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करीब दस मिनट की चुदाई, कभी धीरे तो कभी जोर के धक्कमपेल के बाद जब मैं झड़ने के करीब था तो रीना का रोना लगभग बंद हो गया था, मैं रीना से बोला- अब मैं झड़ने वाला हूँ।
तो वो घबरा कर बोली- अब बाहर कीजिए, निकालिए बाहर, खींचिए न उसको मेरे अंदर से ! और वो उठने लगी।
मगर मैं एक बार फ़िर उसको अपनी जकड़ में ले चुका था। पहली बार चुद रही थी, सो मैंने भी सोचा कि उसको मर्द के पानी को भी महसूस करा दूँ। मैंने रीना की चूत को अपने पानी से भर दिया।
वो घबरा रही थी, बोली- बाप रे, अब कुछ हो गया तो कितनी बदनामी होगी। मैंने अब निश्चिन्त होकर अपना लन्ड बाहर खींचा, एक ‘फ़क’ की आवाज आई। रीना की चूत एकदम टाईट थी, अभी भी मेरे लन्ड को जकड़े हुए थी।
मैंने रीना को कहा कि अब वो पेशाब कर ले, ताकि जो माल भीतर मैंने गिराया है उसका ज्यादा भाग बाहर निकल जाए और पेशाब से उसकी चूत भी थोड़ा भीतर तक धुल जाए।
“चुदाई के खेल के बाद पेशाब करना बेहतर होता है, समझ लो इस बात को !” मैंने उसको समझाया।
वो अब कपड़े समेटने लगी तो मैंने कहा- अब इस बार ऐसे बाहर जाने में क्या परेशानी है? चुदने के पहले तो नंगी बाहर जा कर मूती थीं न तुम?
मैं देख रहा था कि अब वो थोड़ा शान्त हो गई थी और उसका मूड भी बेहतर हो गया था।
मेरे दुबारा पूछने पर बोली- अब ऐसे जाने में मुझे शर्म आएगी !
मैंने पूछा- क्यूँ भला…?
वो सर नीचे कर के बोली- तब की बात और थी, अब मैं नई हूँ… पहले मैं लड़की थी और अब मैं औरत हूँ तो लाज आएगी न शुरु में सबके सामने जाने में…!
मुझे शरारत सूझी, सो मैंने सबको नाम ले ले कर आवाज लगाई- रागिनी… बिन्दा… रूबी… रीता… सब आओ और देखो, रीना को अब तुम लोग के सामने आने में लाज लग रही है… मेरा सारा माल अपनी चूत में लेकर बैठी है बेवकूफ़… बाहर जाकर धोएगी भी नहीं।कहते हुए मैं हँसने लगा।
मेरी आवाज पर रागिनी सबसे पहले आई और रीना की चूत में से उसकी जाँघों पर बह रहे पानी देख कर मुस्कुराई- आप अंकल इस बेचारी की कुप्पी पहली ही बार में भर दी, ऐसे तो कोई सुहागरात को अपनी दुल्हन को भी नहीं भरता है। और वो कपड़े से उसकी चूत साफ़ करने लगी।
रीना शरमा तो रही थी पर चुप थी।
मैं भी बोला- अरे सुहागरात को तो लड़कों को डर रहता है कि अगर दुल्हन पेट से रह गई तो फ़िर कैसे चुदाई होगी…? मैं तो हर बार नई सुहागरात मनाता हूँ। वैसे भी इतनी बार मैं निकालता हूँ कि मेरे वीर्य से स्पर्म तो खत्म ही हो गये होंगे, फ़िक्र मत करो, यह पेट से नहीं रहेगी।
अब तक मैंने कपड़े बदल लिए और बाहर निकल गया, कुछ समय बाद रागिनी अपने साथ रीना को ले कर बाहर आई। बिन्दा ने एक नजर रीना को देखा, और फ़िर झट से कहा- जाओ, अब नहा-धो कर साफ़-सुथरी हो जाओ, मंदिर चलना है।”
रीना भी चुपचाप चल दी। मैंने देखा रूबी चूल्हे के पास है, सो मैंने कहा- एक कप और चाय पिला दो रूबी डार्लिंग, तुम्हारा अहसान होगा, बहुत थक गया हूँ।
रूबी ने मुँह बिचकाते हुए कहा- हूँह, साण्ड भी कहीं थकता है…!
