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चूतनिवास चंदा रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर, पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा, जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा। उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर… झर झर… झड़ने लगी। ‘हाय हाय’ करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई, उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे, रस की फुहार चूत में बरस उठी, चंदा रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई। उसके गरम गरम चूत रस में डूबकर मेरे लंड का भी सबर टूट गया, चंदा रानी की कमर जकड़कर मैंने भी ‘दन दन दन’ अपने चूतड़ उछाल उछाल कर कई ज़बरदस्त धक्के लगाये और बड़े ज़ोर से मैं भी स्खलित हो गया, बार बार तुनके मारते लंड ने खूब ढेर सारा लावा चंदा रानी की चूत में उगल दिया। गहरी गहरी साँसें लेता हुआ मैं भी बिल्कुल मुरझाया सा पड़ा था और चंदा रानी मेरे ऊपर पड़ी थी। अब उसकी सांस भी काबू में आ चुकी थी। जब हमारी कुछ तबीयत काबू में आई तो चंदारानी उठी और बड़े प्यार से मुझे चूमा, फिर उसने पहले की तरह़ चाट चाट कर मेरा लंड, अंडे, झांटें वगैरा की सफाई की और एक तौलिये से अपना यौन प्रदेश साफ किया। फ़िर रसोई में जाकर दो थम्स अप से भरे गिलास लेकर आई, दोनों लिपट कर धीरे धीरे चुस्कियाँ भरने लगे, वह एक चुसकी लेकर मेरे मुंह में कोल्ड ड्रिंक डालती और मैं चुसकी लेकर उसके मुंह में डालता, ऐसा प्यार का खेल खेलते हुए कोल्ड ड्रिंक खत्म की। ‘राजे…तूने बहुत मज़ा दिया…तू बहुत बढ़िया चोदू है… जल्दी खलास भी नहीं होता… तेरे वीर्य का स्वाद कितना अच्छा है… आज तो राजे तूने मुझे खुश कर दिया… कब से प्यासी मरी जा रही थी… अब मैं तुझे अपना स्वर्णरसपान कराऊँगी जिससे तू मुझे सदा प्यार करेगा !’ चंदा रानी ने कहा। ‘स्वर्णरसपान क्या होता है?’ मैंने उसे चूमते हुए पूछा। ‘तुझे नहीं पता? तेरी पत्नी ने कभी नहीं पिलाया तुझे अपना स्वर्णामृत?…शायद उसे मालूम नहीं होगा…बहुत कम लड़कियाँ जानती हैं इसके बारे में… यह वो रस है जिसे पीकर मर्द उस लड़की का गुलाम बन जाता है… तू बनेगा ना मेरा गुलाम राजे?’ ‘हाँ हाँ मैं तो हमेशा तेरा गुलाम रहूँगा। अब जल्दी से स्वर्णरस पिला… मेरा दिल रुक नहीं पा रहा स्वर्णारस चखने को !’ चंदा रानी बिस्तर पर टांगें चौड़ा के बैठ गई। उसने अपनी पैर नीचे फर्श पर रख दिये और बोली- चल राजे… अब तू ज़मीन पर बैठ जा और अपना मुंह मेरी फ़ुद्दी से सटा ले !’ मैंने वैसा ही किया। चूत से मुंह लगाते ही मेरा नथुने उसकी बुर की खास गंध से भर गये। खुशबू पहचानते ही लंड हुमक के अकड़ गया और तुनक तुनक के अपनी प्यारी चूत को सलामी देने लगा। चंदा रानी ने मेरा सिर पकड़कर मेरा मुंह बुर के होंठों से सटा दिया और कहा कि मैं मुंह पूरा खोल के रखूँ। मैंने उसके हुक्म के मुताबिक मुँह खोल दिया। कुछ ही क्षणों के बाद दो तीन बूंदें मेरे मुंह में टपकीं। यह गरम गरम, नमकीन, खट्टा सा पानी था जो मुझे बेहद स्वादिष्ट लगा। जैसे ही मैं उसको निगला, उसी पानी की एक धारा मेरे मुंह में गिरनी शुरू हो गई। तो यह था स्वर्णरस ! तुरंत ही मैं समझ गया कि यह उसका मूत्र है, तभी उसे स्वर्णारस कह रही थी, क्योंकि मूत्र स्वर्ण जैसे रंग का होता है ना। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि जिसका कोई हिसाब नहीं। मैं खुद अचंभे में था कि मूत्र पी कर इतना आनन्द आ सकता है। क्या गज़ब का स्वाद था, मैं तो सारा जीवन चंदा रानी का गुलाम बनने को उत्सुक था। चंदा रानी ने अब तेज़ धार निकाली जिसे मैं खुशी खुशी पीता चला गया, एक बूंद भी मैंने नीचे नहीं गिरने दी। जब सारा का सारा स्वर्णामृत व़ह निकाल चुकी तो उसने मुझे उठ कर अपने से सट कर बैठने को कहा। मैं तो उसके स्वर्णामृत के नशे में चूर था, मज़े से भरा हुआ मैं तो पूरा मस्त था, मैंने यह स्वर्णामृत अभी तक अपनी पत्नी का क्यों नहीं चखा? मुझे तो पता ही नहीं था इतनी उत्तम चीज़ का। मस्ती के खुमार में मैं उठा और चन्दारानी के बगल में जा बैठा। उसने मुझसे लिपट लिपट कर बार बार चूमा, बोली- राजे… तू अब मेरा गुलाम बन गया… तुझे पता है लड़कियाँ उसी मर्द को पूरा मज़ा देती हैं जो इश्क़ लड़ने में उनका गुलाम बनकर रहता है… तुझे मैंने पूरा मज़ा दिया या नहीं?… लड़कियाँ अपना कचूमर भी उसी मर्द से निकलवाती हैं जो जब वो कहें तभी उनको वहशियों की भांति नोच खसोट के चोद दें, अपनी मर्ज़ी से नहीं ! मैं तो चंदा रानी के स्वर्णामृत का पान करके धन्य हो चुका था, मैं बिल्कुल उसका जीवन भर गुलाम बन जाने को तत्पर था। वह कहे तो कुएं में कूद जाऊँ ! ‘आजा मेरे राजा बेटे !’ चंदारानी की आवाज़ मेरे कान में पड़ी- तू थक गया होगा… चल तुझे अपना दूध पिला के ताक़त दूं… आजा मेरी गोदी में मेरे गुलाम… मेरा गुलाम बेटा…आ आ !’ चंदरानी चौकड़ी मर के बैठ गई थी। उसकी उन्नत, दूध से भरपूर, और मर्दों के क़ातिल चूचियाँ मुझे न्योता दे रही थी। मैं चुपचाप उठा और चंदरानी की गोद में लेट गया। उसने झट से एक चूची मेरे मुँह में घुसा दी और मेरे सिर थाम लिया जैसे वो अपने बच्चे का सिर थामती थी दूध पिलाते हुए। मैंने तुरन्त चूची चुसनी शुरू कर दी और मज़े से दूध पीने लगा, साथ ही दूसरी चूची की निपल को उमेठने लगा। चंदारानी मेरे लंड से खेल रही थी। साला हरामी लंड !! फिर से खड़ा हो गाया था। मैंने बारी बारी से दोनों चूचियाँ पी पी के दूध खाली कर दिया। चंदारानी भी गरम हो चली थी, मैंने दोनों चूचियों कस के भींच लीं और ज़ोर से उनको निचोड़ने लगा। चंदा रानी सीत्कार पर सीत्कार भर रही थी। इतनी ताकत से निचुड़ निचुड़ कर अब चूचियों की सख्ती कम हो गई थी लेकिन ठरक बेतहाशा बढ़ जाने से वो बहुत गर्म हो चली थी। ‘राजे… अब तू मेरी घोड़ी की तरह चुदाई कर !’ इतना कह के चंदा रानी बिस्तर से उतर गई, दोनों टांगे चौड़ी करके खड़ी हुई और आगे झुक कर दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिये। फिर उसने अपने मुलायम, मांसल और चिकने चिकने नितम्ब पीछे को उठा दिये। पहले तो मैंने बैठ कर खूब जी भर के वह दिलकश नितम्ब सहला सहला के चाटे जिस पर चंदा रानी ने मस्ता के सीत्कार भरे। उसकी ठरक अब बहुत बढ़ चुकी थी, उससे अब रुका नहीं जा रहा था, बार बार जल्दी से चोदने को कह रही थी। मेरा लौड़ा भी ज़ोर से तन्नाया हुआ चूत में घुसने को बेताब हो रहा था। मैंने चंदा रानी की कमर पकड़ कर लौड़े को ठीक से सेट किया चूत के मुंह पर और हचक के धक्का मारा। लंड जड़ तक उसकी रस से लबलब चूत में गड़ गया। चंदा रानी ने मज़े की एक किलकारी मारी। मैंने पीछे से उसकी चूचे कस के पकड़ लिये और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा। मैं उसकी चूचियों को दबा कर मसल रहा था। चंदा रानी मस्ती में डूबी मेरे धक्के से धक्का मिला कर अपने नितम्ब ऊपर नीचे कर रही थी, उसके खुले हुए भूरे केश इधर उधर लहरा रहे थे। करीब आधा घंटा इसी प्रकार चोदने के बाद मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी। चंदा रानी की चूत से रस बह बह कर उसकी जांघों तक को गीला कर चुका था, वह बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी। मुझे भी अपने टट्टों में दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था, लंड में एक सुरसुरी सी आगे पीछे दौड़ रही थी। हम दोनों के शरीर खूब गरमा गये थे, चुदाई की अलग अलग आवाज़ें जैसे कि लंड अन्दर बाहर होने की फच फच, कभी मेरे कभी उसके मुंह से निकलने वाली सांसें, हां हां, हाय हाय, उई उई इत्यादि काफी शोर मचा रही थीं। मैं हैरान था कि बच्चा सोये जा रहा था। ‘अब…जल्दी जल्दी कर…राजे… तू सच में बहुत तरसाता हाय…अब बस कर…और न तड़पा अपनी चंदा रानी को..’ चंदा रानी के बदन में एक तेज़ कंपकंपी आई और मैंने एक के पीछे एक धम धमा धम धम बहुत सारे ज़ोरदार धक्के मारे। चरम आनन्द में पगला कर उसके मुंह से एक चीख़ निकली और चंदा रानी धड़ाक से झड़ी। मैं धकाधक धक्के लगाये जा रहा था। कुछ ही देर में मेरे अन्दर एक बिजली सी कौंधी और मैं भी ‘हैं हैं’ करता हुआ स्खलित हुआ। मेरे लंड से लावे जैसे गर्म गर्म वीर्य ने उसकी चूत को भर दिया। अब तक तो चंदारानी कई दफे झड़ चुकी थी। हम दोनों एक दौड़ के बाद घोड़े की तरह हांफ रहे थे। चंदा रानी तो बिस्तर पर लुढ़क गई, मैं भी मुर्झाया सा उसकी बगल में गिर गया। दस पंद्रह मिनट के बाद चंदा रानी की हालत काबू में आ गई, तो उसने उठ कर पहले तो अपनी चूत को तौलिये से पोंछ पोंछ कर साफ किया और फिर उसने मेरा मुरझाया हुआ लंड चाट चाट के साफ किया। लंड की नस निचोड़ निचोड़ के उसने वीर्य की दो बूंदें बाहर निकाल ही लीं, उसने उन बूँदों को क्रीम की तरह मसल मसल के अपने चेहरे पे मल लिया। ‘राजे.. तेरी क्रीम तो मस्त है… अब तो जब जब मैं तेरे साथ होऊँगी, कोई भी दूसरी क्रीम न लगाऊँगी… अब सुन ध्यान