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हैलो दोस्तो, सभी को मेरा नमस्कार। अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है जिसको पढ़ने के बाद सभी लंड-धारियों के लौड़ों से पानी निकल जाएगा और सभी चूतों से नदियां बह जाएगीं।
मैं अन्तर्वासना का पाँच साल से नियमित पाठक हूँ। मेरा नाम राहुल है, ग्रेटर नोएडा का रहने वाला हूँ। मेरी लंबाई 6 फ़ीट है, बॉडी भी काफ़ी अच्छी बना रखी है। मेरे लंड का आकार 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है। मेरी उम्र 21 साल है और इस घटना तक मैंने किसी औरत या लड़की को छुआ भी नहीं था।
जो कुछ भी सेक्स के बारे मैं जानकारी है, वो सभी अन्तर्वासना पर ही मिली है। मैं इस घटना तक कुंवारा था और जो भी किया था, हाथों से ही किया था। अब सीधे कहानी पर आते हैं।
मेरा यहाँ पर अपना कंप्यूटर का काम है। मेरा काम ज़्यादातर लोगों के घर पर ही होता है इसलिए उन के घर पर ही जाना पड़ता है।
बात अब से दो महीने पहले की है, मैं पास के ही एक सेक्टर में एक कम्प्लेंट पर गया था। यह ‘काल’ किसी महिला ने ही किया था। मैंने उसे लंच के बाद ‘आने’ को बोल दिया और ठीक उसी वक़्त पर पहुँच गया। घंटी बजाई तो एक लगभग 32 साल की एक खूबसूरत महिला ने दरवाजा खोला।
उसके चूचे ज़्यादा बड़े तो नहीं थे, पर ठीक-ठाक थे। उसकी पिछाड़ी.. वो काफ़ी बड़ी थी, वो थोड़ी मोटी थी। उसका साइज़ होगा करीब 36-34-38 कुल मिला कर ठीक-ठाक थी।
मैं थोड़े शर्मीले मिज़ाज का हूँ इसलिए दिमाग़ में कुछ भी ग़लत नहीं आता। यह बात नहीं है कि मेरा दिल नहीं करता, दिल तो बहुत करता है, पर मेरी फटती है, इसलिए कुछ नहीं कर पाता।
खैर.. मैं कंप्यूटर को फ़ॉर्मेट करने में लग गया।
वो मुझसे पूछने लगी- आप कहाँ के हो.. आपने कौन सा कोर्स किया था? बातों-बातों में पता चला कि उसके दो बच्चे हैं जो अभी स्कूल गए हैं। उसका पति फौजी है और साल में सिर्फ़ एक महीने के लिए ही घर आता है।
उसने अपना नाम निधि बताया। हम दोनों ने आपस में काफ़ी सारी बातें शेयर कीं। वो मुझसे काफ़ी खुश थी।
वो मेरी पर्सनल लाईफ़ के बारे में पूछने लगी- तुम्हारी गर्ल-फ्रेंड है? मेरा जबाब ‘ना’ में था।
उसे बड़ा आश्चर्य हुआ, वो हँसते हुए कहने लगी- तुम मज़ाक कर रहे हो…! तुम इतने स्मार्ट हो फिर भी? मैंने कहा- मेरा नसीब खराब है। उसने कहा- नसीब तो बनाने से बनता है। मैंने कहा- मैंने कभी कोशिश ही नहीं की। उसने कहा- क्यों? “मेरी फटती है।” “क्या फटती है..?”
मैं चुप रहा।
उसने कहा- मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूँ..! मैंने कहा- आप मेरी क्या मदद करेंगी? उसने कहा- मैं तुम्हारी इस ‘झिझक’ को दूर कर सकती हूँ। मैंने कहा- कैसे..?
