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भाभी की तो अभी आग ठीक से जली भी नहीं थी और मेरा खेल ख़त्म हो चुका था।
उस दिन मुझे अपने आप पर सबसे ज्यादा शर्म आई। भाभी ने भी ताना मारा- क्यों जतिन… इतनी जल्दी, बस इतना ही दम था तुम्हारे अन्दर?
मुझे उस दिन बहुत ग्लानि हुई और मैं शरमा कर अपने कमरे में चला गया। पूरी रात मैं यह सोचता रहा कि ऐसा कैसे हो सकता है। शायद पहली बार होने के वजह से ऐसा हुआ होगा।
उस दिन से मैंने सोच लिया कि इसकी वजह जान कर ही दम लूँगा। मैं सीधा भाभी के पास गया और उनसे मदद मांगी।
भाभी ने बताया कि मैं कुछ ज्यादा ही जल्दी में था इसलिए ऐसा हुआ। पर भाभी के इस जवाब से मेरा दिल नहीं माना। उस दिन मैंने कॉलेज न जाने का फैसला किया। मैं दिन भर गूगल पर सेक्स और कामसूत्र के बारे में जानकारी जमा की और भाभी पर उनका प्रयोग करता गया।मैंने भाभी के साथ लगातार तीन साल सम्बन्ध बनाये रखे और एक गुरु की तरह अब मैं उनको बताता था कि क्या करने से क्या असर होता है।
दिन प्रतिदिन मेरी रूचि इसमें बढ़ती गई।
इसके बाद मेरी नौकरी लग गई और मैं नागपुर आ गया। यहाँ पर कंपनी ने मुझे एक फ्लैट दिला दिया और अच्छी तनख्वाह होने के कारण गाड़ी मैंने खरीद ली। मेरे पड़ोसी भी बहुत अच्छे निकले।
मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थी जिनकी उम्र तक़रीबन 45 साल थी। उनके पति विदेश में रहते थे और उनकी एक ही बेटी थी जो कॉलेज में पढ़ रही थी। उसका नाम नेहा था। नेहा की मम्मी के साथ मेरी बातचीत अक्सर होती थी और कभी कभी नेहा से भी बात हो जाती थी, नेहा एक शरीफ लड़की थी, उसकी दिलचस्पी लड़कों में बिल्कुल नहीं थी। बस वो पढ़ने में थोड़ा कमजोर थी। गणित उसका ज्यादा कमजोर था।
नेहा की मम्मी ने मुझसे कहा- अगर श्याम को समय रहता हो तो तुम नेहा को पढ़ा दिया करो। नेहा एक बेहद खूबसूरत लड़की थी और मेरे मन में भी कुछ काला नहीं था सो मैंने भी हाँ कर दी।
अगले दिन से नेहा मेरे पास पढ़ने आने लगी और मैं उसकी बराबर मदद कर रहा था। हम लोग एक दूसरे के साथ काफ़ी खुल गए थे। अब वो बिना दरवाजे की घंटी बजाई हुए भी मेरे कमरे में आ जाती थी।
एक दिन रविवार को मैं सुबह सुबह अपने लैपटॉप में ब्लू फिल्म देख रहा था तभी नेहा वहाँ पर आ गई। मैं मुठ मार रहा था और मुझे पता नहीं था कि नेहा मेरे कमरे में आ चुकी है। वो चुपचाप खड़े होकर सब देख रही थी। अचानक मेरा वीर्य निकल पड़ा और मैंने जैसे ही अपना लैपटॉप अपने पेट पर से हटाया तो देखा नेहा आँखें बंद किये हुए किसी दूसरी दुनिया में गुम है।
मैंने झट से अपनी चड्डी पहनी। नेहा भी होश में आई और भागकर चली गई वहाँ से। शाम को जब वो पढ़ने आई तो मैं उससे नज़रे नहीं मिला पा रहा था। दो-तीन दिन ऐसे ही बीत गए। एक दिन उसने पूछ ही लिया- उस दिन आप क्या कर रहे थे। मैं अब भला क्या बोलता, मैंने उत्तर दिया कि मैं अपनी प्यार की जरूरतों को पूरा कर रहा था।
इस पर नेहा ने कहा- आप किसी को अपनी गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बना लेते? वो शायद आपकी कोई मदद कर सके। मेरे मुँह से अचानक निकल गया- तुम क्यों नहीं बन जाती मेरी गर्लफ़्रेंड? इस पर वो खामोश हो गई और वहाँ से शरमा कर चली गई।
अगले दिन सुबह सुबह वो मेरे कमरे में आई, मुझे एक लिफाफा देकर वो वह से भाग गई। मैंने जब उसको खोला तो उसमें बस इतना लिखा था ‘मुझे मंजूर है।’
मैं तो ख़ुशी के मारे पागल हो गया और शाम को उसके आने का इंतज़ार करने लगा। जैसे ही वो शाम को घर पर आई, मैंने दरवाजा बंद कर लिया और उसको अपने गले से लगा लिया। थोड़ी सी न नुकुर करने के बाद उसने भी मेरा भरपूर साथ दिया।
मैंने झट से उसको अपनी बाँहों में उठा लिया और अपने बिस्तर पे ले गया। उसने सलवार कमीज पहना हुआ था। अनायास ही मेरे हाथ उसके स्तन पर चले गए और मैंने बड़े प्यार से उसके स्तन तो ऊपर ही ऊपर से दबाना शुरू कर दिया। इसी के साथ मैंने अपने होठों से उसके गले पर और उसकी बाँहों पर खूब गुदगुदी की। वो तो जैसे किसी और दुनिया में गुम थी, पागलों की तरह मुझे प्यार कर रही थी वो !
