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लेखक : इमरान
सलोनी- अच्छा अच्छा… अब न तो सपना देख और ना दिखा… जल्दी से घर चल मुझे बहुत तेज सू सू आ रही है… पारस- वाओ भाभी… क्या कह रही ही… आज तो आपको खुले में मुत्ती करवाएँगे… सलोनी- फिर सनक गया तू… मैं यहाँ कहीं नहीं करने वाली… पारस- अरे रुको तो भाभी, मुझे एक जगह पता है… वहाँ कोई नहीं होता… आप चिंता मत करो… सलोनी- तू तो मुझे आज मरवा कर रहेगा.. सुबह से न जाने कितनों के सामने मुझे नंगी दिखा दिया… और तीन अनजाने मर्दों ने मेरे अंगों को भी छू लिया… पारस- क्या… किस किस ने क्या क्या छुआ…झूठ मत बोलो भाभी… सलोनी- अच्छा बच्चू… मैं कभी झूठ नहीं बोलती… सुबह उस कूरियर वाले ने मेरी चूची को नहीं सहलाया..? और फिर रास्ते में उस कमीने ने कितनी कसकर मेरे चूतड़ों पर मारा.. अभी तक कूल्हा लाल है… फिर तूने उस दुकानदार लड़के से… शैतान कितनी देर तक मेरे सभी अंगों को छूता रहा… उसने तो मेरी चूत को सहलाया था… …देख़ा था ना तूने… पारस- …हाँ भाभी… सच बताओ… मजा आया था ना… सलोनी- अगर अच्छा नहीं लगता.. तो हाथ भी नहीं लगाने देती उसको… हा…हा… उस सबको सोचकर अभी भी रोमांच आ रहा है… पारस- ओके भाभी… ठीक है… चलो उतरो.. वो जो पार्क है ना… वहाँ इस दोपहर में कोई नहीं होता, आओ वहीं झाड़ियों में मुत्ती करते हैं दोनों… सलोनी- पागल है, अगर किसी ने देख लिया तो… पारस- तो क्या हुआ गिनती में एक और बढ़ा देना… हा… हा… सलोनी- अरे तू अपना ये तो अंदर कर ले… पारस- अरे चलो न भाभी… यहाँ कौन देख रहा है, फिर मूतने के लिए अभी बाहर निकालना ही है… सलोनी- हे हे सही से चल न, इसको अंदर क्यों नहीं करता, कितना मस्ती में हिलाता हुआ चल रहा है… पारस- किसको अंदर करूँ भाभी… सलोनी- अरे अपने इस टनटनाते हुए पप्पू को जीन्स में कर न… कितना अजीब लग रहा है… पारस- नहीं जानेमन, यह अब जीन्स में कहाँ जा पायेगा… ये अंदर ही जायेगा मगर अब तो आपकी इस गोलमटोल चिकनी गांड में… यहाँ… सलोनी- ऊऊईईई… क्या करता है… पारस- अरे उंगली ही तो की है जान… लण्ड तो अभी तक बाहर ही है… ये देखो… सलोनी- तुझे हो क्या गया है आज…कितना बेशरम हो रहा है… एक ये छोटी सी स्कर्ट ही मेरी लाज बचाये है. और इसको भी बार बार हटा देता है… पारस- रुको भाभी… यह जगह सही है… यहाँ आप आराम से मूत सकती हैं… वहाँ उस पेड़ के पीछे कर लो… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! सलोनी- हम्म्म्म ठीक है… तू क्या करेगा… पारस- हे… हे… मैं देखूंगा कि आपने कितनी की… सलोनी- पागल है क्या… चल तू उधर देख… कि कोई आ न जाए…पहले मैं कर लेती हूँ फिर तू भी कर लेना.. …
