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अब तक इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि मैंने मीता की चुत की सील फाड़ दी थी और वो कुछ समय बाद झड़ गई थी.
अब आगे:
करीब एक मिनट के बाद वो बोली- अंकल मज़ा आ गया.
जो उत्तेजना मेरे अन्दर भरना शुरू हुई थी … वो भी कुछ शांत हो गई थी. मेरा लंड अभी भी चूत में था.
मीता- अब निकाल लो न अंकल! मैं- मेरी गुड़िया अभी कैसे निकाल लूं … अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ है. मीता- हाई दइया … अभी और करोगे मेरी तो दुखने लगी है. मैं- जान अभी तो तुमको और मज़ा आएगा.
ये कहकर मैंने लंड को खींच कर फिर से चूत में पेल दिया. उसकी चूत बहुत गीली थी, तो लंड आराम से समाता चला गया. पर मीता ने तो ऐसी सिसकारी भरी कि मेरा रोम-रोम खिल उठा.
‘उईईई अम्मा मार दिया … अंकल्ल … धीरे पेलो..’
मैंने लंड फिर निकाला और चूत के खून से रक्ततंजित तौलिया को उसकी गांड के नीचे से उठा कर उसकी चूत को पौंछ दिया.
अब मैंने मीता को घोड़ी बनने का इशारा किया. नए जमाने की इस लड़की ने तुरंत इशारा समझ लिया और वो घोड़ी बन गई.
आजकल की लड़कियों के साथ सम्भोग का यही मज़ा है. वो सम्भोग के आसनों को बड़े अच्छे से जानती हैं. वर्ना मेरी बीवी तो मिशनरी आसन के अलावा और कुछ करने ही नहीं देती है.
मैंने तुरंत पीछे से चूत में मुँह लगा दिया. उसकी चूत से गांड के छेद तक चाटने लगा.
‘आहह अहहह उईईई एई आहह डालो न अंकल्ल..’
मैंने भी सूखा लंड बाहर से सूखी और अन्दर से गीली चूत में उतार दिया.
‘उई अम्मा मार डाला … बता तो देते अंकल..’
उसके चूतड़ों को पकड़ कर मैं लंड को पिस्टन की भांति चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
‘आह आह ई उई वाओ … अंकल आह अंकल..’
साली की मस्त चूत थी … लंड बड़े प्यार से ले रही थी. मेरी जांघें उसके चूतड़ों से टकरातीं तो ‘पट पट पट..’ की आवाज आ रही थी. कुछ ही पलों बाद वही मीता अब मादक सिसकारी भर रही थी.
मीता के चूतड़ मस्त गोल और भरे हुए थे. मैं चाह कर भर भी उन पर चांटे मारने से खुद को रोक नहीं पाया.
चटाक की आवाज हुई और मीता की सिसकारी निकली- आई आई ईई..
करीब दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मेरा भी होने वाला था … सो उसको पीठ के बल लिटा कर मैं उस पर छा गया.
एक बार फिर से लंड ने चुत में हमला करना शुरू कर दिया.
‘उफ्फ उफ्फ्फ आह कितने अन्दर तक पेल रहे हो अंकल … आह उई … धीरे करो न … मैं बस जा रही हूँ … आह अंकल मैं आ गई … बस..’
उसकी चूत से पानी तेजी से बह रहा था. लंड अभी ताबड़तोड़ खेल रहा था.
अब ‘फच फचा फच … की मधुर ध्वनि आने लगी थी. मैं अपने चरम पर था.
‘उफ्फफ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़ ई ई ई ई आ आ आह..’
मेरा लंड चूत में सटासट अन्दर बाहर हो रहा था. मीता की मादक आवाजें मेरे खून को उबाल रही थीं.
मीता अपनी गांड को उछाल कर गपा गप गपा गप लंड को लीले ले रही थी.
मेरे शॉट भी तेज होते गए और मेरी आह निकलना शुरू हो गई- आह मेरी जान मेरी जान मैं भी गया आ आ आह ले … रस पी ले! एक तेज हुंकार के साथ मेरे लंड ने अपना लावा मीता की चूत में उड़ेलना शुरू कर दिया.
मीता ने भी जोर से मुझे बांहों में भर कर अपने में समेट लिया था.