से… तेरा इनाम मेरा गुलाम बनने का… परसों मेरी छोटी बहन नन्दा आ रही है मेरे साथ रहने के लिये ! जब तक तेरा चूतिया दोस्त वापस नहीं आ जाता… बहुत सुन्दर और सेक्सी लड़की है… तीन दिन बाद उसकी अठारहवीं बर्थडे है… मैं चाहती हूँ कि तू उसकी नथ खोल कर उस मादक कली को अति मादक फूल बना दे… इतनी कामुक लड़की ज्यादह दिन कुमारी न रहने वाली… अगर तूने उसे ना भोगा तो कोई और ले उड़ेगा…! आया मज़ा अपना इनाम सुन कर?’ मज़ा ! मेरा तो लंड उछलने लगा एक कमसिन कुमारी लड़की को चोदने का सुन कर। मुझे पता है कुमारियों की चूतें कितनी टाइट होती हैं, लंड भीतर जा कर फंस जाता है और इसी लिये मज़ा बेइंतिहा मिलता है। मैं तभी से मैं नन्दा रानी को कैसे चोदूंगा यह सोच कर ही मज़े के मारे मारा जा रहा था, दो दो चूतों के साथ संगम करने को मिलेगा। क्या मुकद्दर तू लिखवा के लाया है, साले चूतनिवास ! पर तीन दिन इंतज़ार करना पड़ेगा इतनी मस्ती लूट पाने से पहले। तभी चंदा रानी का बच्चा जग गया और रोने लगा भूख के मारे। नंगी चंदा रानी ने उसे उठाया और चूची शिशु के मुंह में देकर दूध पिलाने लगी। अब मेरे चलने का वक़्त हो गया था, वैसे भी तीन घंटों में तीन बार झड़ जाने के बाद मैं अब आराम चाहता था। उसका बालक अब जग चुका था, तो चुदाई की संभावना ज़रा कम ही थी। मैंने चंदा रानी के होंठ चूमे, उसकी एक निप्पल उमेठी और उसके बदन पर हाथ फेरता हुआ मैं वहाँ से निकल कर अपने घर आ गया। पाठको, याद रखो जितना ज़्यादा चोदोगे उतना ही लंड की ताक़त बनी रहेगी, उतना ही अधिक वीर्य का उत्पादन होगा और उतना ही सख्त लंड खड़ा होगा। जितनी वर्ज़िश उतनी ताक़त। और हाँ अपनी बीवी या माशूका का स्वर्णरसपान ज़रूर करें। औरत आपकी गुलाम बनी रहेगी और समझेगी यह कि आप उसके गुलाम हो। यह मेरा खुद का अनेक बरसों का रोज़ स्वर्णामृत पीने का अनुभव है। इसके अलावा यह अमृत आपकी ताक़त बेतहाशा बढ़ा देता है। अगर आज आप दिन में तीन बार चोद सकते हो तो कुछ दिन रोज़ स्वर्णामृत पीने के बाद आप पांच बार चुदाई कर पाओगे। जब मेरी पत्नी मायके से वापस आई तो उससे भी मैंने कहा कि मैं उसका स्वर्णामृत पीना चाहता हूँ। पहले तो उसने नाक भौं सिकोड़ी लेकिन जब मैंने बहुत कहा कि बेहद मज़ा आयेगा तो वह मान गई। यारो, एक बार जब उसने पिलाया सो मस्ती में झूम उठी। तब से रोज़ का कार्यक्रम है कि जब तक वह मुझे अपना रस पान नहीं करवा देती, उसे चैन ही नहीं पड़ता। और फिर जो वह मचल मचल के चोदती है तो मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा देती है। उसके बाद से दिन में तीन और अक्सर चार बार चुदाई मज़े से करते हैं। लंड सख्त भी ज़्यादह होता है और दिल में चुदास भी खूब ज़ोरों से उठती है। अगली कहानी में नन्दा की नथ खोलने के बारे में आपको खुल कर बताऊँगा। फिलहाल हैपी फक्किंग !!! सदा मस्त रहो और चोदा-चुदाई करते रहो। समाप्त [email protected]
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