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दोस्तो, मेरा नाम श्वेत पटेल है। मैं बड़ौदा से हूँ।
इस कहानी में मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना ने मुझे क्या से क्या बना दिया यह मैं आपको बताना चाहता हूँ। तो आइये बिना देर किए मैं अपनी दिलचस्प कहानी शुरू करता हूँ।
बात उस वक्त की है। जब मैं कॉलेज के आखिरा साल में था। 12वीं ख़त्म होते ही मैंने जिम शुरू कर दिया था। 2-3 साल में बॉडी काफी अच्छी बना ली थी।
औरतों को आकर्षित करने के लिए यह पहला कदम है। बड़ौदा में एक बार फन-पार्क लगा हुआ था। मैं और मेरे दोस्त मेले का मजा लूट रहे थे। तो दोस्तो, ज़ाहिर सी बात है कि 20-22 साल के कुवांरे लड़कों की नज़र लड़कियों या भाभियों पर ही होगी।
तभी मेरी नज़र एक भाभी पर पड़ी।
“क्या लग रही थी यार वोह !”
बड़े-बड़े स्तन, मानो ज़बरदस्ती ब्लाउज में कैद हों, उभरे हुए चूतड़, रूप-रंग और व्यक्तित्व तो ऐसा जैसे हो 20-22 साल की लड़की हो। उस वक़्त उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी।
मेरे दोस्त कुछ खरीदने में लगे थे। मैं उस भाभी को घूरे जा रहा था, तभी उसकी नज़र भी मुझसे टकराई। हम दोनों काफी देर तक एक-दूसरे को देखते रहे।
उसके पास में एक करीब 33-35 साल का आदमी खड़ा था। मैंने अनुमान लगाया कि वो उसका पति ही होगा। लेकिन उस आदमी के कद और दुबले-पतले शरीर को देखकर मुझे ख्याल आया कि यह क्या अपनी बीवी को संतुष्ट कर पाता होगा?
शायद मैं गलत भी हो सकता था। पर मैंने सोचा चलो कुछ मेहनत करते हैं, जो नसीब में होगा वो देखा जायेगा।
आखिर में तो मेहनत करने वाले को ही फल मिलता है ना !
मेले में पास में ही एक ‘मौत के कुआं’ का शो चल रहा था। वो दोनों शो देखने की लाइन में खड़े हो गए।
तब मुझे ख्याल आया कि चलो अच्छा मौका है। मैं अपने दोस्तों से बहाना बना कर वहाँ से निकल गया और घूमकर आकर उसी शो की टिकट की लाइन में खड़ा हो गया।
ऊपर जाकर मैंने उन दोनों को ढूंढ़ लिया। उस वक़्त वहाँ पर काफी भीड़ थी। मैं सीधे ही उस भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया, धीरे-धीरे मैंने दबाव बनाया, मेरा लौड़ा तो पहले से ही भाभी के बड़े-बड़े कूल्हों के बीच जाने को बेकरार था।
सब लोगों का ध्यान शो में था। तभी वो भाभी पीछे मुड़ी और मुझे देखते ही उसने हल्की सी मुस्कान दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसका पति जो उसके साथ था, उसका भी पूरा ध्यान शो में था। अब मेरा आत्मविश्वास और भी बढ़ गया। मैंने धीरे से मेरा हाथ उस भाभी के कमर पर रखा।
उस वक़्त मैं बहुत ही उत्तेजित हो चुका था। शायद भाभी को भी मजा आ रहा था। मैंने हिम्मत करके भाभी के एक स्तन को हल्के से दबा दिया।
इस बार वो फिर से मेरी ओर मुड़ी। मैंने फिर वही मुस्कान उसके चेहरे पर देखी। पूरे शो में मैंने अपना काम जारी रखा।
शो के ख़त्म होते ही सब लोग जल्दी-जल्दी वहाँ से निकलने की कोशिश करने लगे। उसी बीच उसका पति उससे थोड़ा आगे निकल गया।
अब कतार में उसके पति के पीछे दो औरतें थीं। उनके पीछे यह भाभी और उसके पीछे में था, यह बात उसको मालूम थी।
मुझे लगा कि सही मौका है, मैंने भाभी से उनका नाम पूछा, तो बिना झिझक के ही उसने अपना नाम रीटा बताया।
फिर मैं- आपका सैल नंबर क्या है?
रीटा- क्यों?
