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दोस्तो, अंतर्वासना पर इंडियन ससुर बहू सेक्स कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको बताना चाहती हूं कि यह एक सत्यकथा है जिसमें कपोल कल्पना का सहारा नहीं लिया गया है. हां इतना जरूर कहूंगी कि घटना को रूचिपूर्ण बनाने के लिए कुछ उत्तेजक शब्दों का प्रयोग जरूर किया गया है जो कि जरूरी भी था.
दोस्तो, मेरी शादी कम उम्र में ही हो गयी थी. उस समय मैं केवल 19 साल की ही हुई थी. शादी से पहले ही मेरी मां ने मुझे समझा दिया था कि अपने ससुराल में अपने पति, ससुर और ननद की इज्जत करना. मैं भी सोच कर गयी थी मां को शिकायत मिलने का मौका नहीं दूंगी.
पति जॉब में थे और शादी के लिए पति को केवल पांच दिन की छुट्टी मिली थी. दो दिन शादी से पहले और तीन दिन शादी के बाद।
शादी की पहली रात को मैं काफी उत्साहित थी. मेरे फौजी पति कद काठी के लम्बे चौड़े थे. चौड़ा सीना और फौलादी बदन. मैंने अपनी सहेलियों से शादी की सुहागरात की चुदाई के किस्से सुने हुए थे.
मैं भी अपने पति के साथ मेरी सुहागरात को लेकर कुछ ऐसे ही सपने देख रही थी. फिर उस रात मेरी ननद कमरे में आई और दूध का गिलास रख कर चली गयी.
जब पति मेरे कमरे में आए तो मैं बेड पर दूसरी तरफ मुंह करके बैठी थी. अंदर आने के बाद उन्होंने दरवाजा बंद करके चिटकनी लगा दी.
वो बोले- सहज हो जाओ, अब हम पति पत्नी हैं. उनके कहने पर मैं पैर ऊपर करके बैठ गयी. मैंने लहंगा पहना हुआ था.
फिर वो भी मेरे पास आ गये और मेरे हाथ को अपने हाथों में ले लिया. उनका सख्त हाथ मेरे कोमल से हाथ को सहलाने लगा और मेरे रोंगटे खड़े होने शुरू हो गये. बदन में सिरहन होने लगी. पहली बार किसी मर्द का स्पर्श पा रही थी.
फिर उन्होंने मुझे बेड पर सिरहाने की ओर लिटा दिया. मेरी ओढ़नी उतार दी और मेरी गर्दन पर चूमने लगे. मैं आंखें बंद किए हुए कच्ची कली की तरह सिमटी हुई थी. फिर उन्होंने मेरे हाथों को बेड के दोनों ओर दबा लिया और मेरे गाल और गर्दन पर चूमने लगे.
उनके होंठों के छूने से मेरे रोम रोम में रोमांच सा भरने लगा था. उसके बाद उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मुझे किस करने लगे. मैंने पहले तो शर्म के मारे होंठ नहीं खोले मगर उन्होंने मेरी कमर पर हल्की सी चुटकी काट दी जिससे मेरी सिसकारी निकल गयी और मेरे होंठ खुल गये.
इतने में ही मेरे पति ने मेरे मुंह में जीभ डाल दी और मेरे होंठों को पीने लगे. मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैं भी उनका साथ देने लगी. मेरे हाथों ने अब उनकी पीठ पर घेरा बना दिया था. वो पूरे के पूरे मेरे ऊपर लेट गये थे.
कई मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को किस करते रहे. उसके बाद उन्होंने मुझे उठाया और मेरे ब्लाउज को उतारने लगे. अब मैं सफेद ब्रा में थी. उन्होंने मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूमा और फिर मेरी ब्रा के हुक खोल दिये.
मेरी मीडियम साइज की गोरी गोरी चूची जिनके बीच में गुलाबी निप्पल एकदम से मटर के दाने के जैसे तने हुए थे, अब मेरे पति के सामने बिल्कुल नंगी थी. उन्होंने मेरी चूचियों को मुंह में भर लिया और मेरे मुंह से ऊंम्मह्ह … करके एक लम्बी सिसकारी निकल गयी.
