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प्रेषिका : शीला कुमारी
दोस्तो, मेरा नाम शीला है, मैं जवान लड़की हूँ, भोपाल में एक कॉलेज में पढ़ती हूँ। मेरा फिगर 34-26-32 है और मैं बहुत ही सेक्सी हूँ। मुझे देख कर कोई भी लड़का मुझे चोदना चाहेगा, मेरे कॉलेज के लड़के मुझ पर मरते है। मुझे देखते ही उनके लंड पैन्ट में ही अंगड़ाई लेने लगते थे।
उस समय मेरी उम्र 20 साल थी। मेरे क्लास में एक लड़का पढ़ता था, मुझे वह बहुत ही पसंद था, वह भी मुझे पर लाइन मारता था। वह मेरे हॉस्टल के पास ही रहता था।
वैसे तो मुझे बहुत से लड़के लाइन मारते थे, पर मैं तो बस प्रतीक पर ही मरती थी। वह बहुत ही हट्टा-कट्टा लड़का था। सारे कॉलेज की लड़कियाँ उस पर मरती थीं। मुझे भी वह बहुत पसंद था।
एक दिन उसने मुझे अपने प्यार का इजहार किया तो मैंने उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।
फिर हम दोनों एक साथ ही रहने लगे। कहीं भी जाते तो साथ में ही जाते। एक दिन मैं उसके घर गई थी और बारिश होने लगी और बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी, तो वो मुझे वहीं रुकने के लिए बोलने लगा। मैं भी वहीं रुक गई।
हम दोनों खाना खाने के बाद मूवी देखने लगे, मर्डर-2 के रोमांटिक सीन देखते-देखते प्रतीक का मूड बनने लगा। मुझे भी मन कर रहा था तो मैंने भी उसे नहीं रोका। वो मेरे मम्मों को दबा रहा था और मेरे होंठ को चूम रहा था। मुझे नशा सा छाने लगा था।
मुझे चूत में कुछ होने लगा था। प्रतीक मेरे ऊपर आ चुका था, उसने मेरे कपड़े एक-एक करके उतार दिए। अब मेरे शरीर पर सिर्फ पैन्टी ही बची थी।
मुझे अब शर्म आ रही थी, तो मैंने उससे कहा- मेरे तो कपड़े उतार दिए, तुम भी तो उतारो।
तो उसने कहा- तुम्हारे कपड़े मैंने उतारे है। तो अब तुम मेरे कपड़े उतारो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तो मैं मान गई और एक-एक कर के उस के कपड़े उतारने लगी। वो मेरी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही मसल रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसकी पैन्ट उतारने पर मुझे उसके लंड का आकार पता चला उसे देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए थे, उसका लंड बहुत ही बड़ा था। उसका 8 इंच के लगभग रहा होगा।
मैंने उससे कहा- प्रतीक मैं इसे नहीं ले पाऊँगी !
तो वो मुझे समझाने लगा- यह क्या है ! चूत तो इससे भी बड़े लंड अंदर ले लेती है।
मैंने भी सोचा कि आज जो भी हो चूत में लेकर ही रहूँगी। वो मुझे लंड चूसने को कहने लगा तो मैंने मना कर दिया तो वह बुरा मान गया। मैं उसका मन रखने के लिए उसका लंड चूसने लगी। लंड की चुसाई मुझे अच्छी लगने लगी तो मैं मस्ती से लंड चूसने लगी।
दस मिनट चूसने के बाद उसके लंड ने माल छोड़ दिया, उसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा।
वो मुझसे छेड़ने के अन्दाज में कहने लगा- अभी तो मना कर रही थीं और अब तो छोड़ ही नहीं रही हो?
तो लंड मुँह से बाहर निकाल कर उससे कहने लगी- इसका टेस्ट ही इतना प्यारा है, मन ही नहीं करता कि इसे छोड़ूं।
तो उसने एकदम से उत्तेजित होकर मुझे उठा कर बेड पर पटक दिया और एक ही झटके में मेरी पैन्टी उतार कर मेरी चूत में उंगली करने लगा। मुझे मजा आने लगा। कभी चूत में उंगली, तो कभी जीभ डालता। मुझे बहुत ही मजा आने लगा। वह मुझे उसी तरह से उंगली से, तो कभी जीभ से चोदने लगा। मैं किसी और ही दुनिया में खो गई।
आधा घंटा हम दोनों इसी तरह मजे लेते रहे। इस बीच मैं दो बार झड़ चुकी थी और प्रतीक अभी तक नहीं झड़ा था। उसका लंड अभी भी तना हुआ था।
अब वो कहने लगा- अब इसकी भी इच्छा पूरी कर दो।
तो मैंने आँख मार कर कहा- बोल बच्चे, तू क्या चाहता है?