कमरे का एसी फुल पर था … मगर तब भी पसीने से तरबतर दो नग्न जिस्म एकाकार हो गए थे. हमारी सांसें एकदम धौंकनी के समान चल रही थीं. मेरा भारी जिस्म उस फूल सी जान के ऊपर ढह गया था.
मीता मुझको बांहों में भरे मेरी पीठ को सहला रही थी. मेरा लंड भी चूत को अपने रस से सराबोर करके बाहर आ गया था.
मैं उसके ऊपर से हट कर बाजू में लेट गया था. मैं सोच रहा था कि इतना उम्दा आनन्द तो सुहागरात में भी नहीं मिला था … जो मीता ने दिया था.
तभी मीता बोली- क्यों अंकल मज़ा आया ना? मैं- हां मेरी जान! ये कह कर मैंने उसके होंठों को चूम लिया.
मीता- पर अंकल आप तो पूरे जानवर हो … एक बार भी ख्याल नहीं आया मेरी कमसिन चूत का … और मेरा … कितनी बेहरमी से अपना लंड मेरी चूत में डाला … मेरी तो जान ही निकाल दी आपने! मैं- मेरी जान वो पल ही ऐसा होता है, जब मर्द को जानवर बनना पड़ता है … वरना जो आनन्द बाद में आना है, उससे तुम वंचित रह जाती … और मैं अगर तुम्हारी बात मान लेता, तो तुम मेरे को लंड दोबारा डालने ही नहीं देती. पर वो दर्द हर लड़की के जीवन में एक बार सहना ही पड़ता है, तो आज ही क्यों नहीं. फिर देखो ना … तुम भी तो गांड उछाल कर मेरा लंड चूत में ले रही थीं.
मीता- धत्त कितने गंदे हो आप … पर आप में दम बहुत है … मेरा कितनी बार हुआ, मुझे खुद ही नहीं पता. हर बार होने पर ऐसा लग रहा था कि मैं खुले आसामान में तैर रही हूं … पर आपके लंड की चोट मुझे वापस जमीन में ले आती.
इन सब बातों में दस मिनट हो चुके थे और इसी के बीच मीता मेरे लंड से बराबर खेल रही थी. कभी वो लंड का सुपारा खोलती, तो कभी चमड़ी आगे पीछे करती. मेरा लंड भी फुदकने लगा था.
तभी मीता ने उठ कर पूरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
मेरा लंड भी तुरंत तैयार होकर फुदकने लगा. मीता के लंड चूसने का अंदाज इतना निराला था कि लग ही नहीं रहा था कि वो पहली बार लंड चूस रही है. कभी वो लंड के सुपारे पर अपनी गीली जीभ गोल गोल घुमाने लगती, तो कभी पूरा लंड मुँह में भर कर अन्दर ही रख कर जीभ से पूरा लंड चाट जाती. शायद ये पोर्न का कमाल था, पर वो जो भी कर रही थी … वो सब मेरी ‘आह आह..’ निकालने के लिए काफी था.
मैं भी उसके बाल पकड़ कर उसका मुख चोदन करने लगा.
जब मीता ने देखा कि मेरा लंड तैयार है … तो खुद ही मेरे दोनों तरफ पैर करके मेरे लंड पर बैठ गई. मेरा लंड भी चूत की दरार में फंस गया. बस मीता मेरे ऊपर झुक कर मेरे निप्पल चूसने लगी, काटने लगी.
उफ लड़की थी या क़यामत थी. कभी निप्पल चूसती, तो कभी होंठ … तो कभी कान की लौ चूमने लगती, तो कभी गर्दन पर गर्म सांस छोड़ते हुए होंठ फेरने लगती. कभी वो मेरे कान में गर्म हवा छोड़ती, तो कभी गर्दन पर दांत गड़ा देती.
‘आअह उफ्फ याह … यस यस … उह एई ईईईई एई एईई ईई उफ फ्फ्फ़ जान लोगी क्या?’
मीता तो अपनी ही धुन में थी. वो मेरी तरफ देखती और मुस्कुरा देती. फिर मेरे जिस्म को चाटने लगती.
उसने नीचे से लंड को पकड़ कर चूत के मुहाने पर सैट किया और उस पर बैठती चली गई.
