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दोस्तो, आज मैं आपको अपने दोस्त स्मिता की कहानी बताने जा रहा हूँ जो मैं उसी की ज़ुबानी आपको बताने जा रहा हूँ।
मैं आपकी प्यारी सी और चुलबुली स्मिता आपको अपनी चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ।
मेरा भाई जो मुझसे 2 साल छोटा है उसका नाम साहिल है। यह सब तब हुआ था जब मेरा ममेरा भाई हमारे घर पर आया था। यह वही है जिसने मुझे पहले चोदा था, हमारे घर पर एक हफ़्ता रुका था, इस बीच हमने 3 बार मस्ती की थी। जब भी उसको मौका मिलता है, मुझे पकड़ लेता है। कभी रसोई में तो कभी घर के पीछे, हम लोग बहुत चिपकते रहते थे।
साहिल को शायद हम पर शक हो गया था लेकिन एक हफ्ते बाद मेरा कज़िन चला गया। कुछ दिनों बाद मेरे मम्मी-पापा को किसी रिश्तेदार के यहाँ जाना पड़ा।
उस दिन मैं और मेरा भाई घर में अकेले थे। मैं रसोई में लंच तैयार कर रही थी मेरा भाई भी रसोई में आ गया। मुझसे बातें करने लगा। पहले तो सामान्य बातें करता रहा।
लेकिन फिर उसने कहा- स्मिता, तुम्हें नहीं लगता कि हमारे मामा का लड़का थोड़ा ज्यादा ही फ्लर्ट टाइप का है?
मैं एकदम धक्क से रह गई कि यह ऐसा क्यों पूछ रहा है? मैंने ऐसे ही कहा- नहीं तो ! ऐसा तो कुछ भी नहीं लगा मुझे। क्यों तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो?
“बस ऐसे ही, मैंने कई बार नोटिस किया है कि तुम से कुछ ज्यादा ही लग रहा था। रसोई में भी वो तुम्हारे पास ही बैठा रहता था। वैसे क्या बातें करता था वो तुमसे?
अब मुझे थोड़ा शक हुआ। मैंने बात टालने के लिए कहा- नहीं, बस ऐसे ही इधर-उधर की बातें करता रहता था।
मैंने तिरछी नज़र से देखा तो मेरे भाई की नजर मेरी गाण्ड पर थी और उसकी आँखों में मैं वासना देख सकती थी। एक बार इस ख्याल ने मेरे मन में कुलबुलाहट पैदा कर दी कि मैं अपने भाई के साथ जो करना चाहती थी, शायद वही मेरा भाई भी मेरे साथ करना चाहता है।
मैंने देखा मेरी गाण्ड में मेरा पंजाबी सूट फँसा हुआ था और मेरा अपना छोटा भाई मेरी गाण्ड देख रहा था।
मैंने अचानक पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो भईया?
वो थोड़ा संभला और कहा- नहीं, कुछ नहीं।
अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि मेरी प्यास अब मेरा छोटा भाई मिटाएगा। उस दिन के बाद मैं उसको लाइन देने लगी। कभी उसके सामने झुक जाती और उसको अपने मम्मे दिखाती। उस समय मैंने कई बार अपने भाई को लंड मसलते देखा था।
एक दिन वो पल आ ही गया जब मेरे भाई ने मुझे ठोक दिया। उस दिन मम्मी-पापा घर पर नहीं थे। मैं झाड़ू लगा रही थी। मैंने बहुत ही ढीले कपड़े पहन रखे थे।
नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैं रोज की तरह उसके सामने झुक कर झाड़ू लगाने लगी। मेरे मम्मे और निप्पल देख कर उसकी आँखें चमकने लगीं।
उसने अपने होंठों पर जीभ फिराई, और मुझे अपने एक हाथ की दो उँगलियों को गोल कर के दूसरे हाथ की उंगली को उसमें घुसेड़ कर चुदाई का इशारा दिया।
मैंने नाटक करते हुए अपने मम्मे पकड़ कर कपड़े ठीक किए और शरमाने का नाटक किया और उसको एक आँख मार कर अपने बेडरूम में भाग गई।
मुझे पता था आज मेरा भाई ज़रूर कुछ करेगा क्योंकि आज उसका लंड निक्क़र में कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा था।
वो मेरे पीछे-पीछे कमरे में आ गया। उसने मुझे दबोच लिया और अपने पैन्ट की चैन खोल कर अपना मूसल निकाल कर मेरे चूतड़ों में सटा दिया। मैंने भी ना-नुकर नहीं की।
मैंने भी कहा- हरामी बहनचोद अगर तुझे सब पता था, तो मुझसे इतनी मेहनत क्यों करवाई। तुझे सिड्यूस करने के लिए?
