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दोस्तो, आज मैं आपको अपने जीवन की पहली चुदाई के बारे में बताता हूँ। सबसे पहले मैं अपने बारे में, मेरा नाम कपिल है, मैं सहरसा बिहार का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 20 वर्ष, लम्बाई 5 फीट 8 ईंच है, लण्ड 8 ईंच लंबा है।
मेरा एक दोस्त है अनिल, घर सहरसा में ही है, उसकी गर्लफ़्रेंड का नाम रजनी है, वह बरौनी में रहती है, उसके पापा गुजर चुके हैं, उसके परिवार में रजनी, उसकी 4 बहनें और 2 भाई हैं और दादी और माँ के साथ रहती हैं।
रजनी के साथ उसकी दो बहनें रोज़ी और प्रिया और एक सहेली मीना आई थी, जिनमें मीना का शादी हो चुकी थी।
रजनी की उम्र 20 साल होगी। हम लोग फिल्म देख रहे थे, बाक्स में जहाँ हम लोग बैठे थे, वहाँ हमारे सिवाय कोई नहीं था तो अनिल रजनी को पीछे ले जाकर चूमाचाटी करने लगा तो प्रिया और मीना आगे जाकर बैठ गई। रोज़ी यह देखकर मेरे पास आकर बैठ गई और मुझसे पूछने लगी- आपकी कोई लड़की दोस्त है?
मैंने नहीं में सर हिलाया तो वह मेरे कंधे पर अपना सर रख कर फिल्म देखने लगी, बोली- सर रखने से कोई दिक्कत तो नहीं हो रही आपको?
मैंने नहीं में जबाब दिया। फिल्म खत्म होने के बाद हम लोग निकले, वे लोग सभी अपने घर चले गए, हम दोनों फिर सहरसा आ गये।
उसके दूसरे दिन रात करीब 11 बजे रोज़ी ने मुझे फोन किआ और अपने प्यार का इजहार किया। हम लोग रात भर बातें करते रहे, बात आगे बढ़ती रही।
करीब 10 दिन बाद रोज़ी का फ़ोन आया तो उसने मुझे कहा- मुझे पता चला है कि प्रिया आपको चाह्ने लगी है, आप प्रिया से ही प्यार कीजिए, वह मुझसे ज्यादा आपको प्यार करती है।
और फोन काट दिया।
मुझे भी रोज़ी से ज्यादा प्रिया पसंद थी। फिर प्रिया से मेरी बात होने लगी वह मुझसे हर वक्त बात करना चाहती थी जो मुझे भी पसंद था, मुझसे बहुत प्यार करती थी प्रिया !
मैं प्रिया के साथ सारी रात फोन सेक्स करता और उसे तड़पाता रहता। जनवरी में उसकी बड़ी दीदी की डिलिवरी होने वाली थी तो छोटा शहर होने के कारण उसकी दीदी और परिवार के कुछ लोग बेगुसराय चले गये। घर में रजनी और प्रिया बची थी। रजनी ने अनिल को फोन करके आने को बोला। अनिल पटना में पढ़ता था, उसने मुझे भी आने को बोला और वो पटना से चला, मैं सहरसा से !