मैं- बस ऐसे ही आपसे दोस्ती करने के लिए।
उसने मुझे नम्बर देते हुए कहा कि कल 10 बजे ही कॉल करना।
इस वक़्त अगर मेरी जगह कोई भी होता तो उसे भी अपने नसीब पर यकीन नहीं होता।
वहाँ से निकलकर मैं सीधा घर पहुँचा। पूरी रात में रीटा के बारे में सोचता रहा। हालाँकि मुझे भी अंदाज़ा तो लग गया था कि वो मुझसे क्या चाहती है? मैंने तय कर लिया था कि सही मौका पाते ही मैं पीछे नहीं हटूंगा।
सुबह के ठीक 10 बजे मैंने रीटा को कॉल किया। थोड़ी इधर-उधर की बातें करके उसने मुझे 1 बजे उसके फ्लैट पर मिलने को कहा।
मैंने ‘हाँ’ कर दी में सब कुछ सोच-समझकर ही आगे बढ़ रहा था। ठीक 1 बजे में उसके बताये पते पर पहुँचा।
मैंने दरवाजे पर जाकर घंटी बजाई, दरवाजा खुलते ही मेरे सामने एक सुन्दर और सेक्सी औरत लाल साड़ी में खड़ी थी।
उसने मुझे अन्दर आने को कहा। मुझे बैठने को कह कर वो पानी लाने चली गई। मैं पूरे फ्लैट को अच्छी तरह से देख रहा था। फ्लैट को देखते ही में समझ गया कि रीटा एक उच्च-वर्गीय धनाढ्य औरत है।
रीटा पानी लेकर आई और हमारे बीच बातचीत कुछ यूँ शुरू हुई।
रीटा- तो तुम क्या पढ़ाई करते हो?
मुझे पता था कि उसके सवालों के जवाब कैसे देना है और बिना देर किये सीधे पॉइंट पर ही आना है।
मैं- जी मैं पढ़ता नहीं बल्कि पढ़ाता हूँ, सभी उम्र की औरतें जो मुझसे पढ़ने में उत्सुक हों।
रीटा- क्या?
मैं- जी मैं कॉलेज के अंतिम वर्ष में हूँ। मेरे पहले जवाब से ही वो समझ गई थी कि मैं भी तेज़ हूँ और मैं क्या चाहता हूँ।
रीटा ने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि वो और उसका पति महाराष्ट्र से हैं। उसके पति की अंकलेश्वर में केमीकल फैक्ट्री है। उसका एक 6 साल का बच्चा भी है। वो उसके मामा के यहाँ मुंबई में रहकर पढ़ रहा है।
उसने बताया कि सुबह के 9 बजे से रात के 8 बजे तक फ्लैट पर वो अकेली ही होती है।
करीब आधे घंटे तक हम बातें करते रहे। बातें करते समय मैं रीटा से नज़रें हटाकर उसके उभरे हुए स्तनों पर देख लिया करता था। उसे भी मेरी हरकतों का पता था।
बीच-बीच में मैंने रीटा को काफी हँसाया अब वो मुझसे इस तरह से बातें कर रही थी, जैसे वो मुझको बरसों से जानती हो।
मेरे दिमाग में चुदाई की कहानियाँ चलने लगी थीं। मुझे लगा कि शुरुआत तो मुझे ही करनी है, क्योंकि आखिर मैं एक मर्द जो हूँ।
अब रीटा मेरे लिए चाय बनाने के लिए रसोई में गई। वहाँ से वो छुप-छुप कर मुझे देख लिया करती थी। किचन में से रीटा की बड़ी सी पिछाड़ी साफ़ दिखाई दे रही थी।
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं उठा और सीधे रसोई की ओर बढ़ने लगा। जाते ही मैंने रीटा को पीछे से पकड़ लिया। उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया, शायद वो पहले से ही तैयार थी।
मेरा 8 इंच का लंड रीटा के बड़े-बड़े कूल्हों के बीच फँस चुका था। रीटा बिना हिले-डुले ऐसे ही खड़ी रही।
फिर रीटा ने कहा- जो काम तुम मेले में पूरा नहीं कर पाए, उसे यहाँ पूरा कर लो।
मैं- तो चलो, तुम्हें ठीक से चलने के लायक भी नहीं छोड़ूँगा।
रीटा- यहीं तो मैं चाहती हूँ। आज तक ठीक से चल कर भी क्या मिला है?