मुझे शर्म आ रही थी और मैं उनको हटाने लगी. मगर वो बच्चे की तरह जिद करते हुए मेरी चूचियों को पीने लगे. मुझे भी फिर मजा आने लगा. पहली बार किसी ने मेरी चूची को पीया था.
फिर वो मेरे लहंगे को खोलने लगे. मैंने अपनी जांघों को भींच लिया. मगर उन्होंने अपने मजबूत हाथों से मेरी जांघों को फैलाया और मेरे लहंगे का नाड़ा खोल कर उसको निकाल दिया.
अब मैं सफेद पैंटी में थी और अपनी टांगों को भींचे हुए थी. फिर वो अपने कपड़े उतारने लगे. पहले उन्होंने कमीज उतारी. उनकी छाती पर काफी घने काले बाल थे. फिर वो पैंट उतारने लगे. मैंने अपनी नजरें नीचे कर लीं.
उसके बाद उन्होंने पैंट उतार कर एक तरफ कर दी और फिर से मेरे ऊपर आ लेटे. उन्होंने मेरे होंठों को पीना शुरू कर दिया और मेरी चूत को नीचे से सहलाने लगे. फिर अचानक ही उन्होंने मेरी पैंटी को खींच दिया और मेरी नंगी चूत को रगड़ने लगे.
मैं एकदम से सिसकार गयी. उन्होंने फिर मेरी जांघों को फैला दिया और मेरी टांगों के बीच में आ गये. मुझे पता था कि अब वो मेरी योनि में अपना लिंग प्रवेश करवाने जा रहे थे. मैंने अपने चेहरे को हाथों से ढक लिया.
मगर अगले ही पल उन्होंने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिये और मेरी चूत को चूसने लगे. मेरे पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ गयी. मेरे पति ने मेरी चूत में जीभ की नोक से छेड़ना शुरू किया तो मैं मदहोश होने लगी.
मेरे बदन में आग लग गयी. पहली बार इतना मजा आ रहा था. वो मुझे पागल कर रहे थे. पांच मिनट तक मेरी चूत को वो ऐसे ही चाटते रहे और मैं बिल्कुल चुदासी हो गयी.
फिर वो घुटनों के बल खड़े हो गये. मैंने नजर उठा कर देखा तो वो अपने लिंग को मेरी चूत पर लगा रहे थे.
उनका लिंग देख कर मुझे बड़ा अचंभा हुआ. मेरे फौजी पति का लिंग मात्र 4 इंच का था. वो भी एकदम पतला सा. मैं तो सोच में पड़ गयी कि इतने भारी भरकम शरीर वाले मर्द का लिंग इतना छोटा कैसे हो सकता है?
फिर भी मैंने भगवान की बनावट को मान दिया क्योंकि अब तो वही मेरे पति थे और जीवनसाथी भी. उन्होंने मेरी योनि पर अपना लिंग रखा और रगड़ने लगे. मुझे अच्छा लगने लगा. अब मैं खुद चाह रही थी कि वो लिंग को प्रवेश करवा दें.
दो मिनट तक योनि को लिंग से सहलाने के बाद उन्होंने एक झटका दिया और मेरी योनि में लिंग अंदर चला गया. अंदर जाते ही वो मेरे ऊपर लेट गये और मेरे होंठों को पीने लगे. मैं भी उनकी पीठ को सहलाने लगी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं सोच रही थी कि अब मेरी चुदाई होगी. मगर मेरे पति मेरे ऊपर लेटे ही रह गये. उनके जांघों वाले हिस्से में मैंने एक दो झटके से महसूस किये और उसके बाद वो हिले ही नहीं.
फिर वो एकदम से उठ गये और अपना अंडरवियर पहन लिया. मैं समझ नहीं पाई कि हुआ क्या! उन्होंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप चादर ओढ़ कर सो गये. कई मिनट तक सोचते रहने के बाद मुझे भी यकीन हो गया कि उनका खेल यहीं तक था.
मैं भी फिर अपने कपड़े पहन कर सो गयी. उस रात मुझे नींद नहीं आई. मेरे सारे सपने बुझ गये थे जो भी मैंने सुहागरात के लिए देखे थे.