तो प्रतीक कहने लगा- तुम्हारी गुफा के दर्शन करना चाहता है।
तो मैंने कहा- यह गुफा तो तेरी ही है बच्चे ! रोका किसने है।
इतना कहते ही उसने मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और मेरी चूत पर थूक लगा कर उसको मसलने लगा और उस पर सुपारा रगड़ने लगा। मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैंने कहा- अब सहन ही होता, इसको जल्दी अंदर कर दो।
तो वो कहने लगा- तुम्हें थोड़ा सा दर्द होगा।
तो मैंने कहा- मुझे पता है पहली बार दर्द होता है, तुम अंदर डालो तो।
मेरी चूत में तो आग लगी हुई थी, मेरी चूत तो उसके लंड को खा ही जाना चाहती थी। उसने एक जोर का झटका मारा तो मेरी चूत की सारी चाहत ‘फुस्स’ हो गई, दर्द के मारे जान ही निकल गई और मेरी आँखों से आँसू आ गये और चीख निकल गई।
वो मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा और रुक गया।
उसने कहा- दर्द कम हो जाये तो बता देना।
कुछ ही देर में मेरी चूत तैयार हो गई तो मैंने कहा- अब और अंदर डालो।
उसने पूरी ताकत के साथ पूरा लंड अंदर डाल दिया और फिर मेरे मुँह से चीख निकल गई- हाआआ… आअहहहा… आआअ… उईमा… बाहर निकालो मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
वो मेरी मम्मों को सहला रहा था और मुझे शांत कर रहा था, 5 मिनट के बाद मुझे अच्छा लगने लगा।
तो मैंने उसे कहा- अब तुम धक्के मारो।
उसने धक्के मारना शुरू कर दिए और मेरे मुँह से आह… आह… की आवाजें आने लगीं। वह मुझे चोद रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं उससे कह रही थी- चोद… चोद… आहा… हाहह… हहाह… ययय… हहाहा… और तेज चोद…
दस मिनट बाद मुझे कुछ ऐंठन सी होने लगी और मैं पानी छोड़ने लगी, पर उसे अभी तक कुछ नहीं हो रहा था। वो उसी तरह धकापेल मुझे चोद रहा था। आधा घंटा मुझे चोदने के बाद उसने मेरी चूत में ही पानी छोड़ दिया और कुछ देर हम उसी तरह पड़े रहे।
मैं उठी तो मैंने देखा मेरी चूत खून से लाल हो गई थी। मैंने कपड़े से चूत साफ की और फिर उसके पास लेट गई और उसके लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगी, तो उसका लंड फिर से खड़ा हो गया।
तो प्रतीक कहने लगा- और मन है क्या?
तो मैंने कहा- हाँ, अभी तो रात भर चुदूँगी।
इस बार उसने मुझसे कहा- इस बार तुम खुद इसे अंदर लो।
मैंने भी ऊपर आने का मन बना लिया, वो बेड पर लेटा रहा और कहने लगा- आजा मेरी बुलबुल… मेरे लौड़े पर बैठ जा…
मैं उसके लंड को अपनी चूत में घुसड़वा कर बैठ गई।
इस बार मुझे दर्द नहीं हुआ, लंड भी आराम से अंदर चला गया और मैं उछल-उछल कर चुद रही थी। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि जैसे चूत में कोई बांस घुस रहा हो।
15 मिनट के बाद मेरी चूत ने जवाब दे दिया।
फिर प्रतीक ने मुझे डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और मेरी चूत में पीछे से लंड घुसेड़ दिया। मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ लेकिन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे वो इसी तरह चोदता रहा।
इस बार वो मुझे 25 मिनट तक चोदता रहा। मुझे बहुत मजा आ रहा था। उस रात उसने मुझे चार बार चोदा था।
सुबह हम 11 बजे उठे थे, मुझ से चलना भी नहीं हो रहा था। मुझे मेरी पहली चुदाई में बहुत ही मजा आया था और मैं आज तक पहली चुदाई नहीं भूल पाई हूँ। आज भी मैं कई लड़कों से चुद चुकी हूँ पर वैसा लंड आज तक नहीं मिला है।
आप सभी को प्यारी चुदक्कड़ शीला का प्यार।
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