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मेरा नाम मुख़्तार है, मेरी उम्र 24 साल है, मैं एक आर्किटेक्ट हूँ। मेरी कहानी दोस्त की बीवी की चुदाई बहुत लोगों को पसंद आई, बहुत सारी महिलाओं के मेल आये जो मुझसे चुदवाना चाह रही थीं।
अन्तर्वासना पर यह मेरी दूसरी कहानी है जो मेरे जीवन में घर कर गई। मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है जिसके अन्दर जाये, उसकी चूत का भोंसड़ा बना कर ही बाहर आये। आज तक मैंने 15 से भी अधिक कुवांरियों की सील तोड़ी है।
यह मेरी जीवन की एक सच्ची घटना है जो मेरी एक दूर की भाभी रिजवाना और मेरी एक फिर गर्लफ्रैंड नेहा के साथ की घटना है। जब मैंने अपनी पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लिया, उस समय मेरी उमर 20 साल की थी, मेरे को तब तक चोदने और चुदाने के बारे में थोड़ा ही ज्ञान था, कभी किसी के साथ अच्छे से सेक्स नहीं किया था। मेरी क्लास में वैसे तो बहुत सी लड़कियाँ थी पर मेरे को कोई भी नहीं भाती थी।
मुझे कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर में दाखिला मिला था इस लिए पढ़ने का बहुत शौक था और मैं हमेशा ही अपनी पढ़ाई पर बहुत ध्यान देता था, सारे टीचर मेरे से खुश रहते थे, इसी बात के कारण लड़कियाँ धीरे-2 मेरे पास आने लगी और मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई।
उनमें से एक लड़की का नाम नेहा था जो देखने में बहुत सुंदर थी, उसकी उम्र 20 साल, पतली नाजुक कमर, चेहरे पर हमेशा सुकून दिखाई देता था, वो भी मेरे तरह क्लास में अच्छे से काम करती थी। मेरी और नेहा की अच्छी दोस्ती हो गई पर मैंने उसे कभी भी सेक्स की नजरों से नहीं देखा। जिगरी दोस्त की तरह हम एक दूसरे से खुल कर बात करते और सलाह मशवरा लेते।
एक बार वो जब कैंटीन में बैठी हुई थी, उस दिन वो मिनी स्कर्ट और टी-शर्ट पहन कर आई थी, क्या मस्त लग रही थी। मैं उसके पास गया और उससे बात करने लगा तभी उसकी पेंसिल नीचे हाथ से छूट कर गिर गई जिसे उठाने के लिए जब वो नीचे की तरफ झुकी तो मेरी नजर उसके वक्ष पर चली गई क्योंकि उसने ढीली ढाली सी टी-शर्ट पहनी थी, छोटे-2 संतरे के जैसे थे जिसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने किसी तरह से अपने लण्ड को उससे छुपाने की कोशिश की पर उसने मेरे इस हलचल को देख लिया पर कुछ नहीं बोली।
उसके बाद मैं उसकी तरफ ज्यादा ध्यान देने लगा।
एक दिन जब वो क्लास में अकेली बैठी थी, मैंने देखा कि उसके साथ कोई नहीं है, मैंने सोचा, अच्छा मौका है बोल दे, नहीं तो फिर कभी नहीं बोले पाएगा।
मैं गया और कुछ सोचे समझे बिना जाकर बोला- नेहा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुमको हमेशा अपने साथ महसूस करता हूँ, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता!
यह सुन कर वो खड़ी हुई और मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा।
मैं चौंक गया, यह मैंने क्या कह दिया!?! उसने बोला- इतने दिन बाद बोला, पहले नहीं बोल सकते थे? मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ!
