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चाचा की नज़र जवान होती भतीजी पर-1
मैंने अपने चोदू चाचा के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनी तो और मस्त हो गई। चूत पर बोसे से बहुत गुदगुदी हुई और मन किया कि उससे लिपट कर कह दूँ कि ‘अब नहीं रह सकती तुम्हारे बिना! मैं तैयार हूँ! लूटो मेरी कुँवारी चूत को चाचा! पर चुप रही।
तभी चाचा बेड पर बैठ गये और मेरी गोरी चिकनी जांघों पर हाथ फेर मेरी चूत को सहलाने लगे। उससे चूत पर हाथ लगवाने में इतना मजा आ रहा कि बस मन यह कहने को बेताब हो उठा कि ‘राजा, नंगी करके पूरा बदन सहलाओ, मसल दो अपनी भतीजी को!
अम्मी का कहना सही था कि ‘हाथ लगाओ, मजा पाते ही लाइन क्लियर कर देगी मेरी फ़ातिमा!’
तभी उसकी एक उंगली चूत की फाँक के बीच में आई तो मैं तड़प कर बोल ही पड़ी- हाय! कौन?
‘मैं हूँ मेरी जान, तुम्हारा चाहने वाला! हाय अच्छा हुआ कि तुम जाग गई!’
‘क्या मस्त जवानी पाई है! आज मैं तुमको…!’ और किसी भूखे कुत्ते की तरह मुझे अपनी बाँहो में कसता मेरी दोनों चूचियों को टटोलता बोला- हाय हाय… क्या गदराई जवानी है!’
मैं अपने दोनों उभारों को उसके हाथ में देते ही जन्नत में पहुँच गई। मेरा चाचा मेरे चिकने गाल पर अपने गाल लगा दोनों को दबा बोला- बस एक बार चखा दो, देखो कितना मजा आता है!
‘हाय चाचा, आप मुझे छोड़ दो! यह क्या कर रहे हैं आप? अम्मी आ जाएगी!’
‘सायरा से मत डर, उसने ही तो भेजा है, कहा है कि जाओ, मेरी बेटी जवान हो गई है, उसे जवानी का मजा दो। बहुत दिनों से ललचा रही हो, बड़ा मजा पाओगी। अम्मी कु्छ नहीं कहेंगी!’ और इसके साथ ही मेरी चूचियों को मैक्सी के ऊपर से कसकर दबाया तो मेरा मजा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
‘अम्मी सो गई क्या?’ मैंने पूछा तो चाचा बोले- हाँ, आज तुम्हारी अम्मी को मैंने बुरी तरह थका दिया है। अब वो रात भर मीठी नींद सोएगी। बस मेरी रानी एक बार! देखना मेरे साथ कितना मजा आता है!
और उसने मेरे दोनों निप्पल को चुटकी में मसल कर मुझे राज़ी कर लिया। सच आज चाचा की हरकत में मजा आ रहा था, दोनों निप्प्लों को मसले जाने का नशा रानों में उतर रहा था।
‘चाचा आप अम्मी के साथ सोते हैं? वह तो आपकी भाभी हैं?’
‘आज अपने पास सुलकर देखो, जन्नत की सैर करा दूँगा। हाय, कैसी मतवाली जवानी पाई तूने! भाभी है तो क्या हुआ, माल तो बढ़िया है तेरी अम्मी का!’
‘दरवाज़ा खुला है!’ मैंने मज़े से भरकर कहा। मेरी नस नस में बिजली दौड़ रही थी, अब बदन पर एक कपड़ा भी बुरा लग रहा था। उसने मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। उसे मेरी जैसी कुँवारी लड़कियों को राज़ी करना आता था। होंठ कऊसते ही मैं ढीली हो गई।
चाचा मेरी मस्ती को देख एकदम से मस्त हो गये, धीरे से मेरे बदन को बेड पर सीधे बिछा कर मेरी चूचियों पर झुक कर मेरी रानों पर हाथ फेरते बोले- अब तुम एकदम जवान हो गई हो। कब मजा लोगी अपनी जवानी का। डरो नहीं, तुमको कली से फूल बना दूँगा। अम्मी से मत डरो, उनके सामने तुमको मजा दूँगा बस तुम हाँ कर दो!
हाथ लगवाने में और मजा आ रहा था, मैं मस्त हो उसे देखती बोली- अम्मी को आप रोज़…?
‘हाँ मेरी जान, जब भी यहाँ रहता हूँ तो तुम्हारी अम्मी को रोज़ चोदता हूँ। तुम तैयार हो तो तुमको भी रोज़ चोदूँगा। हाय कितनी खूबसूरत हो। ज़रा सा और खोलो ना!
