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अन्तर्वासना पर काफी कहानियाँ पढ़ने के बाद मैं खुद रोक नहीं पाया और अपनी कहानी लिखने का मन कर ही लिया।
तो दोस्तो, मैं लेकर आया हूँ अपनी पहली कहानी। मेरी उम्र 23 साल है, मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूँ दिल्ली में रहता हूँ।
मैंने अपनी स्कूल की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की है। केंद्रीय विद्यालय में ज्यादातर विद्यार्थी सेना बैकग्राउंड के होते हैं।
मेरे स्कूल के ठीक सामने नेवी के क्वार्टर्स थे जहाँ पर नेवी के लोग रहते थे। मैं रोज़ शाम को खाना खाने के बाद थोड़ा टहलने के लिए बाहर जाता हूँ। घूमता-घूमता अपने स्कूल के पास भी चला जाता हूँ।
एक दिन रात करीब 8 बजे मैं खाना खाकर बाहर घूम रहा था, तभी मैंने देखा कि नेवी के क्वार्टर्स में से एक औरत जीन्स-टॉप और कैप पहने कान में इअरफ़ोन लगाये घूम रही है।
उसको अकेले रात को देखकर मैंने सोचा कि चलो देखता हूँ कि यह कौन है और इस समय कहाँ जा रही है। वो काफी तेज़ चल रही थी, तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा ली।
अचानक उसको अहसास हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। उसने तुरंत पीछे मुड़ कर देखा और मैंने अपनी आँखें नीचे कर लीं। फिर वो चली गई।
मैंने सोचा कल फिर इसी टाइम आकर देखता हूँ, क्या पता कुछ बात बन जाए। अगले दिन ठीक आठ बजे मैं फिर से उसी स्थान पर पहुँच गया। फिर से वो आ गई।
आज वो बहुत कमाल लग रही थी। गुलाबी टॉप, काली जीन्स और ट्रेंडी कैप। आज उसको देखकर दिल में कुछ-कुछ हो रहा था।
मैं एक बार फिर उसका पीछा करने लग गया। एक बार फिर उसने पीछे मुड़ कर देखा। इस बार मैंने आँखें नहीं चुराई और उससे नजरें मिल गईं।
उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया और चुपचाप चली गई। अब मैं समझ गया था कि आँखों ही आँखों में कुछ न कुछ तो हुआ है।
मैंने ठान लिया कि अब कल आर या पार।
मैं अगले दिन फिर से उसी टाइम पर पहुँच गया। वो फिर से आई हमेशा की तरह बहुत ही कमाल लग रही थी।
मैं फिर से उसके पीछे चल दिया। आज सोचा हुआ था कि आज बात जरूर करनी है मगर अचानक मैंने देखा कि उसने अपनी चाल तेज़ कर दी और वो बहुत ही जल्दी-जल्दी चलने लग गई।
अरे, ये तो रेलवे लाइन की तरफ जा रही है, जहाँ पर बहुत ही सन्नाटा रहता है। मैं समझ गया कि बेटा आज तो सब कुछ सही हो रहा है। आज नहीं तो कभी नहीं।
अचानक उसने अपनी रफ़्तार कम कर दी और मेरे और उसके बीच में काफी कम दूरी रह गई थी। वो रुक गई और मैं उसके पास गया।
मन में डर भी लग रहा था, पर फिर भी सन्नाटा था तो हिम्मत कर ली।
उसके पास जाकर मैंने बड़े ही सभ्य तरीके से बोला- हेल्लो। उसने बोला- मैं आपको तीन दिन से देख रही हूँ, आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो? मैंने बोला- काफी डर लग रहा था। पर मैं आपको लाइक करता हूँ। वो बोली- लाइक भी करते हो और कहने से भी डरते हो। मैंने बोला- आज सोच कर आया था कि दिल की बात कह दूँगा। वो बोली- आज मैं भी सोच कर आई थी। मैंने बोला- क्या सोच कर आई थीं। तो बोली- चलो बताती हूँ।
मैं उसके साथ आगे चल दिया। पास में ही एक सुनसान सी जगह थी, जो थोड़ी वीरान भी थी। हम दोनों वहाँ जा कर रुक गए।
मैंने बोला- यहाँ पर तो कोई नहीं आता-जाता, यहाँ पर क्या करने लाई हो? वो मेरे करीब आई और बोली- मैं तुम्हें काफी समय से जानती हूँ। मैंने तुम्हें काफी बार देखा है, पर शायद तुमने ही मुझ पर कभी ध्यान नहीं दिया। मैंने बोला- हाँ मैंने आपको पहली बार ही देखा है, मेरा नाम राजेश है।
वो बोली- मेरा नाम रेनू है, मैं शादीशुदा हूँ और मेरे पति विशाखापट्टनम में हैं। पिछले साल ही शादी हुई है और 4 महीने बाद ही वो मुझसे दूर हो गए हैं। मैं बहुत ही तनहा और अकेली हूँ। नई होने की वजह से किसी को जानती भी नहीं हूँ। क्या तुम मेरा अकेलापन दूर करोगे? मैंने बोला- हाँ जरूर, मैं तुम्हारा अच्छा फ्रेंड बन सकता हूँ। वो बोली- बस फ्रेंड!?! मैंने बोला- हाँ, बेस्ट फ्रेंड! वो बोली- बस बेस्ट फ्रेंड!?! मैंने बोला- नहीं बेस्टेस्ट फ्रेंड!