मेरा दिल खुश हो गया। अब मैं उसे अपने कमरे में भी लाने लगा। उसने न जाने कितनी बार मेरे लौड़े को ठीक से देखा और मैंने भी न जाने कितनी बार उसकी चूत देखी और चौड़ा करके भी देखा पर इसके बावजूद हमारे दिल में चुदाई का ख्याल नहीं आया। मुठ मारने में भी उसने कई बार मदद की, मैंने भी उसकी मदद की है, हाथ से कई बार उसकी दाना मसल कर ठंडा किया है।
इस बार मैंने उससे अपने गाँव में छुट्टी बिताने के लिए मना लिया। इम्तिहान ख़त्म होने क बाद हम गाँव पहुँचे, हम दोनों का अच्छा खुश-आमदीद हुआ।
मेरे घर में मेरे अब्बू, अम्मी और एक छोटा भाई! मेरा एक चचेरा भाई सलमान है जो मेरे से कई साल बड़ा है फिर भी मेरा पक्का दोस्त है। एक साल पहले उसकी शादी हुई थी रिजवाना भाभी से, भाभी मेरी उम्र की हैं।
इस बार गर्मी बहुत ही तेज थी, सब लोग घर पर खाना खाकर दोपहर को सोये हुए थे, एक मैं था क़ि मुझे नींद नहीं आ रही थी, नेहा का भी यही हाल था, वो बोली- चलो मुख़्तार, रिजवाना भाभी के घर चलें, भाभी और भैया के साथ ताश खेलेंगे।
हम भाभी के घर गए, भाभी घर का काम कर रही थी और सलमान कहीं दिखाई नहीं दे रहा था, मैंने पूछा- भाईजान कहाँ हैं? सो रहे हैं क्या?
भाभी बोली- क्यों मैं नहीं हूँ क्या? भैया बिना काम काम नहीं चलेगा? नेहा- क्यूँ न चलेगा? हमने सोचा चलो भाभी के घर जाकर ताश खेलें! भाभी उदास हो कर बोली- वो तो रात होने तक नहीं आयेंगे। मैं- कहाँ गए हैं इतनी धूप में? रिजवाना- मैंने नहीं भेजा, अपने आप गए हैं।
नेहा- कहाँ गए हैं? रिजवाना- और कहाँ? वो भले उनके खेत भले। नेहा- क्या बात है भाभी? उदास क्यूँ हो? झगड़ा हो गया है क्या? रिजवाना- जाने भी दीजिये। यह तो हर रोज की बात है, आप जान कर क्या करेंगी?
नेहा ने उनके कंधे पर हाथ रखा और पूछा- क्या बात है, बता दो? कम से कम दिल हल्का हो जायेगा, हम से कुछ हो सके तो वो भी करेंगे। बोलो, क्या बात है? मार पीट करते हैं? मैंने कहा- हाँ भाभी, क्या बात है?
इतना सुन कर भाभी नेहा के गोद में सर रख कर रो पड़ी। मैंने उनकी पीठ सहला कर सांत्वना दी, मैंने नेहा से पानी लाने को कहा। नेहा उठ कर पानी लेने गई। मैंने रिजवाना भाभी के चहरे को अपने हाथों में लिया, इतनी मासूम लग रही थी वो!
नेहा के आने से पहले मैंने उनके कान में पूछ लिया- भाभी, भाई तुम्हें रोज चोदता है या नहीं? भाभी शरमा कर बोली- आज बीस दिन हुए! नेहा ने सुन लिया, पूछने लगी- किसके 20 दिन हुए? मैं- तू नहीं समझेगी, छोटी है, बाद में बताऊँगा।
रिजवाना भाभी को पानी देकर नेहा ने अपने उरोजों के नीचे हाथ रख कर ऊपर उठाये और बोली- देखो, मैं छोटी दिखती हूँ भाभी? रिजवाना के होंठों पर हंसी आ गई, उन्होंने कहा- नहीं नेहा, तुम्हारे तो मेरे से बड़े हैं, मैं कह रही थी कि 20 दिन से सलमान ने मेरे से बात नहीं की है।
नेहा के स्तन वाकई बड़े थे, वो 20 साल की ही थी मैंने सोचा खुला ही बोलने में कोई हर्ज़ नहीं है, मैंने कहा- भाभी का मतलब है कि 20 दिन से भैया ने उसे नहीं चोदा है।
नेहा अवाक् रह गई, फिर बोली- मुख़्तार…?!! मैं- भाभी, तू शुरू से बता, क्या हुआ? नेहा- मुख़्तार, तुम सब कैसे पूछते हो?
