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नमस्कार चूत के पुजारियों को और लंड की प्यासियों को, मैं ईशात फिर से आप सबको अपना नया अनुभव बताने जा रहा हूँ।
पहली भाभी के बारे में जो पिछली बार बताया उससे आप सबका फीडबैक मिला और अच्छा लगा। पहली भाभी के साथ मेरी रंगरलियों में रुकावट तब आ गई जब मेरे दूसरे भाई की शादी हो गई।
2-3 महीने तक दूसरी भाभी के कारण मैं और भाभी कुछ नहीं कर पा रहे थे इसलिए मैंने पहली भाभी के साथ कोई तरीका निकालने के लिए जुगाड़ फिट किया और भाभी से नई भाभी को किनारे करने की कोशिश की, पर कुछ काम नहीं बन रहा था तो मैंने बड़ी भाभी कीर्ति को मना कर उनको अपना प्लान बताया कि क्यों न हम छोटी भाभी प्रिया को भी अपने साथ मिला लें! इससे खतरा भी कम हो जाएगा और एक और साथी बढ़ जाएगा।
पहले तो भाभी मना करने लगीं पर मैंने उन्हें और समझा-बुझाकर मना लिया और कहा- अगर ऐसा नहीं हो सकता तो फिर मैंने अगर छोटी भाभी को पटा लिया तो फिर भूल जाना मेरे लंड को और ना आना मेरे पास।
अब उनके पास मेरी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
एक दिन जब मौका मिला तो मैंने भाभी को पूरी योजना बताई कि तुम मेरा लैपटॉप फिल्म देखने के लिए लेना और छोटी भाभी को अपने साथ देखने के लिए बुला लेना और मैं घर से जाने का नाटक करूँगा। मेरे जाने के बाद तुम फिल्म चलाना जो मैं तुमको एडिट करके दे दूंगा। उसमें शुरू में मूवी होगी और बीच में एडिट करके मैं उसमें ब्लू-फिल्म घुसा दूँगा।
उनसे कहा- बस तुम छोटी भाभी को भी गर्म कर देना और उनके साथ काम-क्रीड़ा करने के लिए तैयार कर लेना और तब तक मूली का इस्तेमाल करना, जब तक में ना आ जाऊँ।
जाने से पहले मैंने उनसे कहा- जब तुम मूवी चलाओ तो मुझे मिस-कॉल मार देना तो में समझ जाऊँगा कि मुझे कब घर वापस आना है।
सो अगले दिन जब दोपहर में घर में दोनों भाभी और मैं ही थे, तो मैं भाभी को लैपटॉप देकर निकल गया और ज्यादा दूर नहीं गया।
करीब 10 मिनट बाद मेरे पास मिस कॉल आई, मैं घर वापस आ गया थोड़ी देर बाद और चुपचाप कीर्ति भाभी के कमरे की तरफ आया। मैंने दरवाज़े को हल्के से खोला तो आँखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा था कि बेड पर टाँगें फैला कर बैठी थीं और कीर्ति भाभी उनको ऊँगली कर कर के गर्म कर रही थीं। उनकी पीठ मेरी तरफ थी तो उन्हें कुछ नहीं पता था कि मैं देख रहा हूँ।
सो मैंने वही खड़े होकर शो को एन्जॉय करने की सोची, जब तक वो दोनों खूब गर्म नहीं हो जातीं। मैंने वहीं पर अपनी नेकर उतार दी और अपनी गोलियाँ सहलाकर गरम करने लगा।
वो सीन देखकर मेरी झांटें तक खड़ी थीं, उनका ‘सामान’ गज़ब का था। डबल-डी साइज़ के मम्मे, भरी और फूली हुई पिछाड़ी और जिस तरह से वो सिसकारियाँ भर रही थीं, उससे साफ़ पता चल रहा था कि अभी ज्यादा अनुभव नहीं है।
एक ऊँगली करने से ही ‘आह… उह… आह… ऊह्ह…’ कर रही थीं। कीर्ति भाभी भी पूरा मज़े में थीं, वो भी कभी जीभ से तो कभी ऊँगली से चोदने का पूरा आनन्द ले रही थीं। मेरे साथ वो इतनी ज्यादा ब्लू फिल्म्स देख चुकी थी कि उन्हें लेस्बियन बनने में भी इतना मज़ा आएगा, यह मुझे नहीं पता था।
करीब 10 मिनट तक उन्होंने की चूत को चाट कर लाल कर दिया और वो छूट गईं तो कीर्ति भाभी ने सारा माल ऊँगलियों से चाटा और को भी स्वाद दिया।
यह सब देख कर बाहर मेरे लौड़े का साइज़ 6.5 से 7.5 हो गया, सुपाड़ा फूल कर गुलाबी हो गया, तो मैंने उसको चड्डी में दबा दिया। नेकर पहना और फिर एकदम तेज़ी से कमरे में कीर्ति भाभी को बुलाते हुए घुस गया और उन दोनों को ऐसे देख कर चौंकने का नाटक किया।
उन्होंने तेज़ी से अपने कपड़ों से ‘सामान’ को छुपाने की कोशिश की, पर कीर्ति भाभी वैसे ही थीं।
मैंने कहा- ये क्या कर रही हो आप दोनों? आप लोग अकेले में यह सब कब से करने लगीं? लगता है दोनों भैया को बताना पड़ेगा कि उनकी पीठ की पीछे ये सब गुल खिलाए जाते हैं।
कीर्ति भाभी- ऐसा कुछ नहीं है देवर जी, वो हम बस फिल्म देख रहे थे और पता नहीं कहाँ से उसमें ये ब्लू फिल्म चलने लगी?
