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प्रेषक : सचिन शर्मा सचिन का सभी अन्तर्वासना पाठकों को नमस्ते। मैंने अन्तर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं और मुठ्ठ मारी है। पढ़ने के बाद लगा मुझे भी अपनी कहानी शेयर करना चाहिए तो आपको अपनी कहानी बताता हूँ। पहले मैं अपना परिचय दे दूँ। मेरा नाम सचिन है, इंदौर में पढ़ाई कर रहा हूँ। मेरी उम्र 24 वर्ष, कद 5.7 इंच, वजन 65 किलो, सीना चौड़ा और लंड 7 इंच का है। बात तब की है जब मैं एम.बी.ए. के दूसरे सेमस्टर की तैयारी कर रहा था। मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती हैं। वो मुझे बहुत मस्त लगती हैं। उनका फिगर 34-32-30 है। बड़ी सी पिछाड़ी, सूट पहनती हैं। उम्र 33 है। बात ऐसे शुरू हुई कि मैं जब से यहाँ रहने आया, तब भाभी से पहला परिचय हुआ। मैं उनके घर पीने का पानी लेने गया था। मुझे नहीं पता था अन्दर इतना खूबसूरत माल मिलेगा। भाभी को देखते ही मैं तो पहली नजर में फ्लैट हो गया। भाभी से पानी माँगा तो उन्होंने पूछा- नए आए हो? मैंने- ‘हाँ जी’ कह कर बोतल दे दी। उन्होंने पानी दिया, मैंने धन्यवाद दिया और रूम में आ गया। आकर थोड़ा सामान जमाया फिर हाथ पैर धोए और बिस्तर लगा कर लेट गया। थकान लग रही थी। फिर लेटे-लेटे भाभी को याद कर रहा था, तो लंड खड़ा हो गया। अपने हाथ से सहलाता रहा और आँखें बंद करके भाभी के सपने देखने लगा और मुठ्ठ मार कर सारा माल निकाल दिया और सो गया। कुछ दिन तो ऐसा ही चलता रहा, फिर भाभी से बातचीत बढ़ाई। उनके बच्चों को चॉकलेट लाकर देने लगा। भाभी भी देख कर मुस्कुरा दिया करती थीं। कुछ ही दिन में मेरी मुराद पूरी हो गई। भाभी भी मुझे देख कर मेरी हरकतों को समझ गईं। मुझे भी लगने लगा कि भाभी भी भूखी हैं, क्योंकि अंकल की उम्र ज्यादा लगती थी और आंटी कम उम्र की थीं। जो कि मैंने पहले ही बताया उस समय उनकी उम्र 33 साल थी। अब तो 35 की हो गई हैं लेकिन लगती तो 30 की हैं। इस बीच भाभी ने मुझे मुठ्ठ मारते हुए एक-दो बार मेरे रूम में देख लिया था। फिर भाभी का मुझे देखने का अंदाज बदल गया, लेकिन मैं तो उनके ही सपनों में खोया रहता था। मौका देख कर मैंने भाभी को कह दिया- आप कितनी अच्छी हो भाभी, अंकल की तो किस्मत ही चमक गई। भाभी ने बड़े दुखी होकर कहा- उनकी तो चमक गई, मेरी फूट गई। तभी भाभी ने मुझसे पूछ लिया- कोई गर्ल-फ्रेंड है या नहीं? मैंने ‘ना’ में सर हिला दिया और मुस्कुरा के शरारत से कहा- क्या जरूरत है…! आप हो तो सही..! भाभी भी मेरा इशारा समझ चुकी थीं। उस दिन भाभी से मैंने बहुत देर तक बातें की और आकर फिर मुठ्ठ मार कर सो गया। फिर एक दिन भाभी ने मुझे घर बुलाया, मैं गया तो देखा आज भाभी ने गाउन पहन रखा था। मैं देखता ही रह गया, मस्त लग रही थीं। मदमस्त पिछाड़ी, बड़े चूचे ! मैं कैपरी में था, तो लंड खड़ा हुआ था, भाभी ने देख लिया पूछा- जेब में क्या है? मैंने ‘कुछ नहीं’ कह कर हाथ से लंड ठीक किया और बात करने बैठ गया। मैं भाभी को भूखी नजरों से देख रहा था तो उन्होंने पूछ लिया- क्या देख रहे हो? मैंने मौका न छोड़ते हुए भाभी की तारीफें करना शुरू कर दीं। इस बीच भाभी मेरे पास आकर बैठ गईं, बोलीं- तुम्हें मैं इतनी सुन्दर लगती हूँ क्या? मैंने कहा- इसमें कोई शक नहीं। तभी वो बोलीं- फिर भी तुम्हारे अंकल को कुछ नहीं होता। मैंने पूछा- क्या नहीं