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इमरान मैंने अपनी पेंट की ज़िप खोल अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था क्योंकि वो बहुत देर से तने तने अंदर दर्द करने लगा था… मेरा लण्ड कुछ देर पहले सलोनी और अब रोज़ी की बातों से पूरी तरह खड़ा हो गया था और लाल हो रहा था…
मैं अपनी कुर्सी से उठकर रोज़ी के पास जाकर खड़ा हुआ…
मैं- लो यार, अब शरमाना बंद करो… मैंने तो तुमको दूर से नंगी देखा पर तुम बिल्कुल पास से देख लो… हा हा… और चाहो तो छूकर भी देख सकती हो…
रोज़ी की आँखें फटी पड़ी थी… वो भौंचक्की सी कभी मुझे और कभी मेरे लण्ड को निहार रही थी…
मैं डर गया कि पता नहीं क्या करेगी…
रोज़ी मेरे केबिन में कुर्सी पर बैठी कसमसा रही थी… 28-29 साल की एक शादीशुदा मगर बेहद खूबसूरत लड़की जिसको मेरे यहाँ ज्वाइन किये अभी एक महीना ही हुआ था…
उसकी आज सुबह ही मैंने नंगी चूत और चूतड़ के दर्शन कर लिए थे और इस समय वो कुर्सी पर बैठी थी…
मैं उसके ठीक सामने खड़ा था… मेरा लण्ड पेंट से बाहर था पूरी कड़ी अवस्था में… और वो रोज़ी से चेहरे के इतना निकट था कि उसके बाल उड़ते हुए मेरे लण्ड से टकरा रहे थे…
निश्चित ही उसको मेरे लण्ड की खुशबू आ रही होगी जो आज सुबह से ही मस्त था… नलिनी भाभी और नीलू के थूक और चूत की खुशबू से लण्ड महक रहा था क्योंकि आज सुबह से तो मैंने एक बार भी लण्ड नहीं धोया था…
रोज़ी बहुत तेज साँस ले रही थी, उसकी घबराहट बता रही थी कि उसको इस तरह सेक्स करने की बिल्कुल आदत नहीं थी..
वो एक शर्मीली और शायद अब तक अपने पति से ही एक बंद कमरे में चुदी थी… और शायद अपने पति के अलावा उसने किसी का लण्ड नहीं देखा था…
ज़माने भर की घबराहट उसके चेहरे से नजर आ रही थी- …स्स्सर ये क्या कर रहे हैं आप? प्लीज इसको बंद कर लीजिये… कोई आ जाएगा…
मैं अपने लण्ड को और भी ज्यादा आगे आकर ठीक उसके गाल से पास लहराते हुए- …अरे क्या यार… मैंने कहा ना यहाँ हम सब दोस्तों की तरह रहते हैं… जब मैंने तुम्हारे अंग देखे हैं तो तुम मेरे अच्छी तरह से देख लो… मैं नहीं चाहता कि फिर मेरे सामने आते हुए तुमको जरा भी शर्म आये…
रोज़ी- ओह.. न…नही ऐसी कोई बा…त नहीं है.. मुझे बहुत डर ल…लग रहा है… प्लीज…
रोज़ी ने अपने दोनों हाथ अपनी आँखों पर रख लिए।
अब मैंने अपना लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर लण्ड का टॉप रोज़ी हाथों के पिछले हिस्सों पर रगड़ा… रोज़ी के हाथ कांपने लगे…
मैं- यह गलत बात है यार रोज़ी… हम बाहर निकाले खड़े हैं और तुम देख भी नहीं रही? रोज़ी के मुख से जरा भी आवाज नहीं निकल रही थी…
उसके लाल कांपते होंठों को देख, जो बस जरा से खुले थे, मेरा दिल बेईमान होने लगा… मैंने लण्ड को हिलाते हुए ही… रोज़ी की नाक के बिल्कुल पास से लाते हुए उसके कांपते होंठों से हल्का सा छुआ..
