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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्कार!
आप सबका प्यार ही मुझे बार-बार आपकी ओर खींच लाता है। अन्तर्वासना के पाठकों को बताना चाहूँगा कि मैं इतनी कहानियाँ लिखने का समय नहीं निकाल पाता हूँ, पर अन्तर्वासना के कारण ही मुझे जब किसी को चोदने का मौका मिले और मैं वो बात अन्तर्वासना में ही नहीं दे पाऊँ तो मेरा जमीर मुझे इसके लिए धिक्कारता है, इसलिए अपने शौक को पूरा करने का समय जब मैं निकाल सकता हूँ तो अपने जमीर की डांट से बचने के लिए उस बात को सिलसिलेवार लिखकर अन्तर्वासना में भेज देता हूँ।
तो लीजिए अब कहानी पर आता हूँ।
दोस्तो, इस बार की कहानी का विषय मुझे अपनी आईडी पर आए एक मेल से ही मिला और मजे की बात कि यह मेल एक अविवाहित लड़की ने भेजी थी। इसका नाम साक्षी है, यह देहरादून के एक हॉस्टल में रहकर वहीं के एक कालेज में अपनी पढ़ाई कर रही है।
हालांकि किसी अविवाहित लड़की की सील ना तोड़ने संबंधी मेरी पत्नी के निर्देश से बचने के लिए मैंने उससे पूछा- पहले सैक्स किया है या नहीं?
तो उसने बिना किसी झिझक के बताया- मैं 5-6 बार सैक्स कर चुकी हूँ।
मैं बोला- यानि बॉयफ्रेंड हैं।
तो वह बोली- बॉयफ्रेंड हैं, पर कोई एक नहीं है। न ही मैं किसी एक से चुदी हूँ। हर बार नए लौड़े को अपनी चूत में लेना मुझे अच्छा लगा है।
मैंने उससे पूछा- हर बार अलग क्यूँ? एक ही से क्यों नहीं?
इस पर वह बोली- मैं यह नहीं समझ पा रही हूँ कि कैसे कोई औरत पूरी जिंदगी एक ही आदमी का लौड़ा लेकर रह सकती है।
मैं बोला- ऐसा मत बोलो यार। तकरीबन सभी हिंदुस्तानी औरतें शादी के बाद सिर्फ़ अपने आदमी से ही चुदवाकर खुश रहती हैं। मैं भी विवाहित हूँ, और जितना जानता हूँ उस हिसाब से शादी से पहले भी मेरी पत्नी के पीछे कई लड़के लगे रहे पर उसने उनमें से किसी के भी साथ संबंध नहीं बनाए।
मैं इस विषय में और बोलने वाला था पर उसने यह बोलकर रोक दिया- मैं आपको अपनी सोच बता रही हूँ। इसलिए मेरी बात सुनिए अपनी बात मत बताइए।
अब मैं उसकी बात पर ही आया और उससे पूछा- आपका कोई बॉयफ्रेंड आपके इस बदलाव पर ऐतराज नहीं करता है क्या?
तो वह बोली- मैं अपने नए पार्टनर के बारे में किसी को बतलाती ही नहीं हूँ। और बुरा लगे तो वह भी अपने रास्ते निकल ले। जिसने मुझे अच्छे से चोदा है, मैं जिससे चुदवाती हूँ वही मेरा बढ़िया फ्रेंड है।
मैं बोला- पर नए दोस्त बनाने में क्या हर्ज है। अच्छे दोस्त तो बना सकती हो ना?