रिजवाना पहले शरमाई फिर बोली- तुम्हारे भैया के अलावा मेरे को आज तक किसी ने छुआ तक नहीं! तुम्हारे भैया ने पहली बार चो…!! वो किया सुहागरात को। मुझे दर्द हुआ, खून निकला वो सब उन्होंने देखा था। मैं- अब मारपीट करते हैं?
रिजवाना- मारपीट कर लेते तो अच्छा होता! यह तो सहा नहीं जाता! सुबह होते ही खेत में चले जाते हैं, दोपहर को नौकर को भेज कर खाना मंगा लेते हैं। रात को आते हैं तो खाना खाकर चुपचाप सो जाते हैं और झट पट वो किया या नहीं किया। करके करवट बदल कर सो जाते हैं। न बात न चीत! मैं कुछ पूछूं तो ना जवाब। क्या करूँ? अब तो वो करना भी बंद कर दिया है। कभी कभी रात को नहीं आते तो मुझे डर लगता है, उन्हें कुछ हो तो नहीं गया?
इतना कहते हुए वो रो पड़ी और मेरे कंधे के ऊपर सर रख कर रोने लगी। मैं धीरे-2 उनकी पीठ सहलाने लगा, नेहा की आँख में भी आंसू भर आये।
थोड़ी देर बाद भाभी शांत हो गई, उसका चेहरा उठा कर मैंने आँसू पौंछे। इतनी मासूम लग रही थी, मैंने उनके गाल पर बोसा के ले लिया। मेरा कारनामा देख कर नेहा ने दूसरे गाल पर चूम लिया। मैं कुछ सोचूं, इससे पहले मेरे होंठ रिजवाना के होंठों से लग गए।
लगता है सलमान ने भाभी को सेक्स करना नहीं सिखाया था, जैसे ही मैंने जीभ से उसके होंठ चाटने चालू किये, वह छटपटाने लगी।लेकिन मैंने उसे छोड़ा नहीं, उसके मुंह में जीभ डाल कर चारों तरफ घुमाई और उसके होंठ चूसे।
नेहा गौर से देख रही थी।
पाँच मिनट बाद चुम्बन छूटा। हम दोनों के मुँह थूक से गीले हो गए थे, उसका चेहरा लाल हो गया था। नेहा बोली- मुख़्तार, मुझे कुछ कुछ हो रहा था तुम दोनों को देख कर!
अब रिजवाना ने नेहा का का चेहरा पकड़ लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका दिया। इस वक्त नेहा की बारी थी, रिजवाना ने भी वैसा किया, जैसा मैंने किया था। उन दोनों को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। उस चूमाचाटी के दौरान मैंने अपना हाथ रिजवाना की छातियों पर रख दिया, मैंने उरोजों को दबाया और मसला भी। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर हटाया नहीं, वो चुदवाने के लिए तैयार हो रही थी, फिर भी तसल्ली के लिए मैंने पूछा- भाभी, बीस दिन से भूखी हो, आज हो जाये>
नेहा चुम्बन छोड़ कर बोली- मुख़्तार, तू तो भाभी को चो…च.. सम्भोग.. हाय हाय वो करने वाले हो? मैं- अगर देख न सको तो चली जाना। रिजवाना- ना ना, तुम यहीं रहना!
अब नेहा ने वो करना चालू किया जो सोचा न था, अचानक वो मेरे ऊपर टूट पड़ी और चूसना चालू कर दिया, पहले तो मेरे को हिचकिचाहट हुई, वो मेरी गर्ल फ्रेंड थी जिसने इस कदर कभी नहीं किया था, अब मैंने मुड़ कर न देखा मैंने कस कर उसे चूम लिया।
नेहा के होंठ इतने कोमल और रसीले होंगे, मैंने सोचा न था। रिजवाना के दूध छोड़ कर मैंने नहा को पकड़ लिया, जब तक चुम्बन चला मैंने नेहा के दूध सहलाये।
जैसे ही चुम्बन छूटा, नेहा बोली- क्या भाभी के सामने ही करेगा?