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पारस- वाओ भाभी… मूतते हुए पीछे से आपकी गांड कितनी प्यारी लग रही है… सलोनी- तू अब इसे ही देखता रहेगा या इधर-उधर का भी ध्यान रखेगा…? पारस- आप तो फालतू में नाराज हो रही हो… केवल अकेला मैं ही कौन सा देख रहा हूँ… सलोनी- उउउफ्फ्फ्फ्फ़… तो और कौन देख रहा है… पारस- हाहा वो देखो बेंच पर…वो जो अंकल बैठे हैं इधर ही देख रहे हैं… सलोनी- देख कितना बेशरम है… लगातार घूर रहा है… पारस- वाह भाभी… आपको करने में शर्म नहीं… मैं और वो देख रहे हैं तो बेशरम… सलोनी- अब आज तो तू पक्का पिटने वाला है… अब जल्दी से चल यहाँ से… पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो… सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर… … सलोनी- देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं… पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा… सलोनी- हाहा… तू भी ना… पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा… लेखक : इमरान पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो… सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर… … सलोनी- देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं… पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा… सलोनी- हाहा… तू भी ना… पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा… सलोनी- यहाँ… हाए क्या कर रहा है… कितना गरम हो रहा है ये… पारस- भाभी, खुले में चुदाई करने का मजा ही अलग है… सलोनी- नहीं… यहाँ तो बिल्कुल नहीं… मैं ये रिस्क नहीं लेने वाली…तू इसको अंदर कर जल्दी… पारस- अरे वही तो कर रहा हूँ भाभी… कोई नहीं है यहाँ बस इस पेड़ को पकड़ कर थोड़ा झुको… केवल 5 मिनट लगेंगे… सलोनी- आआह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्हाआ… क्या करता है… मुझे दर्द हो रहा है… ओह मान जा ना प्लीज… नहीईईई… आआअह्ह्हह्ह… मान जा… नहीं… ना… यहाँ कोई भी आ सकता है… पारस- श्ह्ह्ह्ह्ह्ह… कोई नहीं आएगा… बस्स्स्स जरा सा… आज तो नहीं मानूंगा… सलोनी- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… नहीं ना… क्या करता है… हट ना… ओह… सलोनी- ओहूऊऊऊऊऊ… पारस- ज्यादा आवाज मत करो ना… वरना… सबको पता चल जायेगा… सलोनी- आआअह्हह्ह… अह्ह्ह्हह्ह… उउउउउ… ओह्ह्ह्ह… आह्हआ… नहीईईईई… तू पागल है… आअह्ह्ह कितना… अंदर… तक्क… नहीईईईइ… आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा… आआआ… …कमीने दर्द हो रहा है… …अह्ह्ह्ह्ह्हा…आआआआअ… पारस- बास्स्स्स्स्स्स्स्स्स… सलोनी- ऊऊ… औ ओ ओ ओ… तू तो बहुत कमीना है… आज के बाद मुझसे बात नहीं करना… पारस- क्यों क्या हुआ भाभी… प्लीज ऐसा न बोलो… आई लव यू… सो मच… सलोनी- लव होता तो इतना दुःख नहीं देता…न समय देखता है और न जगह… पारस- क्या भाभी आप भी, अब आपकी यह मस्त गांड देख मेरा पप्पू नहीं माना तो इसमें मेरी क्या गलती… सलोनी- उन उउउउम… जा भाग यहाँ से… पारस- प्लीज मान जाओ न भाभी… सलोनी- चल अब जल्दी से घर चल… देर हो रही है। … … पारस- भाभी प्लीज माफ़ कर दो न… अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा…प्रोमिस… सलोनी- अच्छा ठीक है… पर कुछ समय दूर रह… मेरा मूड बहुत ख़राब है… पारस- ओके मेरी प्यारी भाभी… पुचच च च च… … पारस- भाभी, मैं अभी आता हूँ… जरा कुछ सामान लेना है बाजार से… भूल गया था… … … …
कहानी जारी रहेगी।
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