मैंने भी तड़ से जड़ दिया- बछिया को चोदने में थकता है डार्लिंग… और तुम्हारी दीदी तो लाजवाब थी… अंत-अंत तक मेरे धक्के पर कराह रही थी, ऐसी कसी हुई चूत की मालकिन है।
इस बात को सुन कर बिन्दा फ़िक्रमंद हो गई। उसने मुझसे पूछा- तब अब आगे कैसे होगा, शहर में तो बेचारी अकेली रह जाएगी, घुट-घुट कर रोएगी…
मैंने समझाया- अरे नहीं बिन्दा, ऐसी बात नहीं है, अभी दो-चार बार और कर दूँगा तो सही हो जाएगी, जब पुरा मुँह खुल जाएगा। असल में न उसको आप सबके प्रोत्साहन की जरुरत है। आप उसको सब करने बोल रहे हैं, पर खुल कर नहीं, जब सब आपस में बेशर्मी से बातचीत करेंगे तो उसका दिमाग भी इस सबके लिए तैयार होने लगेगा और फ़िर बदन भी तैयार हो जाएगा। ऐसे मैं तो उसको 2-3 बार में ढीला कर ही दूँगा। आप तो जान चुकी हैं कि मेरा लंड आम लोगों से मोटा भी है… सो जब मेरे से बिना दर्द के चुदा लेगी तो बाजार में कुछ खास परेशानी नहीं होगी। अभी तो जितनी टाईट है, अगर मैं ही पैसा वसूल चुदाई कर दूँ जैसा कि कस्टमर आमतौर पर रंडियों की करते हैं तो बेचारी इतना डर जाएगी कि चुदाने के नाम पर उसकी नानी मरेगी।
रूबी चाय ले आई थी और वहीं खड़े हो कर सब सुन रही थी। मैं कह रहा था- आज मैंने उसको बहुत प्यार से आराम-आराम से अपने मोटे लन्ड से चोदा है।
रूबी अब बोली- आपको अपनी मोटाई पर बहुत नाज है न, खुद से अपनी बड़ाई करते रहते हैं।
उसको शायद मैं कुछ खास पसन्द नहीं था।
मैंने उसको जवाब दिया- ऐसी कोई बात नहीं है, दुनिया में मुझसे ज्यादा सौलिड लन्ड वाले हैं… पर मेरा कोई खराब नहीं है बल्कि ज्यादातर मर्दों से बहुत-बहुत बेहतर है… जब तुम बाजार में उतरोगी और कुछ अनुभव मिलेगा, तब समझोगी।
अब मैं दिल में सोच रहा था कि जब इस कुतिया की सील तोड़ने की नौबत आएगी उस दिन वियाग्रा खाकर साली को फ़ाड़ दूँगा, वैसे भी मैं इसको खास पसन्द हूँ नहीं तो बेहतर होगा कि साली का जोरदार चोदन ही कर दूँ। इस घर में तो अब मेरे सात खून माफ़ होंगे।
बिन्दा ने सब सुन कर सर हिलाया- ठीक है, अब तो यह आपके और रागिनी के ही भरोसे है।
रीना अब तैयार होकर आ गई तो बिन्दा, रीना और रूबी मंदिर चली गई। घर पर मेरे साथ रागिनी और रीता थीं। मैं भी अब नहाने-धोने की सोच रहा था। जब मैं टट्टी के लिए गया तो रीता आंगन में नल पर नहाने लगी। मैं भी वहीं ब्रश करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सब दिन की तरह रीता आज भी सिर्फ़ एक पैन्टी में नहा रही थी। उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ अभी तरीके से चूची बनी भी नहीं थी…एक उभार था जिसका आधा हिस्सा गुलाबी था, बड़े से एक रुपया के सिक्के जितना और उस पर एक बड़े किशमिश की साईज की निप्पल थी।
आज आराम से गौर से उसकी छाती का मुआयना कर रहा था तो लगा कि कल मैंने जिसे चूचक कहा था… वह सही में अब चूची लग रहा है। यह बात अलग है कि अभी उसमें और उभार आना बाकी था। मैंने अपनी कमर में एक तौलिया लपेट रखा था। रीना को चोदने के बाद से मैं ऐसे ही तौलिया में घूम रहा था।
नहाते हुए रीता बोली- अंकल, क्या दीदी को बहुत तकलीफ़ हुई थी?