इतना बोलते ही वो मेरे करीब आ गई और अपने होंठों से मेरे होंठों को प्यार से चूमने लग गई। मुझे उससे इस हरकत की बिल्कुल भी आशा नहीं थी तो मैंने भी कुछ रिएक्ट नहीं किया और चुपचाप उसका साथ निभाने लगा।
वो भूखी शेरनी की तरह मुझे चाट रही थी। और मैं भी अपने आप पर से काबू खो चुका था। मुझे पता नहीं चला कि कब मैंने अपने हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिए और उसकी पीठ सहलाने लग गया।
रेनू की आवाज़ काफी तेज़ हो गई थी। जो बस “आह आह आ” कर रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं समझ चुका था कि वो गर्म हो चुकी है। उसी समय मैंने अपने आपको पीछे धकेला और पेड़ का सहारा ले लिया।
अब रेनू मुझसे चिपकी हुई थी और हम एक दूसरे से लिपटे हुए थे। धीरे से रेनू का हाथ मेरी जीन्स पर गया और उसने बाहर से ही मेरे लण्ड पर हाथ फेरना शुरु कर दिया। मुझे काफी अच्छा लग रहा था और मैं बैचैन हो रहा था। तभी रेनू ने मेरी जिप खोली और अन्दर हाथ डाल दिया। मेरा लण्ड तो राकेट जैसे फुँफकार मार रहा था, एकदम से बाहर निकल आया। रेनू ने मेरे लौड़े को हिलाना शुरु कर दिया।
मैंने बोला- रेनू, आई लव यू। रेनू बोली- आई लव यू टू!
और तुरंत नीचे बैठ कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
उस समय जो फीलिंग मेरे दिल में थी, मैं बयान नहीं कर सकता। वो जोर-जोर से मेरे लण्ड का सुपारा अन्दर-बाहर कर रही थी। मेरे मुँह से ‘आह-आह’ की किलकारी बाहर आ रही थी।
मैं बैचैन हो रहा था, मैंने रेनू का टॉप उठाया और उसकी चूचियों को ब्रा से अलग किया। उसके स्तन बहुत ही गोरे और निप्प्ल गुलाबी थे। मैंने उनको अपने मुँह में भर लिया और भूखे भेड़िये की तरह चचोरने लगा।
अब रेनू काबू में नहीं थी, उसने मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी जीन्स पर रख दिया और अपनी पिछाड़ी दबवाने लगी। मैं समझ गया कि यह आगे बढ़ने का संकेत है। मैंने तुरंत उसकी जीन्स का बटन खोला और उसको नीचे किया।
काले रंग की पैंटी में उसकी गोरी जांघ बहुत ही कमाल लग रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारे बिना साइड में से उसकी चूत को छुआ, काफी गीली हो चुकी थी।
रेनू मेरे बाल नोच रही थी। मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे कर दी मैंने देखा कि एकदम सपाट चूत जिस पर एक भी बाल नहीं था, चमक रही थी।
मैंने आव देखा न ताव, सीधा उसकी चूत को चाटने लग गया और चूत का अमृत पीने लग गया। वो बेचैन हो रही थी और बस धीरे-धीरे ‘आह-आह’ कर रही थी।
उसने बोला- राजेश अब बर्दाश्त नहीं होता, अब तुरंत डाल दो। मैंने भी बोला- ठीक है मेरी जान आ जाओ।
उसको अपने नीचे लेटा कर लौड़े को निशाने पर सैट किया और एक झटके में ही अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। अन्दर जाते ही वो तेज़ की चिल्लाई। पर मैंने उसकी चिल्लाहट पर कोई गौर न करके उसके उरोजों को अपने होंठों में दबा कर तेज गति से चुदाई करने लगा।
कुछ ही धक्कों में रेनू की कमर भी नीचे से उचकने लगी। लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ।
मैंने बोला- रेनू, मेरा होने वाला है। वो बोली- राजेश, तुम अन्दर ही झड़ जाओ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और उसके अन्दर ही झड़ गया। फिर वो शांत हुई और मुझे चूमा, फिर हमने कपड़े पहने और एक दूसरे के गले लग कर अगली मुलाकात तय की, अगली मुलाकात उसके घर पर थी।
अगली कहानी जानने के लिए अगली कहानी का इन्तजार कीजिये। आपको मेरी कहानी जैसी भी लगी हो मुझे जरूर बताएँ। [email protected]
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