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मेरा नाम अंकिता है, मैं एक लेखिका हूँ। यह कहानी अंजलि की है जो मेरी सहेली है। उसने बी.ए. तक पढ़ाई की है, मुझे पहले से ही पढ़ाई में रूचि नहीं थी इसलिए मैंने 12वीं में फेल होने के बाद पुलिस फोर्स ज्वाइन कर ली।
मुझे यह कहानी अंजलि ने खुद बताई है। उसने मुझे बताया कि उसके साथ क्या हुआ था। उसकी यह दर्द भरी मजबूरी को आपके सामने लिख रही हूँ। मैं यह तो नहीं कह सकती कि इस दास्तान को पढ़ कर आनन्द उठायें.. पर फिर भी जो भी लगे उसको जरूर मुझे मेल कीजिए।
अंजलि दिखने में खूबसूरत थी। उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों की तरह नाज़ुक थे। उसके गाल रुई के समान नरम थे और उसके मम्मे जैसे नरम-नरम गेंदें हों। उसकी कमर इतनी चिकनी और मादक थी, जिसे देख कर कोई भी मर्द फिसल जाए। उसका बदन जैसे मखमल का गलीचा हो और जाँघें तो ऐसी थीं जिसे देखते ही किसी भी मर्द का शरीर गरम हो जाए।
उसका लिम्बू चिकना और आकर्षक था। (लिम्बू का अर्थ आपको बाद में समझ में आ जाएगा) मैं उसकी सहेली होने के कारण मुझे कई बार उसका लिम्बू देखने मिल जाता था। उसका पिछवाड़ा हमेशा गरम रहता था। अंजलि ने मुझसे जैसा बताया:
मैं एक होटल में रिशेप्सनिस्ट की जॉब कर रही थी, वो होटल बहुत ही आलीशान था। हर एक कमरा जैसे संगमरमर और मखमल के गालीचों से सज़ा था। होटल का मलिक जो मेरा बॉस था, वो एक बहुत ही अमीर आदमी था। उसका एक बेटा और एक बेटी थी। बेटे का नाम आदित्य था और बेटी का नाम कविता था। उसके बेटे की उम्र 20 साल थी और बेटी की उम्र 25 साल थी। मेरी उम्र 24 साल थी। उसका बेटा अक्सर मुझे वासना पूर्ण निगाहों से घूर-घूर कर देखा करता था। मैं जानती थी कि वो मेरी भरी हुई जवानी की तरफ आकर्षित था।
एक दिन मेरा भाई बहुत बीमार पड़ गया। मुझे पैसों की सख्त ज़रूरत पड़ गई, क्योंकि डॉक्टर ने कहा कि मेरे भाई के इलाज के लिए कम से कम 25,000 रुपयों की ज़रूरत पड़ेगी। मेरे पास इतने पैसे नहीं थे क्योंकि मेरी पगार सिर्फ़ 3000 रुपये थी और उसमें ही पूरे घर का खर्च चलाना पड़ता था।
मैंने यह बात अपने बॉस से कही और उनसे पैसे माँगे लेकिन उन्होने पैसे देने से साफ़ मना कर दिया। उस वक़्त बॉस का बेटा वहीं पर खड़ा था, इसलिए उसे भी पता चल गया कि मुझे पैसों की ज़रूरत है। उसने सोचा क्यों ना मैं इस बात का फायदा उठाऊँ। वो मेरे पीछे-पीछे आया और मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया, उसने मुझसे कहा- मैं तुम्हें 25,000 रुपये दे दूँगा।
मैं जान गई थी कि उसके मन में क्या था। मैंने उसे कड़े शब्दों में पूछा- क्या करना पड़ेगा? उसने लड़खड़ाती ज़बान में कहा- एक शाम मेरे साथ..! मैंने फिर से कड़े शब्दों में उससे कहा- मैं सोच कर तुम्हें बताऊँगी।
उस दिन मैं पूरी रात सोचती रही, एक बार तो ख्याल आया कि यह अमीर लोग क्या ग़रीबों की इज़्ज़त खिलौना समझते हैं..! लेकिन फिर मुझे मेरे भाई की भी फ़िक्र थी और वैसे भी वो लड़का गोरा और दिखने में भी स्मार्ट था बस सिर्फ़ थोड़ा बिगड़ा हुआ था। मैंने अगले दिन उसके पास जाकर उसे ‘हाँ’ कह दिया। उसने मुझे सीधे अपने आउट-हाउस में बुला लिया।
मैं उसके आउट-हाउस गई। जैसे ही मैंने कमरे के अन्दर कदम रखा तो मैंने देखा चारों तरफ कांच के शीशे थे, बिस्तर पर मखमल की चादर बिछी थी, मेरे पैरों के नीचे भी गालीचा था। एयर-कंडीशनर की वजह से पूरा कमरा एकदम ठंडा था। तभी एकदम से ही वो मेरे सामने आ गया। मुझे देखते ही उसके खून में जैसे उबाल आ गया हो, मेरा भी खून तेज़ी से मेरे शरीर की धमनियों में बहने लग गया। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और फिर बिस्तर पर बिठा दिया।
मैं एकदम सख्त हो गई, उस समय उस पर मेरी आँख से क्रोध के अंगारे निकल रहे थे, पर बेबसी की जंजीरों में जकड़ी हुई बैठी थी। उसने कहा- आप रिलेक्स हो जाइए..! मैं उससे उम्र में बड़ी थी, इसलिए वो मुझे आप कहता था। मैंने गुस्से से कहा- अब यह नाटक बंद करो और जो मेरे साथ कुछ भी करना है.. कर लो..!
उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और फिर मेरे गालों को चूमने लग गया, उसने मेरे गालों को जी भर कर चूमा। फिर उसने मेरे होंठों को अपने मुँह में दबा लिया। उसने थोड़ी देर तक मेरे होंठों को अपने मुँह में ही दबा कर रखा। फिर उसने मेरी कमीज़ उठा दी, मैंने उस दिन पंजाबी लहंगा सूट पहना था। मेरी कमीज़ उठाने के बाद में उसने मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया और मेरा लहंगा उतार दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
आदित्य मेरी नंगी जाँघों पर से हाथ फिराने लगा। उसका लिंग खड़ा हो चुका था। फिर वो मेरी नंगी जाँघों को चूमने लगा। उसका लिंग और भी गरम हो गया। मेरी नंगी जाँघों को जी भर कर चूम लेने के बाद उसने मेरी कमीज़ उतार दी। अब मेरा शरीर आधा नंगा हो चुका था। वो मेरी नंगी कमर को चूमने-चाटने लगा। उसने मेरी कमर पूरी तरह से चाट-चाट कर गीली कर दी, फिर उसने मुझे उल्टा कर दिया।
मेरा बदन नंगा था, वो मेरा अधनंगा बदन देख कर अपने आप को रोक नहीं पा रहा था और उसने फिर से मेरे नंगे बदन को चूमना शुरू कर दिया। इस पूरे संभोग के वक़्त मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और अपनी दोनों मुठ्ठियों को मजबूती से बंद कर ली थीं। जब उसने मेरे अधनंगे बदन से जी भर के मज़ा लूट लिया, तब उसने फिर मेरी ब्रा उतार दी और मेरी दोनों चूचियों को आजाद कर दिया। फिर वो मेरी चूचियों को चूमने लगा।
बाद में उसने मेरी पैन्टी भी उतार दी और मेरा नंगा ‘जे’ घूरने लगा। उसके इतना कहने के बाद मैंने कविता से पूछा- ‘जे’ मतलब क्या? वो शरमा गई लेकिन मैं समझ गई थी कि वो अपने लिम्बू के बारे में बात कर रही है। मुझे हँसी आ गई, लेकिन फिर मैंने अपनी हँसी को दबा लिया।
फिर से वो कहने लगी- मेरे ‘जे’ को जी भर के घूरने के बाद उसने अपने हाथ से मेरे ‘जे’ को सहलाना शुरू कर दिया। फिर वो भी नंगा हो गया और फिर उसने मेरे ‘जे’ में अपना 6 इंच लंबा लिंग घुसा दिया। जल्द ही वो ठंडा पड़ गया और मेरे ऊपर ही ढेर हो गया और हाँफने लगा।
मैं समझ गई थी कि उसकी भूख मिट चुकी है। मैंने उसके लिंग मेरे ‘जे’ में से निकाला और झट से अपने कपड़े पहन लिए। उसने मुझे 25,000 रुपये दे दिए। उसने मेरे शरीर के हर हिस्से को चूमा और चाटा था और घूरा था। वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे काला दिन था।
अंजलि की यह सारी बात सुन कर मुझे उस पर दया आ गई। मैंने कहा- तुम मत घबराओ हम उस लड़के के खिलाफ पुलिस में शिकायत करेंगे। लेकिन उसने मुझे किसी भी तरह का एक्शन लेने से मना कर दिया और कहा- मैंने उसे माफ़ कर दिया है और फ़िर यह तो एक सौदा था। और फिर वो चली गई।
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