रीटा की बात सुनकर अब मैंने रीटा के गले और पीठ पर चूमना शुरू कर दिया था। रीटा के मुँह से अब सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
मैंने पीछे रहकर ही एक हाथ से रीटा की साड़ी निकल दी और दूसरा हाथ उसके स्तनों पर था।
अब एक हाथ से मैंने गैस बंद की और दूसरा उसके पेटीकोट में डालकर उसकी चूत को सहलाने लगा।
दोस्तों यह अवस्था किसी भी औरत को उत्तेजित करने के लिए काफी जरुरी और उपयोगी है।
फिर रीटा बोली- चलो बेडरूम में चलते हैं।
मैं अभी भी उसके पीछे ही था।
मैं- नहीं, आज तुम दो नए अनुभव पाओगी। एक कि तुम यहाँ खड़े-खड़े ही चुदोगी और जिस लौड़े से चुदोगी, उसे चुदने के बाद ही देख पाओगी, बोलो मंज़ूर है?
रीटा- हाँ-हाँ मंज़ूर है, तुम जैसा चाहो वैसा कर लो पर जल्दी से करो। कहीं इसी तड़प में मर ना जाऊँ।
रीटा के इतना कहते ही मैंने उसका पेटीकोट को खींच दिया और पैन्टी को भी एक ही झटके में निकाल दिया।
मैंने रीटा को थोड़ा झुकाकर बिना देर किये अपना तैयार लौड़ा उसकी चूत की दरार में रख कर थोड़ा घिसा।
मैंने औरतों को गरम करने का तरीका ब्लू फिल्मों के जरिये सीख लिया था, रीटा काफी उत्तेजित हो चुकी थी।
अब मैंने एक हाथ से रीटा के मुँह को दबाये रखा और एक ही झटके पूरे का पूरा लौड़ा चूत में डाल दिया।
रीटा, “आ आ… इ इ इ… मर… गई… प्लीज़ जरा धीरे से करो अभी मुझे जीना है।”
मुझे पता था कि औरतों को जितना दर्द होता हैं मज़ा उससे दुगना आता है। इसलिए मैं बिना रीटा की बात सुने उसे फटाफट ऐसे चोद रहा था जिससे कोई ब्लू-फिल्म का पोर्न-स्टार चोद रहा हो।
मेरा एक हाथ रीटा के स्तनों को दबा रहा था। मैं जितना हो सके उतना रीटा को पूरी ताक़त से चोद रहा था क्योंकि मुझे पता था कि
‘first impression is the last impression.’
रीटा- तुम गुजराती भी किसी से कम नहीं हो यार !
करीब 25 मिनट तक चोदने के बाद मैंने उसको छोड़ा। यह मेरी ताक़त का नमूना था।
मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम में गया। मेरे वापस आया, तब तक रीटा ने साड़ी पहन ली थी। तभी उसने मुझे एक कवर दिया।
मैंने पूछा- क्या है इसमें?
रीटा- जो भी है, मेरी तरफ से गिफ्ट है।
मैं समझ गया था कि उस कवर में क्या है और रीटा मुझे क्या समझने लगी है।
मैंने मना करते हुए कहा- नहीं, मैं यह सब नहीं ले सकता। जैसा तुम सोच रही हो, मैं वैसा नहीं हूँ और ना ही मैंने ये सब पैसों के लिए किया है।
रीटा- मैं जानती हूँ, पर मैं तुम्हें यह एक दोस्त समझ कर दे रही हूँ और दोस्ती में तो गिफ्ट लेना-देना कोई बुरी बात नहीं है।
मेरे लाख मना करने पर भी वो नहीं मानी। जाते समय उसने मुझे होंठों पर चूमा और कहा- जब भी मैं बुलाऊँ तो तुम आओगे ना?
मैं- हाँ, क्यों नहीं।
मैंने जाते समय रीटा के चेहरे पर एक मधुर सी मुस्कान देखी। उसी मुस्कान को सोचता हुआ में वहाँ से अपनी घर की ओर निकल पड़ा।
उस के बाद कई बार रीटा मुझे नई-नई जगह पर बुलाती। जब भी वो मुझे बुलाती मैं रीटा की वो प्यारी सी मुस्कान को याद करके उसको मिलने पहुँच जाता।
उसके बाद रीटा ने उसकी सहेलियों से भी मेरी दोस्ती करवाई और मैं आगे बढ़ता ही चला गया।
रीटा की घटना ने आज मुझे क्या से क्या बना दिया। हालाँकि मैं भी यह सब अपनी मर्जी से करता हूँ। रीटा जैसी कई औरतें मुझसे ख़ुशी पाती हैं। आज मैं औरतों को खुश करना और जाते समय उनके चेहरे पर वो मधुर मुस्कान लाना सीख चुका हूँ।
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