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दोस्तो, आज मैं अपनी पहली सच्ची दास्तान लिख रहा हूँ।
1976 की यह बात है, जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता था। उन दिनों मेरा भी खड़ा होना शुरू हो गया था। दोस्तों द्वारा सुनाई गई कहानियों से सेक्स के बारे में समझ में आने लगा था।
मेरे चाचा की नई-नई शादी हुई थी। चाची खूबसूरत तो नहीं थी, मगर एक औरत के सभी गुण उनमें मौजूद थे।
हमारे घर में दो कॉमन बाथरूम थे एवं उनकी एक कॉमन दीवार थी। उसी दीवार से एक नल पाईप दोनों बाथरूम में था, जिसके दोनों तरफ नल लगे हुए थे। लम्बे समय तक उपयोग होते रहने से उस पाईप की वजह से दीवार में एक छेद हो गया था, जिसमें से आर-पार दिखता था।
उस छेद से मैंने कई बार बाथरूम में उन्हें नहाते हुए देखा था और चाची के मीडियम साइज़ के बोबों को निहारा था।
उनके कमरे की स्थिति कुछ ऐसी थी कि खिड़की घर के कॉमन रास्ते पर खुलती थी और उस खिड़की में खड़े होकर चाची से मैं और पड़ोस वाली एक शर्मा भाभी, इनका अनुभव बाद में बताऊँगा, बहुत देर तक बात करते रहते थे।
इसी दौरान मुझे समझ में आ गया था कि चाची सेक्स की प्यासी हैं। चाचा से उनको वह सुख नहीं मिलता है और मैं बस इसी बारे में सोचता था कि चाची को कैसे पटाया जाए और इनके साथ सम्भोग किया जाए।
कहते हैं कि भगवान् सबकी सुनते हैं और वह दिन भी आ गया। मेरी परीक्षाओं के दिन थे, दोपहर में घर में मैं अकेला पढ़ाई कर रहा था कि चाची अपने मायके से आई और अपने कमरे में जाने लगीं, उसी समय मेरी उन पर नजर गई और मैंने देखा कि वह एक खूबसूरत डार्क-मरून रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज में बहुत ही सेक्सी लग रही थीं।
उस पर भी मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ कि उन्होंने मुझे इशारा किया कि मेरे कमरे में आओ।
मुझे तो लगा जैसे मेरी मन की इच्छा पूरी होने का समय आ गया हो।
मैं पीछे-पीछे उनके कमरे में गया तो उन्होंने पूछा- मैं कैसी लग रही हूँ?
मैंने मौका नहीं गंवाते हुए पहले तो उन्हें पूरा ऊपर से नीचे तक देखा और धीरे से बोला- बहुत ही खूबसूरत लग रही हो, मगर आपकी लिपिस्टिक थोड़ी बिगड़ गई है, इजाजत दो तो ठीक कर दूँ?
शायद उनके मन में भी कुछ हो रहा था, तभी तो उन्होंने मुझे कमरे में बुलाया था। और मेरे इतना कहने पर उन्होंने भी ‘हाँ’ कर दी। मैंने लिपिस्टिक ली, उन्हें अलमारी से टिकाया और कुछ इस तरह से उनके होंठों पर लिपिस्टिक लगाने लगा कि मेरी कोहनी उनकी चूची को छूने लगी।
उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई और मैंने देखा कि उनकी आँखें भी धीरे-धीरे बंद होने लगीं।
मैं फिर आगे बढ़ गया और अपनी कोहनी से उनके उभारों को दबाने लगा। उनकी आँखें पूरी तरह से बंद हो गई थीं और नाक से गहरी साँसें चलने लगी थीं।
मैंने धीरे से उनके कान के पास अपना मुँह ले जाकर कहा- काकी मन हो रहा है, क्या आपको किस कर लूँ?