शाम 4:30 बजे की गाड़ी से बरौनी के लिए निकला। अनिल करीब 8 बजे रात में बरौनी जंक्शन पर मिला। ठण्ड बहुत थी, हम लोग कुछ गिफ्ट लेकर उसके घर पर गए, खाना खाया, कुछ इधर उधर की बातें की।
फिर हम दोनों दोस्त एक ही कमरे में सोने आ गए। मुझे नींद नहीं आ रही था और अनिल की भी नींद गायब थी।
करीब 12 बजे रात में रजनी आई मुझे सोया समझ कर अनिल के साथ लेट गई।
रजनी आई मुझे सोया समझ कर अनिल को पागलों की तरह चूमने लगी। दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे, मैं बगल में सोने का नाटक करके देख रहा था।
फिर अनिल ने रजनी का कमीज ऊपर करके उसकी चूचियाँ दबाने लगा रजनी किस पे किस किए जा रही थी।
फिर अनिल ने उसे नीचे करके उसके ऊपर आ गया, फिर रजनी का कमीज उतारने लगा। कमरे में नाईट बल्ब जलने के कारण साफ दिखाई दे रहा था। अनिल कमीज उतार कर उसकी चूची को मुँह में लेकर कभी चूसता, कभी दाँत काटता। करीब 10 मिनट तक चूसने- काटने से रजनी की चूचियाँ लाल हो गई थी। फिर अनिल उसकी सलवार और पैंटी नीचे करके उसकी चूत में उंगली डालने लगा और होंठ चूमने लगा जिससे वह तड़पने लगी और अनिल की जींस नीचे करके लण्ड पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी।
अनिल उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था, दोनों के होंठ एक दूसरे का रसपान कर रहे थे, दोनों लम्बे सांस ले रहे थे। फिर रजनी लण्ड को चूत पर सटाकर नीचे से घुसाने का कोशिश करने लगी। यह देख अनिल ने रजनी की कमर पकड़ी और जोर से धक्का मारा। लण्ड फच की आवाज करता हुए चूत में घुस गया। रजनी के मुँह से सेक्सी आवाज निकल रही थी।
इधर मुझे अपने आपको संभालना मुश्किल हो रहा था, बुर से फच फच की आवाज लागातार आ रही थी जो मेरे मन में और वासना भर रही थी।
कुछ ही देर में रजनी झर गई और बोलने लगी- निकालो जल्दी, बहुत दर्द होने लगा है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
पर वो साला धक्का पे धक्का लगा रहा था, फिर 5 मिनट में शांत हो गया और उसके ऊपर ही लेटा रहा। थोड़ी देर बाद दोनों ने उठकर कपड़े ठीक किए फिर रजनी लंगड़ाते हुए दूसरे कमरे में, जहाँ प्रिया सोई थी, चली गई।
यह साला सुस्त आदमी की तरह सो गया, मैंने टाईम देखा, रात के 1:30 बज रहे थे, मुझे एक घण्टे से पेशाब लगा था लेकिन चुदाई देखने के लिए लेटा रहा।
फिर प्रिया का फोन आया, बोली- सो रहे हैं क्या आप?
मैंने बोला- मैं टोयलेट में हूँ।
बोली- क्या कर रहे हैं?
मैंने बोला- मुठ मार रहा हूँ !
उसने तुरन्त फोन काट दिया।
फिर जब मैं टोयलेट से निकला तो बाहर प्रिया खड़ी ठंड से कांप रही थी। ठंड भी बहुत थी।
वो मेरे पास आकर बोली- दीदी अभी 15-20 मिनट पहले आई, कहाँ थी?
मैंने बोला- चुदा रही थी !
मेरी बात सुनकर हंसकर बोली- हमें भी मालूम है, देखा था हमने छुपकर !
फिर मुझसे लिपट गई और मेरे होंठ और गाल चूमने लगी। मैंने उसे बोला- चलो बाहर मस्ती करते हैं।
बोली- ठंड है, ठंड लग जाएगी।
मैं उसे गोद में उठाकर बाहर निकला, सड़क पर दोनों तरफ देखा, कोई नहीं था, मैंने उसे गोद से उतारा और बोला- आई लव यू प्रिया !
वह मेरे होंठ पर चुम्बन करने लगी, मैंने भी खूब चूसे प्रिया के होंठ !
मेरी वासना तो पहले ही मुझ पर हावी थी, मैंने अपनी जिप खोलकर लण्ड उसके हाथ में दिया।
जब उसने पकड़ा तो बोली- मैं आपको चोदने नहीं दूँगी।
मैंने बोला- क्यों?
बोली-इतना मोटा नहीं जाएगा मेरे अन्दर !
मैंने बोला- नहीं चोदूँगा तुम्हें ! बस तुम अपनी चूत देखने दो।
वह बोली- नहीं, आप हाथ ठण्डा है !