चारपाई छोटी थी, रिजवाना ने फटाफट जमीन पर बिस्तर बिछाया।
छोटी सी चोली में रिजवाना के दूध छिप नहीं रहे थे, मैंने एक एक कर के चोली के रे बटन खोल दिए, उसने अपनी चोली निकाल दी, रिजवाना अब ब्रा में थी।
चोली हटाते ही रिजवाना के दूध मेरे हाथ में कैद हो गए, मैंने धीरे से उसे लिटाया, आगे झुक कर फिर नेहा भाभी को चूमने लगी, एक हाथ से दूध से पकड़ा और दूसरा हाथ पेट से नीचे उतार दिया, रिजवाना के दूध मेरे हाथ से बड़े थे समां न सके लेकिन निप्पल छोटे थे उस वक्त सारा सामान कड़ा हो गया था, मैंने एक निप्पल चिमटी की तरह से पकड़ा और दूसरा मुँह में लेकर चूसने लगा।
उस वक्त रिजवाना का हाथ धीरे से फिसल कर मेरे लंड पर पहुंचा और दबा दिया, चुम्बन छोड़ कर बोली- देवर जी, कहाँ छुपा कर रखा था? ऐसे खजाने को छुपा कर रखना पाप है, मैं तुम्हें माफ़ नहीं करुँगी।
उसने मेरी पैंट खोला और हाथ डाल कर खड़े लंड को बाहर निकाला, नेहा ने झट से मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- बहुत सख्त है आज तो!
अब नेहा ने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब मेरे सामने दो जोड़ी नंगी चूचियाँ थी, मैं क्या करता, चूचियाँ मेरी कमजोरी हैं, भाभी के दूध नेहा से बड़े थे और नेहा के छोटे थे। नेहा के स्तन पूरी तरह गोल गोल और सफ़ेद थे, दूध के ऊपर बादामी रंग के छोटी निप्पल थी, मैंने ऊँगली से निप्पल को छुआ।
इस दरमियान भाभी मेरा लंड मुठिया रही थी। उसने अब अपनी सलवार ढीली की और उसको नीचे करके उतार कर बोली- अब चालू हो जाओ!
भाभी ने जांघे चौड़ी करके ऊपर उठा ली। उत्तेजना से सूजी हुई चूत देख कर मेरा लंड और तन गया, मैं बीच में आ गया, लंड को पकड़ कर चूत के चारों तरफ घुमाया, सब गीला और चिकना था क्योंकि चूत बहुत गीली थी। दिक्कत यह थी कि मुझे सही से पता नहीं था कि लंड कहाँ घुसता है, चूत का मुँह कहाँ होता है।
मैंने ऐसे ही धक्के लगाने चालू कर दिए लकड़ी की तरह इधर उधर टकराया, फिसल गया लेकिन चूत का मुँह नहीं मिला। मुझे लगा कि मैं चोदे बिना ही झड़ने वाला हूँ, आज तक मैं यह समझ नहीं पाया था कि लड़कियों को बिना बताये सेक्स का पता कैसे चल जाता है।
शर्म की मरी भाभी दोनों हाथो से चेहरा छुपा कर लेटी रही, नेहा ने लंड को पकड़ कर सही ठिकाने में रख दिया और मैंने एक जोरदार धक्का मारा, पूरा लण्ड चूत में उतर गया, नेहा गौर से लण्ड को चूत में घुसते देख रही थी।
चूत की मखमली दीवारों से लंड चिपक सा गया, लंड ने तीन चार ठुमके लगाये और चूत ने सिकुड़ कर जवाब दिया। मेरी उत्तेजना भी काफी बढ़ गई थी।.
