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वो मेरे सीने पे सर रख मेरे ऊपर ही ढेर हो गई। हम दोनों ने इतने जोर से चुदाई की थी कि शरीर ढीला पड़ गया था। आधी रात भी हो गई थी। हमें बात करते-करते कब नींद आई, पता ही नहीं चला।
मेरी रात को आँख खुली तो देखा कि जिया दूसरी तरफ मुँह करके सो रही थी। हम दोनी नंगे ही सो रहे थे। मैं उसके बदन पर हाथ फेरने लगा और उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा। उसकी भी नींद खुल गई थी, उसने मुझे बाँहों में ले कर अपने सीने से लगा लिया और बोली- जान, सोने दो ना बहुत अच्छी नींद आई हुई है आपके साथ और वो भी बिना कपड़ों के। मैंने कहा- जानेमन, सोते तो हर रोज ही हैं। आज की रात तो क़यामत की रात है, पूरी रात चुदाई का संग्राम होगा। वो मुस्कुरा कर बोली- अच्छा !?! मैंने ‘हाँ’ कहा और उसके बदन को चूमने लगा। मेरे चूमते ही वो भी गर्म होने लगी। मुझे बोली- यार, तुम तो 2 मिनट में मदहोश कर देते हो। एक अजब सा नशा छा जाता है तुम्हारे चूमते ही।
इतना सुन कर मैं भी उसे अच्छी तरह चूमने लगा। बस दोनों एक-दूसरे को चूमते जा रहे थे। मदहोशी का आलम दोनों के सर चढ़ कर बोल रहा था। आधी रात को दो नंगे जिस्म एक साथ जब होते हैं तो आप खुद ही अंदाजा लगा लो कि कितनी जबर्दस्त चुदाई होती है। हम दोनों का भी आलम वही था, मैंने उसकी दोनों चूचियाँ हाथों में ले कर इस तरह से मसली कि उसकी ‘आह’ निकल गई। जिया बोली- आराम से दबाओ यार, मेरे रस भरे आमों को उखाड़ोगे क्या? मैंने कहा- नहीं, बस इनका सारा रस कर पीऊँगा।
मैं इतना कह कर चूचियों का रसपान करने लगा और वो भी मेरी गर्दन पर चूमने लगी, दोनों पर ऐसा नशा छाया हुआ था, जैसे कि कई पैग लगा रखे हों।
मैंने अब थोड़ा नीचे सरकना शुरु किया और उसके जिस्म को काटने लगा। वो तो पागलों की तरह आहें भर रही थी। जैसे ही मैंने उसकी चूत पर चूमा वो तो जोर-जोर से सीई… ईईई… सीईईईई… की आवाजें करने लगी।
मैं उसकी चूत उंगलियों से खोल कर अंदर तक चाट रहा था। उसे इतना मजा आ रहा था कि उसने अपनी पूरी टाँगें खोल कर मेरे सर पर हाथ रखा और मेरा मुँह अपनी चूत पर जोर से दबा दिया। मैं भी उसकी चूत को खा जाने पर तुला हुआ था।
वो बुरी तरह आहें भर रही थी और पिछाड़ी उठा-उठा कर चूत चटवा रही थी। थोड़ी देर बाद वो बोली- जान अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा, अब तो मुझे चोद कर मेरी प्यास बुझा दो।
मैं भी जोश में ही था, उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख ली और कमर पकड़ कर एक जोर का शॉट लगाया। उसकी दबी हुई चीख निकली। मैंने देर न करते हुए उसके उसके होंठो पर होंठ रखे और उन्हें चूसने लगा।
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद वो नार्मल हो गई। आधा लंड चूत में पहले ही उतर चुका था। मैंने उसकी गर्दन पकड़ कर एक खतरनाक शॉट और लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फिट हो चुका था।
मैंने उसको चोदने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई, बिल्कुल आराम-आराम से लौड़े को अंदर बाहर कर रहा था। वो भी अब तो कमर उठा कर झटके मारने लगी। मेरे साथ ही ताल में ताल मिला रही थी, दोनों एक-दूसरे को ऐसे कस कर पकड़ के चोद रहे थे जैसे फिर कभी मौका ही नहीं मिलेगा। इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि मैं शब्दो में भी बयान नहीं कर सकता। हम दोनों में जैसे कोई होड़ लगी हो कि कौन ज्यादा झटके लगाएगा।
हम दोनों पागल ही हुए जा रहे थे और सर्दी में भी हमें पसीने आ गए, दमादम मस्त चुदाई का कार्यक्रम चालू था।
काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा और अब वो घड़ी आ गई थी जब एक-दूसरे का रस भी आपस में मिल कर एक हो जाने को तैयार थे।
उसने मेरे कूल्हों को पकड़ लिया था और मैं जैसे ही झटका लगाता, वो मेरे कूल्हे पकड़ कर अपनी ओर खींच रही थी। उसकी इस हरकत ने तो मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया।
अब मेरा रुक पाना मुश्किल था, मैंने भी जोर के झटके लगाने चालू कर दिए और उसने भी और हम झड़ गए। मैं उसके ऊपर ही लेट गया। हम दोनों की साँसें इतनी तेज़ तेज़ चल रही थीं जैसे कि कोई एक्सप्रेस ट्रेन।
कुछ देर तक माहौल बिल्कुल शांत रहा, जैसे वहाँ कोई हो ही ना। वो मदहोशी का आलम ही कुछ और था, मैं उसके ऊपर बेसुध सा पड़ा था और वो भी मुझे बाँहों में कसे हुए ऐसे लेटी थी जैसे उसके अंदर भी प्राण ना हों। हम दोनों सर्दी में भी बिना रजाई के ऐसे पड़े थे, जैसे उसकी जरूरत ही ना हो।
कुछ देर बाद हम दोनों अब थोड़े नार्मल हुए और बात करने लगे। मैंने जिया को कहा- जान, यह रात कभी भी लौट कर नहीं आएगी।
मैंने रात को उसको घोड़ी बना कर भी चोदा। उस रात हमने कुल मिला कर 5 बार चुदाई की। वो रात और उसका साथ मैं कभी भी नहीं भूल सकता।
सुबह हम 5:30 बजे उठ कर फ्रेश हुए। उसने जब आईने में अपने नंगे जिस्म को देखा तो बोली- शुभ, यह क्या किया तुमने? मेरे जिस्म पर इतने सारे निशान बना दिए, किसी ने देख लिए तो क्या होगा? मैं बोला- जान, यह प्यार की निशानी है। जब भी तुम इनको देखोगी, तुम्हें मेरा प्यार और आज की रात याद आएगी।
उसके बाद मैं उसे उसके कमरे पर छोड़ने चला गया और जैसे ही अपने कमरे में वापिस आया तो मेरा मन ब्लू-फिल्म देखने का हो गया। मेरा लंड तो फिर से खड़ा हो गया और मैंने मुठ मार कर पानी निकाला। तब जा करके मुझे शान्ति मिली और मैं सो गया क्योंकि पूरी रात मेहनत जो की थी।
दोस्तो, वो रात चुदाई की रात थी उन 10-12 घंटों में मैं 6 बार झड़ चुका था। इतना स्खलन मैंने आज तक नहीं किया था।
अब बताओ दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी और यह भी बताना कि मेरी कहानी पढ़ कर किस-किस ने कितनी बार मुठ मारी और किस किसने अपनी चूत में उंगली डाल कर अपनी प्यास बुझाई। [email protected] 3839
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