This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
नमस्कार मेरा नाम अभय है। मेरी उम्र 24 साल है। अविवाहित हूँ। देखने में हीरो लगता हूँ।
मेरे घर के पास ही एक पति-पत्नी रहते हैं। पति महोदय शहर से दूर किसी और शहर में सरकारी सेवा में हैं। तीन माह में एक बार ही उनका घर आना सम्भव होता है। उनसे मेरी बातचीत होती रहती थी और उनकी अनुपस्थिति में उनकी धर्मपत्नी से भी मेरी बात होती रहती थी।
उनकी पत्नी का नाम दिव्या है। दिव्या 29 वर्ष की एक बहुत ही सुन्दर महिला हैं। हालांकि वे बातचीत में बहुत ही सभ्य हैं, पर मुझे उनकी सुंदरता के साथ साथ उनका व्यव्हार भी बहुत भाता है।
मुहल्ले में मेरी छवि एक बहुत ही शरीफ युवक की है। दिव्या को जब भी कोई काम होता था वो मुझको मेरे मोबाइल पर एक मिस काल कर देती थीं।
मैं अपने किसी काम से एक बार उनके घर गया तो मैंने भूल से दरवाजा नहीं खटखटाया। दिव्या स्नानघर से नहा कर निकलीं ही थीं और मुझे वे सिर्फ एक पेटीकोट में दिखीं। जो अक्सर भारतीय महिलायें नहा कर निकलते समय, अपने स्तनों तक चढ़ा लेती हैं।
उनकी एक ऐसी स्थिति देख कर मैंने अपनी पीठ फेर ली और उनसे क्षमा माँगने लगा और साथ ही घर से बाहर निकल गया। उनका यह मस्त रूप मेरे मन मस्तिष्क पर छा गया। मेरे मन में उनके प्रति नजरिया ही बदल गया था।
उसके बाद जब उनका मिस काल आया तो मैं उनके घर गया, एक बार फिर उनसे क्षमा माँगी।
उन्होंने हँसते हुए कहा- कोई बात नहीं, हो जाता है।
उन्होंने पूछा- क्या काम था?
मैंने काम बताया और वो काम पूर्ण होते ही मैं वहाँ से चला आया।
उसके बाद अक्सर मेरी निगाह उनको देखते समय उनके नग्न स्वरूप का अनुमान लगाने लगती थी। कई बार अकेले में उनको याद करते हुए हस्तमैथुन भी किया। मुझे वो बहुत ही सेक्सी लगने लगीं।
कई बार सोचा कि किस तरह दिव्या के साथ सेक्स करूँ ! पर एक अजीब सा डर लगता था कि कहीं दिव्या मुझसे नाराज न हो जाए।
मैंने अन्तर्वासना पर एक दिन ज़ूज़ा जी लिखित एक कहानी पढ़ी और फेसबुक पर उनसे जुड़ा। मैंने अपने दिल की बात उनसे की और पूछा कि मैं कैसे दिव्या को चोदूँ?
ज़ूज़ा मेरा वार्तालाप हुआ, उन्होंने मुझे हिम्मत बँधाई और कुछ टिप दीं।
मैंने सोचा कि ये कहीं मुझे पिटवा न दे। खैर हिम्मत करके मैं उनके किसी मिस काल का इन्तजार करने लगा। उनके पति आजकल घर पर नहीं थे। शाम को दिव्या की मिस काल आई, मैं तुरन्त उनके घर गया, उनको मुझसे कोई काम था, मैंने कर दिया।
दिव्या ने मुझ से पूछा- चाय पियोगे?
मैं तो उनके पास अधिक से अधिक रुकने के मूड में ही था, मैंने बोला- हाँ पी लूँगा।
वो चाय बना कर लाई। हम दोनों चाय की चुस्कियाँ लेने लगे। मैं उनकी मस्त चूचियों को अपनी छुपी नजर से देख लेता था। दिव्या ने शायद ये बात ताड़ ली थी, उन्होंने अपने पल्लू को और अधिक गिरा दिया और मुझसे बोली- अभि, क्या तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- नहीं भाभी।
दिव्या- क्यों नहीं है? क्या कोई पसन्द नहीं आती है।
मैंने कहा- पता नहीं मैंने कभी किसी लड़की को इस नजर से देखा ही नहीं है।
वो तनिक मजा लेने के अन्दाज से बोलीं- किस नजर से?
मैंने कहा- गर्ल फ्रेंड बनाने की नजर से।
दिव्या बोलीं- क्यों नहीं देखा? क्या तुम कोई हूर की परी चाहते हो? कैसी पसन्द है तुम्हारी?
मेरे मुँह से निकल गया- आपके जैसी कोई मिले तो मेरा मन बने।
वो संजीदा हो गईं, मेरी तरफ देख कर बोलीं- क्या मुझे अपनी गर्ल फेंड बनाओगे?
