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यह बात तब की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी की तलाश में मुम्बई में अपनी चाची के घर आया।
मेरी चाची तान्या करीब 40 वर्ष की होंगी, साधारण कद की, पर सुन्दर थीं, गोरा रंग और कमर पतली थी पर आंटी के चूतड़ भारी थे। उनकी चूचियाँ भी बड़ी थीं। इस उमर में लगभग सभी औरतों का यही फ़िगर होता है। तान्या ने जब मुझे देखा तो मैं उन्हें पहली नजर में पसन्द आ गया।
वो मेरे से बचपन में मिली थीं, और अब मैं 24 वर्ष का था। मैं भी तान्या से मिलकर बहुत खुश हुआ। मैं उसकी नजरें समझ रहा था, शायद उसे मेरा जवान जिस्म अच्छा लग रहा था। पहली ही नजर में उसकी सेक्सी ईमेज, मेरे दिल पर छा गई।
तान्या ने आरम्भ से ही बड़ी समझदारी से काम लिया। मुझे उसने बड़ा अच्छे ढंग से रखा… मेरी हर जरूरत का ख्याल रखा। चाचा सवेरे 8 बजे घर से निकल जाते थे और करीब 6 बजे वापस आते थे। घर पर बस हम दोनों रह जाते थे।
दो दिन उनके घर में बीत चुके थे… इस बीच में मेरे और तान्या के बीच कई बार नजरों में इशारे भी हुए… पर अभी भी शर्म की दीवार बीच में थी। इस दीवार को हम दोनों तोड़ने का बहाना बना रहे थे। तान्या मुझसे करीब 16 साल बड़ी थी, उसमें अनुभव एवं समझ थी, मुझे पटाने का वो हर बहाना जानती थीं। मुझे लगा शायद तान्या मेरी पहल का इन्तजार कर रही थीं। मैं भी अब उसके नजदीक आना चाहता था। उसके चूतड़ मुझे बहुत ही मस्त लगते थे… लगता था कि बस उसे कोने में ले जाकर कर जोर से मसल दूँ…
मैं आज इन्टरव्यू देकर जल्दी ही आ गया था। मैं सीधा तान्या के बेडरूम में गया… मैं उसे देखते ही चौंक गया। वो बिस्तर पर पेटीकोट उठा कर उल्टी लेटी थी… और सिसकारियाँ भर रही थी। मेरे आने का उसे पता नहीं चला था।
उसकी एक उंगली उसकी चूत में थी। शायद वो अपनी आग बुझा रही थी। मुझे लगा कि मौका अच्छा है। मैं दबे पांव बिस्तर के नजदीक आ गया। वो वासना के मारे तड़प रही थी… मैंने उसके भारी चूतड़ पर अपना हाथ रख दिया और धीरे से सहला दिया।
“कौन है…?” वो मेरे हाथ लगाने से चौंक गई और उछल पड़ी।
“मै हूँ… राहुल…!!” मैं भी डर गया।
“अरे तुम कब आये… दरवाज़ा तो खटखटा तो दिया होता…” तान्या ने बड़ी अदा से शिकायत की।
“आपकी ऐसी हालत देख कर मैंने आपको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा।”
वो बिस्तर से उठने लगी। मैंने सोचा कि यह तो हाथ से फिर निकली जा रही रही है। मैंने सोचा एक बार और कोशिश की जाये।
“आप लेटी रहें… अपना काम तो पूरा कर लें… क्या मैं आपकी मदद कर दूँ?”
मैं उसके पास आ गया और अपने हाथों से उसके कंधों को पकड़ कर वापस लेटा दिया।
“क… क… क्या… राहुल… तुम… ये तो… ”
वो शरमा गई… और अपने चेहरे को दोनों हाथों से छिपा लिया। मैंने मौका देखा और… और… उसकी नंगी जांघ पर हाथ रख दिया। उसके पेटीकोट के भीतर मेरा हाथ चूत की तरफ़ सरकने लगा। उसके बदन की झुरझुरी मुझे महसूस होने लगी। मेरा हाथ उसकी झाँटों तक पहुँच गया था। उसने झट से अपने हाथ से मेरा हाथ थाम लिया।
“राहुल… न… ना… कर… मैं मर जाऊँगी… ” उसकी वासना भरी आँखें मुझे बुला रही थीं… पर शरम उसका रास्ता रोक रही थी।
“तान्या… प्लीज़… मत रोको… तुम्हारा जिस्म आग है… मुझे जल जाने दो…!”