वह बोली- नहीं, लड़के दोस्त बन जाएँ तो उनकी नियत सुधर जाए, यह नहीं कहा जा सकता। मैं अपनी सहेलियों को देखती हूँ जो उनका बॉयफ्रेंड हैं, बस उनके साथ ही घूमना-फिरना और सिर्फ़ उससे ही चुदवाना बस। क्यूंकि यदि वो लड़की उस लड़के के ही किसी दोस्त से भी बात कर ले तो बस, वह उससे इस बारे में कई सवाल करने शुरू कर देता है और यदि वह संतुष्ट नहीं हुआ तो पहले ही उसे चोद चाद कर मजे ले चुका होता है, तब उसे जलील कर और उसकी बदनामी कर उससे अलग हो जाता है और बेचारी लड़की उसके नाम की माला जपती हुई या तो आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती हैं या फिर घर वालों की पसंद के लड़के के साथ शादी कर यूं ही अपनी बेरंगी जिंदगी को रोते-धोते गुजार लेती है। यह सब मैं अपने आसपास का माहौल व लड़कों का चालचलन देखकर ही बोल रही हूँ। मुझ पर भरोसा ना हो, तो आप किसी दूसरी लड़की से इस बारे में बात करके सच्चाई का पता लगा सकते हैं।
मुझे उसकी यह बात ठीक लगी और इसकी बात से हमारी नई पीढ़ी कैसी होगी, इसका पता भी लगा।
खैर साक्षी से मेरी बात का सिलसिला अब चल पड़ा। फिर उसने अपना फोन नंबर भी मुझे दिया और अब हम फोन पर घंटों सैक्स चैट व सामान्य बातें करते रहते।
एक दिन हम सैक्स चैट कर रहे थे तभी साक्षी मुझसे बोली- आप मेरे लिए एक दिन का समय निकालकर मुझे चोद नहीं सकते?
मैं बोला- मैं समय निकालकर तुम्हारे पास पहुँच गया, तब भी तुम हॉस्टल में हो हम मिल कहाँ पाएँगे?
साक्षी बोली- आप यहाँ तक आ जाओ बस। बाकी सब इन्तजाम मैं कर दूंगी।
मैं बोला- ठीक है, मैं अपने आने का जमाता हूँ।
इसके बाद मैं अपने आफिस से छुट्टी की जुगाड़ में लगा। अपने सीनियर से बात की तो उन्होंने पूछा- कहाँ जाना है?
मैंने कहा- देहरादून। वहाँ के एक स्कूल में अपने बेटे को पढ़ाने की सोच रहा हूँ। इसलिए फीस व दीगर खर्चे तथा वहाँ का माहौल देखने के लिए एक बार वहाँ जाना जरूरी हैं, आप छुट्टी दे देते तो मैं पता करके आ जाता।
अब सीनियर बोले- देहरादून में तो अपने जीएम का बेटा भी पढ़ने गया हैं। तुम जीएम साहब से बात कर लो, वो बेहतर बता देंगे।
यह बोलकर उन्होने मुझे अपनी छुट्टी के लिए जीएम के पास जाने की राह भी दिखा दी।
अब मैं पशोपेश में पड़ गया, कहीं जीएम ने भी छुट्टी नहीं दी तो? मुझ पर साक्षी को चोदने का भूत ऐसा सवार हुआ कि मैंने सोचा कि यदि नहीं बोलेंगे तो फिर कोई दूसरा बहाना मारूँगा पर उनके पास जाकर एक बार पूछकर तो देख ही लेता हूँ।
यह सोचकर मैं अपने जीएम के केबिन में गया और उनसे देहरादून की पढ़ाई के बारे में पूछा तो वे बोले- क्या बात है, प्लांट का काम छोड़कर तुमने पढ़ाई की बात कैसे शुरू कर दी।
अब मैंने उन्हे देहरादून में अपने बेटे की पढ़ाई कराने का खर्चा व स्कूल आदि देखने की बात करते हुए वहाँ जाने के लिए छुट्टी मांगी तो उन्होंने थोड़ी ना-नुकुर के बाद मेरी छुट्टी स्वीकृत कर दी।