उसने कहा- मैं देखना चाहता था कि मेरी रंडी कुतिया बहन किस हद तक अपने भाई से चुदवाने के लिए मरती है।
मैंने कहा- जब बहन-भाई राज़ी तो क्या करेगा काजी। अब आजा मेरे प्यारे बहनचोद भाई और लेले अपनी बहन के नज़ारे।
अब हम दोनों बिल्कुल खुल चुके थे। उसने अपने होंठ अपनी बहन के गुलाबी होंठों पर रख दिए। एक हाथ से मेरे 32 साइज़ के लेफ्ट मम्मे को दबाने लगा।
उसने कहा- मेरी स्मिता दीदी, तू तो एकदम मस्त माल है। पता नहीं कितनी बार तेरे नाम की मुट्ठ मारी है। आज तेरी चूत चोद कर सारी गर्मी निकाल दूँगा।
मैंने भी कहा- अरे मेरे बहनचोद भाई, तेरी बहन का भी यही हाल था। यह साला मामा का लड़का पहले मिल गया वरना मैं तेरे साथ ही अपनी सुहागरात मनाती।
भाई ने कहा- चल कोई बात नहीं। आज से तुझे मैं अपनी रंडी बन कर रखूँगा और रोज तेरी लूँगा।
बातें करते-करते पता ही नहीं लगा कब हम दोनो नंगे हो गये। उसका लंड आज पहली बार इतनी करीब से देखा था। एकदम सुंदर लाल गुलाबी मशरूम जैसा उसका सुपाड़ा देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया।
उसके पहले कि वो कुछ बोलता, मैंने उसे अपने मुँह में ले लिया। और किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगी। भाई सिसकारियाँ लेने लगा।
यह तो मैं थी जो अपने भाई के लंड को मज़े के साथ किसी ब्लू-फिल्म की हीरोईन की तरह चूस रही थी।
उसने कहा- तुम तो बिल्कुल एक रंडी बन गई हो बहना ! एकदम रंडी की तरह लंड चूसती हो, ‘आहह’ ज़ोर से चूस बहना ! तेरा क्या कहना ! मज़ा आ गया ! आज तो इतना चिकना माल घर पर मेरे लंड के लिए तड़प रहा था और मैं मुट्ठ मार कर अपने लंड को शांत कर रहा था।
‘ऊऊओह आहह’ पूरा मुँह में ले लो दीदी !
और मैंने उसका 6.5 इंच का पूरा लंड मुँह में लेने की कोशिश की। मेरे गले तक पहुँच गया था।
उसने मेरा सिर पकड़ के दबा दिया। मैंने उसकी तरफ देखा। उसने मेरे मुँह में धक्के मारने स्टार्ट कर दिए थे।
आज मैं अपने आप को एक रंडी की तरह महसूस कर रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरा भाई मुझे पैसे देकर बाज़ार से लाया हो। काफ़ी देर उसका लंड चूसने से वो और भी बड़ा और लाल हो गया था।
अब मैं बेड पर बिछ गई। भाई मेरे ऊपर आ गया और मुझ पर चुम्बनों की बारिश कर दी मेरे गालों पर, मेरे गले पर और जब वो मेरे गुलाबी निप्पल्स के पास पहुँचा तो उसने वहाँ चुम्मा नहीं लिया और नीचे पेट पर चला गया।
मैंने एक गाली दी- बहनचोद, मेरे दूध नहीं पियेगा क्या?