अकेला सुपारा अन्दर रह जाता, मैंने इतना लंड बाहर खींचा और फिर एक झटके से अन्दर घुसा दिया। दो चार ऐसे टल्ले मारे तो लंड और तन गया, सर से लेकर पैर तक सारे अंग लंड के आनन्द से किलकारियाँ मारने लगे। मैं दनादन रिजवाना को चोद रहा था और वो कूल्हे उछाल कर जवाब दे रही थी।
मैं झड़ने के नजदीक पहुँच गया पर भाभी चुदवाए जा रही थी, झड़ने का नाम नहीं ले रही थी।
नेहा फिर काम आ गई, उसने भाभी की भोंस पर हाथ रखा, अंगूठे और ऊँगली से क्लोटोरिस पकड़ कर खींची, मसली और बेरहमी से रगड़ डाली, तुरंत भाभी के नितम्ब डोल पड़े।
अब वो कमर के झटके लगाने लगी, उसकी चूत ने ऐसे लंड चूसा कि मेरा बांध टूट गया, वीर्य की फचाफच पिचकारियाँ मार कर मैं झड़ गया और मेर साथ भाभी भी झड़ गई।
थोड़ी देर तक मैं भाभी के बदन पर पड़ा रहा, फ़िर लंड निकाल कर सफाई कने लगा। पेशाब जोर की लगी थी, झड़ने पर भी लंड झुका नहीं था।
लंड पर ठंडा पानी डाला, धोया पानी में डुबोया तब कहीं जाकर पेशाब निकली।
कमरे में आया और तो देखा तो दंग रह गया दोनों आपस में लिपटी पड़ी थी, नेहा अपनी टाँगें उठाए पड़ी थी, रिजवाना उसके ऊपर थी और मर्द की तरह धक्के मार कर चूत से चूत रगड़ रही थी। वो दोनों अपनी चुदाई में मस्त थी, मेरा आने की उन्हें खबर न हुई।
मैं जाकर सामने बैठ गया ताकि दोनों की भोंस आसानी से दिखाई दे।
नेहा जोर जोर से कूल्हे उछाल रही थी और भाभी को जोर लगाने को कह रही थी लेकिन रिजवाना के झटके धीमे पड़ने लगे। मैं जाकर नेहा के पीछे बैठ गया और अपनी टाँगें चौड़ी की तब लंड नेहा की चूत तक पहुँच सका। आगे बढ़ कर मैंने भाभी के स्तन थाम लिए।भाभी ने कहा- अच्छा हुआ जो तुम आ गए! संभालो अपनी गर्लफ्रेंड को! और वो जाने लगी। मैंने हाथ पकड़ लिया और कहा- अभी मत जाओ। हम तीनों मिल कर चुदाई करेंगे।
वैसे भी कुँवारी लड़की को चोदने के ख्याल से लंड कुछ टाइट हो गया। मैंने लंड भाभी की चूत में फिर से डाल दिया, वो कुछ कहे, इससे पहले मैंने चार पाँच धक्के मार ही लिए। लंड अब और खड़ा हो गया। मैंने भाभी की चूत से लंड निकाला और एक झटके से लंड नेहा की चूत में डाल दिया।
झिल्ली फटते ही नेहा चीख उठी लेकिन भाभी ने उसके लबों को अपने मुँह में लेकर दबोच लिया। अब मैंने लंड को चूत में दबाये रखा और खड़ा हो गया।
तब नेहा को पता चला कि उसकी चूत की झिल्ली फट गई है, वो बोली- मुख़्तार तुमने यह क्या किया? बहुत दर्द हो रहा है।
भाभी ने नेहा के नीचे दो तकिये लगाये और कहा- जो होना था, वो हो गया, अब देखना लंड तुम्हारी चूत में कैसे ठीक बैठता है। दर्द की फिकर मत कर, अभी चला जायेगा! मुख़्तार जरा रुको!
लंड को चूत में दबाये रख मैंने कहा- नेहा तेरी यही इच्छा थी, सच बता?
