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प्रेषक : बबलू
दोस्तो, मैं बबलू दिल्ली से हूँ। उम्मीद है यह कहानी मेरे सभी पढ़ने वालों को बेहद पसंद आएगी और ख़ास कर लड़कियों और आंटियों को।
मुझे कम उम्र से ही चुदाई करने की इच्छा बहुत ज़ोर की थी। मैं हमेशा एक शादीशुदा औरत के साथ ही पहली बार चुदाई करना चाहता था क्योंकि वो बहुत ही अनुभवी और को-ओपरेटिव होती हैं।
बात उस समय की है जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था। मैं अंग्रेजी के ट्यूशन के लिए हर रोज एक सर के घर जाता था। हम दोस्त लोग एक साथ जाते थे। टीचर हम सब को दोपहर 3 बजे बुलाते थे और 5 बजे छोड़ते थे।
हमारे सर बंगाली थे और शादीशुदा थे और सर की बीवी एकदम मस्त और बहुत ही खूबसूरत थी। जिस दिन से मैंने उसे देखा था, मैं बस उसी के बारे में सोचता था। उसका नाम सोनिया था। सोनिया दोपहर को अपने बेडरूम में सोती थी और हम हॉल में पढ़ते थे। वो हर रोज 4.30 के लगभग सो कर उठती थी और गाउन पहन कर बाथरूम जाती थी, जो एक कॉमन बाथरूम था।
हॉल में हम जहाँ पढ़ते थे वो जगह बाथरूम के बिल्कुल पास ही थी और वो सूसू करती थी तो उसके मूत इतना प्रेशर के साथ निकालता था कि उसकी आवाज़ हमारे कानों तक जाती थी। बस यही तमन्ना मन में होती थी कि एक बार उसके साथ चुदाई करने को मिल जाए तो ज़िंदगी हसीन हो जाए।
ऐसे ही दिन गुज़रते गए और कुछ दिन बाद हमारे सर का ट्रान्सफर हो गया, तो सर ने हम से कहा कि उनका ट्रान्सफर हो गया है इसलिए हम किसी और टीचर का बंदोबस्त कर लें। फिर सर ने एक विकल्प और रखा कि उनकी बीवी भी वही विषय पढ़ाती है, अगर हम चाहें तो उनसे ट्यूशन ले सकते हैं क्योंकि सर का ट्रान्सफर टेम्परेरी बेसिस पर हुआ था और उन्हें अभी फैमिली ले जाने का ऑर्डर और फ्लैट नहीं मिला था इसलिए सर अकेले जा रहे थे।
मेरे सभी दोस्तों ने मना कर दिया और दूसरे टीचर के पास जाने लगे मगर मैं सोनिया मैडम से ट्यूशन लेने को राज़ी हो गया। सर ने भी मुझे ‘थैंक्स’ कहा।
जब सर जाने लगे तो उन्होंने मुझे कुछ बातें बताई कि मैं अपनी टीचर का ध्यान रखूँ, अगर उन्हें कोई चीज़ चाहिए तो उन्हें ला दूँ और मैंने सर को भरोसा दिलाया कि मैं ऐसा ही करूँगा। फिर सर चले गए।
मैडम घर में एकदम अकेली। उनको कोई बच्चा भी नहीं था। मैंने मैडम से ट्यूशन लेना शुरू कर दिया और कुछ ही दिन में मैं मैडम का दोस्त भी बन गया और मैडम मेरी दोस्त बन गईं। मैं मैडम का बहुत ख्याल रखता था और मैडम मुझे एक स्टूडेंट की तरह बहुत प्यार भी करती थी।
धीरे-धीरे एक महीना बीत गया।
फिर एक दिन मैंने मैडम से पूछा- मैडम, आपको सर की याद नहीं आती?
मैडम ने कहा- याद तो बहुत आती है मगर कोई और रास्ता भी तो नहीं है।
फिर मैंने मैडम से हिम्मत करके कहा- मैडम, एक बात पूछूँ?
तो मैडम ने कहा- तुम मुझसे कुछ बोलो, उससे पहले मैं तुम्हें एक बात बोलना चाहती हूँ।
मैंने उनकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा तो मैडम ने कहा- जब हम दोनों एक-दूसरे का इतना ख्याल रखते हैं और दोस्त भी हैं, तो फिर आज से तुम मुझे मैडम नहीं बल्कि सोनिया बोलोगे और वैसे भी तुम पूरे दिन मेरे घर में ही तो रहते हो, इसलिए मुझे मैडम सुनना अच्छा नहीं लगता।
मैं राज़ी हो गया।
फिर सोनिया ने कहा- तुम कुछ पूछ रहे थे?
तो मैंने बहुत हिम्मत कर के कहा- सोनिया…!
फिर मैं चुप हो गया और आधी बात में ही रुक गया।
तो सोनिया बोली- क्या बात है?