उसने मेरी तरफ देखा और ऊपर आ कर मेरे चूचुकों पर पहले अपने होंठ रगड़े और फिर उसको मुँह में ले लिया।
मैंने अपने होंठ अपने दांतो में दबा लिए, “आहह मेरे बहनचोद भाई पी ले मेरा दूध, श आआन्ं तू भी तो बिल्कुल बच्चे की तरह चूसता है मुम्मा… उउउंमाआ आहह।”
वो मेरे एक चूचुक को चूस रहा था और दूसरे को मसल रहा था।
आज मैं जन्नत में थी। मैंने उसका सर पकड़ कर अपने मम्मों में दबा लिया।
मैं मस्ती में सिसियारही थी, “आ आ चूस ले भाई ज़ोर से आज के बाद रोज मेरा ही दूध पीना तू उउउंम आहह।”
वो बारी-बारी से मेरे दोनों मटर के दाने चूस रहा था। कभी-कभी वो अपनी जीभ से मेरे चूचुकों की हिलाता तो बस ऐसा लगता जैसे मैं अभी झड़ जाऊँगी।
चूस-चूस कर मेरे मम्मे और चूचुक लाल करने के बाद उसने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके इस हमले से मैं उछल पड़ी।
सच कहूँ मेरा भाई मेरे ममेरे भाई से भी बड़ा चोदू निकला। उसको पता था कि अपनी सेक्सी बहन को कैसे चोदना है। उसने अपनी जीभ मेरी गीली चूत में डाल दी और मैं झड़ गई। वो मज़े से मेरे काम रस को चाट गया।
लेकिन वो रुका नहीं ओर मैं बेड पर पड़ी-पड़ी मादक कराहें निकालती रही। अब वो मेरी टाँगों के बीच आ गया था।
उसने कहा- बहना अब असली मज़े का समय आ गया है।
मैंने कहा- हाँ मेरे बहनचोद भैया, प्लीज़ ज़रा ध्यान से चोदना। मैं तुम्हारी बहन हूँ, कोई रंडी नहीं।
ऐसा मैंने इस लिए कहा था क्योंकि उसका लंड ममेरे भाई के लंड से ज्यादा मोटा था। उसने अपना लाल मशरूम मेरी स्ट्राबेरी पर रखा और पुश किया।
मेरे मुँह से एक ‘आह’ निकली और उसका टोपा मेरी चूत में घुस गया था। उसने फिर थोड़ा और ज़ोर लगाया तो आधे से ज्यादा लंड चूत में गया और मेरे मुँह से निकला- उउउइ माआ धीरे भैया बहुत मोटा है उह भाई।
“चुप साली छिनाल, कुतिया नखरे करती है। इतनी बार चुदवाने के बाद भी दर्द का नाटक करती है।”
मैंने कहा- नहीं भाई, सच कह रही हूँ। तुम्हारा बहुत मोटा है।
उसने मेरी एक ना सुनी और पूरा लंड डाल दिया मेरे अंदर। मैं बस एक चीख मार कर रह गई। अब वो मुझे धकापेल चोदने लगा।
मैं भी मस्ती से उसका साथ देने लगी- चोद बहन के लौड़े, साले कुत्ते अपनी कुतिया बहन को… आज से मैं तेरी रंडी और तेरी कुतिया हूँ, मादरचोद.. जब कहेगा तेरे लंड के आगे कुतिया बन जाऊँगी और तू कुत्ते की तरह मेरे ऊपर चढ़ जाना। आज के बाद रोज तेरी बहना तेरा बिस्तर गर्म करेगी और जी भर कर चोदना अपनी बहन को भाई।
“हाँ मेरी बहना अब तेरी चूत में मेरा लंड ही लेते रहना, तू इसी तरह अपने भाई से चुदवाती रहना।”
उसने मुझे कुतिया बनने को कहा।
मैं उसके सामने कुतिया बन गई।
मेरा भाई मुझे किसी कुत्ते की तरह ऊपर चढ़ कर चोद रहा था।
“आहह.. आहह.. आह.. ऊहह.. उम्.. मम्मी.. तेरे बंटी ने आज मुझे चोद ही डाला..” और मैं झड़ गई। थोड़ी देर बाद मेरा भाई भी झड़ने ही वाला था तो मैंने उसको लंड निकालने को कहा और अपने मुँह में ले लिया।
वो मेरे मुँह में झड़ गया। अब हम जब भी मौका मिलता है चुदाई करते हैं।
आपको मेरी दोस्त की कहानी कैसी लगी? ज़रूर बताना।
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