This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
अब तक आपने ‘आंटी ने सिखाया’ के 6 भाग पढ़े। सुषमा की चुदाई भी आपने पढ़ी। मैंने उसकी चूत पूरी तरह से फाड़ दी थी। इस हाल में वो कैसे जाती। वो तो चल भी नहीं पा रही थी। फिर मैंने गर्म पानी से उसकी चूत की सिकाई की, तो वो थोड़ा चलने लायक हो गई। फिर मैंने उसे घर तक छोड़ दिया। अब आगे पढ़िए: शाम को वो नहीं आई। मैंने फोन किया तो पता चला कि उससे चला भी नहीं जा रहा है। मगर अगली सुबह वो फिर से आ गई। मैंने उसे झट से बांहों मे भरा तो वो बोली- मेरी मुनिया तो अभी भी सूजी हुई है, मगर आपकी याद आ रही थी, इसलिए आ गई। मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम ले गया। वहाँ उसे बेड पर पटका और उस पर छा गया। कुछ ही दिनों में मैंने उसकी चूत की ऐसी-तैसी कर दी थी। मैं उसको कभी कभी शॉपिंग भी करा देता था, वो खुश हो जाती थी। वैसे भी उसका बाप नहीं था और उसका घर मेरे बदौलत ही चलता था। मैंने उसकी भरपूर चुदाई कि मुझे हर रोज चूत मारने की आदत थी। मैं उसकी चूत मारता रहा। फिर वो भी गर्भवती हो गई। मगर मैंने उसका बच्चा गिरवा दिया और आंटी की प्रेग्नेन्सी के समय तक ये खेल चलता रहा। फिर आंटी ने एक दिन एक बच्चे को जन्म दिया। बड़ा ही प्यारा लड़का था, मगर आंटी की शर्त के हिसाब से उसे आंटी को देखने के पहले ही अनाथाश्रम को दे दिया। आंटी ने अपने सीने पर पत्थर रख लिया था। उसके एक महीने तक तो आंटी हमेशा उसकी याद में गुमसुम रहती थी। धीरे-धीरे मैंने उसे आंटी की यादों से हटा दिया। अब आंटी पूरी तरह से ठीक हो गई थीं। इधर मैंने उसे बेचारी काम वाली की बेटी की इतनी चुदाई की थी कि उसकी चूत का भोसड़ा बन गया था। चुदाई मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी थी। आंटी अभी पूरी तरह से बच्चे के सदमे से उबर नहीं पाई थी। मैं भी आंटी को चुदाई के लिए नहीं बोलता था। ऐसे भी अभी आंटी का बदन भी चुदाई के लिए तैयार नहीं था मगर अब सुषमा के साथ चुदाई करना मुश्किल सा था, क्योंकि आंटी अब सारा दिन मेरे साथ होती और घर में ही रहती थीं। ज़ैसे-तैसे एक दिन आंटी को शॉपिंग का मूड हुआ और वो शॉपिंग के लिए चली गईं। शाम का वक़्त था, तभी सुषमा घर आ गई। मैं तो चुदाई का भूखा था। जैसे ही सुषमा घर के अन्दर आई, मैंने झट से उसे बांहों में भर लिया और चुम्बन करने लगा। वो चिहुंक कर अपने आप को मुझसे छुड़ाने लगी। “बाबूजी, मालकिन घर में ही हैं.. अगर देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी।” “तेरी मालकिन अभी बाहर गई है शॉपिंग के लिए, कम से कम 2 घंटे तक नहीं आएगी।” “सच्ची..!” “हाँ जानेमन…! अब तो कोई नहीं है घर में मेरे और तुम्हारे सिवा।” वो और खुश हो गई और मेरी बांहों में आ गई.. उसे भी चुदाई की लत पड़ गई थी। वो भी बेचैन हो रही थी। मैंने उसे बांहों में कस कर भरा और चुम्बन करने लगा, उसके होंठों का रस चूस रहा था। मेरे हाथ उसके जिस्म पर मचलने लगे और वो तड़प उठी। दो मिनट के अन्दर ही हमारे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं बचा। मैंने उसे नीचे बिठाया और उसके मुँह में अपना लण्ड डाल दिया। वो मेरा लण्ड चूसने लगी। मैं भी उसके मुँह में धक्के लगाने लगा। पहले मैं धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था फिर मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गई। उसके मुँह में दर्द होने लगा, मगर मैं तो वासना के मारे अँधा हो गया था। उसके मुँह में ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाता रहा। उसके गले तक मैंने अपना लण्ड पेल दिया। उसे साँस तक लेने में परेशानी हो रही थी। करीब दस मिनट के बाद मेरे लण्ड ने अपना लावा उगल दिया और मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में खाली कर दिया। मेरा सारा गर्म पानी उसके गले से नीचे उतर गया। उसने मेरे लण्ड को बड़े मजे से चाट कर साफ कर दिया। अब मेरी बारी थी। मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसकी चूत पर मुँह लगा दिया। फिर उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। वो बहुत ही गर्म हो रही थी, उसके मुँह से ‘आह.. सीईइ…’ की सीत्कारें निकालने लगीं। वो मचल रही थी। उसने अपनी चूत मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश शुरू कर दी। मैंने उसकी चूत की एक फाँक को मुँह में भर लिया और चूसने लगा। वो ज़्यादा देर तक खुद को रोक ना पाई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने भी अपना काम बखूबी निभाया और उसकी चूत का पानी साफ कर दिया। उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थी। मैं अब उसके साथ में लेट गया, उसकी चूचियों से खेलने लगा था। पाँच मिनट के बाद ही मेरा लण्ड फिर से उछालें मारने लगा। अब मैंने सुषमा को उठाया और बेडरूम ले गया। वहाँ पर मैंने उसे बेड पर लिटाया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। अब वो बहुत ही बेचैन हो रही थी। मेरा लण्ड पूरी तरह से लील जाना चाहती थी। मैंने उसकी चूत पर अपना लण्ड टिका दिया। उससे अब रहा ना गया और उसने खुद ही अपनी चूत को ऊपर की ओर उछाल दिया और मेरा लण्ड उसकी चूत में थोड़ा घुस गया। वो चुदने के बहुत ज़्यादा व्याकुल थी। मैं फिर उसकी चूत में अपना लण्ड पेलने के बारे मे सोच ही रहा था, तभी उसने फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लण्ड उसकी चूत का अन्दर समा गया। अब उसने पलटी खाई और मेरे ऊपर आ गई। अब वो मेरे लण्ड की सवारी कर रही थी। वो खुद ही अपनी चूत को मेरे लण्ड पर ऊपर-नीचे करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। वैसे मज़ा तो वो भी बहुत ले रही थी। थोड़ी देर तक वो धक्के लगाती रही, फिर वो थक गई। मैंने अब उसे बांहों में भरा और एक पलटी मारी। अब वो नीचे और मैं उसके ऊपर आ गया। अब मैंने अपना लण्ड खींच कर बाहर कर लिया। उसकी दोनों टाँगों को ऊपर मोड़ा और अपना लण्ड उसकी चूत में एक ही झटके में पेल दिया। वो सिसिया उठी। मैं अब धक्के लगाने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मेरे हर एक धक्के पर वो अपनी गांड को ऊपर की ओर उछाल देती, जिससे मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गई। मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों पर रगड़ खा रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और वो निढाल सी हो गई। मेरा लण्ड अभी भी टनटना रहा था, उसकी चूत के पानी से मेरा लण्ड पूरी तरह भीग गया था। अब मेरे हर एक धक्के पर उसकी चूत से ‘चॅप-चॅप’ की आवाज़ आ रही थी। यह आवाज़ मुझे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी। मैं अब ताबड़-तोड़ धक्के लगाने लगा। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मेरा लण्ड अब झड़ने की कगार पर आ गया था। मैंने अब अपनी स्पीड बढ़ा दी और वो भी अपने मुँह से ‘आह.. ओह्ह’ की आवाज़ निकाल रही थी। तभी मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और मेरे साथ ही वो भी एक बार फिर से झड़ गई। मैंने आज जी भर कर उसकी चुदाई कि मैं उसके बदन पर औंधे ही लेट गया। उसकी साँसें धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूचियाँ उसकी साँसों के साथ फूल पिचक रही थीं। आज उसने मुझे तृप्त कर दिया। मैं दस मिनट तक वैसे ही लेटा रहा। फिर हम अलग हुए और बाथरूम चले गए वहाँ हमने साथ में नहाया और फिर कपड़े पहन लिए। वो रसोई में चली गई और खाना पकाने लगी। आंटी वापस आ गईं। वो रसोई में गई और सुषमा से बात करने लगी। आंटी ने सुषमा के गीले बाल देखे तो शायद उन्हें कुछ शक हो गया। मगर उन्होंने कुछ नहीं कहा। रात को जब हम सोने गए तो आंटी आज कुछ और ही मूड में लग रही थीं। मैं बेड पर लेटा था। उन्होंने आज एक बहुत ही सेक्सी ड्रेस पहनी थी। एक टॉप पहना हुआ था, जो स्लीवलैस था। बहुत ही गहरे गले का टॉप था जिसमें से उनके वक्ष की रेखा दिख रही थी। वो टॉप कमर से थोड़ी नीचे था और उनकी केले के तने जैसी चिकनी जांघें दिख रही थीं। वो मेरे करीब आईं और मुझसे लिपट गईं। फिर वो मुझे चुम्बन करने लगीं। मैंने भी उन्हें चुम्बन करने लगा। फिर हम दोनों गर्म हो गए और आंटी ने मेरा बरमूडा उतार फेंका। फिर उन्होंने मेरे लण्ड को हाथ में लिया। एक बार सहलाया और मेरा लण्ड तो उछाल मारने लगा। फिर उन्होंने उसे मुँह में भर लिया और चूसने लगीं। मेरा लण्ड घोड़े की तरह हिनहिना उठा। फिर वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करने लगीं। मैं भी अब वासना के मारे पागल हुआ जा रहा था। मैं भी उनके मुँह में धक्के मारने लगा। आंटी लण्ड चूसने में बहुत ही एक्सपर्ट थीं। वैसे भी चुदाई के मामले में वो मेरी गुरु थीं। उन्होंने मेरा लण्ड पाँच मिनट तक ऐसा चूसा कि मेरे लण्ड ने लावा उगल दिया। मैं निढाल पड़ गया। फिर वो मेरे बगल में लेट गईं। “आंटी..!” “ह्म्म्म्म… बोलो” “आज आप बहुत ही मूड में लग रही हो? क्या बात है?” “बस यूँ ही… तुम्हारा ख्याल आ गया।” “कैसा ख्याल आंटी?” “मैं सोच रही थी कि इतने दिनों तक एक मर्द खुद को चुदाई के बिना कैसे रख पाएगा? इसलिए मैंने सोचा कि आज तुम्हें…!” “मेरा बहुत ख्याल रखती हो आंटी।” “हाँ बेटा..। मेरे पास तुम्हारे सिवा और है कौन…! अगर तुम भी किसी और के हो गए तो?” “ऐसा क्यूँ बोल रही हो आंटी? मैं तो बस आपका ही हूँ।” “हमेशा मेरे ही बने रहना.. तुम्हें जो चाहिए वो मैं दूँगी। बस मेरा साथ निभाना.. मैं तुम्हें हमेशा खुश रखूँगी।” उनकी आँखों में आँसू थे। मैं समझ गया कि आंटी को शायद मुझ पर शक हो गया है। वैसे तो वो भी ये बात बहुत अच्छे से समझती थीं कि चुदाई की भूख ऐसी ही होती है। अगर भूख लगी हो तो इंसान खुद को रोक नहीं पाता। मैंने आंटी के होंठों पर अपने होंठ टिकाए और बोला- मैं वादा करता हूँ कि हमेशा आपका ही रहूँगा। मेरे हाथ उनके जिस्म पर रेंगने लगे। मैंने अब उनका टॉप उतार फेंका। आगे की कहानी के लिए अन्तर्वासना के साथ बने रहिए। कहानी जारी रहेगी।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000