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प्रेषक : नयन
मेरा नाम नयन है, दिल्ली का रहने वाला हूँ। सभी को मस्त करने के लिए मैं ये कहानी लिख रहा हूँ। यह कहानी पूरी तरह से सच है।
बात उस समय की है जब मैं अपने कॉलेज के दूसरे वर्ष में था। मेरी क्लास में एक बहुत ही सुंदर लड़की पढ़ती थी जिसका नाम था सोनिया (बदला हुआ)। उसका फ़िगर 34-30-34 का था। मैं उस लड़की से मन ही मन में बहुत प्यार करता था लेकिन उसको बताने से बहुत डर लगता था की कहीं वो शिकायत न कर दे।
हमारी क्लास के सभी लड़कों की उस पर नजर थी। लेकिन वो एक बहुत ही नेक लड़की थी इन सब बातों से बिल्कुल दूर।
कुछ समय यों ही बीत गया। फिर एक बार हमारे कॉलेज का टूर मसूरी जाने का कार्यक्रम बना। उसमें बहुत से लोग जाने वाले थे। निश्चित दिन को हम सब लोग बहुत बस में पहुँच गए। मैं दो वाली सीट पर अकेला बैठा था और वो किस्मत से मेरे पास आकर बैठ गई। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्यूँकि सफर बहुत ही लंबा था और उससे बात करने का भी पूरा मौका था।
थोड़ी देर के बाद उसको नींद आ गई और उसने नींद में ही अपना सिर मेरे कंधे। पर रख लिया। मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन बस में झटके लगने के कारण वो जाग गई और उसने मुझसे सोरी कहा।
मैं- सोरी की जरूरत नहीं है, आप आराम से सो सकती हैं।
सोनिया- मुझे सफर में नींद आ जाती है और कुछ पता ही नहीं चलता।
इस तरह से धीरे धीरे हम इधर उधर की बातें करने लगे। थोड़ी ही देर में वो मुझसे खुल गई। मैंने भी बातों बातों में उसे छू लिया जिस का उसने कोई विरोध नहीं किया। मेरा साहस और बढ़ गया। जैसे ही हम मसूरी के पास पहुँचने लगे, उसे सर्दी लगने लगी और उसने कंबल ओढ़ लिया और मुझ पर भी डाल दिया। अब मैं उसे कंबल के अंदर से छूने लगा। मेरा लंड खड़ा होने लगा था। इस तरह तड़पते हुए हम मसूरी पहुँच गए और हमने होटल बुक कर लिया।
हम सबने साथ में डिनर किया। वो मेरे पास आई ओर थोड़ी देर सैर के लिए पूछा। मैंने हाँ कर दी।
रास्ते में मैंने उसे कहा- मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ, अगर तुम बुरा न मानो तो।
सोनिया- कहो !
मैं- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं तुम्हें चाहने लगा हूँ।
सोनिया- मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा।
मैं- तो अब सोच लो, मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूँगा।
फिर हम वापिस आ गए।
मैं अगले दिन का बहुत बेताबी से इंतज़ार करने लगा। जैसे ही सुबह हुई मैं तैयार होकर उसके जवाब का इन्तज़ार करने लगा।
उसने हाँ कर दी थी। मैं खुशी के मारे उछल पड़ा था।
फिर हम 3 दिन तक एक दूसरे के साथ घूमते रहे। अब मैं उसे कहीं भी छू लेता था तो उसे प्रोब्लम नहीं होती थी। फिर एक दिन मैंने उसे एकांत में चूम लिया, वो बहुत शरमा गई थी।
मैंने अगले दिन उसे चोदने की योजना बनाई। मैंने उसे कहा- कल जब सब लोग घूमने चले जाएँगे तो हम होटल में ही रुक जाएँगे।
वो मान गई।
अगले दिन जैसा तय हुआ वैसे ही किया। हम होटल के एक कमरे में थे। उसने एकदम तंग नीले रंग का टॉप और जीन्स पहन रखी थी। उसके बड़े बड़े चूचे बहुत सेक्सी लग रहे थे। मैं उसके पास बैठा था और हम टीवी देख रहे थे। वो रिमोट के लिए मुझसे लड़ने लग गई और इस इस लड़ाई में मेरे हाथ कभी उसके बूब्स पर तो कभी उसके कूल्हों पर लग रहे थे। मैंने उसे अपने नीचे लेटा लिया और उसके दोनों हाथ पकड़ लिए थे। मैं धीरे से उसके ऊपर झुका ओर उसके होंठों को चूम लिया। वो सिस्कारने लगी।
