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लेखक : अमन सिंह
हेलो दोस्तो, मेरा नाम अमन है, मैं हरियाणा में अम्बाला का रहने वाला हूँ। मैं आपको एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, यह कहानी मेरी और मेरे दोस्त की बहन के बारे में है। उस समय मैं एन्जीनियरिंग के दूसरे साल में दिल्ली कॉलेज में था और मेरा दोस्त अमित मेरे साथ ही रहता था, अमित का घर नॉएडा में है। हम पक्के दोस्त थे।
बातों बातों में उसने बताया था कि उसकी बहन बी.टेक कर रही है।
एक बार इम्तिहान के पास ही हमने योजना बनाई कि हम दोनों पेपरों में अमित के घर ही रह कर पढ़ाई करेंगे क्योंकि पेपरों में हमारी छुट्टियाँ भी बहुत होती हैं और उसके घर वाले उसके गाँव गए हुए थे। इसलिए हम अमित के घर चले गए।
पहले चार दिन तो ठीक था लेकिन पाँचवें दिन अचानक उसके घर वाले वापिस आ गए क्योंकि उसके पापा एक टूरिंग जॉब है और उन्हें कोई जरूरी काम पड़ गया था इसलिए वो वापिस आ गए।
जब मैंने पहली बार उसकी बहन दिव्या को देखा तो वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि पूछो मत ! गोरा रंग, पतली कमर, फिगर 34-28-34 था उसने टॉप पैंट पहनी हुई थी पर मैं एकदम ख्यालों से बाहर आया और मैंने सोचा कि यह मेरे दोस्त की बहन है, मैंने सारे बुरे ख्याल अपने दिमाग से मिटा दिए। अगले दिन घर पर अमित, दिव्या उनकी माँ और मैं था, सब कुछ ठीक था, हम अमित के बेडरूम में पढ़ रहे थे कि अचानक दिव्या आई और अमित से बात करने लगी।
तभी अमित ने बताया कि यह मेरा दोस्त अमन है। मैंने दिव्या को हेलो किया, उसने मुझे हेलो किया।
थोड़े दिनों बाद दिव्या मुझसे खुल कर बात करने लगी। एक दिन उसने एक कॉल करने के लिए मेरा मोबाइल मांगा, मैंने दे दिया पर मैं यह भूल गया कि मेरे मोबाइल में सेक्सी क्लिप पड़ी थी। उसने मुझे मेरे मोबाइल बीस पच्चीस मिनट बाद दिया मैंने कोई ध्यान नहीं दिया और ऐसा कई बार हुआ पर मैंने ध्यान नहीं दिया।
एक दिन दिव्या नहा कर आ रही थी, उसने सिर्फ तौलिया ही लपेटा हुआ था, मैं तो देखता ही रह गया उसे ! उसकी अदाएँ इतनी सेक्सी थी कि क्या बताऊँ ! पर मैं कुछ नहीं कर पाया और मैंने अपना ध्यान बंटाया।
पर एक दिन अमित के किसी करीबी रिश्तेदार की मौत हो गई और अमित और उसकी माँ को उसके गाँव जाना पड़ा। गाँव में तीन चार दिन लगने वाले थे पर उसे मुझ पर भरोसा था वो मुझे और दिव्या को घर पर छोड़ गया। मेरे मन में भी ऐसा वैसा कोई ख्याल नहीं था।
अगले दिन मैं सोफे पर बैठ कर पढ़ रहा था और दिव्या टीवी देख रही थी तो हम दोनों बात करने लगे।
दिव्या- अमन तुम्हें सबसे ज्यादा क्या पसंद है?
मैं- मुझे ज्यादातर घूमना पसंद है, तुम्हें क्या पसंद है?
दिव्या- मुझे टीवी देखना !
मैं- हाँ वोतो है ही ! मैं जिस दिन से आया हूँ, तुम बस टीवी देखती हो या बातें !
दिव्या- अओ अओ अ अच्छा? तुम्हें कैसे पता कि मैं टीवी ही देखती रहती हूँ? तुम तो बेडरूम में पढ़ते रहते हो ना !
मैं- नहीं नहीं, तुम गलत समझ रही हो !
दिव्या- क्या गलत समझ रही हूँ?
मैं-… मैं बोल ही नहीं पा रहा था क्योंकि मैं फंस गया था, मैं उसे देखता था।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद दिव्या बोली- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं हैरानी से- नहीं नहीं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
दिव्या- तो फिर पहले थी क्या?
