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आर्यन वो तो बहुत ही बड़ी वाली थी, बोली- साले तू दस मिनट में क्या कर लेगा…! मैं गरम तो हो जाऊँगी फिर ठंडा क्या तेरा बाप करेगा..! और वो हुए चली गई और उस रात भी नहीं आई ..! अब हम एक-दूसरे से बोलते भी नहीं थे, लेकिन मैं मौके की तलाश में था कि कब मौका पा कर इससे थोड़ा अपना मन बहला लूँ। एक दिन मुझे मौका मिल ही गया, आंटी ने मुझसे पूछा- आर्यन सब्जी लेने नहीं गए? मैंने कहा- वो आंटी, थोड़ी तबियत ठीक नहीं लग रही है। वो बोली- तो तुम्हारी सब्जी भी मंगवा देती हूँ। कोई परेशानी हुआ करे तो बता दिया करो ! उन्होंने अपने लड़के को भेज दिया और खुद बाहर जाने लगीं। मैंने पूछा- आज मैच आ रहा होगा..! वो बोलीं- हमें नहीं पता.. टीवी चला कर देख लो…! वैसे भी हम आंटी के फ्लैट में अक्सर टीवी देखा करते थे, लेकिन आज मैं मैच देखने नहीं मोनी साथ मैच खेलने के मूड में था। मैं अन्दर गया तो देखा कि मोनी पहले से ही टीवी देख रही है। मुझे देखते ही बोली- क्या लेने आए हो? मैंने मजाक में बोला- दे पाओ.. तो पूछो..! नहीं तो मैच लगा दो.. मुझे देखना है। वो बोली- मैं सीरियल देख रही हूँ, जाओ यहाँ से, नहीं तो मम्मी को सब बता दूंगी कि तुम क्या चाहते हो…! मैंने भी डरते हुए कहा- क्या कहोगी आंटी से कि मैं आर्यन से ऊपर-ऊपर करवाना चाहती हूँ, लेकिन चुदना नहीं…! जा कह दे…! वो कुछ नहीं बोली, चुपचाप रही। मैं उसके ही पास सोफे पर बैठ कर उससे मैच लगाने को कहा लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी। बोली- अभी 15 मिनट रुको, फिर देख लेना। मैंने कहा- तब तक मैं क्या करूँ…! वो तिरछी नज़रों से देखने लगी, क्योंकि वो समझ रही थी कि मैं किस विषय की बात कर रहा हूँ। मैंने धीरे से मोनी का हाथ पकड़ लिया, वो तुरंत दूर बैठ गई बोली- कुछ तो डरो..! मम्मी बाहर ही हैं…! मैंने कहा- तो तुम नाराज़ क्यों हो..! बोली- मैं नहीं हूँ ! और मैंने उठ कर गेट के बाहर देखा कि आंटी किसी औरत से बातें कर रही हैं, मैं मोनी के पास आकर बैठ गया और उसको जबरदस्ती सोफे पर ही गिरा लिया। दोस्तों क्या बताऊँ… मैं एक तरीके से चूत के लिए पागल हो गया था और उसे होंठों पर चुम्बन करने लगा। वो मुझे हटाने का झूठा बहाना कर रही थी। मैं उसे बेहताशा चूमने लगा, वो सिसकारियाँ भर रही थी। आज वो मुझसे छूट कर जाती भी कहाँ… इसलिए चुपचाप मजे लेती रही। मैं लगातार चूम रहा था। मैंने धीरे से उसके लेफ्ट साइड का टॉप ऊपर कर उसके मम्मे को मुँह में भर लिया ! वो मुझे गाली भी दे रही थी, लेकिन मैं पता नहीं कब का प्यासा बस चूसे जा रहा था ! थोड़ी देर में वो भी मुझे अपनी बाँहों में जकड़े चुम्बन किये जा रही थी। अब मैंने उसका दूसरा संतरा भी निकाल कर चूसना शुरू कर दिया। तभी लगा कोई आ रहा है। मैं जल्दी से खड़ा हुआ और उसका भी टॉप ठीक किया। मैं टीवी देखने लगा। मोनी मेरे से बोली- अब मैं क्या करूँ.. साले… बहन के… गर्म करके छोड़ देता है..! फिर बोली- हरामी साले हब्शी..