उन्होंने कुछ भी जवाब नहीं दिया, बस आँखें बंद ही रही और अपने होंठ चुम्बन की मुद्रा में घुमा लिए।
मेरे लिए तो मानो जन्नत का दरवाजा खुल गया। मैंने धीरे से अपने गर्म होंठ उनके होंठों पर लगा दिए और मुझे लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।
उनके होंठ बहुत गर्म थे और उन्होंने मुझे जोर से भींच लिया। अब उनके मध्यम आकार के चूचे भी मेरे सीने में दबने लगे थे और उन पर निकली हुई छोटी-छोटी किशमिशें भी सीने में गड़ने लगी थीं। चुम्बन करते-करते मैंने अब ब्लाउज के ऊपर से ही उनके उभारों पर भी हाथ फिराना शुरू कर दिया था। इस दौरान मुझे उनका पूरा सहयोग मिल रहा था।
मैं समझ गया कि अब आग पूरी तरह से लग चुकी है, मौका छोड़ना नहीं चाहिए। एक हाथ से चूचे दबाते हुए मैंने अपना दूसरा हाथ नीचे ले जाकर पेटीकोट और साड़ी को ऊपर उठाते हुए सीधे चड्डी के अन्दर चूतड़ पर रख दिया। वह एकदम से तड़प उठीं और मुझसे बुरी तरह चिपक गईं।
फिर धीरे से उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड पर रखा और उसे सहलाने लगीं।
थोड़ी देर तक हम इसी तरह एक दूसरे को उत्तेजित करते रहे और फिर मैंने उनकी साड़ी को खोलना शुरू किया। मानो वह तो इसका इन्तजार ही कर रही थीं।
उन्होंने पूरा सहयोग करते हुए अपनी साड़ी को गोल-गोल घूम कर उतराया। अब वह मेरे सामने पेटीकोट और ब्लाउज में ही थीं।
गोरा बदन, मरून रंग का ब्लाउज एवं पेटीकोट और उस पर समर्पण को तैयार हुस्न की मलिका, मैं अपने काबू में नहीं रहा और उन पर बुरी तरह टूट पड़ा।
उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर बेतहाशा चूमने लगा। हर अंग को चूमा, दबाया, वो भी पूरा साथ दे रही थीं। फिर मैंने धीरे से उनका पेटीकोट खोल दिया और लिटाए-लिटाए ही नीचे खींच दिया, अब वह मेरे सामने अपनी पैन्टी एवं ब्लाउज में बिस्तर पर पड़ी थीं।
मैंने भी एक काम किया कि अपनी शर्ट एवं बनियान उतार दी और फिर से उनके ऊपर चढ़ गया, और धीरे-धीरे ब्लाउज के हुक खोलने लगा। कुछ ही देर में सभी हुक खोलने के बाद मैंने उन्हें उल्टा किया और हाथों को पीछे करके ब्लाउज भी निकाल दिया।
मैं दंग रह गया, उनकी काले रंग की ब्रा को देख कर ऐसा लग रहा था मानो आज उन्होंने मुझसे चुदने का प्लान ही बना रखा था।
नीचे काली चड्डी ऊपर काली ब्रा और बाक़ी गोरा बदन पलंग पर चादर भी काली थी, सब कुछ बहुत ही सेक्सी था।
अब मैंने अपनी पैन्ट भी निकाल दी और मैं भी काले अंडरवियर में था। मैंने धीरे से उन्हें सीधा किया। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं।
‘क्या हुस्न दिखाई दे रहा था!’
मध्यम आकार के संतरों को छुपाए हुए काली ब्रा, बिना बालों की चूत को छिपाए हुए काली चड्डी, सेक्सी होंठ, बाल खुले हुए, जैसे मुझे निमंत्रण दे रहे हों कि ‘आओ, हमारा स्वाद चखो, हमारा भोग करो।’
चूचे कह रहे थे- हमें दबाओ और मसलो।
होंठ कह रहे थे- हमें चूमो !
चूत कह रही थी- चोद डालो, मुझे फाड़ दो आज।
और काकी उस हुस्न की मलिका, आँखें बंद किए निमंत्रण दे रही थीं। मैं एक बार फिर उनके ऊपर चढ़ गया। अंग-प्रत्यंग को चूमा, दबाया और धीरे से अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोल कर दोनों तनियों को अलग-अलग कर दिया और कन्धों पर से ब्रा के स्ट्रेप हटा दिए।
मेरे सामने आ गए दो मस्त मीडियम साइज़ के संतरे, जिन्हें देखने के लिए महसूस करने के लिए दबाने के लिए मैं कई दिनों से तड़प रहा था।
फिर क्या था मैं उन दोनों के साथ जी भर कर खेला, कभी दबाता था, कभी निप्पल चूसता था, कभी पूरा बोबा ही मुँह में भरने की कोशिश करता था, कभी दोनों निप्पलों को एक साथ मुँह में चूसने की कोशिश करता था।
मेरे हर प्रयास का चाची भी पूरा साथ दे कर पूरे मजे ले रही थीं। वह नीचे से चूत को उछाल-उछाल कर बार-बार मेरी चड्डी में मौजूद मेरे खड़े लण्ड से टकरा कर मानो कह रही हों, क्या ऊपर वालों से ही खेलोगे या इस बेचारी नीचे वाली की भी खबर लोगे।