फिर नेहा ने अपना चेहरा ढक लिया और सर हिला कर हाँ कहा, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वो देख कर लंड ने ठुमका लगाया और ज्यादा चौड़ा होकर चूत को और भी चौड़ा कर डाला।
‘उ इ इ इ!’ कर नेहा फिर से चिल्ला उठी। मैंने उसके मुंह को चूम कर कहा- यह आखिरी दर्द है। अब कभी नहीं दुखेगा।
लण्ड को दो इंच बाहर निकाला और फिर घुसा कर पूछा- दर्द हुआ? इस बार उसने न कहा। ‘अब नीचे देख, क्या होता है?’
वो देखती रही और मैंने आराम से लंड निकाला, जब सिर्फ़ सुपारा चूत में रह गया, तब रुका।
झिल्ली का खून और चूत के रस से गीला लंड देख कर नेहा बोली- तेरा इतना बड़ा तो कभी न था? कब बढ़ गया? ‘मैंने भी तेरी भोंस इतनी खुली हुई नहीं देखी!’
भाभी- चुदाई के वक्त लंड और भोस का आकार बदल जाता है, वैसे भी तुम्हारे भाईजान का 6 इंच का है लेकिन जब चोदते हैं तो सात इंच जैसा दीखता है।
मैं- अच्छा! तैयार रहना! लण्ड फिर से चूत में जा रहा है, दर्द हो तो बताना!
आसानी से पूरा लंड नेहा की चूत में घुस गया, जब क्लिटोरिस दब गई तो नेहा ने कहा- बड़ी गुदगुदी होती है।
मैंने कूल्हे मटका कर क्लिटोरिस को रगडा, नेहा के नितम्ब भी हिल पड़े, वो बोली- सी सी इ अई! इह, मुझे कुछ हो रहा है!
अब मुझे तसल्ली हो गई कि अब नेहा की चूत तैयार है, मैंने धीरे चोदना चालू किया। भाभी झुक कर नेहा को चूमने लगी। मैंने धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाई। नेहा भी कूल्हे उछाल कर जवाब दे रही थी।
नेहा ने अपने पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया, मैं दनादन चोदे जा रहा था।
दस मिनट तक चुदने के बाद नेहा अचानक से बोल उठी- ओ ओ ओ इईईइ औ! वो झटपटाने लगी, मेरे बदन पर कई जगह उसने नाख़ून गड़ा दिए, कमर के झटके ऐसे लगाये कि लंड चूत से बाहर निकल निकल कर वापिस घुस रहा था। लण्ड पर चूत ऐसे सिकुड़ी जैसे किसी ने मुट्ठी से जकड़ लिया हो। मेरा लंड तन कर लोहा हो गया, चूत में आते जाते सुपारा टकरा रहा था जैसे मुट्ठ मारते हैं।
और नेहा भी सातवें आसमान की सैर कर रही थी। तभी मैं झड़ गया और झटके से छोड़ते हुए लंड ने वीर्य की पिचकारी मारी। एक एक पिचकारी के साथ लण्ड से बिजली का करंट निकल कर सारे बदन में फ़ैल जाता था।
हम दोनों शिथिल हो कर ढल पड़े। थोड़ी देर अब नेहा के ऊपर गिर कर पड़ा रहा, लग रहा था कि अब मेरे शरीर से जैसे जान ही निकल गई हो! हम दोनों शांत हो चुके थे।
नेहा की चूत पावरोटी की तरह फूल गई थी वो खड़ी नहीं हो पा रही थी। मैंने उसे गोदी में उठाया और बाथरूम में ले जाकर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर नहा धोकर बाहर आए।
भाभी ने तब तक नाश्ता बना दिया था। हम तीनों के चेहरे पर अब मुस्कान थी, भाभी भी अब खुश नजर आ रही थी।
मेरी कहानी कैसे लगी, मेल जरूर करें! फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ, तब तक के लिए विदा। [email protected]
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