मैंने उसकी सलवार कमीज़ उतारनी चाही तो उसने मना नहीं किया। मैंने देखा कि उसकी बगलों में प्यारे प्यारे छोटे छोटे बाल थे। मैंने अपनी नाक से वहाँ पर खूब गुदगुदी की और उसको ये सब बहुत ही अच्छा लग रहा था। पूरे कमरे में उसकी सिसकारियाँ गूंज रही थी। मैंने धीरे से उसकी ब्रा निकाल दी और उसकी चूची के ऊपर अपने होंठ रगड़ने लगा।
वो पागल हो चुकी थी। मैंने उसके शरीर के हर हिस्से को खूब चूमा, प्यार किया। जब मैंने उसकी पैन्टी निकालनी चाही तो उसने मना कर दिया। पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसको भी निकाल फेंका जो उसके कामरस से पूरी गीली हो चुकी थी। मेरे केवल एक प्यारे से चुम्बन ने उसको पूरा हिला के रख दिया और उसका पानी निकल गया।
उसने मेरे मुँह को जोर से अपनी चूत पर दबा लिया और फिर शांत हो गई। पर मेरा काम अभी अधूरा था, मैंने उसकी गांड के छेद पर खूब चूमा, जिससे वो और भी ज्यादा रोमांचित हो उठी, उसने मुझसे विनती की- जल्दी से कुछ करो नहीं तो मैं मर जाऊँगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने देखा कि यही सही समय था, मैंने तेल की शीशी उठाई और उसकी बुर को तेल से नहला दिया, साथ ही साथ मेरे लंड पर भी मैंने अछे से तेल लगा लिया। जैसे ही मैंने डालने की कोशिश की मेरा लंड फिसल गया। उसकी बुर काफी कसी हुई थी और मुझे डर भी लग रहा था। मैंने हिम्मत की और फिर से कोशिश की। इस बार मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया। उसके मुँह से जोरदार चीख निकल गई और वो मुझे पीछे धकेलने लगी। पर मैं वैसे ही रुका रहा।
कुछ सेकंड बाद मैंने दूसरा धक्का मारा और मेरा लंड चाकू की तरह आधा अन्दर चला गया। उसकी चूत से खून निकलने लगा था और उसे बहुत दर्द भी हो रहा था।
मैंने प्यार से उसको होटों पर खूब चुम्बन किये और उसके सीने को दबाता रहा। जब उसका दर्द कम हुआ तो मेरे एक जोरदार झटके से पूरा लण्ड अन्दर चला गया। उसकी आँखों से आँसू निकल आये, मैं पूरा उसके ऊपर झुक गया और उसको खूब प्यार करता रहा।
कुछ देर बाद उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की और अब उसका दर्द जा चुका था। मैंने भी उसका पूरा साथ दिया।
हमारी सीत्कारों की आवाज पूरे कमरे में आ रही थी, वो तो किसी दूसरी दुनिया में ही थी। तक़रीबन दस मिनट बाद मैं झड़ा और इस दौरान दो बार उसका पानी निकल चुका था, उससे ठीक से हिला भी नहीं जा रहा था और वो मेरे बाँहों में सर रखकर लेट गई थी।मैंने दर्द दूर करने वाली गोली अपनी मेडिकल बॉक्स में से निकाल कर उसे दी।
उस दिन के बाद से आज चार साल हो गए हैं और हम लोग आज भी चुदाई का उतना ही मज़ा लेते हैं। समय कैसे बीत जाता है, पता ही नहीं चलता।
दोस्तो, मैंने अपने ज्ञान का अच्छा इस्तेमाल किया है और अभी तक काफी लोगों की मदद भी की है। अगर किसी तो मेरी मदद की जरुरत है तो मुझे मेल कर सकता है। मैं बस इस चीज पर विश्वास रखता हूँ कि कोई भी मर्द जो शरीर से अच्छा हो, वो किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता है।
आप सबको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना ! [email protected]
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