उसने कहा- तुम मुझसे बेझिझक बात कर सकते हो। कोई भी.. कैसी भी बात..! मैंने कहा- ठीक है।
फिर उसके बच्चे जो स्कूल गए हुए थे, वो आ गए.. मेरा भी काम पूरा हो चुका था। मैंने उससे कहा- मैं अब चलता हूँ। उसने कहा- ठीक है। मुझसे मेरी फीस देते हुए कहा- क्या मैं तुम्हें फोन कर सकती हूँ..! मैंने कहा- हाँ.. क्यों नहीं.. आप कभी भी कर सकती हैं। फिर मैं वहाँ से आ गया।
मैं उससे मिलकर काफ़ी खुश था, क्योंकि आज तक किसी भी औरत ने मुझसे ऐसे बातें नहीं की थीं। वो भी काफ़ी खुश थी।
अगले दिन उसका 10 बजे सुबह उसका फोन आया और उसने मुझे फिर कंप्यूटर के बहाने से अपने घर बुलाया। मैं भी पहुँच गया। दरवाजे की घंटी बजाई जैसे ही दरवाजा खुला, मैं उसे देखता ही रह गया। वो कल से ज़्यादा मस्त लग रही थी।
मैं उसे देख रहा था, उसने मुझे टोका- क्या देख रहे हो? मैंने सर नीचे करके कहा कुछ नहीं।
उसने कहा- बोलो न.. मैं कैसी लग रही हूँ? मैंने कहा- बहुत मस्त लग रही हो।
उसने मुझे अन्दर आने को कहा। मैं अन्दर आ गया। उसने कहा- क्या लोगे? मैंने कहा- कुछ भी चलेगा।
वो अन्दर से दो गिलास पानी ले आई और आ कर मेरे पास ही बैठ गई। मुझे थोड़ा अजीब लगा। उसने मेरी जाँघ पर हाथ रखते हुए कहा- तो कल आप क्या कह रहे थे?
उसके हाथ लगते ही मेरे शरीर में करेंट सा लगा। उसके हाथ लगाते ही मेरा 8 इंच का लौड़ा पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया। वो मेरे उस उभार को आँख फाड़-फाड़ कर देख रही थी।
मैंने कहा- मैम.. ये आप क्या कर रही हैं..! उसने कहा- मैं तुम्हारी शर्म दूर कर रही हूँ।
इतना ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया। मुझे बहुत अच्छा लगा उसने करीब 10 मिनट तक मेरे होंठ चूसे। मैंने भी उसका पूरा साथ दिया।
यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था, तो मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था, पर मज़ा भी आ रहा था। एक अधेड़ औरत मेरा देह शोषण कर रही थी, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
फिर वो उठी और मेरे कपड़े उतारने लगी। धीरे-धीरे उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, अब मैं बिल्कुल नंगा था।
मेरा 8 इंच लंबा लंड उसकी आखों के सामने था, उसे देखकर उसकी मुँह खुल गया। वो कहने लगी- तुम्हारा हथियार तो बड़ा तगड़ा है…!
और उसने लौड़े को झट से अपने मुँह में भर लिया। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैं सोफे पर ही लेट गया, दो मिनट बाद ही मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, वो मेरा सारा माल पी गई। उसकी हरकतें देख कर लग रहा थी कि वो सालों से चुदी नहीं थी।
फिर वो उठी और बोली- साले कुत्ते… सब कुछ मैं ही करूँगी.. या तू भी कुछ करेगा..! मैंने कहा- क्या करूँ मैं? उसने कहा- मुझे नंगी कर भोसड़ी के..!
फिर वो भी मेरे ऊपर लेट गई, अब मैं उसके होंठ चूसने लगा और उसके कपड़े भी उतारने लगा। मैं उसके चूचे जो काफ़ी बड़े थे, उनको हाथ में लेकर खेलने लगा।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। आज पता चला कि दुनिया में अगर कहीं मज़ा है, तो बस इसी चीज़ में है। तभी तो लोग इस के लिए अपनी पूरी जिंदगी नरक बना देते हैं।
उसने कहा- मादरचोद… क्या कर रहा है चूउस्स्स इन्हें…! फिर मैंने एक-एक उन्हें चूसने लगा..
वो सिसकारी ले रही थी “और पी इन्हें.. खा जा इन्हें.. उम्म्म्मम मज़ा आ रहा है… चूस्स्स्स्स् और ज़ोर से आह..मेरे चोदू लवड़े.. चूस …!
