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लेखिका : कविता लालवानी सहयोगी : टी पी एल मेरे अन्तर्वासना के मित्रो, आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार !
मैं कविता हूँ, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ, उम्र 23 वर्ष है ! मेरा रंग गोरा है, नैन-नक्श बहुत तीखे और सुन्दर हैं, जिस्म भी अति आकर्षक है ! मेरा कद पांच फुट छह इंच और वज़न 51 किलोग्राम है तथा मेरे छुईमुई शरीर के पैमाने 34-25-34 है !
मेरे माता और पिता के स्वर्ग सिधारने बाद मैं पिछले 5 साल से अपनी सबसे बड़ी बहन, जीजाजी और उनके इकलौते बेटे नितिन के साथ उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर में रहती हूँ। मैंने बी एस सी पास करने के बाद अब एम एस सी कर चुकी हूँ तथा यहाँ की एक कंपनी में नौकरी कर रही हूँ।
जीजाजी बैंक में एक बड़े अफसर हैं और दीदी एक उच्चतर माध्मिक स्कूल में टीचर हैं, उनका बेटा नितिन 18 साल का है और +2 पास करने के बाद इस वर्ष कॉलेज में प्रवेश ले रहा है।
दीदी का घर बहुत ही बड़ा है, उसमें हर एक को अलग अलग कमरा मिला हुआ है, हर कमरे के साथ एक बाथरूम भी जुड़ा हुआ है।
मैं अपने कमरे में ज्यादातर अर्धनग्न ही रहती हूँ, जीजाजी के जाने के बाद मैं अक्सर एक छोटी सी निकर और एक लो नेक की बनियान बिना ब्रा और पैंटी के ही पहनती हूँ जिससे मेरी लंबी टाँगें और मेरे चूचियों के दर्शन सबको आराम से हो सकते हैं।
मैंने अपना छोटा सा परिचय तो आप सबको दे दिया, अब मैं आपको उस घटना के बारे में बताना चाहूँगी जिससे मेरे जीवन में बदलाव आया और मुझे बेशर्म बना दिया !
पहले मैं अपने जिस्म की नुमाइश नहीं होने देती थी और हमेशा सलवार कमीज ही पहने रहती थी लेकिन उस घटना के घटित होने के बाद मेरे पहनावे में बदलाव आ गया और मैं घर में जिस्म की नुमाइश करने लगी !
जीजाजी के सामने तो मैं अपने जिस्म को ढक कर ही रखती हूँ और ढंग के कपड़े ही पहनती हूँ पर दीदी और नितिन के सामने नेकर बनियान में ही घूमती रहती हूँ, कभी कभी तो उनके सामने ही टॉपलेस हो कर अपने कपड़े भी बदल लेती हूँ ! दीदी बहुत टोकती है पर मैं उनकी परवाह ही नहीं करती हूँ।
मेरे साथ वह घटना आज से दो माह पहले हुई थी, उस समय मुझे टाईफाइड हुआ था जिसके कारण मैं बहुत कमजोर हो गई थी, कहीं वह पीलिया न बन जाए इसलिए डाक्टर ने मुझे हिलने डुलने को मना कर दिया था और बिस्तर पर ही आराम करने को कहा। उन्होंने कुछ दिनों के लिए नहाने धोने को भी मना किया और दीदी से मेरे जिस्म को सिर्फ गीले कपड़े से पोंछने (स्पंज करने) के लिए ही कहा। बाथरूम जाने की इजाजत तो दी लेकिन वह भी किसी का सहारा ले कर जाना पड़ता था। ज्यादातर तो दीदी ही यह सब करती थी लेकिन कभी कभी नितिन भी मुझे बाथरूम ले जाता था। वह हमेशा मुझे बाथरूम के अंदर छोड़ कर बाहर जाकर खड़ा हो जाता था और जब मैं आवाज देती थी तो वह वापिस मुझे बिस्तर तक छोड़ देता था।