मैं- नहीं कोई नहीं थी… क्या तुम्हारा कोई बॉयफ़्रेन्ड है क्या?
दिव्या- नो वे… वैसे तुम क्यों पूछ रहे हो?
मैं- वैसे ही ! और तुम क्यों पूछ रही थी !
दिव्या- मैं भी वैसे ही पूछ रही थी।
थोड़ी देर बाद दिव्या और मैं एक दूसरे की आँखों में देखने लगे और मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैं उठ कर दिव्या के पास जा कर बैठ गया और उसकी आँखों में देखने लगा,
क्या लग रही थी वो ! वो मुझे देख रही थी, मैं उसे !
और मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें बॉयफ्रेंड चाहिए?
दिव्या- हाँ मुझे चाहिए।
मैं- तो क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
दिव्या कुछ नहीं बोली और जब मैं वहाँ से उठने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- हाँ !
मैंने उसके हाथ पकड़े और उसे उठाया और अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए। मैं उसके होंठों को चूसने लगा। क्या रस था उनका ! वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैं- तुम्हारे होंठों का रस बेमिसाल है !
दिव्या शर्मा गई और वहाँ से भाग गई। मैं उसके पीछे गया और उसे पकड़ लिया, मैं बोला- अब क्या कहोगी तुम?
दिव्या- आई लव यू !
मैं- आई लव यू टू मेरी जान !
दिव्या- अब ना छोड़ो मुझे !
मैं- अभी कहाँ मेरी जान, बॉयफ्रेंड हूँ ! तुम्हें ऐसे कैसे छोड़ दूँ?
दिव्या- तो फिर कैसे छोड़ोगे?
मैंने दिव्या को उठाया, बेडरूम में ले जाकर बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
तभी दिव्या बोली- रात तक तो इंतजार करो मेरे पिया !
मैं- ठीक है मेरी जान !
और मैंने उसे एक लंबी सी किस की और दिव्या रसोई में रात के लिए खाना बनाने लग गई।
तभी दिव्या ने मुझे दही लाने को कहा। मैं दुकान की ओर चल दिया, मैं ख़ुशी से मचल रहा था। तभी मैं सोचने लगा कि मेरा यह पहला अनुभव है और मेरा जल्दी छुट जायेगा तो रास्ते में एक केमिस्ट की दुकान से मैंने देर से छुटने वाली गोली ली, उसे आते वक्त रास्ते में ही खा लिया और मैं घर आ गया।
मैंने और दिव्या ने साथ में डिनर किया और मैं बेडरूम में जाकर बेड पर लेट गया। दिव्या घर के सारे काम निपटा कर कमरे में आ गई।
मैं- आओ मेरी जान !
दिव्या शरमा रही थी, तभी मैं उठा और उसे बेड पर लेटा दिया। मैंने दिव्या के होंठों को अपने होंठों से चिपका लिया और चूसने लगा। क्या रस था उनमें ! वो भी पूरा साथ दे रही थी।
तभी मैं दिव्या की जाँघों पर हाथ फेरने लगा। दिव्या गर्म हो रही थी और मेरा भी लंड तन चुका था। मैं कपड़ों के ऊपर से ही उसके जिस्म पर हाथ फेर रहा था। हम दोनों गर्म हो चुके थे।
मैं- दिव्या क्या तुमने पहले कभी किया है?
दिव्या- नहीं, कभी नहीं ! अब डार्लिंग ये तड़फ बर्दाश्त नहीं होती ! चोद दो मुझे ! मिटा दो मेरी प्यास !
मैं उसके मुख से ऐसी भाषा सुनकर हैरान हो गया।
मैं- प्यास तो मुझे भी बहुत है मेरी जान !
दिव्या मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी। मैंने उसके टॉप को उतारा और उसके गोल गोल मम्मे मेरे सामने थे। मैं उन्हें दबाने लगा। उफ़ कितने नर्म थे उसके मोमे ! मैं उसके उरोज पागलों की तरह चूसने लगा। मैं चूसता रहा, दिव्या सिसकारियाँ ले रही थी, उसे और मुझे पूरा मजा आ रहा था !
अब मैं दिव्या के ऊपर बैठ गया और उसके चूचे दबाने लगा। मैं पूरे जोर से उसके स्तन मसलने लगा।
दिव्या- दर्द हो रहा है अमन !