मेरा काम तो बन गया था सो अब मैं ना उसके पास रूका, ना ही उनके बेटे की पढ़ाई के बारे में कुछ पूछा।
बाहर आकर अपने सीनियर को बताया कि बुधवार से मुझे अगले एक सप्ताह की छुट्टी मिल गई है, मैं देहरादून जा रहा हूँ सर।
सीनियर भी ओके बोलकर मेरी अनुपस्थिति का काम मेरे साथी को समझाने लगे।
उस दिन ड्यूटी से बाहर आकर मैंने अपने रिजर्वेशन के बारे में पता लगाया। यह ज्यादा भीड़ का समय नहीं था इसलिए मेरे आने-जाने का इंतजाम ट्रेन में हो गया। अगले दिन जाने की सब व्यवस्था करने के बाद मैंने साक्षी को फोन किया और बताया कि मैं इस ट्रेन से दिल्ली फिर वहाँ से दून एक्सप्रेस से तुम्हारे पास पहुँच रहा हूँ। यह ट्रेन सुबह वहाँ पहुँचेगी।
साक्षी बोली- ठीक है, हॉस्टल से मैं बाहर रहने का इंतजाम करती हूँ।
इसके बाद मैंने साक्षी के लिए गिफ्ट खरीदने का काम स्नेहा के ऊपर छोड़ा। दूसरे दिन नियत समय पर मैं ट्रेन पकड़कर दिल्ली जाने निकल पड़ा।
हमारे शहर से दिल्ली फिर दिल्ली से दूसरी ट्रेन पकड़कर मैं देहरादून पहुँचा। रास्ते में भी साक्षी से बात करके मैं उसे अपनी लोकेशन बताता रहा।
देहरादून के स्टेशन में पहुँचकर मैंने साक्षी को फोन किया तो वह बोली- बस मैं थोड़ी देर में ही स्टेशन पहुँच रही हूँ।
सुबह करीब 9 बजे मैं देहरादून के स्टेशन पर था। थोड़ी देर बाद ही साक्षी मेरे पास पहुँच गई। वह क्रीम रंग के सलवार-सूट में थी, देखने में काफी सुंदर है, भरा बदन और थोड़ी मोटी भी। उसके दूध और चूतड़ दोनों ही काफी फूले हुए हैं।
मैंने पूछा- तुम तो आजकल की लड़कियों में चल रहे दुबले होने के फैशन से एकदम अलग हो यार?
वह बोली- जो लड़कियाँ फैशन या शर्म के कारण कम खाती हैं, मैं उनमें से नहीं हूँ। खाने में मैं बिल्कुल नहीं शर्माती हूँ ना ऊपर ना ही नीचे।
इसी तरह की सामान्य बात और थोड़े प्यार के बाद मुझे साथ लेकर वह आगे बढ़ी। स्टेशन के बाहर हमने टैक्सी पकड़ी। उसने ड्रायवर को एक होटल का नाम बताया और हम कुछ ही देर में उस होटल में पहुँचे।
यह होटल बहुत शानदार था। होटल के हर कमरों के नाम रखे हुए थे। साक्षी ने मेरे लिए मेग्नेट हाउस बुक करवाया था।
होटल पहुँचकर ही मैंने उसे कहा- यह बहुत ज्यादा मंहगा होगा, मेरा बजट तो बिगड़ जाएगा इससे।वह बोली- आप चिंता मत करो, यह होटल ही ठीक रहेगा।
दूसरी होटल में हमारे साथ रूकने पर कई तरह के सवाल पूछे जाते इसलिए मैंने इस होटल को प्राथमिकता दी।
मैंने सहमति में अपना सिर हिलाया- अब क्या कर सकता हूँ? साक्षी के सामने भी अपनी इज्जत का सवाल है। सो अब जो भी स्थिति बनेगी उसे भुगतूँगा, यह सोचकर अपने रूम में पहुँचा व साइड टेबल पर अपना बैग रखा।
साक्षी ने दरवाजे को बंद किए, वैसे ही उसके पास पहुँचकर मैंने उसे अपने बाजुओं में समेट लिया। हमारे होंठ जुड़े, मैं अपने हाथ उसके वक्ष पर रखकर दबाने लगा। उसके उरोजों का आकार 36 तो होगा ही, या शायद इससे भी ज्यादा।