मैं चौंक गया ! मैंने उनकी आँखों में देखा तो एक प्रणय-याचना दिखी।
दिव्या ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और बोली- अभि, क्या जवाब है तुम्हारा?
मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा, मैंने दिव्या का हाथ उठा कर अपने होंठों से चूम लिया। हमारी प्रेम की नैय्या जज्बातों के समुद्र में तैरने लगी। मैंने उठ कर दिव्या को अपने आलिंगन में भर लिया।
दिव्या- अभि, मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है, क्या आज रात तुम मेरे घर रुक सकते हो?
मैंने दिव्या के होंठों को अपने होंठों से दबा कर जी भर कर चूसा, दिव्या ने भी अपनी जुबान मेरे मुँह में डाल कर अपनी आँखें बन्द कर लीं थीं। हम दोनों वासना की आग में झुलसने लगे थे।
कब वस्त्र उतरते चले गए मालूम ही नहीं पड़ा। मैंने दिव्या को अपनी गोद में उठाया और उसके शयनकक्ष में ले जाकर बिस्तर पर उसको लेटा दिया और उसके गोरे बदन को निहारने लगा। मैंने उसके स्तनों को जी भर कर चूसा। उसने भी मुझे खूब छक कर अपना यौवन-कपोत-रस पिलाया।
दिव्या की मादक सिसकारियाँ मुझे पागल और उन्मत्त बना रहीं थीं। मेरा सात इन्च का कुँवारा लण्ड आज अपना कौमार्य खोने वाला था। दिव्या की चिकनी चूत लगातार रस छोड़ रही थी, पति के वियोग के कारण उसकी काम पिपासा अग्नि सी दहक रही थी।
मैंने देर न लगाते हुए अपना लण्ड उसकी चूत के दाने पर रगड़ा और उसका मूक इशारा पाते ही एक धक्का दिया।
उसके मुँह से आह निकल गई- “आ अ अभि ई ई ईई”
मैंने उसकी तरफ देखते हुए दो तीन झटके और मारे। मेरा लौड़ा उसकी चूत में पूरा पेवस्त हो चुका था।
उसकी एक कराह सी निकली पर चूँकि वो सैक्स की अभ्यस्त थी सो जल्द ही हम दोनों को काम की इन लहरों ने आनन्द के थपेड़े देना शुरू कर दिए। वो बहुत खुश थी।
मेरी तरफ देख कर बोली- अभि क्या तुम जानते हो कि तुम कितने भोले हो? मैंने तुमको कितने इशारे दिए पर तुम नम्बर-वन के चूतिया हो। तुम्हारी इस बात ने मुझ को कितनी देर से यह सुख दिया है।
मैंने चौंक कर उसकी तरफ देखा और पूछा- क्या तुम मुझ से बहुत पहले से ही सैक्स करना चाहती थीं?
दिव्या मुस्कुरा कर बोली- हाँ मेरे बुद्धू राजा। मुझे तुम बहुत पहले से ही पसन्द हो।
मैं उसकी बात सुन कर जोश में आ गया और हचक कर धक्के मारने शुरू कर दिए।
दिव्या- हाँ लगा लो अब और जोर से धक्के। मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे नहीं मालूम था अभि कि तुम्हारा लौड़ा इतना बड़ा है। चोदो मुझे और जोर से चोदो।
करीब बीस मिनट की धकाधक चुदाई से हम दोनों पसीने में लथपथ हो गए थे। दिव्या का शरीर ऐंठने लगा था।
उसके मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं थीं- चो..द.. अभि.. और..ज्जोर.. स्से..धक्के.. मारर.. मेरेरेरे.. राज्ज्ज्ज..जा ! और वो अचानक शिथिल पड़ गई। दिव्या झड़ चुकी थी।
मैंने भी तूफानी गति से धक्के मारते हुए उसकी चूत में अपने लण्ड का लावा छोड़ दिया। मैं एकदम से थक कर चूर हो गया था। ऐसा लग रहा था कि न जाने कितनी दूर से दौड़ लगा कर आया होऊँ। कुछ देर मेरा लण्ड दिव्या की चूत में ही पड़ा रहा।
दिव्या ने अपनी आँखें खोलीं और मेरे बालों में अपना दुलार भरा हाथ फिराया। हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर खींचा।
दिव्या- आह, अभि तुम बड़े बेदर्दी हो।
मैंने उसके एक दुद्दू को मसक दिया और झुक कर उसके होंठों को चूमा। इसके बाद मेरा और दिव्या का टाँका भिड़ चुका था।
मैं अपनी ईमेल आईडी नीचे लिख रहा हूँ। मुझे आप लोगों के कमेंट्स का बड़ी बेसब्री से इन्तजार रहेगा। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000