मैंने उससे ऐसे सवाल की अभी उम्मीद नहीं की थी सो चौंक कर कहा- किस बात से?
अब रीता फ़िर से बात पूछी- वही जब आप दीदी को कमरे में ले जाकर उसकी चुदाई कर उसको औरत बना रहे थे, तब?
मैं बोला- अब थोड़ा बहुत तो हर लड़की को पहली बार में परेशानी होती है, कुछ खास नहीं, पर लड़की को इसमें मजा इतना मिलता है कि वो मर्दों के साथ इस काम को बार-बार करती है अगर सेक्स में मजा नहीं आता तो क्या इतना परिवार बनता, फ़िर बच्चे कैसे होते और दुनिया कैसे चलती… सोचो !
रीता ने कुछ सोचा, समझा फ़िर बोली- तब दीदी इस तरह से कराह-कराह कर रो क्यों रही थी?
मैंने अब उसको समझाया- वो रो नहीं रही थी बेटा… ऐसी आवाज जब लड़की को मजा मिलता है तब भी मुँह से निकलती है… आह आह आह। असल में तुमने कभी ब्लू-फ़िल्म तो देखी नहीं होगी सो तुमको कुछ पता नहीं है। वैसे मैंने कमरा बन्द नहीं किया हुआ था, तुम चाहती तो आ जाती देखने।
रीता अब खड़े होकर बदन तौलिए से पोंछते हुए बोली- जैसे माँ तो मुझे जाने ही देती… देखते नहीं हैं जब आप लोग बात करते हैं तो कैसे मुझे किसी बहाने वहाँ से हटाने की कोशिश करती हैं। अभी इतना बात कर पा रही हूँ क्योंकि वो अभी 2-3 घन्टे नहीं आएगी, मंदिर से बाजार भी जाएगीं।
कल मैंने उसको नहाते समय जब देखा तो चूची और काँख के बाल ही देख पाया था और बुर पर कैसे बाल होंगे सोचता रह गया था। आज मुझे भी मौका मिल रहा था कि उसकी बुर पर निकले ताजे बालों को देखूँ।
मैंने अब उसको एक औफ़र दिया- रीता तुम मेरा एक बात मानो तो मैं तुमको अभी सब दिखा सकता हूँ, रागिनी है न… उसको अभी तुम्हारे सामने चोद दूँगा, फ़िर तुम सब देख समझ लेना कि कैसे तुम्हारी दीदी को मैंने औरत बनाया था।
रीता की आँख में अनोखी चमक दिखी- क्या बात है बोलिए, जरूर मानूँगी।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्टी भी खोल कर अपना बदन पोंछो… तो ! असल में मैं तुम्हारी बुर पर निकले बालों को देखना चाहता हूँ, कभी तुम्हारे जैसी लड़की की बुर नहीं देखी है न आज तक !
मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे सरका दी, फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।
कहानी जारी रहेगी।
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