एक सप्ताह के बाद मेरा बुखार तो उतर गया था लेकिन ज्यादा कमजोरी के कारण डाक्टर ने अगले दो सप्ताह के लिए भी वैसा ही आराम करने को कह दिया था। दीदी की जिद पर और जीजाजी की आज्ञा के कारण मैं सारा दिन बिस्तर पर ही लेटी रहती थी और जब जरूरत पड़ती थी तब दीदी को या नितिन को आवाज़ लगा देती थी।
इस तरह आराम करते मुझे अभी पांच दिन ही बीते थे कि गाँव से जीजाजी के पिताजी का निधन होने का समाचार मिलने के कारण जीजाजी और दीदी को तुरन्त वहाँ जाना पड़ा। जाने से पहले दीदी ने सीमा (कामवाली बाई) को घर के सब काम के साथ साथ मेरा स्पंज करने और खाना बनाने का निर्देश भी दे दिया था इसलिए वह दिन में हमारे घर पर ही रहती थी और शाम का खाना बना कर अपने घर चली जाती थी, देर शाम तथा रात में बाथरूम जाने के लिए मुझे नितिन पर ही निर्भर रहना पड़ता था।
दीदी के जाने के तीसरे दिन सुबह जब सीमा ने मेरे कपड़े उतार कर मेरे बदन को स्पंज कर रही थी तब मैंने देखा कि नितिन छुप कर खिड़की के काँच में से झांक कर मुझे देख रहा था। मुझे उसकी उस हरकत पर बहुत गुस्सा आया लेकिन मैं उस समय चुप ही रही और जैसे ही सीमा वहाँ से चली गई तब मैंने नितिन को बुला कर उसको बहुत डांटा। मेरी डांट सुन कर तो वह खिलखिला कर हंसने लगा और जब मैंने उससे हँसने का कारण पूछा तो वह कहने लगा कि यह नज़ारा तो वह रोज देखता है क्योंकि जब भी दीदी मेरा स्पंज करती थी तब भी वह इसी तरह छुप कर खिड़की से झाँक कर यह नज़ारा देखता रहता था।
मेरे पूछने पर कि उसे यह सब देखने से क्या मिलता है, तो उसने कहा कि उसे मेरे गोरे रंग का जिस्म, मेरे उभरे हुए गोल गोल चूचियों तथा उनके ऊपर काले चुचूक और नीचे चूत के उपर के गहरे भूरे रंगे के बाल देखने में बहुत अच्छे लगते हैं ! उसके यह कहने पर की, उसके मन में उन्हें छूने कि इच्छा भी करती है, को सुन कर मैं दंग रह गई और उसे एक बार फिर से डांट कर वहाँ से भगा दिया।
अगले तीन दिन भी सब कार्य उसी प्रकार चलता रहा लेकिन चौथे दिन सुबह सीमा ने सन्देश भेज दिया कि वह देर से दोपहर तक ही आयेगी। सीमा के सन्देश को सुन कर मैं परेशान हो गई क्योंकि रात में मुझे बहुत पसीना आने के कारण मेरे जिस्म में खुजली हो रही थी! जब मुझसे खुजली बर्दाश्त नहीं हुई, तब मैंने सोचा कि क्यों न नितिन का सहारा लिया जाए और उसी से स्पंज करवा लिया जाए ! क्योंकि उसने मुझे नग्न देखा हुआ ही था इसलिए मुझे उससे किसी भी प्रकार की शर्म नहीं करनी चाहिए !
यह सोच कर मैंने नितिन को आवाज दी और उसे सीमा के देर से आने के बारे में बताते हुए उससे आग्रह किया कि वह मेरा स्पंज कर दे। यह सुन कर वह पहले तो अच्चम्भित हुआ फिर हिचकिचाते हुए पूछने लगा कि क्या मैं उसे अपने जिस्म का हर जगह स्पंज करने दूंगी। जब मैंने उसे हाँ में उत्तर दिया तब वह खुशी खुशी भाग कर बाथरूम में गया और स्पंज करने का सारा सामान ले आया, फिर उसने आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने शुरू किये !