मैं तो जन्नत में थी। चाचा चूचियों को दबाए एक हाथ गाल पर और दूसरा रानों के बीच फेर रहे थे और दोनों रानों को पूरा खोल दिया। चाचा चालाक थे, पैर खोलने का मतलब समझ गये, मुस्काराकार मेरे होंठ चूम कर बोले- तुम्हारी फ़ूफ़ा की छोटी बहन को तो तुम जानती हो, अभी बारहवीं की भी नहीं है, उसकी चूचियाँ भी तुमसे छोटी हैं, वह भी मुझसे खूब चुदवाती है।’
और चूत की फाँक को चुटकी से मसला तो मैं कसमसकर बोली- हाय चाचा, आप फ़रज़ाना को भी मेरी अम्मी की तरह चोदते हो?’
‘हाँ यहाँ रहता हूँ तो तुम्हारी अम्मी को और अकसर तुम्हारी जीनत फ़ूफ़ी के घर में उसकी ननद फ़रजाना को खूब हचक कर चोदता हूँ!
‘बोलो तो हो राज़ी मेरे से चुदवाने के लिये?’
और मेरी बुर की दरार में उंगली फ़ेरी तो मैं राज़ी हो गई और बोली- राज़ी हूँ पर अम्मी से मत बताना।
मैं चाचा को यह एहसास नहीं होने देना चाहती थी कि मैं तो जाने कब से राज़ी हूँ। मैं अपना 18 साल का ताज़ा बदन उसके हवाले करने को तैयार थी। अगर वह अम्मी को चोद कर ना आए होते तो मेरी कुँवारी चूत को देखकर बिना पूछे मुझे चोद ही डालते! पर वह अम्मी को चोद कर अपनी बेकरारी को काबू में कर चुके थे। वह मेरी नई चूचियों को हाथ में लेते ही मेरी कीमत जान गये थे।
मेरे लिए यह पहला मौका था, चाचा मुझसे ज़बरदस्ती ना कर प्यार से कर रहे थे, अब तक वह मेरी नंगी चूत को देख उस पर हाथ फेर कर उसे चूम भी रहे थे पर मैंने अभी तक उनका लंड नहीं देखा था।
चाचा ने दुबारा चूचियों को मसलते हुए कहा- अम्मी से मत डरो। अम्मी ने पूरी छूट दे दी है। बस तुम तैयार हो जाओ!
और चूचियों को इतनी ज़ोर से दबाया कि मैं तड़प उठी।
‘मुझे कु्छ नहीं आता!’ मैं राज़ी होकर बोली तो उसने कहा- मैं सिखा दूँगा! और मेरे गाल काटा तो मैं बोली- ऊई… बड़े बेदर्द हो चाचा…
मेरी इस अदा पर मस्त हो गाल सहलाते मैक्सी पकड़ कर बोले- इसको उतार दो! ‘हाय पूरी नंगी करके?’ ‘हाँ मेरी जान, मजा तो नंगे होने में ही आता है। बोलो पूरा मजा लोगी ना?’ ‘हाँ!’ ‘तो फिर नंगी हो जा, मैं अभी आता हूँ।’ चाचा कमरे से बाहर चला गए।
मेरी हालत क्या थी, बता नहीं सकती थी, मेरे पूरे बदन में चीटियाँ सी रेंगने लगी, चूत फुदकने लगी थी, पानी छोड़ रही थी, मैं पूरी तरह तैयार थी। मैंने जल्दी से मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी होकर बिस्तर पर लेट गई। अम्मी तो चुदवाने के बाद अपने कमरे में आराम से सो रही थी और अपने चोदू यार को मेरे पास भेज दिया था।
मैं अपने नंगे जवान कुंवारे बदन को देखती आने वाले लम्हों की याद में खोई थी कि मेरी माँ का यार वापस आया। मुझे नंगी देख वह खिल उठा, पास आ पीठ पर हाथ फेर कर बोला- अब पाओगी जन्नत का मज़ा!
मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेर मजा दे उसने झटके से अपनी लुंगी अलग की तो उनका लंड मेरे पास आते ही झटके खाने लगा। अभी शायद उसमें फुल पॉवर नहीं आई थी पर अभी भी उसका कम से कम 6 इंच का था। मैं पहली बार चचा का लंड देख मस्ती से भर गई।
चाचा बिस्तर पर आया और पीछे बैठ मेरी कमर पकड़कर बोला- गोद में आओ मेरी जान!