मैंने कहा- अच्छा इसका मतलब ब्लू-फिल्म चलने लगी तो आप दोनों ने यह सब करना शुरू कर दिया! देखता हूँ दोनों भैया क्या करते और कहते हैं ये सब सुनने के बाद?
कीर्ति भाभी- प्लीज देवर जी ऐसा न करना, तुम जो चाहे करवा लो पर यह बात किसी को मत बताना, बोल न प्रिया। प्रिया भाभी- जी हाँ, आप जो बोलो वो सब करेंगे, पर प्लीज यह किसी को मत बताना!
मैं- ठीक है, नहीं बताऊँगा, पर आप लोग तो मज़े कर लेती हो, मेरा क्या? मेरा तो इन ब्लू-फिल्मों से ही काम थोड़े ही चलेगा, मुझे भी चुदाई के मज़े लेने हैं। आप दोनों कैसे भी मेरे भी लंड की खुजली मिटाने की जुगाड़ करो!
कीर्ति भाभी- तो आप भी हम दोनों के साथी बन जाओ न! हम तीनों एक साथ मज़े लिया करेंगे क्यों प्रिया, है न?
प्रिया भाभी- हाँ बिल्कुल, मेरे पास आप की जरूरतों का सारा सामान है दीदी और वैसे भी हम लोगों को ग्रुप में और मज़ा आएगा। कीर्ति भाभी- पर किसी को इसके बारे में कुछ भी न पता चले, ठीक है? हाँ तो प्रिया तूने कहा था न तुझे ओरल करने में मज़ा आता है, करके दिखा देवर जी को!
फिर उन्होंने मुझे बीच में लेटने को कहा और ने मेरा नेकर, चड्डी उतार दी। थोड़ी देर दबने से लंड ढीला पड़ गया था, मैंने कहा- प्रिया भाभी, दिखाओ अपना मुँह का टैलेंट!
और कीर्ति भाभी को आँखों से ‘थैंक यू वाला’ इशारा किया और उनको रगड़ कर किस करना शुरु किया। एक हाथ से उनके चूचों को मसलने लगा और निप्पल भी दबा कर दांतों से मसलता। दोनों हाथों से कस-कस के मसकता फिर उनको चूमता।
प्रिया भाभी नीचे मेरे सुपाड़े को अपनी जीभ से चारों ओर से चाट रही थीं, मैंने कहा- मुँह में अन्दर बाहर करो न! पूरे पप्पू को मज़ा दो।
भाभी बोली- बहुत बड़ा है देवर जी, कोशिश की लेकिन मैं पूरा तो क्या आधा भी नहीं ले सकती।
तो मैंने पोजीशन बदली और उनको लिटाया और कीर्ति भाभी को कहा- आप प्रिया की चूत पर थोड़ा मेहनत करो।
और खुद लंड को लेकर उनको मुँह के ऊपर उनके हाथों को दबाकर बैठ गया और कहा- लो अब कोशिश करो और मैं मदद करूँगा। प्रिया भाभी में जोश आया, उन्होंने गपक कर आधा भर लिया।
फिर 2 मिनट के बाद मैंने कहा- अब मुझे करने दो।
मैंने उनके मुँह को धीरे-धीरे चोदना शुरु कर दिया। जब मैं और गर्म होने लगा तो स्पीड बढ़ा दी और वो ‘उह्ह उह्ह’ करने लगी तो लंड बाहर निकाला और उन्होंने लंड पर ढेर सारा थूक निकाला और फिर से मेरे चूतड़ों को दबा कर लंड को फ़िर मुँह में ले लिया।
मेरा जोश और बढ़ा, मैंने कहा- अब पूरा लेने को तैयार हो न? तो सर ‘हाँ’ में हिला कर उन्होंने कहा- ठीक है।
और मैंने पूरा 7.5 का फनफ़नाता हुआ लंड उनके मुँह में ठूंस दिया और तेज़ गति से चोदना चालू कर दिया। बीच-बीच में 7-8 सेकंड्स के लिए पूरा अन्दर तक डाल कर रुक जाता।
ऐसा 5 मिनट तक किया और पूरा माल उनके चेहरे पर निकाल दिया और वो पूरा साफ़ करके चाट गईं। मेरे लंड में अभी बहुत गर्मी थी, ढीला पड़ गया पर मैं यह मौका नहीं चूकना चाहता था।
सो से कहा- आप एक गिलास दूध लाओ।
कीर्ति भाभी को मैंने अपनी गोदी में बिठा कर उनसे कहा- तो जबरदस्त हैं। उनका ओरल करने का अंदाज़ बड़ा धांसू है।
मैंने ऐसा इसलिए कहा कि कीर्ति भाभी को थोड़ा जलन हो और वो अपना ओरल टैलेंट दिखाने को मान जायें, जो कि वो कम ही करती थीं, और ऐसा ही हुआ।
कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार मेल करें। [email protected]
कहानी का अगला भाग : प्रिया भाभी, भाभी नम्बर दो-2
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