रंग गुलाबी था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। वो एकदम से छटपटा उठी। उसकी चूत की खुशबू मदहोश कर देने वाली थी। अभी भी मेरा लंड सीना तान के खड़ा था। उससे रहा नहीं गया और अगले 5 मिनट में ही वो फिर झड़ गई।
फिर हम लोगों ने 2 मिनट का ब्रेक लिया और बाद में, वो मेरे ऊपर आ गई और हम लोगों ने 69 की पोजीशन बना ली। उसने फटाक से मेरी अंडरवियर निकाल दी और उस लोहे के गरम रॉड को अपने मुँह में लेकर ठंडा करने की कोशिश करने लगी।
दस मिनट बाद हम दोनों को रहा नहीं गया और हम एक-दूसरे के मुँह में झड़ गए और एक-दूसरे का स्वाद लिया। फिर दो मिनट के बाद हम लोग आगे बढ़े।
इस बार मैंने फिर से उसको किस करते-करते उसकी चूची को सहलाने लगा। उसके पेट पर हाथ फेरने लगा वो फिर से गरम होने लगी, लेकिन इस बार उसके शरीर का तापमान करीब 102 होगा। खैर…
फिर उसने कहा- अब जल्दी करो… रहा नहीं जा रहा है…नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी। और सच में मुझे भी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। तो मैंने जल्दी से अपना लण्ड उसकी चूत पर रख दिया और उससे कहा- तुम्हें बहुत तकलीफ होगी.. क्या तुम झेल पाओगी..!
उसने कहा- उसकी फ़िक्र मत करो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी झेलने को तैयार हूँ।
फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और जोर का धक्का मारा। तक़रीबन 2 से 2.5 इंच अन्दर गया।
उसके मुँह से जोरदार चीख निकली और मेरे होंठों की वजह से दब गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैंने थोड़ा बाहर खींचा और फिर से जोरदार धक्के से अन्दर डाल दिया। फिर से उसे झटका लगा और वो रो पड़ी। उसके आँखों में पानी आ गया। मुझसे उसका दर्द देखा नहीं गया और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और देखा, तो मेरे लंड पर खून लगा हुआ था। शायद उसकी चूत की झिल्ली फट गई थी।
थोड़ी देर बाद जब उसे आराम महसूस हुआ तो मैंने फिर से अपना लंड उसके चूत में डाल दिया और इस बार धीरे-धीरे घुसाने लगा।
उसे इस बार ज्यादा दर्द नहीं हुआ। फिर मैंने धीरे-धीरे अन्दर तक घुसा दिया और दो मिनट रुक के धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
10-15 मिनट बाद अपनी स्पीड बढ़ा दी और पोजीशन बदल दी। फिर वो भी मेरा साथ देने लगी, शायद उसको भी मजा आ रहा होगा। कुछ देर बाद दोनों जोश में आ गए।
उसके मुँह से जोर-जोर से आवाजें निकलने लगी- आह…उफ्फ…!
वो कहने लगी- थोड़ा और जोर से करो… फाड़ दो मेरी चूत को..!
मैंने कहा- तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी की जाएगी बालिके…!
वो थोड़ा हँसी और कहा- मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी, सच कहूँ तो आज तुमने मुझे बहुत खुश कर दिया है।
मैंने कहा- सच में स्नेह, तुम जैसे लड़की मैंने अपने जिंदगी में आज तक नहीं देखी। सच में आई रियली लव यू..!
फिर उसने कहा- मैं झड़ने वाली हूँ..!
यह उसका तीसरी बार था।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उससे पूछा- कहाँ पर छोड़ दूँ..!
उसने कहा- जिधर तुम्हारी मर्जी…!
और अगले दो मिनट में हम दोनों झड़ गए। और मैं उसके साइड में आकर लेट गया। उसने मुझसे पूछा- कैसा लगा तुम्हें..!
मैंने कहा- बहुत…बहुत अच्छा, ऐसी ख़ुशी मिली, जिसको पाने के लिए मैं आज तक तड़पता रहा।
तो उसने पूछा- अब क्या करोगे…!
मैंने कहा- ये खुशियाँ देने वाली को हमेशा के लिए पाना चाहता हूँ।
इस पर वो कहने लगी- सच में.. मुझे तो लगा कि तुम अब मुझे छोड़ दोगे..!
मैंने कहा- पागल हो क्या…? लेकिन अगर तुम्हारी यही मर्जी है, तो ठीक है।
उसने झट से मुझे अपने बाँहों में भर लिया और कहा- नहीं प्रेम, कभी नहीं… मैं तो जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ, तुम्हारे बिना मैं नहीं जी पाऊँगी।
मैंने कहा- मैं तो मजाक कर रहा था। अब तुम्हारे माँ-पिताजी को आने दो, मैं अपने माँ-पिताजी को उनके पास भेज दूँगा। हम दोनों की शादी की बात करने और फिर हम दोनों जिंदगी भर के लिए एक-दूसरे के हो जायेंगे। अब खुश..!
उसने कहा- खुश नहीं, बहुत खुश…!
फिर मैं अपने हॉस्टल आ गया और अपनी पढ़ाई करने लगा, क्यूंकि अगले महीने में एक्जाम्स थे, लेकिन इन दिनों में भी मेरी मुलाकात एक आंटी से हुई।
जानने के लिए मेरी अगले कहानी का इंतजार करें और मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी?
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000