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नमस्कार दोस्तो ! एक बार फ़िर मैं अपने जीवन की सच्ची कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ। नये पाठकों के लिये मेरा परिचय फ़िर से- मेरा नाम मनोज हैं, 28 साल का हूँ, दिखने में ठीक-ठाक हूँ। मेरा लन्ड किसी भी लड़की या औरत की चूत को गीली कर सकता है। मैं सीधे कहानी पर आ जाता हूँ।
बात आज से कुछ एक साल पहले की है। मैं एक रिश्तेदार के यहाँ बहु-भोज में गया हुआ था। घर से 20-मिनट की दूरी पर था उनका घर। जिसकी शादी हुई थी वो रिश्ते में मेरा दूर का ममेरा-भाई लगता है। मैं थोड़ा लेट से पहुँचा था। समारोह शुरू हो चुका था। मैं वहाँ पहुँच कर पहले मामा-मामी से मिला, फिर भाई-भाभी से मिला, उन्हें बधाई दी। भाभी उतनी सुन्दर तो नहीं थी लेकिन जोड़ी अच्छी लग रही थी। मैं स्टेज से उतर कर खाना खाने के लिये जाने लगा तो पीछे से एक आवाज आई ‘मनोज भैया !!!!’ मैं मुड़ा तो देखा एक सुन्दर-सी लड़की मुस्कुराते हुये आ रही है, जब पास आई तो मैं पहचान पाया।
वो रजनी (बदला हुआ नाम) थी- मेरे मामा के दोस्त की लड़की, जो एक-तरह से मेरी भी ममेरी बहन हुई, 5-साल पहले उसकी शादी हुई थी और मैं उसके बुलाने पर भी नहीं जा पाया था। अब उसके 3 बच्चे है लेकिन वो किसी भी तरह से ऐसा लग नहीं रही थी कि उसके 3 बच्चे हैं।
खैर, हमारा बचपन साथ-साथ गुजरा था, जब भी मैं अपने मामा जी के यहाँ जाता था, तो हम सब बच्चे साथ में खेलते थे। वो वहाँ पड़ोस में ही रहती थी। वो मेरे पास आकर बोली- आप मनोज भैया ही हैं ना? मैं बोला- हाँ, और तुम रजनी? वो बोली- हाँ।
फिर थोड़ा रुककर मुस्कुराते हुये वो बोली- कितने दिनों के बाद आप से मुलाकात हो रही है और आप तो बिल्कुल ही बदल गये हैं। मै बोला- हाँ, मैं बदल गया हूँ और तुम पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई हो। वो शर्माते हुये बोली- आप भी ना भैया ! मैंने पूछा- खाना खा लिया तुमने? वो बोली- नहीं, बस खाने ही जा रही थी। आपको देखा तो रुक गई। मैं बोला- चलो, साथ में खाते हैं। वो बोली- चलिये। मैं फिर पूछा- तुम अकेली आई हो? वो बोली- नहीं, ये (उसका पति) भी आये हैं, बच्चों को छोड़ने गये हैं, मुझे बाद में ले जाऐंगे। मैं ‘ओके’ बोल कर प्लेट लेकर उसके साथ खाना खाने चल पड़ा।
हमनें उस रात खाने पर बहुत सारी बातें की, बचपन की यादें ताजा की, उसने शादी पर मेरे नहीं आने के लिये गुस्सा दिखाया। खाना खत्म करके हम बैठ कर बात कर रहे थे। तभी उसका पति आ गया। वो मेरे तरफ देखने लगा तो रजनी ने मुझे उससे परिचय करवाया- ये मेरे गाँव के पड़ोस के चाचा के भाँजे है, भैया हैं। तो वो मुझे नमस्ते कर के मुझसे बात करने लगा।
फिर वो रजनी से इशारे में बोला- चलते हैं। तो रजनी मेरे तरफ देखकर मुस्कुराते हुये बोली- कभी आइए घर पर ! फिर वो अपने पति से बोली- आप बोल क्यूँ नहीं रहे हैं घर पर आने के लिये, एक तो वैसे भी हमारे यहाँ कोई नहीं आता है। तो उसका पति मेरे से बोला- हाँ, हाँ, भैया, आइये कभी घर पे। फिर वो बोली- आप क्या करेंगे इनसे बात करके, मैं इनसे बात करूँगी ! बोल कर हम सब हँसने लगे। अपना मोबाईल नम्बर एक-दूसरे को देकर हम अपने अपने घर की तरफ चल पड़े।
उसके बाद अक्सर वो मुझे फोन करती और मुझसे बात करने लगी। मुझे भी उससे बात करना अच्छा लगने लगा। लेकिन एक दिन भी मैं उसके घर नहीं जा पाया।