आज रात छत पर मिल.. फिर देखती हूँ…! और मैं खुश हो गया। उसको अपनी ओर खींच कर एक चुम्बन किया और चला गया। रात को मैंने अपना बिस्तर ऊपर ही लगाया था..! रात को जैसे ही उसके पापा ड्यूटी पर गए, वो ऊपर आ गई, जहाँ पर कोई भी नहीं आता था। मैंने उससे पूछा- अपनी मम्मी को क्या कह कर आई हो? बोली- मम्मी को कह कर आई हूँ कि मैं ऊपर सरिता भाभी के पास हूँ.. अभी थोड़ी देर में आ जाऊँगी..! मोनी की मम्मी के घुटनों में दर्द होता था इसलिए वो भी नीचे से ही आवाज़ लगा कर उसे बुलाती थीं, इसलिए ऊपर आज हम सुहागरात मनाने वाले थे। उसके ऊपर आते ही हम एक-दूसरे को जबरदस्त चुम्बन करने लगे और मैंने झट से उसके टॉप को उतार दिया। वो अन्दर कुछ भी पहन कर नहीं आई थी, ताकि चुदाई करने में ज्यादा टाइम न लगे..! मैं उसके मम्मे चूसे जा रहा। यहाँ मैं गबताना चाहूँगा कि मुझे मम्मे चूसना बहुत ज्यादा पसंद हैं। उन्हें मैं जी भर कर पीना चाहता हूँ और मेरी मोनी के तो मम्मे जैसे दूध से भरे थे..! मैंने उन्हें दस मिनट तक खूब चूसा…! वो मुझे बोली- साले हब्शी, नीचे भी चूसने की जगह है उसे कौन प्यार करेगा..! मेरे प्यासे राजा…! मैंने कहा- रात हमारी है मेरी बन्नो.. तेरे जिस्म के हर अंग को आज मैं खूब प्यार करूंगा…! वो मेरे पैन्ट के अन्दर अपना हाथ डाल कर मेरे लौड़े को मसल रही थी, वो बोली- साले देर मत कर..! जल्दी-जल्दी कर, नहीं तो तू फिर प्यासा छोड़ कर चला जाएगा हरामी…! मैंने कहा- साली कितनी चुदासी है तू…! कुतिया मैं अपने लंड तुझे दिखाने नहीं चोदने आता था.. लेकिन तेरी लंगड़ी मम्मी को पसंद नहीं है..कि तुझे एक ही बार में चोद दूँ…! मैंने अपना पैन्ट उतार कर कहा- ले इसे मुँह में ले…! वो बोली- नहीं मैंने कभी नहीं लिया है..! “अबे चूस तो पता लगेगा तुझे… नहीं तो मालूम कैसे होगा?” बोली- ऐसे ही डाल दो ..! मैंने कहा- तुझे बहुत दर्द होगा.. चिकना करने के लिए चूसना तो पड़ेगा ही…! बोली- थोड़ा करूंगी..! मैंने कहा- ठीक है..! और वो चूसने लगी.. धीरे-धीरे मैंने उसका सिर पकड़ा और पूरा लंड मुँह में दे दिया। वो मुझे दूर करने लगी। वो बोली- साले आराम से कर..! मैं रंडी थोड़े ही हूँ.. जो मेरे साथ ऐसा कर रहा है…! मैंने कहा- मेरी चुदासी रानी.. तुम्हें पता नहीं जितनी बेदर्दी से लड़की को चोदो, उसे उतना ही आ मज़ा आता है…! अगर आराम से चुदाने में मज़ा आता तो कोई भी औरत अपने मर्द को छोड़ कर दूसरे के पास चुदाने नहीं जाती..! अब वो चुपचाप मेरा लंड चूस रही थी। मैं भी झड़ने वाला था…सो लौड़ा बाहर खींच लिया। मैंने उससे कहा- कैसे चुदेगी दीवार के सहारे खड़ी हो कर या लेट कर? बोली- जैसे में मज़ा आए ! मैंने उसे दीवार से थोड़ा झुका कर खड़ा किया और अपने लंड को चूत पर रगड़ा। वो बोली- धीरे से करना ! जरा सोचो… प्रिय चुदासी