उसके कुर्ते का हुक खोलकर उतारने के लिए कुर्ती को ऊपर उठा ही रहा था कि डोरबेल बज उठी।
हम हड़बड़ा गए। उसने जल्दी-जल्दी खुद को ठीक किया और दरवाजे की ओर बढ़ी। इधर मैं भी पलंग से उठकर अपने बैग को खोलकर अभी पहनने वाले कपड़े निकालने लगा।
बाहर वेटर था जो हमारे लिए चाय नाश्ता लाया था। चाय देकर वेटर बाहर निकल गया।
साक्षी बोली- चलिए बाकी सब बाद में, पहले हमारे शहर की चाय ले लीजिए।
यह बोलकर उसने चाय व उसके साथ स्नेक्स टेबल को पलंग के पास खिंचकर उस पर रख दिए।
मेरा लंड टनटनाया हुआ था। हालांकि डोरबेल बजने के बाद अनचाहे भय के कारण यह थोड़ा सुस्त पड़ा था, पर अब फिर इसमें तनाव आना शुरू हो गया था।
मैंने उसे कहा- हमारी मुलाकात अच्छे से हो भी नहीं पाई कि वेटर ने आकर सब गड़बड़ कर दिया।
साक्षी बोली- उह ! कोई बात नहीं पहले यह हो जाए, फिर हम दोनो यहीं हैं तो ऐसी गड़बड़ियों को किनारे करके करेंगे खूब चुदाई।
मैं बोला- ठीक है। फिर इसके बाद मैं नहा-धोकर फ्रेश हो लूंगा, फिर लगेंगे चुदाई में।
वह बोली- ठीक है।
हम चाय नाश्ता करने लगे। तभी मैंने साक्षी से उसकी चुदाई के अनुभवों के बारे में जानना चाहा।
साक्षी बोली- मैंने अपनी चूत की सील कब और कैसे तुड़वाई, किस-किसके लौड़ों को अपनी चूत के अंदर लिया, वह सब बताऊँगी पर वह बाद में। अभी पिछली बार जिसने मेरे साथ चुदाई की, उसके बारे में बताती हूँ।
मैं बोला- हाँ वही बताइए, ताकि मैं भी तो जान सकूँ कि आपकी इस प्यारी चूत ने कैसे कैसे लौड़ों का स्वाद चखा है।
साक्षी जोर से हंसी व बोली- मेरी चूत को अब तक कुछ अच्छे लौड़े भी मिले हैं। पर पिछली बार जो मिला वो एकदम गेलचोदा मिला था।
मैं बोला- गेलचोदा? क्या मतलब हुआ इसका?
वह बोली- अब उसका अर्थ नहीं मैं आपको पूरी स्टोरी ही बताती हूँ।
मैं भी चाय के साथ स्नेक्स का मजा लेते हुए बोला- हाँ बताइए।
साक्षी ने अपने शब्दों में बताया:
हमारे ही कालेज का एक लड़का बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था। पढ़ाई में वह मुझसे सीनियर हैं, यानि दो क्लास आगे।
एक दिन अन्तर्वासना में आपकी “फेसबुक सखी” पढ़कर मुझे चुदने की बहुत इच्छा हो रही थी, और मेरी चूत भी किसी नए लंड को लेने के मूड में थी, सो मैंने उस लड़के को लाइन दे दी।
वह खुशी से पागल हो गया। जल्दी ही मुझसे मिला और पूरी जिंदगी का साथ देने की बात करते हुए अभी कोर्टमैरिज करने की जिद करने लगा।
मैंने उससे कहा- मुझसे शादी-वादी की बात मत करिए। यह काम मैंने अपने घर वालों पर छोड़ा हुआ है।
तो वह बोला- ठीक है फिर हम दोनों किसी रेस्टारेंट में चलते हैं, जहाँ बैठकर हम आपस में ढेर सी बातें करेंगे।
मैं सोचने लगी कि यह भोसड़ी का अभी तक प्यार दुलार से ऊपर नहीं आ पाया है, ऐसे में मेरी चूत को तो खुराक मिल ही नहीं पाएगी। पर इसे छोड़ना भी नहीं हैं। सो मैंने आइडिया लगाया और बोली- ठीक है, मैं आपके साथ चलने तैयार हूँ, पर मेरी एक शर्त होगी।
उसने पूछा- क्या?