मैं- मेरी जान, अभी मजा भी आयेगा।
और मैं उसके मोमे मसलता रहा, 10-15 मिनट के बाद दिव्या के मोमे पूरे सख्त और लाल हो गये थे। अब मैंने उन्हें फिर से चूसा और मैंने दिव्या की पैंट और पैंटी दोनों निकाल दी।
अब दिव्या मेरे सामने पूरी नंगी थी, क्या सेक्सी फिगर था उसका कि क्या बताऊँ ! मैं दिव्या की चूत मसलने लगा, दिव्या आहें भरने लगी। थोड़ी देर चूत रगड़ने के बाद दिव्या की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसकी चूत और मेरा हाथ गीला हो गया।
तभी दिव्या उठी और मेरे कपड़े उतारने लगी और जैसे ही उसने मेरा अंडरवियर उतारा तो मेरा तना हुआ 5″ लम्बा और मोटा लंड देख कर हैरान हुई और उसने मेरा लंड पकड़ कर उससे खेलने लगी। मैं बेड पर लेट गया और वो मेरे ऊपर बैठ कर मेरी मुठ मारने लगी। मुझे पूरा मजा आ रहा था, तभी मैंने उससे कहा- दिव्या मेरी जान, मुँह में ले लो इसे !
दिव्या- नहीं, मैं मुँह में नहीं लूँगी !
मैं- ले लो मेरी जान, मज़ा आयेगा तुम्हें भी !
तब दिव्या मेरा लंड मुँह मैं लेकर चूसने लगी। मुझे ऐसा मजा पहले कभी नहीं आया था, मैं तो स्वर्ग में था ! तब भी मेरा लंड पूरी तरह तना था और वो गोली पूरा असर दिखा रही थी।
मैं- मेरी रानी आ जा, अब मैं तेरी प्यास बुझाता हूँ।
दिव्या- अओ मेरे राजा, बुझा दे मेरी प्यास !
मैंने दिव्या को फिर से पहले की तरह अच्छी तरह से मसला और चूसा। वो फिर से पूरी लाल हो चुकी थी।
दिव्या- जानू अब और मत तड़फाओ, डाल दो मेरी चूत में अपना लंड !
मैं- अभी लो मेरी रानी !
मैंने लंड को चूत के मुँह पर रखा और जोर से धक्का दिया मगर लंड चूत में नहीं घुसा। मैंने एक और बार कोशिश की मगर मैं फिर से नाकाम रहा।
अब मैंने लंड को चूत में पूरी तरह धंसाया और जोर का झटका मारा पर सिर्फ टोपा अंदर गया। मैंने एक और झटका मारा और आधा लंड चूत में घुस गया !
दिव्या- ओ ओ ओ दर्द हो रहा है अमन ! इसे बाहर निकालो !
मैं- थोड़ी देर में तुम्हें मजा आएगा मेरी जान !
दिव्या तड़फ उठी और लंड को निकलवाने की कोशिश करने लगी। मैंने देखा कि उसकी चूत में से खून निकल रहा था। मैंने हार ना मानते हुए एक और जोरदार झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया।
दिव्या की आँखों से आँसू आने लगे। मैंने दिव्या के होंठों से अपने होंठ चिपका रखे थे और मैं उसे चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई तो मैंने लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
10-12 मिनट बाद वो मेरा साथ देने लगी तो मैंने स्पीड बढ़ा दी।
दिव्या- ओ ओ ओ सि सि सिस मारो मेरे राजा ! और मारो मेरी चूत को !
मैं- फिकर मत कर मेरी रानी ! सारी रात मजा दूँगा तुझे !
मैं दिव्या को पूरी तेजी से चोदता रहा। लगभग 30 मिनट चुदाई के बाद दिव्या तीन चार बार झड़ चुकी थी और मैं भी झड़ने वाला था।
मैं- मेरी जान, मैं झड़ने वाला हूँ।
दिव्या- जो तुम करना चाहो, वो करो !
मैं तभी दिव्या की चूत में ही झड़ गया और जैसे ही मैंने अपना लंड बाहर निकाला, मेरा लंड पूरा लाल थ और छिल चुका था। दिव्या की चूत भी पूरी रक्तरंजित थी।
हम दोनों सारी रात एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सोते रहे। जब सुबह हुई तो दिव्या मेरे पास ही थी। मैंने उसे चूमा और बाद में प्रेग्नन्सी की गोलियाँ लाकर दी।
फ़िर हमने कई बार सेक्स किया वो सारे किस्से सुनने के लिए मुझे मेल करें।
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