“हाय राहुल… नहीं… यह पाप है…!”
“नहीं… यह तो मर्द और औरत की जरूरत है… इसे देखो तो… यह क्या मांग रहा है…?!!”
मैंने जानबूझ कर अपने पेंट की ज़िप खोल कर अपना बेकरार तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकाल कर उसे दिखाया।
“हाय रे… ऐसे नहीं करो… ना… इसे सम्हालो… ” उसने हाथ बढ़ा कर उसे प्यार से पकड़ लिया…”
“इसे इसका साथी चाहिये… तान्या… प्लीज़… मिला दो ना…”
“राहुलऽऽऽऽ हाय… मत करो न… ” उसने मुझे अपने हाथों से खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया…
“होंठों पर ना है… पर दिल में हाँ है… आपका जिस्म आग हो रहा है… कपड़े जल जायेंगे… हटा दो इनको…!”
मैंने फिर से उठ कर उसका पेटीकोट नीचे खींच लिया। उसकी गदराई जवानी निखर आई। उसकी चूत के आसपास की झाँटें उसकी चूत को सजा रही थी… चूत की दोनों पन्खुड़ियाँ फ़ड़फ़ड़ा रही थी, पानी से पूरी गीली थीं। मैंने भी अपनी पैन्ट और अन्डरवीयर उतार दी। अब मैंने उसके ब्लाऊज को उतारा। उसके दोनों बोबे छलक उठे… एकदम गोरे और भारी से… भूरे रंग के कड़े चूचक… मैंने बिना किसी संकोच के उसके दोनों बोबे अपने हाथों में भर लिये।
“राहुल… हाय रे… कितने साल हो गये इन्हें मसले हुए…” वो तड़प उठी। उसने मेरा लण्ड खींच के अपने मुख में भर लिया। मैं उत्तेजित हो उठा और तान्या के मुख को ही धक्के मार मार कर चोदने लगा। मेरा सुपारा वो कस कस कर चूस रही थी। सुपाड़ा भी और फूल कर चिकना हो कर चमक उठा था।
इतने में तान्या ने मेरा लण्ड छोड़ा और मुझे कहा,” राहुल… देख आज मेरी पिछाड़ी कितना तड़प रही है… मेरी पिछाड़ी चोद दे…”
मैंने तुरन्त पीछे हट कर उसे घोड़ी बना दिया। उसके चिकने चूतड़ उभर कर मेरे सामने चमक उठे। उसकी दोनों गोरी गोरी सी गोलाइयाँ मुझे बुलाने लगीं। मैंने उसकी फाँकें चीर दी। उसके गाण्ड का फूल खिल उठा। अन्दर बाहर की सिकुड़न करता हुआ, गान्ड का छेद बड़ा प्यारा लग रहा था। मैंने ढेर सारा थूक, उसके छेद पर लगा दिया और अपनी दो उँगलियाँ डाल कर उसमें घुमाने लगा।
वह चिहुँक उठी। उसकी गाण्ड के छेद में लण्ड जाने को तैयार था। मैंने अपना सुपाड़ा छेद पर रख कर दबाया तो वह फ़क्क से अंदर उतर गया और छेद में फँस गया।
तान्या ने मुझे धन्यवाद की नजरों से देखा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
“प्यारे राहुल…! मुझे बहुत अच्छा लग रहा है… अपना प्यारा सा लण्ड पूरा उतार दे… चोद दे मेरी गाण्ड को…”
मैंने जोर लगाया और लण्ड गाण्ड की दीवारों पर रगड़ खाता हुआ अन्दर जाने लगा। मुझे मीठा मीठा सा तेज वासनायुक्त मजा आने लगा। उसकी गाण्ड चिकनी और गीली थी। मेरा लण्ड जिस आसानी से आ जा रहा था, लगता था कि उसकी गाण्ड को चुदने का अभ्यास है। उसे गाण्ड मरवाने में मजा आ रहा था… वो सिसकारियाँ भर रही थी… मैंने बीच बीच में लण्ड गाण्ड से बाहर निकाला तो उसका छेद वैसा ही खुला रहा… मैं दोबारा पूरे जोश से अन्दर फिर पेल देता था।