होता? तो उन्होंने कहा- कुछ नहीं बेटा.. तेरे बस की बात नहीं..! मैंने भी जोर देकर पूछा- बताओ तो… शायद मैं आपकी मदद कर दूँ। फिर भाभी मेरा एक हाथ थाम कर अंकल के बारे मैं बताने लगीं- ये शराब पीते हैं, रोज देर से आते हैं खाना खाकर सो जाते हैं। मैं उनसे बात करने को तड़प जाती हूँ। उनकी बात बीच में काट कर मैंने कहा- यह तड़फ सिर्फ़ बात करने की है या..! तो उन्होंने मुझे घूरते हुए कहा- क्या मतलब है तुम्हारा? मैंने डर के कुछ नहीं कहा। फिर भाभी मुझसे बातें करने लगीं। मैं उनका हाथ सहलाता रहा धीरे-धीरे उनको छेड़ रहा था। बीच-बीच में मैंने उनके पैरों पर भी हाथ फेर दिया। मेरा तो लौड़ा खड़ा हो चुका था, जो कैपरी से साफ दिख रहा था। मैं बीच-बीच मैं उसे ठीक कर रहा था। ऐसा करते हुए भाभी ने मुझे देख लिया था, पर कुछ कहा नहीं। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने भाभी के हाथ पर एक चुम्बन कर दिया। भाभी ने कुछ नहीं कहा, तो मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैं भाभी के पैरों को सहलाता रहा और उनके हाथ पर चुम्बन करता रहा। मैंने देखा भाभी अब कुछ नहीं बोल रही हैं। तो उनकी आँखों में देखता रहा और धीरे से उनको गले लगा लिया। भाभी ने भी मुझे बाहों में कस कर दबा लिया। बस फिर क्या था जैसे भूखे को खाना मिल गया हो। मैंने भाभी को गले से लगाए रखा और हाथ उनकी पीठ पर फेरता रहा। देखा कि भाभी कुछ नहीं कह रही हैं, तो धीरे से उनके गले पर चुम्बन कर दिया, फिर उनकी गर्दन से होते हुए उनके होंठों को चूम लिया। फिर तो भाभी भी मेरा साथ देने लगीं, मेरी जीभ उनके मुँह में घूम रही थी। हम एक-दूसरे के होंठों को चूसते हुए बिस्तर पर लेट गए। फिर अपने आप मेरा हाथ उनके बदन पर घूमता हुआ उरोजों पर चला गया। हाय क्या बड़े-बड़े मस्त वक्ष-उभार थे..! दबाना चालू किया, तो भाभी तेज-तेज साँसें लेने लगीं। उनके मुँह से ‘आह्ह्ह्ह’ निकली, तो मुझे मजा आ गया। अब तो जो ब्लू-फिल्म में देखा था, मैं खुद कर रहा था। फिर हाथ घुमाते हुए भाभी का गाउन ऊपर किया और उनकी नंगी टांगों को देखा तो मस्त हो गया। एकदम गोरी, चिकनी, धीरे-धीरे गाउन को ऊपर करके निकाल दिया। अब भाभी मेरे सामने ब्रा और पैन्टी में थीं। मैं तो जैसे पागल हो रहा था। मेरा लंड खड़ा होकर बाहर आने को बेताब था। फिर मैंने भाभी को उल्टा कर दिया और उनके ऊपर लेट कर पीठ को चाटने चूमने लगा। चूमते हुए भाभी के पैरों तक चला गया, फिर जल्दी से अपने कपड़े उतारे और भाभी के ऊपर लेट गया। उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। फिर भाभी को सीधा किया और उनके होंठों से होंठों चिपका लिए और स्तन दबाने लगा तो वो ‘सीईई ईईईईई’ करने लगीं। भाभी के बोबे चूसते हुए बहुत ही मादक और कामुक महसूस किया। तभी भाभी का हाथ मेरे लंड पर आ गया, मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया। बोबे चूसते हुए उनके पेट तक आ गया। फिर पेट को चूमा, फिर नाभि में जीभ घुमाई। अब भाभी भी बहुत गर्म हो चुकी थीं। वो तड़प रही थीं और मैं भी। भाभी की साँसे तेज और उनकी ‘सीईईई सीईई आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह’ की आवाजें मुझे पागल कर रही थीं। मैंने जल्दी से भाभी की चड्डी उतारी और पैर फैला कर उनकी चूत चाटने लगा। गीली-गीली चूत का रस पहली बार होंठों पर लगा, तो सारा चाट कर साफ़ कर दिया