अगले दिन मेरी ननद के साथ मैं घर के काम जानने लगी.
अगली रात को भी वही सब हुआ. मैं प्यासी ही रह गयी. फिर तीसरे दिन पति को ड्यूटी के लिए वापस निकलना था. शाम की गाड़ी से वे निकल गये. अब वो 6 महीने के बाद ही घर आने वाले थे.
उधर से मेरी मां ने मेरे भाई को भेज दिया था. वो मुझे लेने के लिए आया था.
मगर मेरे ससुर ने मुझे ले जाने से मना कर दिया. वो कहने लगे कि अगर रोशनी बहू चली जायेगी तो यहां घर को कौन देखेगा? सरोज (मेरी ननद) भी तीन-चार दिन के बाद जाने वाली है तो फिर मेरी देखभाल कौन करेगा?
ससुर की बात मैं टाल नहीं सकती थी और भाई ने भी यही कहा कि मैं यहीं पर रुक जाऊं.
मेरा भाई वापस चला गया और मैं अपनी ननद के साथ ससुराल में ही रह गयी. दो दिन की दुल्हन की चूत अभी तक कुंवारी ही थी.
मैं चुपचाप घर के काम में लगी रहती. फिर उस रात सरोज मेरे साथ सो गयी. सरोज के साथ मेरी अच्छी बनने लगी. हम दोनों हंसी मजाक करते और दिन बीत जाता था.
तीसरे दिन मैं और सरोज साथ में टीवी देख रहे थे. सीरियल में एक किस सीन आ रहा था. उसको देख कर मुझे मेरे पति की याद आने लगी. मगर फिर उनके नाकारा लिंग के बारे में सोच कर फिर से मूड खराब हो गया. मैं चादर तान कर सो गयी.
रात में मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूचियों को कोई छेड़ रहा है. मैंने देखा तो सरोज, मेरी ननद, मेरी चूचियों को दबा रही थी.
मैं उठ कर बैठ गयी और पाया कि वो नीचे से नंगी थी और उसने अपनी चूत में उंगली दे रखी थी.
मैंने कहा- क्या कर रही है? वो बोली- मजा ले रही हूं. फिर उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और मेरी चूचियों को दबाने लगी. मुझे भी अच्छा लगने लगा.
उसने मेरी मैक्सी उतार दी और मेरी चूत को चाटने लगी. मैं कुछ ही देर में गर्म हो गयी. उसने मेरी चूत को चाट चाट कर मेरा पानी निकाल दिया और मुझे बहुत मजा आया.
फिर वो मुझसे सुहागरात के बारे में पूछने लगी तो मैंन सब सच बता दिया कि उसका भाई मेरी सील नहीं तोड़ पाया.
ये सुनकर वो कुछ रोमांचित सी हो गयी. फिर मैंने उसकी चूत का पानी निकाला. फिर दोनों शांत होकर सो गयीं.
अगली रात को भी वही हुआ. अब सरोज के साथ मुझे ये सब करने में मजा आने लगा था क्योंकि पति का अधूरापन कहीं न कहीं सरोज पूरा कर रही थी.
अगले दिन मैंने देखा कि सरोज अपने पिता जी यानि कि मेरे ससुर से अकेले में कुछ बात कर रही थी. मेरे आते ही वो दोनों अलग हो गये. मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैंने ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया.
फिर रात को सोते वक्त सरोज ने फिर से मुझे गर्म कर दिया. वो मेरी चूत में जीभ से चोद रही थी और मैं तड़प रही थी. अब मेरी चूत में इतनी चुदास जाग गयी थी कि मुझे जीभ से संतुष्टि नहीं मिल पा रही थी.
सरोज बोली- लंड लेने का मन कर रहा है क्या? मैंने कहा- हां, मगर कहां से लायेगी? वो बोली- वो सब मुझ पर छोड़ दे. तुझे लेना है तो बता? मैंने कहा- हां, बहुत मन कर रहा है.
फिर वो उठ कर गयी और बोली कि तू यहीं चुपचाप आंखें बंद करके लेटी रह. अगर आंख खोली तो लंड नहीं मिलेगा. मैं आंखें बंद करके उसके आने का इंतजार करने लगी.