और मैंने कुछ नहीं कहा।
फिर उसने मुझे अपनी कसम दी और बोली- कहो ना ! नहीं तो मुझसे बात मत करना और मुझसे ट्यूशन भी मत पढ़ने आना।
मैंने फिर कहा- तुम बुरा तो नहीं मानोगी?
तो उसने कहा- नहीं।
फिर मैं बोला- तुम्हें क्या चुदाई करने का मन नहीं करता?
ऐसा कहने पर सोनिया चुप हो गई और मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी। मैं डर गया था और मैंने उसे ‘सॉरी’ कहा तो उसने कहा- तुम्हें सॉरी नहीं बल्कि मुझे तुम्हें थैंक्स कहना चाहिए। तुम्हें मेरा कितना ख्याल है और मेरे पति को मेरा ज़रा सा भी ख्याल नहीं।
उसने मुझे मेरे गाल पर एक चुम्बन दिया। माहौल खुशनुमा हो गया फिर हमने साथ में डिनर किया और मैं अपने घर चला गया। फिर कुछ दिन बाद, मैं एक दिन सोनिया के घर गया मगर वो घर में दिखाई नहीं दे रही थी। मैं हर एक रूम देख रहा था मगर वो कहीं नहीं थी।
फिर मैंने एक बाथरूम का गेट खोला और मैंने वो देखा जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था। बाथरूम का गेट लॉक नहीं था और जैसे ही मैंने गेट खोला तो देखा की सोनिया अपने बाथरूम के कमोड पर बैठी थी। उसका गाउन, ब्रा और पैन्टी पास ही में रखे थे।
वो एकदम नग्न थी और उसने अपने हाथ की तीन ऊँगलियाँ अपनी चूत में घुसा रखी थी और दूसरे हाथ से अपनी चूची को दबा रही थी। उसकी आँखें बंद थीं और वो मज़ा ले रही थी।
मैं करीब 5 मिनट तक बिना कुछ कहे उसे देखता रहा। मेरा लण्ड पूरा खड़ा और सख्त हो गया था और मेरा मन कर रहा था कि अभी उसे चोद दूँ। मगर मैंने अपने आप को संभाला कर रखा।
कुछ देर बाद मैंने कहा- सोनिया, यह क्या !
सोनिया बिल्कुल डर गई और अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने गाउन से अपने जिस्म को ढकने लगी और मेरी तरफ देखती हुई अपने रूम में चली गई।
मैं हॉल में सोफ़े पर बैठ गया।
कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई और मेरे पास बैठ गई और कहने लगी- तुम्हें क्या पता एक शादीशुदा औरत इतने दिन अपने पति के बगैर कैसे रह सकती है। शारीरिक जरुरत तो हर एक की होती है !
और ऐसा कह कर मुझ से लिपट कर रोने लगी। मैंने उसे संभाला। उसने मुझे यह बात किसी से नहीं कहने को कहा, उसके पति से भी नहीं। मैं राज़ी हो गया।
फिर मैंने कहा- अगर तुम्हें चुदाई की इतनी ही चाहत है तो मैं तुम्हारी यह चाहत पूरी कर सकता हूँ।
ऐसा कहने पर वो और ज़ोर से मुझसे लिपट गई और मुझे फिर से एक चुम्मी दी और कहा- सच? क्या तुम मुझे प्यार करोगे और मेरे पति को भी नहीं बताओगे? तुम कितने अच्छे हो!
ऐसा कह कर वो मुझे चूमने लगी और मैं भी उसे कस कर अपनी बाँहों में दबाने लगा और कुछ देर तक हम वैसे ही रहे।
फिर मैं जाने की लिए उठने लगा तो उसने कहा- कहाँ जा रहे और मुझे कब प्यार करोगे? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने कहा- मैं शाम को 8 बजे आऊँगा और फिर चला गया।
मैं शाम को उसके घर पहुँचा और अंदर गया तो देखा कि उसने एक बहुत ही सुंदर पारदर्शी साड़ी पहन रखी है। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसके ब्लाउज से बाहर आने को तड़फ रही थीं। उसका पेट पूरा दिखाई दे रहा था।
क्योंकि वो शादी-शुदा थी, उसका जिस्म पूरा हरा-भरा और गदराया हुआ था और मुझे ऐसी ही औरत अच्छी लगती थी। उसकी कमर कटावदार थी। वो पूरी गोरी नहीं थी पर उसका रंग बहुत ही मस्त था। वो बहुत ही सुन्दर और गरम औरत थी। उसका होंठ रसीले और आँखें नशीली थीं। उसकी ऊँगलियाँ लंबी थीं। वो सर से पैर तक चोदने लायक थी। उसे देख कर ऐसा लगता था जैसे वो चुदवाने के लिए बिल्कुल तैयार है।
वो मुझे अपने बैडरूम में ले गई और दरवाजा बन्द कर लिया।
मैंने उसे कहा- आज मैं तुम्हारी चुदाई की गर्मी को ठंडा कर दूँगा, हर तरह से खुश कर दूंगा।
वो मुस्कुरा कर बोली- चलो देखते हैं।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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