अब मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था। फिर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। फिर मैंने उसकी फूली हुई चूत को देखा। क्या मस्त चूत थी साली की.. एक भी बाल नहीं था।
साली पहले से चुदने को तैयार बैठी थी। मैंने उसको सोफे पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
अब मैं 69 की अवस्था में आ गया। जो भी कुछ कर रहा था, वो मैं कर रहा था। वो साली फोकट के मज़े ले रही थी। मैंने एक ऊँगली उसकी गीली चूत में डाल दी उसके मुँह से सिसकारी निकल गई, “अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।”
उसने मेरा लौड़ा फिर से अपने मुँह में डाल लिया, मैं भी उसकी चूत में ऊँगली करने लगा। उसने कहा- क्या कर रहा है भोसड़ी के.. चाट इसे..!
मुझे थोड़ा अजीब लगा। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी। उसका स्वाद थोड़ा नमकीन था, पर अच्छा लगा। मैं पूरे मज़े ले लेकर उसकी चाटता रहा।
फिर उसने कहा- राहुल अब नहीं रहा जाता… डाल दे अपना लंड.. मेरी चूत में.. कई महीनों से प्यासी हूँ..! मैं खड़ा हुआ जो थोड़ा बहुत अनुभव था, वो सब अन्तर्वासना से ही मिला था। मैं नीचे घुटने टेक कर बैठ गया।
उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी, लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक ज़ोर का झटका मारा।
उसकी चीख निकल गई, कहने लगी, “भोसड़ी के.. बाप का माल है.. मार डालेगा क्या मादरचोद… थोड़े आराम से नहीं डाल सकता..!
मैंने कहा- बस तेरी माँ की चूत फट गई.. बड़ी कह रही थी न..डाल-डाल.. अब डाल दिया तो चिल्ला रही है.. माँ की लवड़ी.. ले..कुतिया..!
मैंने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर एक और ज़ोर का धक्का मारा, वो फिर चिल्ला उठी, “हाए मार डाला.. भोसड़ी के..!”
मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा, अब वो उछाल मार-मार कर लंड अन्दर लेने लगी। मैंने दोनों हाथों से उसके चूचियों को पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा।
उसके मुँह से सिसकारियों की बरसात होने लगी, “उम्म्म्मम… आअह… हाआआआअ और ज़ोर से राहुल.. कम ऑन… राहुल फक मी..! आज तूने मेरे महीनों की प्यास बुझा दी है..!”
मुझे तो पूछो मत.. कितना मज़ा आ रहा था। फिर उसने कहा- रूको..!
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया, वो सोफे से नीचे उतरी और घोड़ी बन गई। और कहा- अब डाल कुत्ते.. कितना दम है तुझमें ! उसने मेरी मर्दानगी को ललकारा।
मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और जितना ज़ोर था धक्का मारा। उसके मुँह से फिर चीख निकल गई।
मेरे मुँह से अपने आप गालियाँ निकलने लगीं, “ले रंडी ले.. और ले राण्ड.. आज तुझे तेरी माँ याद ना दिला दी.. तो मेरा नाम राहुल नहीं.. माँ की चूत तेरी.. हरामजादी.. साली छिनाल ..ले…!”
उसके मुँह से “आआआहह उउम्म्म्मम” की आवाजें निकलने लगीं। पूरे कमरे में फ़च-फ़च की आवाजें गूँज रही थीं। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो ज़ोर से चिल्लाने लगी, “आह.. मैं गई.. और ज़ोर से मेरे राजा..!”
और वो झड़ गई, मैं अभी बाकी था। दो मिनट के बाद मेरा भी शरीर अकड़ने लगा, मैंने उससे कहा- मेरी जान मेरा निकलने वाला है।
उसने कहा- अन्दर ही डाल दो..! और मैं ‘आआहह’ की आवाज़ के साथ झड़ गया। और हाँफने लगा, थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे।
वो कहने लगी, “राहुल मुझे आज तक ऐसा मज़ा मेरे पति ने नहीं दिया.. सच मैं आज जो तुमने मुझे मज़ा दिया है.. मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती..!”
मैंने कहा- सच मैं निधि जी.. मुझे भी बहुत मज़ा आया.. मैं भी आपको नहीं भूल सकता.. आपने ही मुझे सिखाया है। फिर जब भी मौका मिलता, वो मुझे फोन करती। मैं पागलों की तरह उसे चोदने पहुँच जाता। मुझे मेल ज़रूर करें। [email protected]
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