मैंने कामसूत्र के अनुसार चाची के हर अंग को चूमा और विशेष रूप से जब गर्दन की नस को चूमा तो वह बुरी तरह तड़प उठीं और मुझे बहुत ही जोर से भींच कर कहने लगीं- अब नहीं रहा जा रहा है।’
उन्होंने मेरी चड्डी के अन्दर हाथ डाल कर मेरे लंड से खेलने लगीं। मैं भी अब चुदाई करने के मन में आ गया था और धीरे से उनके ऊपर से उठा और नीचे खिसक कर उनकी चड्डी को खिसकाते हुए धीरे-धीरे निकाल दिया।
मुझे दर्शन हुए उस स्थान के, जिसकी चाहत में हर मर्द तड़पता रहता है। जहाँ आकर हर इन्सान दुनिया के सब दुःख भूल जाता है। केवल यह याद रखता है कि कैसे इस गुफा के अंदर के आनंद को महसूस करूँ, जिसके स्पर्श मात्र से औरत तड़प उठती है और मर्द मचल जाता है।
‘हाँ’ मैं चूत की बात कर रहा हूँ। मैं आगे बढ़ता, इसके पहले चाची ने मुझे रोक दिया।
उन्होंने मुझे खड़ा कर के खुद पलंग के कोने पर बैठे-बैठे ही मेरी चड्डी उतारी और मेरे उस ‘सामान’ को देखने लगीं, जो उन्हें वह सुख देने वाला था जिसकी वो बहुत समय से कामना कर रही थीं।
उन्होंने ‘उसे’ धीरे से हाथ में लिया उसे सहलाया मुँह तक ले गईं फिर धीरे से गालों पर रगडा, उभारों के पास ले गईं, बगल में दबाया।
इस तरह उन्होंने अपनी चूत को संतुष्ट करने वाले साधन को अपने पूरे शरीर से मिलवाया, ताकि वह उस सेक्सी बदन से परिचित हो जाए। फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गईं।
ऐसा लगा कि अब उनकी बारी आ गई है, और वाकयी उन्होंने वह सब किया जो अब तक मैं कर रहा था।
अपने उभारों को मेरे पूरे बदन पर रगड़ा, चूत को मेरे शरीर के हर भाग के दर्शन कराए, ऊपर लेट कर उन्होंने मुझे किस किया।
फिर धीरे से चूत को लंड के पास ले गईं और मेरे कान में बोलीं- चुदाई मैं करुँगी।
मैं समझा नहीं कि अचानक उन्होंने अपनी बिना बाल की चिकनी चूत को लंड के ऊपर लाकर एक झटका दिया और आधा लंड स्वर्ग की यात्रा को चला।
‘फक्क़’ से घुस गया चूत के अंदर।
अब उन्होंने उसी स्थिति में धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू किए। लंड आधा बाहर और आधा अन्दर था। दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
चाची तो बस आँखें बंद करके झटके पे झटके लगाए जा रही थीं कि अचानक उन्होंने एक जोर का झटका लगाया और मेरा लंड पूरा अन्दर घुस गया और चाची भी मुझसे पूरी चिपक गईं।
वे कुछ कर नहीं रही थीं, बस लंड को अन्दर घुसा कर मानो चाह रही हों कि यह हमेशा अन्दर ही पड़ा रहे।
मगर एक बार संगम होने के बाद क्या लंड और चूत मानते हैं? कभी नहीं, बस दोनों ने हिलना शुरू कर दिया और चुदाई शुरू हो गई।
दोनों ही चुदाई का भरपूर मजा ले रहे थे। मैंने महसूस किया कि चाची शायद चरम को पाने वाली हैं तो मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से समझाया और फिर नीचे लिटाकर, खेल शुरू किया।
अब की बार यह खेल दोनों के चरम पर पहुँचाने के बाद ही रुका और दोनों ही डिस्चार्ज होने के बाद एक-दूसरे की बांहों में चिपक कर सो गए।
काफी देर बाद जब नींद खुली तो मैंने पाया कि चाची तो कपडे पहन कर तैयार हो गई हैं और मेरे पास बैठ कर प्यार से मेरी तरफ देख रही हैं।
मैंने उनकी आँखों में कृतज्ञता की भावना पाई मानो कह रही हों, आज तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी।
उन्होंने बड़े प्यार से मुझे चूमते हुए उठाया तो मैंने देखा कि मेरे लंड पर खून की कुछ बूँदें हैं, शायद मेरे पहले सम्भोग की वजह से यह देख कर चाची भी बहुत खुश हुईं कि यह मेरा पहला सम्भोग है।
मैंने कपड़े पहने और क्योंकि परिवार का मामला था, कोई भी कभी भी आ सकता था इसलिए जल्दी ही उनसे एक बार फिर चिपक कर, उनको चूम कर उनके कमरे से चला गया।
इसके बाद तो चाची अपने मन की करने लगीं। जब भी उनको मौका मिलता, हम दोनों अपनी प्यास बुझा लेते।
हर बार अलग तरह से, उनको नई-नई सेक्सी पोशाक पहना कर चोदा। अब तो उनके लड़के की भी शादी हो गई है और हमने भी चुदाई करना छोड़ दिया है।
मगर मैंने नहीं छोड़ा, मेरे बहुत से अनुभव हैं, जो अगली बार मैं आपके साथ शेयर करूँगा। 3801
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