मेरा कमरा मेरे लिए जन्नत बन गया था। अब हम दोनों ही नंगे थे। जब चाचा की गोद में अपने चूतड़ रखे तो चाचा ने फ़ौरन मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में ले बदन में करेंट दौड़ाया। चचा का लवड़ा मेरे चूतड़ों की दरार में झटके दे रहा था।
‘ठीक से बैठो, तभी असली मजा मिलेगा। देखना आज मेरे साथ कितना मजा आता है!’
नंगी चूचियों पर उसका हाथ चला तो आँख बंद होने लगी। अब सच में ही बड़ा मजा आ रहा था।
‘फ़ातिमा!’ ‘जी चचा!’ ‘कैसा लग रहा है?’
मेरी गाण्ड में उनका खड़ा लंड गड़ रहा था जो एक नया मजा दे रहा था। अब मैं बदहवास हो उनकी नंगी गोद में नंगी बैठी अपनी चूचियों को मसलवा कर मस्त होती जा रही थी।
तभी चाचा ने चूचियों के टाइट निप्पल को चुटकी से दबाते पूछा- बोलो मेरी जान? कैसा लग रहा है? ‘हाय, अब और मजा आ रहा है चाचा!’
‘घबराओ नहीं, तुमको भी अम्मी की तरह पूरा मजा दूँगा! हाय तुम्हारी चूचियाँ तो भाभी से भी अच्छी हैं।’
चचा मेरी मस्त जवानी को पाकर एकदम से पागल से हो गये थे। निप्पल की छेड़ छाड़ से बदन झनझना गया था मेरा! जी कर रहा था कि कोई मुझे रगड़ दे, निचोड़ दे!
तभी चाचा ने मुझे गोद से उतारकर बेड पर लिटाया और मेरे निप्पल को होंठो से चूस कर मुझे और ज्यादा पागल कर दिया, हाथ की बजाए मुँह से ज़्यादा मजा आया। चाचा की इस हरकत से मैं खुद को भूल गई, उनको मेरी चूचियाँ खूब पसंद आई। चाचा 10 मिनट तक मेरी चूचियों को चूस चूस कर पीते रहे।
चूचियों को पीने के बाद चाचा ने मुझसे मेरी रानों को फैलाने को कहा तो मैंने खुश होकर अपने चोदू चाचा के लिए जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया। पैर खोलने के बाद चाचा ने मेरी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिराई तो मैं तड़प उठी।
चाचा मेरी चूत को चाटने लगे, चूत चटवाते ही मैं तड़प उठी। चाचा ने चाटते हुए पूछा- अब बोलो जान, कैसा लग रहा है? ‘बहुत अच्छा मेरे राजा!’
‘तुम तो डर रही थी। अब दोनों का मजा एक साथ लो!’ और अपने दोनों हाथों को मेरी मस्त चूचियों पर लगा दोनों को दबाते मेरी कुँवारी गुलाबी चूत को चाटने लगे तो मैं दोनों का मजा एक साथ पाकर तड़पती हुई बोली- ‘हाय… आआहह… बस करो चाचा… ऊई… नहीं… अब और नहीं…’ ‘अभी लेटी रहो!’
मुझे ग़ज़ब का मजा आया, वो भी मेरी जवानी को चाटकर मस्त हो उठे।
10 मिनट तक चाटते रहे फिर मुझे जवान करने के लिए मेरे ऊपर आए। चाचा ने पहले ही मस्त कर दिया था इसलिए दर्द कम हुआ। चाचा भी धीरे धीरे पेलकर चोद रहे थे। मेरी चूत एकदम ताज़ी थी इसलिए चाचा मेरे दीवाने होकर बोले- हाय अब तो सारी रात तुमको ही चोदूँगा।’
मैं मस्त थी इसलिए दर्द की जगह मजा आ रहा था।
‘मैं भी अब आपसे रोज़ चुदवाऊँगी।’
उस रात चाचा ने दो बार चोदा था और जब वे अगली रात मुझे पेल रहे थे तो अचानक अम्मी भी मेरे कमरे में आ गई। मैं ज़रा सा घबराई लेकिन चाचा उसी तरह चोदते रहे।
अम्मी पास आकर मेरी बगल में लेट मेरी चूचियों को पकड़कर बोली- ओह बेटी, अब तो तुम्हारी बुर चोदने लायक हो गई है। लो मजा मेरे यार के तगड़े लंड का!’
‘ओह अम्मी, चाचा बहुत अच्छे हैं, बहुत अच्छा लग रहा है।’
अब मैं और अम्मी दोनों साथ ही चाचा से चुदवाते हैं। चाचा अक्सर आते हैं ओर हम दोनों माँ बेटी चुदाई का मजा लेती हैं और चाचा हमें खूब मजा देते हैं। लेखिका : फ़ातिमा बानो
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