बस यही वो पल था जब रोज़ी को अपने होंठ सूखे होने का एहसास हुआ.. और उसने अपनी जीभ निकाल अपने होंठों को गीला करने का सोची.. और उसकी जीभ सीधे मेरे लण्ड के सुपारे को चाट गई…
लण्ड इस छुअन को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसमें से एक दो बून्द पानी की बाहर चमकने लगी…
रोज़ी को भी शायद नमकीन सा स्वाद आया होगा… उसने एक चटकारा सा लिया कि यह कैसा स्वाद है..
और अबकी बार उसने अपने हाथ अपनी आँखों से हटा लिए…
रोज़ी ने आँखे खोलकर जैसे ही लण्ड को अपने होंठों के इतने पास देखा…
वो बुरी तरह शर्मा गई और उसको एहसास हो गया कि यह जो उसने अभी लिया वो किस चीज का स्वाद था…
उसकी तड़प देख मुझे एहसास हो रहा था कि यह इतनी जल्दी सब कुछ के लिए तैयार नहीं होगी… और मैं जबरदस्ती को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था… मैं चाहता था कि रोज़ी खुद पूरे खेल में साथ दे, तभी मजा आएगा…
मैंने रोज़ी के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा- ओह, इतना क्यों शरमा रही हो यार… हम केवल थोड़ा सा एन्जॉय ही तो कर रहे हैं… जिससे हम दोनों को ही कुछ ख़ुशी मिल रही है.. अगर तुमको अच्छा नहीं लग रहा तो कसम से मैं कभी तुम्हें बिल्कुल परेशान नहीं करूँगा.. वो तो तुम खुद को नंगा देखे जाने से इतना शरमा रही थी तभी मैंने तुम्हारी शरम दूर करने के लिए ही ये सब किया…
रोज़ी- व्व्व वो बात नहीं… स्सर… प्पर !
मतलब उसका भी मन था मगर पहली बार होने से शायद घबरा रही थी।
इसका मतलब अभी उसको समय देना होगा.. धीरे धीरे सब सामान्य हो जायेगा…
मैं- अच्छा बाबा ठीक है… अब एक किस तो कर दो, मैंने अंदर कर लिया !
रोज़ी जैसे ही आँखे खोलकर आगे को हुई, एक बार फिर मेरा लण्ड उसके होंठों पर टिक गया, अबकी बार तो कमाल हो गया..
रोज़ी ने अपने हाथ से मेरा लण्ड पीछे करते हुए कहा- ओह सर.. आप भी ना… इसको अंदर कर लो.. मैं अभी इस सबके लिए तैयार नहीं हूँ…
मेरे दिल ने एक जैकारा लगाया.. वाओ इसका मतलब बाद में तैयार हो जाएगी…
मैंने उसको ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं समझा… मैंने अपना लण्ड किसी तरह पेंट में अंदर किया और नार्मल हो अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया…
रोज़ी अपनी जगह से उठकर- सॉरी सर, मैंने आपका दिल दुखाया… फिर कमबख्त कातिल मुस्कुराहट के साथ पूछा- क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकती हूँ? मेरे कोई जवाब न देने पर भी वो मुस्कुराती हुई बाथरूम में घुस गई।
मैं कुछ देर तक उसकी हरकतों के बारे में सोचता रहा… फिर अचानक से मुझे जोश आया कि देखूँ तो सही कि कैसे शूशू कर रही है…
और अपनी जगह से उठकर मैं बाथरूम के दरवाजे तक गया…
मैं कई तरह से सोचता हुआ कि ना जाने बाथरूम में रोज़ी क्या कर रही होगी?? अभी सूसू कर रही होगी…? या कर चुकी होगी…? कमोड पर साड़ी उठाये बैठी होगी…? या वैसे ही खड़ी होगी जैसा मैंने सुबह देखा था.. !!
अपने ख्यालों में उसकी शूशू करती हुई तस्वीर लिए मैंने बाथरूम का दरवाजा पूरा खोल दिया और… कहते हैं कि यह मन बावला होता है… यह प्रत्यक्ष प्रमाण मेरे सामने था…
एक मिनट में ही मेरे मन ने रोज़ी के ना जाने कितने पोज़ बना दिए थे… और दरवाजा खोलते ही ये सब के सब…
कहानी जारी रहेगी। [email protected] hmamail.com
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