मैं बोली- हम दोनो जहाँ जहाँ होंगे, वहाँ और कोई नहीं होगा। यह कालेज व होस्टल का मामला हैं ना। यदि किसी ने भी मुझे आपके साथ बैठे देख लिया तो फिर मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा।
वह अब मुझे सोच में पड़ता नजर आया, लिहाजा मैंने उससे कहा कि बेहतर होगा कि आप कोई होटल बुक कर लीजिए जहाँ हम दोनों इत्मीनान से बात कर सकेंगे।
वह इस पर मान गया, कहा- चलिए होटल ही ले लेते हैं।
अब वह मुझे लेकर एक होटल में आया। रूम बुक करने के बाद हम दोनो कमरे में पहुँचे। यहाँ फिर उसने अपनी प्यार भरी बातें शुरू कर दी। इसके जवाब में मैं उसे अपने लटके-झटके दिखाती रही। बात-बात में मैं उसके शरीर को छूकर पास आने का आमंत्रण दे रही थी। काफी देर बाद उसे समझ में आया कि वह मुझे चोद सकता है तो तब वह भी मेरे चूचों पर पहले अनजाने में फिर मुझे बोलकर भी हाथ लगाने लगा। अब उसके चेहरे से सैक्स का तनाव नजर आने लगा।
मैंने भी उसकी जांघ में हाथ रखकर उसके लौड़े को पाने की चाहत दिखाई। इससे वह जोश में आ गया, खड़ा होकर मुझे अपने से चिपका लिया।
मैंने उसे इस पर भी लिफ्ट दी और उससे चिपककर उसके लौड़े को गर्म करने लगी। अब उसने अपनी पैन्ट उतारना शुरू कर दिया। तब भी मैंने उस पर अपना प्यार लुटाना जारी रखा, पर वह मादरचोद मुझे चोदने की इतनी हड़बड़ी में था कि उसने मुझे भी अपने पूरे कपड़े उतारने नहीं दिए। मेरी जींस व पैन्टी नीचे कर उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला और थोड़ी सी देर ही हिलने पर उसका माल झड़ गया। काम निकालने के बाद वह अपना पैन्ट पहनने के लिए खड़ा हो गया।
मैंने उससे पूछा- अरे हो गया क्या आपका?
वह बोला- हाँ, तभी तो उठा हूँ।
मुझे उसकी ऐसी चुदाई पर गुस्सा तो बहुत आया पर उसके सीनियर होने का लिहाज कर अपने गुस्से का कड़वा घूंट पी तो लिया पर उससे पूछा- आप ‘एनेस्थेटिस्ट’ में स्पेशलाइजेशन कर रहे हैं क्या?
मैंने(लेखक) पूछा- यह क्या होता है?
साक्षी बोली- मेडिसिन का हमारा मेन कोर्स होता है। उसके बाद सब अपनी पसंद के अलग-अलग सब्जेक्ट लेते हैं। एनेस्थेटिस्ट वे होते हैं जो मरीजों को आपरेशन या इलाज के दौरान बेहोश करने का काम करते हैं। आपरेशन थियेटर में मरीज को एनेस्थिया देने की बात आपने सुनी होगी।
मैं बोला- हाँ, समझा। आगे क्या हुआ वह बताओ।
साक्षी बोली:
मेरे यह कहने पर वह आश्चर्यचकित हो गया और पूछा- हाँ, पर यह तुम्हे कैसे पता लगा।
मैंने कहा- तुमने अभी मेरी चूत में क्या डाला? डाला या नहीं डाला? यह मुझे पता ही नहीं चला।
सच में उसका आखिरी साथी साक्षी का नहीं अपना काम करके उठ खड़ा होने वाला निकला। उसकी बात सुनकर मेरी हंसी रूकने का नाम नहीं ले रही थी।
साक्षी बोली- वो साला डाक्टर बन तो गया हैं पर मेरा दावा है कि उसकी बीवी उसके ही कम्पाउंडर से चुदवाकर अपनी प्यास बुझाएगी। उसकी इस मजेदार आपबीती बताते तक हमारी चाय खत्म हो गई पर कहीं हम चिपके और खाली कप प्लेट लेने वह वेटर फिर आ ना जाए, इसका डर था तो बतौर एहतियात अपनी जगह से उठते हुए मैंने कहा- अब मैं फ्रेश होकर आता हूँ, तब होगा चुदाई का कार्यक्रम। साक्षी बोली- हाँ आ जाइए जल्दी से।
मैं तौलिया लेकर बाथरूम की ओर तेज कदमों से बढ़ लिया।
तो यह हुई साक्षी से बात व उसके पास तक पहुँचने की कहानी। हमने चुदाई का मजा कैसे उठाया, इसके लिए इंतजार कीजिए कहानी के दूसरे भाग का !
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