और जीभ नुकीली करके उनकी चूत में घुसाने लगा। जैसे ही जीभ डाली, भाभी की ‘सीईईई’ ‘आह्ह्ह्ह’ में बदल गई। तभी भाभी बोलीं- अब मत तड़पाओ, डेढ़ साल से प्यास लग रही है, जल्दी करो। पर मुझे तो चाटने में मजा आ रहा था। छोटे-छोटे बाल वाली, गोरी सी चूत..! भाभी मेरी जीभ को सहन नहीं कर पाईं और उन्होंने पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी चाट गया। क्या मस्त लगा.. थोड़ा खट्टा अजीब सी खुशबू वाला पानी..! फिर भाभी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और होंठों को चूसने लगी। मेरा लंड चूत में जाने को बेताब हो रहा था। होंठों से हटा और भाभी के पैरों के बीच बैठ गया। लंड डालने की कोशिश कर रहा था कि भाभी ने लंड पकड़ा छेद पर सैट किया और कहा- अब डालो..! मैंने थोड़ा जोर लगाया और लंड बिना किसी दिक्कत के अन्दर चला गया। भाभी ने जोर से सीईईई-आह्हह्ह की, लौड़ा अन्दर जाते ही मुझे जो आनन्द मिला, वो शब्दों में नहीं बता सकता। फिर मैं भाभी के ऊपर लेट कर लंड अन्दर-बाहर करने लगा। पहली बार था तो जोश मैं होश खो दिया और 5-10 झटकों के बाद ही झड़ गया। फिर भाभी के ऊपर लेट गया और उनके होंठों को चूसने लगा। फिर भाभी का हाथ मेरे लंड पर चला गया। भाभी उसे फिर खड़ा कर रही थीं। हिला-हिला कर 5 मिनट में फिर खड़ा हो गया। मैंने भाभी को लण्ड चूसने का इशारा किया तो उन्होंने ना कर दिया, कहा- मैंने कभी नहीं किया.. उलटी हो जाएगी। तो मैंने भी दोबारा नहीं कहा। फिर जोश में आते ही भाभी ने कहा- अब करो.. जोर से.. और जल्दी मत झड़ना.. मैं फिर भाभी के पैरों के बीच में आया और एक ही झटके में पूरा लंड घुसा दिया तो “आह्ह्हह्ह” करके चिहुंक गईं, बोलीं- थोड़ा धीरे मेरे राजा..! मैं फिर भाभी की चुदाई करने लगा। भाभी भी ‘अह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह्ह्ह सीईई’ की आवाज निकाल कर मेरा साथ दे रही थीं। उनकी आवाजों से मेरा जोश और बढ़ रहा था। हर झटके के साथ भाभी “आह्ह्ह्हह्ह आह्ह्हह्ह” कर रही थीं। फिर मैं भाभी के ऊपर लेट गया और झटके लगाना चालू कर दिए, उनके होंठों को चूसते हुए, तो कभी बोबे दबाते हुए। भाभी अकड़ने लगीं, मुझे अपनी बांहों में दबा लिया और एकदम से बहुत सारा पानी छोड़ दिया। आहहह.. गर्म-गर्म…! क्या लग रहा था मेरे लंड पे..! मैं झटके लगाए जा रहा था, बीच-बीच में लंड निकाल कर चूत भी चाट लिया करता, फिर डाल कर झटके लगाने लगता। अब लंड जोर-जोर से अन्दर-बाहर चल रहा था। मैं भी झड़ने वाला ही था, तो जोर-जोर से झटके लगाने शुरू किए। 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया। अपने माल से उनकी पूरी चूत भर दी और भाभी के ऊपर लेट गया। फिर भाभी ने मुझे चुम्बन किया और जोर से अपनी बाँहों में कस लिया। फिर हम उठे कपड़े पहने, भाभी ने मुझे चाय बना कर पिलाई। फिर चाय पीते हुए मैंने भाभी से पूछा- अब कब..? तो भाभी ने चुम्बन करते हुए कहा- जब तुम्हारी मर्जी हो.. सन्डे छोड़.. कभी भी दिन में 11 से 9 बजे के बीच। फिर मैं अपने रूम में आ गया और सो गया। बाद में हमारी चुदाई का सिलसिला ऐसा चला कि आज तक चल रहा है। फिर भाभी की बहन को, कालोनी की एक और आंटी को भी चोदा। वो अगली कहानी में। दोस्तों आप बताइए मेरा पहला अनुभव कैसा लगा और कुछ गलती तो नहीं की ! मुझे मेल जरूर करें।
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