पांच मिनट के बाद वो कमरे में ये कहते हुए दाखिल हुई- आंखें बंद ही रखना. मैंने आंखें बंद रखीं. फिर मेरी चूचियों पर किसी के सख्त हाथ पड़े तो मैंने एकदम से आंखें खोल दीं.
देखा तो ससुर जी नंगे होकर मेरी चूचियों को दबा रहे थे. मैंने उठना चाहा तो उन्होंने मुझे नीचे दबा लिया और मेरी चूचियों को पीने लगे. मैंने हैरानी से सरोज की तरफ देखा तो वो हंसने लगी.
इतने में ही ससुर जी ने मेरी चूत में एक उंगली दे दी और मैं चिहुंक गयी. उनका एक हाथ मेरी एक चूची को दबा रहा था. तभी उन्होंने मेरे होंठों को भी अपने होंठों से लॉक कर लिया.
अब मेरी चूत में उनके एक हाथ की उंगली चल रही थी. दूसरा हाथ मेरी चूची को मसल रहा था और वो जोर जोर से मेरे होंठों को चूस रहे थे. मैं मदहोश होने लगी. चूत में लंड लेने की प्यास तो पहले से ही लगी थी इसलिए मुझे ज्यादा कुछ सोचने का मौका नहीं मिला.
मैं ससुर जी का पूरा साथ देने लगी. फिर वो मेरी चूत को चाटने लगे और मैं पागल हो गयी. मैं उनके सिर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी. आह्ह … आअहह … ससुर जी … आह्ह … जोर जोर से सिसकारते हुए अपनी चूत को चटवाने लगी.
उन्होंने चाट चाट कर मेरी चूत का पानी निकाल दिया. फिर वो मेरी टांगों को फैलाते हुए घुटनों के बल हो गये. उनका 6 इंच का मोटा सा लंड मेरी आंखों के सामने था. पति के लंड से कई गुना दमदार लंड था ससुर जी का.
वो मेरी चूत पर लिंग को रगड़ने लगे. मैं चुदासी होने लगी. अब मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी. मैंने उनसे कहा- अब कर दो बाबूजी … मैं मर जाऊंगी. वो बोले- पहले तुझे एक काम करना होगा. मैं बोली- क्या?
ससुर बोले- पहले इसको मुंह में लेकर गीला कर दे. मैं सोचने लगी क्योंकि मैंने पहले कभी कोई लिंग मुंह में नहीं लिया था और ये तो मेरे ससुर का लंड था. मगर मेरी चूत लंड के लिये तड़प रही थी.
तभी बाबूजी ने मेरी ननद सरोज को इशारा किया. वो बाबूजी के पास आई और अपने हाथ में उनके लंड को लेकर सहलाने लगी. मैं देख कर हैरान हो रही थी कि बाप बेटी कैसे एक दूसरे के साथ मजे कर रहे हैं.
फिर सरोज ने नीचे झुक कर मेरे ससुर के लिंग को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. मस्ती में बेटी अपने पिता के लंड को चूस रही थी. अब मैं उन दोनों को देख कर उत्तेजित हो रही थी.
अपना लंड चुसवाते हुए ससुर जी मुझे गंदे गंदे इशारे कर रहे थे जिससे मैं और ज्यादा चुदासी हो रही थी. दो-तीन मिनट तक सरोज ने बाबूजी का लंड चूसा और फिर बोली- देख कितना आसान है, बहुत मजा आता है. मैं तो रोज चूसती हूं. तू भी चूस ले. मजा आयेगा.
सरोज मुझे भी बाबूजी का लंड चूसने के लिए कहने लगी. अब मैंने भी उठ कर बाबूजी के लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी. मुझे शुरू में बहुत खराब लगा मगर फिर उनके लिंग से आ रहा नमकीन सा स्वाद मुझे अच्छा लगने लगा. मैं उनके लंड को चूसने लगी और वो सरोज की ओर देख कर मुस्कराये और बोले- देख ये अब पूरी तैयार हो रही है.