मैं- आआहह ओहहह्ह मीईताताआ.. मीता- एई ईई ईई ई ई ई अम्मा मर गई … उई कितना मोटा है … उफ्फ्फ कर लो जो करना है अंकल … ये मीता आज उफ़ भी न करेगी … निचोड़ लो इसको … बहुत तड़पाती है रातों को …
फिर मीता मेरे सीने पर हाथ रख कर मेरे लंड पर कूदने लगी. जिंदगी में पहली बार मैं चुद रहा था. उफ्फ ये कयामत से कम नहीं थी.
अचानक वो रुक कर वो गोल गोल घूमने लगी. उफ्फ्फ … साली पूरी पोर्न ऐक्ट्रेस का कोर्स करके आई थी.
मेरी आहें और कराहों ने मस्ती की धुन बहाना शुरू कर दिया था. आह ऊह्ह … मेरे लंड की जड़ों तक की नसें फूल गई थीं.
फिर वो झुक कर मेरे निप्पल चूसने लगी … साथ ही साथ अपनी गांड उछालने लगी.
‘पट पट..’ की मधुर ध्वनि फिर से कमरे को तरंगित करने लगी थी. मेरी गांड भी साथ ही उछलने लगी थी. कमरे में सिर्फ मादक सिसकारियों का शोर था.
‘पट पट ..’ ‘आह आह उफ़ … उफ्फ्फ..’
मीता के झटके तेज होते गए, वो पागलों के तरह मेरे निप्पल नोंचने लगी. अपने नाख़ून मेरे सीने में चुभोने लगी. मैंने भी उसकी कमर पकड़ कर लय में लय मिला कर उसका साथ देना शुरू कर दिया.
लंड सटासट चुत के अन्दर बाहर होने लगा. कुछ ही देर में मीता ढहने के करीब आ गई थी. मैं भी नजदीक ही था.
तभी मीता भरभरा कर मेरे ऊपर गिर कर अपना रस मेरे लंड पर छोड़ने लगी. उसकी चूत ने मेरे लंड को जोर से जकड़ लिया.
‘आहह आहह आहह … अंकल … मैं गई..’
पर मैं नहीं रुका. ताबड़तोड़ धक्के लगाता रहा और मैंने भी मीता को जोर से भींच कर वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.
मीता की नरम चूचियां मेरे सीने से दब गईं. हम दोनों ने एक दूसरे को इतनी जोर से जकड़ रखा था कि जैसे सिर्फ एक जिस्म का ढेर हो … सांसें इतने तेज थीं कि धड़कनें सुनाई दे रही थीं.
दोनों ही एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाह रहे थे … जब तक सांसें सामान्य होतीं, हम दोनों ही थक कर नींद के आगोश में चले गए.
सबसे पहले मेरी नींद खुली तो देखा कि मीता आधी मेरे ऊपर लेटी नग्नावस्था में सो रही थी. उसका मासूम सा चेहरा, रुई के माफिक चूचियां … आधी मेरे सीने में दबी थीं. मैंने घड़ी देखी तो तीन बज रहा था.
मैंने वैसे ही मीता के माथे को चूम लिया और धीरे से उसको अपने ऊपर से हटा कर बगल में लिटा दिया. वो कुनमुनाई और मुझसे चिपक कर बोली- सोने दो ना अंकल.
उसके जिस्म पर मेरे वहशियाना हरकतों के लाल निशान थे. चूचियों के पास तो कई बहुत बड़े लाल लाल निशान थे, जो सूख कर भूरे रंग के हो गए थे. मीता की एक टांग मेरे लंड पर थी. हाथ मेरे पेट पर … और मुँह मेरे सीने से चिपका था.
मेरे फ्रेश मूड में मेरा लंड सर उठाए खड़ा था. मैंने धीरे से उठ कर मीता को सीधा किया और उसकी टांगों के बीच में आ गया. थोड़ा सा थूक लगा कर लंड को गीला किया और लंड को चूत में सरका दिया. मीता नींद में ही कराह उठी- आआहहह अहह अंकल..