मैंने एक और ज़ोर का चुम्बन किया तो उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। मैं धीरे धीरे उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा। फिर मैंने उसके चूचों को पकड़ लिया और दबाने लगा।
वो मस्त हो रही थी और आह ऊहह आई करने लगी।
मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और कुछ देर बाद उसके टॉप को उतार दिया। उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी। फिर मैंने उसकी जीन्स भी उतार दी। उसने लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। अब वो एकदम गर्म हो चुकी थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी, वो कराह रही थी और कह रही थी- प्लीज कुछ करो, मुझे कुछ हो रहा है।
मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके चूचों को चूसने लगा। बहुत ही मजा आ रहा था।
उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी, धीरे धीरे मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत को देख कर तो मैं पागल ही हुए जा रहा था। मन कर रहा था कि अभी इसमें अपना लंड डाल दूँ लेकिन मैं जल्दी नहीं करना चाहता था।
फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। वो ज़ोर जोर से आई ऊई आहह करने लगी। कुछ देर उसकी चूत चाटने के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया।
फिर मैंने उसको दोबारा गर्म किया और कहा- अब मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डालूँगा। एक बार थोड़ा दर्द होगा, लेकिन बाद में बहुत मजा आएगा।
मैंने उसकी चूत पर अपना सुपारा रखा और रगड़ने लगा।
वो बोली- ऐसे मत सताओ प्लीज ! अंदर डाल दो।
मैंने धीरे से एक झटका मारा लेकिन अंदर नहीं गया। मैंने फिर कोशिश की। इस बार एक ज़ोर का झटका मारा और सुपारा अंदर चला गया। उसने चीखने की कोशिश की लेकिन मैंने उसका मुँह दबा लिया था। उसकी झिल्ली फट गई थी, खून भी आ रहा था। उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे। मैंने उसको थोड़ी देर चूमा तो फिर वह अपने चूतड़ हिलाने लगी। मैंने एक और झटका मारा और आधा लंड अंदर चला गया। उसे अभी भी काफी दर्द हो रहा था। मैंने एक और झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। अब मैं धीरे धीरे शॉट लगाने लगा। अब उसका दर्द कम हो गया था। वो भी अब अपने कूल्हे चलाने लगी थी।
कुछ देर इस तरह से चोदने के बाद मैंने उसे कुतिया बन जाने को कहा और उस पोजिशन में उसे चोदने लगा। पुच पुच की आवाज से कमरा गूंज रहा था। उसकी मादक सीत्कारें मुझे मदहोश कर रही थी। मैं ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा। वो भी बीच बीच में कहने लगी- फक मी जानू, फक मी हार्डर।
मैं उसे करीब 15 मिनट तक चोदता रहा। इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी। मेरा भी निकलने वाला था। मैं ज़ोर ज़ोर से शॉट लगाने लगा और उसकी चूत मी झड़ने लगा। मेरा गर्म गर्म माल उसकी चूत में जाते ही वो भी एक बार और झड़ गई। मैं उसके ऊपर ही गिर गया। हम दस मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। फिर मैं उसे बाथरूम ले गया। उससे चला भी नहीं जा रहा था। हमने एक दूसरे को साफ किया। जब तक बाकी लोग वापिस आए हमने तीन बार चुदाई की।
यह सिलसिला दो साल तक चलता रहा फिर उसकी शादी हो गई, मैंने एक नई गर्लफ्रेंड ढूंढ ली।
उसको मैंने कैसे चोदा। ये कहानी फिर कभी।
आप लोग बताएँ कि आपको यह कहानी कैसी लगी ताकि मैं और कहानी लिख सकूँ।
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