दो मिनट तक लंड चुसवाने के बाद उन्होंने मुझे नीचे गिराया और मेरी चूत पर अपना लिंग लगा दिया. उन्होंने मेरी कमर को थामा और एक झटका दे दिया जिससे लिंग का सुपाड़ा मेरी चूत में घुस गया.
मेरी चूत एकदम से फैल कर फटने को हो गयी. चूत की दीवारों में जलन होने लगी. मगर इतने में ही उन्होंने मेरी चूत में एक और झटका लगाया और मेरी जोर से चीख निकल गयी.
तभी सरोज ने मेरे मुंह को अपने होंठों से बंद कर दिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए किस करने लगी. बाबूजी रुके हुए थे. तीन-चार मिनट के बाद मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ. जब बाबूजी ने तीसरा झटका दिया तो उनका पूरा लंड मेरी चूत को फैलाता हुआ अंदर धंस गया. मेरी जान निकल गयी. मगर सरोज ने मुझे चीखने भी न दिया.
दो मिनट का विराम देकर बाबूजी अब मेरी चूत में लंड को आगे पीछे करते हुए चलाने लगे. थोड़ी देर बाद मुझे मजा आने लगा. पहली बार मेरी चूत को लंड का सुख मिला था जो बहुत ही अद्भुत था. मेरे पति ने मेरी चूत में आग लगा कर छोड़ दी थी. इसलिए ससुर के लंड से चुदते हुए अलग ही आनंद मिल रहा था.
मैं ये सोच सोच कर और ज्यादा रोमांचित हो रही थी कि पति का बाप मेरी चूत मार रहा है. ससुर जी का लंड सच में ही बहुत दमदार था. मेरी चूत में एकदम से फंसा हुआ था और आनंद भी बहुत दे रहा था.
अब सरोज ने मेरे होंठों से अपने होंठों को हटाया और मेरी चूचियों के निप्पलों को मसलने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी. मैं उसकी चूत में उंगली करने लगी और फिर वो खुद ही अपनी चूचियों मसलने लगी.
तीनों ही सिसकारने लगे और पूरा कमरा कामुक आवाजों से गूंज उठा. पांच मिनट तक बाबूजी मेरी चूत में धक्के लगाते रहे. फिर सरोज ने मेरे मुंह पर चूत को सटा दिया और अपनी चूत चटवाने लगी. अब बाबूजी ने मेरी टांगों को उठा लिया और जोर जोर से मेरी चूत पेलने लगे.
इस कामुकता में मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी जोर से सरोज की चूत को काटने लगी.
दो मिनट के बाद ही मुझे लगा कि जैसे कुछ छूटने वाला है.
इतने में ही सरोज की चूत ने मेरे मुंह में पानी फेंक दिया और मैं उसे अंदर ही अंदर पी गयी.
तभी मेरी चूत का पानी निकल पड़ा और मैं जैसे स्वर्ग की सैर करने लगी. इसी बीच बाबूजी के बदन में भी झटके लगते लगते थम गये. शायद वो भी झड़ गये थे.
हम तीनों निढाल होकर बेड पर गिर पड़े. तीनों हांफ रहे थे. फिर कुछ देर के बाद फिर से बाबूजी मेरी चूचियों को छेड़ने लगे. मैंने अपनी चूत को देखा तो वो सूज गयी थी. नीचे चादर में खून लगा हुआ था. बाबूजी का लंड भी सना हुआ था.
मेरे ससुर ने मेरी चूत की सील तोड़ दी थी. उस दिन के बाद से अब मेरे ससुर ही मेरी चूत चोदने लगे. वो दिन में भी मेरी चुदाई करने लगे. उन्होंने सरोज की चूत भी मेरे सामने ही चोदी. मुझे इस इंडियन ससुर बहू सेक्स में बहुत मजा आने लगा.
इस तरह से मेरे ससुर ने मेरी चूत की सील तोड़ी और मुझे सही मायने में शादीशुदा बनाया. मेरे पति के न रहते हुए ससुर बहू सेक्स ने ही मेरी चूत की प्यास को शांत किया.
दोस्तो, ये थी मेरी स्टोरी. आपको मेरी यह इंडियन ससुर बहू सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे इसके बारे में बताना. मुझे आप लोगों के कमेंट्स का इंतजार है.
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