फिर एक दिन वो मुझे सब्जी-बाजार में मिली और मुझे अपने घर चलने के लिये बोलने लगी, बोली- आप बस फोन पर ही बात करते हैं, घर आने के लिये बोलती हूँ तो बात घुमा देते हैं, आज चलिये, आज मैं कुछ नहीं सुनूँगी। मैं फ्री था तो मैं बोला- चलो, आज मैं वैसे भी फ्री हूँ। वैसे कौन-कौन है घर पर अभी? वो बोली- चलिये घर पर, वो भी पता चल जायेगा कि कौन कौन है घर पर ! और शरारत भरी मुस्कान देने लगी।
मैं बाइक से था। तो मैंने उसे अपने बाइक पर बिठाया और उसके बताये रास्ते पर उसके घर की तरफ चल निकले। यह उसका खुद का घर था। मैंने बाइक घर के अन्दर पार्किंग में लगा दिया और उसके पीछे-पीछे चल दिया। यहाँ पर मेरी नजर उसकी पतली और छरहरी कमर पर गई। मेरा मन डोलने लगा। मुझे वो चाबियाँ देते हुये बोली- जरा दरवाजा खोलिये।
मैं उसका हाथ पकड़ते हुये चाबियाँ ली और दरवाजा खोला, तो मुझे देखकर मुस्कुराते हुये बोली- दरवाजा बन्द कर दीजियेगा। और अन्दर चली गई।
मैं दरवाजा बन्द करके अन्दर की तरफ गया। वो 2 ग्लास पानी लेते हुये आई, एक मुझे दिया और एक खुद पीने लगी। शायद उसे बहुत तेज प्यास लगी थी। वो तेजी में पानी पीते हुये, कुछ पानी उसके मुँह से नीचे उसके ब्लाउज पे गिर गया। वो मुस्कुराते हुये अपने ब्लाउज से पानी को पोंछते हुये बोली- बहुत तेज प्यास लगी हुई थी और मेरा पानी मेरे साथ-साथ मेरा पूरा बदन पी रहा है। आप बैठिये, मैं चेंज करके आती हूँ।
और वो अपने बेडरूम की तरफ चल दी। मैं पीछे से उसके कूल्हे देखता रह गया, जो पीछे बुलाने के अन्दाज़ में मटक रहे थे। मेरा लण्ड हरकत में आ गया, मैं उसे कंट्रोल कर रहा था। खैर…
जब वो चेंज करके आई, तो मैं देखता ही रह गया। उसने थोड़ा गहरे गले की लाल रंग की नाइटी पहनी थी, जिससे उसके चूचियों की गहराई दिख रही थी या बोल लो कि वो दिखा रही थी। उसने अपने बाल खोल दिये थे तो वो और भी प्यारी लग रही थी, ऊपर से उसके हाथ में चाय की ट्रे थी और वो मुस्कुराते हुये मेरे तरफ आ रही थी।
उसका यह रूप देखकर मेरा अब खुद पर से कंट्रोल खो रहा था।मेरे पैन्ट में हरकत होने लगी थी और वो तम्बू बनने लगा था। वो यह देखकर मुस्कुराने लगी थी। हम पास बैठकर चाय पीने लगे, मुझे देख रही थी और मैं उसे, और बीच-बीच में, मेरे पैन्ट जो कि तम्बू बना हुआ था, उसे देखकर मुस्कुरा देती थी। मैं उसे देखकर बोल पड़ा- तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। रजनी- सच में? मैं- हाँ ! रजनी- मैं आपको बहुत पसन्द करती थी, और अब भी करती हूँ। यह बोलकर मेरे नज़दीक आकर उसने मुझे चूम लिया।
मैं भौचक्का रह गया कि यह क्या हो गया। उसकी साँसों की खुशबू मेरी साँसों में घुलने लगी, मदहोशी सी छाने लगी और मेरा हाथ खुद-ब-खुद उसके बालों में चला गया और उसके होठों को अपने होठों से दबाकर चुम्बन करने लगा। वो मेरे गोद में बैठ गई और हम चूमाचाटी करने लगे।
15-20 मिनट यह करने के बाद हम अलग हुये तो वो शर्म से लाल हो गई थी और उसकी आँखें बन्द हो गई थी। ‘तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? हमारा तो कुछ सीन भी बन जाता, क्योंकि तुम मेरे मामा की दोस्त की लड़की थी।’ मैं बोला। ‘मैं डरती थी आपसे कि आप कहीं गुस्सा करते तो? सो दिल की बात दिल में ही रख गई।’ वो बोली।
थोड़ा रुककर वो बोली- लेकिन आज जब आप यह बात जान चुके हैं तो आज अपना मिलन कर लेते हैं फिर पता नहीं कब मिल पाये।
मैं कुछ नहीं बोला, वो मेरा हाथ पकड़कर अपने बेडरुम में लेकर आई। वो मुझे फिर किस करने लगी और मेरे कपड़े उतारने लगी, उसने मेरा शर्ट निकाल दिया। मैं थोड़ा रुका, फिर उसके किस में उसे सहयोग देने लगा। फिर मेरे हाथ उसके बालों से होते हुये उसकी पीठ पर पहुँचे और उसे अपनी बाँहों में भींच लिया। वो चिंहुक गई। हम किस करते रहे।