पहली मेरी कमीज उतारी, फिर मेरी सलवार उतारी, उसके बाद मेरी ब्रा उतारी, और अंत में मेरी पैंटी भी उतार दी ! यही वह क्षण था जब मैं उसके सामने बिल्कुल नग्न लेटी हुई थी और उसी क्षण से मेरे जीवन में ऐसा बदलाव आया की मैं शर्मसार से बेशर्म बन गई थी ! उस दिन के बाद से ही मैं पूरे घर में कम कपड़ों में ही घूमना शुरू कर दिया था तथा दीदी और नितिन के सामने अक्सर अर्धनग्न भी हो जाती थी।
स्पंज करने से पहले नितिन ने बड़े ध्यान से मेरी नग्नता को निहारा, मेरे चूचियों, चुचूकों तथा चूत के बालों पर हाथ फेरा ! फिर मुझे उल्टा कर के मेरी पीठ और टांगों को स्पंज किया, मेरे चूतड़ों को जोर जोर से रगड़ कर स्पंज किया तथा मेरी गुदा में उंगली भी कर दी। जब मैंने उससे पूछा कि वह यह क्या कर रहा था तो उसने कहा कि अंदर तक स्पंज कर रहा था !
नितिन के द्वारा इस तरह मेरी गांड में उंगली करना और मेरे चूतड़ों को दबाना तथा मसलना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने कुछ देर उसे ऐसा करने दिया।पीछे का स्पंज पूरा करने के बाद नितिन ने मुझे सीधा किया और मेरे सिर और चेहरे, मेरी गर्दन, छाती, चूचियों, पेट, नाभि, कमर, जाँघों और टांगों को स्पंज किया। इसके बाद उसने मेरी दोनों टांगों को चौड़ा कर उनके बीच में विराजमान मेरी योनि को भी रगड़ते हुए स्पंज कर दिया !
जब वह चूत का स्पंज कर रहा था तब उसने उसमे भी उंगली करने की कोशिश की पर मैंने उसे रोक दिया। जब मैंने उसे जल्दी से स्पंज समाप्त करने को कहा तो उसने मुझे सूखे तौलिए से पौंछ दिया और मेरी चूचियों और उनके चुचूकों को पकड़ कर मसला और थोड़ी देर बाद वह मेरी चूत के बालों के ऊपर हाथ फेरने लगा।
उसकी इस हरकत से मैं बहुत गर्म होने लगी थी लेकिन अपनी बिमारी की कमजोरी को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने पर काबू रखा तथा उसे अलग हटने को और कपड़े पहनाने के लिए कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
नितिन मुझे पहनाने के लिए मेरे साफ़ कपड़े निकाल लाया और सबसे पहले उसने मुझे पैंटी पहनाई लेकिन उसे ऊपर करने से पहले उसने मेरी चूत के बालों को अच्छी तरह मसला और एक बार फिर उंगली करने की नाकाम कोशिश की। इसके बाद उसने मुझे ब्रा पहनाई लेकिन ब्रा पहनाने से पहले उसने मेरे मेरे चूचियों को बड़े प्यार से मसला !
उसका ऐसा करना मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन बात आगे ना बढ़ जाये इसलिए मैंने उसे कहा कि वह अब बस कर दे और बाकी के कपड़े पहना दे !
मेरी बात सुन कर उसने मुझे सलवार और कमीज पहना दी तथा स्पंज का सामान उठा कर वहाँ से चला गया। जब वह जा रहा था तब मैंने देखा कि उसका पजामा आगे से उठा हुआ था और कुछ गीला सा भी लग रहा था। जब वह मेरे कमरे में वापिस आया तो उसने पैंट पहन रखी थी।
मैंने उसे पूछा कि पैंट पहन ली है, क्या उसने कहीं जाना है, तो वह बोला नहीं, स्पंज का पानी गिरने से पजामा गीला हो गया था इसलिए बदल लिया।
मैंने मुस्कराते हुए उसे देखा और मेरे मुख से निकल गया- मैं तो समझी थी कि कुछ रिसाव हो गया था !
मेरी बात सुन कर वह कुछ भी नहीं बोला और शरमा कर वहाँ से चला गया।
कहानी जारी रहेगी। आप सब मित्रों से अनुरोध है कि आप सब मेरे साथ घटी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दीजिए ! सिर्फ प्रतिक्रिया ही दीजियेगा, दोस्ती या यौन सम्बन्ध का अनुरोध मत कीजियेगा ! अंत में मैं अपनी सखी टी पी एल के प्रति भी बहुत आभार प्रकट करना चाहूँगी, जिसने मेरी कहानी को सम्पादित किया और उसमें सुधार करके आपके लिए अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने में मेरी सहायता की !
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