मैं उसे अन्दर बरामदे में ले गया और जबरदस्ती उसकी जीन्स का बटन खोला और पैन्टी में हाथ डाल दिया। उसकी चूत से पानी रिस रहा था। मैंने एक उंगली अंदर डाली, फिर बाहर निकाल कर दो उंगलियाँ डाली तो बोली- दर्द हो रहा है। आप मुझसे प्यार करते हैं तो उंगली बाहर निकालिए।
मैंने उंगलियाँ निकाल कर उसकी पैंटी से हाथ निकाल लिया। फ़िर मैंने जींस का बटन भी लगा दिया।
वह खुश हो गई, मुझे चूमने लगी, बोली- आई लव यू ! मेरे जानू, आप जो चाहें कर सकते हैं, बस उसमें कुछ मत कीजिए।
मैंने कहा- थीक है!
वह फिर मुझे चूमने लगी। मैंने उसके टॉप में हाथ डालकर चूची को पकड़ा, छोटी थी अनार के जैसी। मैं एक को चूसने लगा, दूसरी को दबाने लगा, जब जोर से मसला तो बोली- ऐसे मत कीजिए, नहीं तो बड़ी हो जायेंगी ये !
मैं नहीं माना और जोर से काटने लगा, मसलने लगा तो रोने लगी।
मैंने बोला- एक काम करो, तुम मेरा चूसो तो नहीं दबाऊँगा।
प्रिया बोली- नहीं वहाँ से पेशाब निकलता है, वह गन्दी जगह होती है, मैं नहीं चूसूँगी।
मैंने बोला- लाओ, मैं पहले तुम्हारी चूसता हूँ ! मुझे तुम्हारी गन्दी जगह ही बहुत पसंद है।
वो बोली- छी छी ! कैसे लड़के हैं आप!
मैं तुरन्त प्रिया की जीन्स खोलकर बुर में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा और फिर वहीं पर लेटा कर चूसने लगा। वह ‘ओह आह सी !’ किए जा रही थी बार बार !
करीब 5 मिनट बाद वह झर गई और लेटे रही। मैंने तुरन्त जीभ हटा कर लण्ड चूत पर रख कर जोर से धक्का मारा और उसकी कमर मजबूत से पकड़ ली। उसने जोर से चिल्लाना चाहा पर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर दबा लिए, वो रोने लगी पर मैंने एक और धक्का मारा वह बेहोश सी हो गई। एक धक्का और मेरा करीब 6 इंच अंदर चला गया। उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
मैंने एक धक्का जोर से मारा मेरा लौड़ा पूरा उसकी चूत में फिट हो गया। अब मैं रुक कर प्रिया के आंसू अपनी जीभ से साफ करने लगा।
वो बार बार बोल रही थी- बहुत दर्द हो रहा है, लगता है मेरी पूरी फट गई है, निकालिये प्लीज ! नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया, चोदना चालू कर दिया। वह रोती रही, करीब 10 मिनट बाद मैं उसकी बुर में झर गया।
फिर जब लण्ड निकाला तो चूत से खून निकल रहा था और वह बार-बार बोल रही थी- आपने मेरा कहा नहीं माना ना? आज से आपसे बात नहीं करुँगी।
मैंने रुमाल निकाल कर चूत को साफ किया, उसके कपड़े ठीक किए फिर एक चुम्बन लिया और गोद में उठाकर उसके कमरे के दरवाजे के पास ले गया। वो दीवार पकड़ कर बेड पे जाकर सो गई।
उसके बाद प्रिया ने मुझसे 15 दिन तक बात नहीं और जिस दिन मुझसे बात की, मुझे बोली- आप मुझसे नहीं, मेरे जिस्म से प्यार करते थे !
उस दिन मैं बहुत रोया और आज भी उसे याद करके रोता हूँ। मेरी प्रिया ने मुझे भुला दिया।
दोस्तो, यह कपिल आज भी अपनी प्रिया के इन्तजार में है।
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