मेरे हाथ फिर उसके पीठ से उसकी छाती पर आ गये और उसकी वक्ष को सहलाने लगे। वो और चिहुँक गई और उत्तेजित होने लगी। उसने फिर अपना हाथ अचानक से मेरे तने हुये लण्ड पे रख दिया और दबा दिया। इस बार मैं चिहुँक गया और जोश में आ गया और हम फिर और तेजी से एक-दूसरे को किस करने लगे।मैं उसकी चूचियाँ मसलने लगा, वो मेरे लण्ड को मसलने लगी और हम किस करने लगे। मैंने उसकी नाइटी को उतार दिया। वो अब सिर्फ ब्रा-पैन्टी में रह गई तो उसने मेरी जींस भी निकाल दी। अब हम-दोनों केवल अंतःवस्त्रों में थे।
मुझे बेड पे लिटा कर वो मेरी चड्डी को निकालकर मेरे तने हुये लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगी, मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी। फिर उसने मेरे लण्ड को तपाक से मुँह में ले लिया तो मैंने उससे पूछा- तू लण्ड चूसती है?
वो बोली- हाँ, इन्हें अच्छा लगता है, तो मैंने सोचा कि आपको भी अच्छा लगेगा। मैं- हाँ, मुझे भी लण्ड चुसवाना अच्छा लगता है, और तू बहुत अच्छा लण्ड चूस रही है। बोल कर उसके सर को अपने लण्ड पर दबाने लगा।
हम दोनों पूरी तरह उत्तेजित हो चुके थे। मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आकर पहले किस किया, फिर उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो पूरी तरह उत्तेजित होकर आवाजें निकालने लगी- आह… आआहह्ह… आआआह्ह्ह आआह्ह्ह! उसकी उत्तेजना देख कर मैं भी उत्तेजित हो रहा था और उसकी चूची को और तेजी से चूसने लगा। फिर वो मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुये बोली- प्लीज, डाल दीजिये ना। अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैं भी बोला- मुझे भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। बोलकर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर टिकाया और एक कसकर झटका मारकर अपने लण्ड को एक झटके में उसकी चूत में घुसा दिया तो उसकी चीख निकल गई- ओ माँ, आआ… आआह्ह्ह, मर गई… मार डाला रे। धीरे करिये ना… दर्द हो रहा है, मैं कहीं भागे थोड़े ही जा रही हूँ।
अपना लण्ड उसकी चूत में घुसाकर थोड़ी देर दबाये रखा, फिर उसे प्यार से चोदना शुरु किया और उसकी चुदाई की सीत्कारें निकलनी शुरु हो गई- आ…आआ… आआआह्ह… आआअह्ह्ह… चोदते रहिये… आआह्ह… ओ… ओह्ह… ओओह्ह्ह…
उसकी ऐसी आवाजें सुनकर मुझे और जोश आने लगा, मैं उसे और तेजी से चोदने लगा, वो और उत्तेजित आवाजें निकालने लगी- आह्ह… आह्ह्ह… आह… आह्ह्ह… ओ माँ… रुकना नहीं !
कुछ देर चोदने के बाद उसने मुझे कसकर पकड़ कर भींच लिया, मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है, तो मैं और तेजी से उसे चोदने लगा, फिर वो एक तेज आवाज करके झड़ गई- आआ… आआआ… आआह्ह्ह…
मेरा अभी बाकी था तो मैं उसे फिर से चोदने लगा। लेकिन अब चोदने में और मजा आने लगा क्योंकि उसकी चूत के रस छोड़ने के कारण ‘फच फच’ की आवाज आनी शुरु हो गई। 20-25 धक्कों के बाद मैं झड़ने वाला था, तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल कर उसके उरोजों पर अपना सारा माल निकाल दिया। फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गये। हमारी नींद तब खुली जब उसके बच्चे स्कूल से आ गये। हमने अपने कपड़े पहने। मैं उसके बच्चों से मिलकर अपने घर के लिये निकल गया।
यह थी मेरी मुँहबोली ममेरी बहन के साथ चुदाई की दास्ताँ ! आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी, प्लीज ई-मेल से जरूर बताइयेगा। और भी सच्ची घटनाएँ हैं मेरे जीवन में, वो बाद के लेख में बताऊँगा। [email protected] 4027
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