तान्या मुझे बार बार मुड़ कर प्यार से देखती थी, अब उसने कहा- राहुल… अब बस… अपना लण्ड निकाल लो और…” उसने पूरा कहा भी नहीं था कि मेरा लण्ड उसकी चूत में पीछे से घुस चुका था।
“हाय… रे… राहुलऽऽऽऽ घुस गया रे… ” वो आनन्द से सीत्कार भरने लगी… यानि अब उसकी खुजली मिटी…
मैं उसकी भारी और मोटी गाण्ड पर थपकियाँ मार मार कर, चोदने लगा। उसकी चूत चिकना पानी छोड़ रही थी… मेरा लण्ड सटासट चल रहा था। कभी कभी फ़च फ़च की आवाजें भी आ जाती थीं… तान्या की चूत की प्यास बुझने के बजाय बढ़ रही थी। मैं उसे चोदते चोदते अपनी चरमसीमा पर आ चुका था। मेरा लण्ड बार बार रस छोड़ने को बेताब हो रहा था।
“तान्या… मुझे सम्भाल… मेरा निकला… जल्दी… कर…”
तान्या तुरन्त उठी, उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसे बिस्तर से नीचे की तरफ़ कर दिया और लण्ड को तेज दबा कर मुठ मारने लगी। मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और अपनी तरफ़ उसे खींचने लगा। पर लण्ड आखिर छूट ही पड़ा… मेरा वीर्य एक तेज पिचकारी के रूप में हवा में लहरा उठा और फ़र्श गीला करने लगा। वो दांत भींच कर मुठ मारे जा रही थी। अब पिचकारी का जोर कम हो गया था। अब वो बूंदों को निचोड़ रही थी और झटके दे देकर और जोर से हिला हिला कर उन्हें भी नीचे गिरा रही थी।
मुझे पता था कि तान्या अभी नहीं झड़ी है… मैंने तुरन्त ही तान्या को फिर से दबा लिया और उसकी चूत में तीन उँगलियाँ डाल दी… तीनों उँगलियों से उसकी चूत चोदने लगा। वो आह भरती हुई तड़पने लगी और अपने शरीर को ऊपर नीचे हिलाने लगी… मैंने उसे और दबा लिया।
अचानक उसने अपनी चूत ऊपर को उभार ली और… और…”हाय राहुलऽऽऽ मर गई… आहऽऽऽ निकला रेऽऽऽऽऽ… ” अब वो चरमसीमा पर पहुँच चुकी थी… उसकी सारी उत्तेजना चूत के रास्ते झड़ने लगी थी… रह रह कर वो जोर लगा कर जैसे कुछ निकाल रही हो… धीरे धीरे उसका झड़ना पूरा हो गया और अब वो तेज सांसें ले रही थी।
“तान्या… थेंक्स… तुमने आज बहुत सुख दिया है…” मैंने उसे प्यार से चूम लिया।
उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे खींच लिया और अपने बदन से चिपका लिया।
“राहुल, तुम जब चाहो, जब समय मिले, तो आ जाया करो… देखो मैंने कितने महीनों बाद चुदवाया है…”
“आपका यह हॉट इन्विटेशन मुझे स्वीकार है… डार्लिंग तान्या.. ”
अब वो भी खड़ी हो गई।
चलो ना किचन में… कॉफ़ी बनाते है… फिर एक दौर और करेंगे… मैं खुश हो गया और उसके मोटे मोटे चूतड़ पकड़ लिये…
“ऊईऽऽ मांऽऽ… ” वो उछल पड़ी… और किचन की तरफ़ लहरा कर चल दी…
दोस्तो कैसी लगी मेरी आपबीती? जरूर बताइयेगा।
आपकी मेल का इन्तजार रहेगा।
आपका अपना राहुल [email protected]
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