भाभियो और आंटियो कि मैंने पहली बार उसकी झिल्ली दीवार के सहारे खड़ी कर के तोड़ दी। कितना मज़ा आया होगा मेरी मोनी को…! और जैसे ही मैंने थोड़ा सा लंड अन्दर डाला, वो चिल्ला पड़ी ..! मैंने कहा- फिर नहीं चुदना चाहती क्या अभी..! फिर तेरी मम्मी आ जाएगीं..! बोली- साले तू तो डाल रहा है.. ! तुझे क्या पता मुझे कितना दर्द हो रहा है…! “अच्छा एक झटका और ले फिर मज़ा आने लगेगा…!” मैंने एक तगड़ा झटका मारा और अपना 8 इंच का मोटा लंड आधे से ज्यादा अन्दर ठूँस दिया…! मैंने देखा कि मोनी रो रही थी, मैंने बिल्कुल भी तरस नहीं किया क्योंकि मुझे पता था कि पहली बार में लड़कियों को रोना तो पड़ता ही है और मैं कुछ देर रुक गया। फिर मैंने धीरे-धीरे झटका देना शुरू कर दिया। वो सिसकारियां भर रही थी, साथ ही गाली भी बक रही थी- साले.. 3-4 बार तूने गरम करके छोड़ा है… आज सबका बदला निकाल रहा है हरामी..! मैं उसकी बातों से और गरम हो रहा था। कुछ देर बाद उसकी चूत को मजा आने लगा। वो बोली- अब लेट के कर लेकिन मैं ऊपर रहूंगी..! मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरे लंड पर बैठ गई और ऊपर नीचे करने लगी। ऐसी ..चुदाने के लिए प्यासी लड़की मैंने पहली बार देखी थी। मैं पागल हो रहा था। उसके मम्मे उससे भी ज्यादा हिल रहे थे। मैंने फिर उसे अपने नीचे कर उसके पैर अपने कन्धों पर रख कर जबरदस्त चुदाई करने लगा। वो बोली- ले ले… मैं जा रही हूँ…आह ..! और वो मुझसे लिपट गई, लेकिन मेरा स्खलन अभी बाकी था। मैंने कहा- इतनी जल्दी.. ! वो बोली- पहली बार है साल्ले..! तेरी तरह नहीं कि पूरे दिन टॉयलेट में मुठ मारती हूँ…! लेकिन मैं अभी भी प्यासा था। मेरा उससे मन नहीं भर रहा था..! मैंने उसे उल्टा किया वो समझ गई कि मैं क्या करने वाला हूँ। वो मना करने लगी और कहने लगी, “अब मैं तेरी ही हूँ.. मेरी गांड बाद में जब चाहे चोद लेना। मैंने कहा- जो अभी मज़ा आएगा, वो बाद में कहाँ ..! और मैंने उसकी गांड में थूका और लंड का सुपारा टिका दिया। वो डर रही थी और मैंने जैसे ही थोड़ा सा घुसेड़ा कि मोनी बोली- नहीं आर्यन, बहुत दर्द हो रहा है..! उसकी बात को अनसुना करके मैंने एक और झटका दिया और उसे चूमने लगा। थोड़ी देर में तगड़े शॉट लगाने लगा। करीब दस मिनट बाद जबरदस्त ठुकाई के बाद मैंने कहा- मैं जाने वाला हूँ..क्या करूँ..! बोली- अन्दर ही डाल दे..! पहली बार ढेर सारा लावा उसकी गांड में छोड़ दिया और वो सीधी होकर मुझसे लिपट गई और बोली- आई लव यू..! मुझे चुम्बन करने लगी। कुछ देर हम ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहे, फिर वो नीचे चली गई। आगे मैंने इसी मकान में रह कर मोनी को कई बार चोदा साथ में उन भाभी को भी चोदा जो पड़ोस में रहती थीं। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे [email protected] पर जरूर बताएं।
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