उसकी नींद मेरे लंड ने खोल दी थी. मीता ने भी मुस्कुरा कर लंड का स्वागत किया. वो मुझे खींच कर मेरे होंठों को चूसने लगी. साथ ही अपनी चूतड़ भी उछालने लगी. मैंने भी तेज शॉट लगाने शुरू कर दिए.
मीता- आह अंकल हां हां हां यस यस यस अंकल … चोदो.
करीब दस मिनट की धुआंधार चुदाई बाद मैंने एक बार फिर से अपना लंड रस उसकी चूत में भर दिया.
उस पूरे दिन हमने पांच बार सम्भोग किया. करीब पांच बजे मैंने उससे बोला कि टाइम हो गया.
वैसे ही वो चिपक कर बोली- जाने क्यों मन नहीं भरा … अभी नहीं जाना है.
सच बोलूं तो उससे चला नहीं जा रहा था. पेन किलर और गर्भ निरोधक गोली तो मैंने उसे तीसरी चुदाई के बाद ही दे दी थी.
मैंने उसको बाथरूम में ले गया. उधर अच्छे से डेटोल और गर्म पानी से उसकी चूत की अच्छे से सिकाई की. उसका पूरा बदन, उसकी चूचियां, पेट, पीठ, गांड, जांघ सब जगह लाल निशान थे. मतलब लव बाईट थे.
करीब एक घंटे में वो उस हालत में हो गई थी कि वो घर जा सके. दिल तो मेरा भी नहीं भरा था. जब वो पैंटी पहन रही थी, तो मैंने उसकी पैंटी नीचे की और उसको झुका कर थूक से गीला लंड उसकी चूत में उतार दिया. मीता- एई ईई ईई अम्मा मर गईई.
मैं घपाघप उसको चोदने लगा. मीता करीब दस मिनट की चुदाई में फिर से झड़ गई, तो मैंने लंड निकाला और उसके बाल पकड़ कर अपना लंड उसके मुँह में डाल कर मुँह चोदने लगा.
‘घु गों गों ओं..’ की आवाज के साथ वो मेरा लंड किसी सॉफ्टी की तरह चूसने लगी.
थोड़ी ही देर में अपना साला माल उसके मुँह में भर दिया और तब तक लंड नहीं निकाला, जब तक वो सारा माल निगल नहीं गई. कसम से सबसे ज्यादा मज़ा इस फाइनल चुदाई में आया.
थोड़ी देर में वो तैयार हो गई और जाते जाते बोली- इस दिन को मैं कभी नहीं भूल सकती.
पूरे चार साल की पढ़ाई करके वो लखनऊ के ही कोलज में प्रोफेसर हो गई, पर उसने आज तक किसी भी तरह के सेक्स के लिए मुझे मना नहीं किया.
मैंने उसको पढ़ाई में भी मदद की कोचिंग इत्यादि के खर्चे भी उठाए. इस चुदाई के बाद मैंने एक अपार्टमेंट खरीदा, जो हम दोनों की ऐशगाह थी. मीता के रहते मुझे किसी और लड़की की जरूरत महसूस ही नहीं हुई. हम दोनों इतने गोपनीय तरीके से मिलते थे या बात करते थे कि आज तक उसके किसी दोस्त को या मेरे परिवार को पता ही नहीं चला.
ऐसे संबंधों में ज्यादा चंचलता नहीं होनी चाहिए … धैर्य के साथ इस तरह के सम्बन्धों को जारी रखना चाहिए, वरना सावधानी हटी और दुर्घटना घटी की कहावत आपके सामने होगी.
आज तक मेरे उसके साथ सम्बन्ध हैं. शायद अब उसकी शादी भी हो जाएगी. उसके बाद हमारे सम्बन्ध परिस्थितियों पर ही निर्भर करेंगे.
तो दोस्तो, मैं संदीप आपसे विदा लेता हूं और राहुल श्रीवास्तव जी का एक बार फिर से शुक्रिया.
राहुल श्रीवास्तव- आशा है यह सेक्स स्टोरी आपको पसंद आई होगी, आप मुझे अपने अच्छे या बुरे विचार कमेंट्स बॉक्स में या ईमेल में बता सकते हैं. आप अपनी प्रेम, सेक्स से सम्बंधित समस्याओं के समाधान के लिए भी मेल से संपर्क कर सकते हैं.
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