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कहानी का पहला भाग : शर्मीला की ननद-1
सिगरेट जलाते हुए मैंने शर्मीला से पूछा- ऋतु को कैसे राजी किया? शर्मीला बोली- नंदोई जी के जाने के बाद बहुत देर बात करते करते ऋतु ने अपने भाई के स्तम्भन दोष के बारे में पूछ लिया, तो मेरे से बातों बातों में तुम्हारा जिक्र हो गया।”
भाभी के साथ झिझक टूटने के बाद मैंने भी बताया कि मैं और भी लंडों से खेल चुकी हूँ। तभी तय किया कि तुम्हें ही यहाँ बुलाएँ!” ऋतु ने मेरे हाथ से सिगरेट लेते हुए बताया।
हम एक साथ नहाये और ऐसे नंगे ही खाना खाया, थोड़ी देर सोये, शाम को घूमने गए, बाहर दारु पी, खाना खाया और रात के “सेशन” के लिए ऋतु के घर आ गए।
घर में घुसते ही ऋतु ने सबको रोक दिया, बोली- बस कपड़े यही तक, सब अपने कपड़े उतारो!” ऋतु की बात कैसे टाल सकते थे, तीनों नंगे हो गए। “मुझे जोर से मूत लगी है!” कह कर मैं बाथरूम भागा और चालू ही किया कि ऋतु ने पीछे से आ कर लंड पकड़ लिया और कमोड पर बैठ गई, मेरे मूत से अपने आप को भिगोने लगी और आहें भरने लगी। आखरी चंद बूंदे पी गई और लौड़ा चूसने लगी। तभी उसके पति का फ़ोन आ गया तो चुसाई छोड़ कर चली गई।
मैं बाहर आया तो शर्मीला करवट के सहारे अपने सर को हाथों का सहारा दिए पलंग पर लेटी थी। मैंने उसके पैरों को उठाया और अंगूठा उंगली एक एक कर चूसने और चाटने लगा। धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा उसको लगातार चूम रहा था। शर्मीला की जांघों पर अपनी जिह्वा से कलाकृति बना रहा था तो शर्मीला का शरीर कामुक अकड़न ले रहा था। दोनों हाथों से चूत खोल ऐसे चाटने लगा जैसे बच्चा अपनी मम्मी के बोबों से दूध चूसता है। शर्मीला की कसमसाहट बढ़ने लगी और मुझसे चोदने की विनती करने लगी।
उसकी चूत से निकला शहद पीकर मैंने ऊपर की ओर चढ़ाई शुरू की। शर्मीला की नाभि एक गहरे गढ़े जैसी थी। मैं उसके पेट को चाट चाट कर चूम चूम कर अपनी छाप छोड़ रहा था। इतनी फुर्सत से सम्भोग मैंने सिर्फ कैरोल का किया था आज से पहले शर्मीला को भी इतना चाटा नहीं था, उसकी नाभि मेरे थूक से लबालब हो गई। फिर दोनों चूचों की बारी आई। एक एक कर चूस रहा था। मेरा लंड एकदम तन चुका था। मैं शर्मीला को बीच में रख घुटनों के बल बैठा तो वह गर्दन उठा कर लंड को चूसने लगी। उसके चूचों को जकड़ उसमें लंड पेलने लगा। शर्मीला ने चूत में डालने कहा तो इस बार मना नहीं किया। मेरा शेर शर्मीला की चूत में उछल कूद करने लगा। शर्मीला भी कमर उठा उठा कर चुदा रही थी।
तभी ऋतु आ गई, अभी भी मेरे मूत से महक रही थी। सुबह शर्मीला की चूत और गांड चाटी थी अब अपनी चटाने के लिए शर्मीला के मुँह पर बैठ गई। शर्मीला भी हाथ उठा कर ऋतु के मम्मे मसलने लगी। शर्मीला की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया।
मैंने ऋतु को कहा कि वो कुतिया बन जाये, मुझे गांड मारनी है। शर्मीला के चाटने से ऋतु गांड थोड़ी गीली थी। कुतिया बनने पर ऋतु का सर बिस्तर पर लगा दिया तो अब उसकी गांड के अच्छे दर्शन हो रहे थे। मैंने और शर्मीला उसकी गांड पर थूका और शर्मीला ने उंगली से सारी गांड को बराबर गीला किया उसके बाद जब तक में ऋतु के चूतड़ चूस रहा था मेरा लंड मुँह में ले गीला किया।
मैंने ऋतु की गाण्ड में धीरे धीरे लौड़ा पेलना शुरू किया तो ऋतु की चीख निकल गई पर मैंने लंड निकाला नहीं। शर्मीला ने दो ऊँगलियाँ ऋतु की चूत में घुसा दी और उसके गांड के मुहाने पर थूक कर मेरे लौड़े को चिकनाई दे रही थी। थोड़ी देर में मैं ऋतु की गांड बेरहमी से चोद रहा था और शर्मीला के मम्मे भी मसल रहा था। शर्मीला ने भी ऋतु की चूत से उंगली निकाल मेरी गांड में घुस दी। शर्मीला ने मेरी गांड में उंगली की तो मेरा जोश दुगना हो गया, मैं ऋतु की गांड तेज तेज मारने लगा। अत्यधिक तेज़ी के कारण ऋतु की सूसू निकल गई। उसकी मूत से मेरी और शर्मीला की जांघें गीली हो गई। मेरा भी सारा वीर्य ऋतु की गांड में छुट गया। लंड निकालने पर शर्मीला ने ऋतु की गांड से रिसते वीर्य को चाटा और मेरा लौड़ा भी चाट कर साफ़ किया।
ऋतु दस मिनट बाद बोली- भाभी, इतनी जोरदार गांड मारी है कि मेरी मूत निकल गई। मुझसे तो उठा भी नहीं जा रहा है।
ऋतु वहीं सो गई।
“आज तुमने मेरी गांड मारी, बहुत मजा आया। पहली बार मरवाई, कैरोल ने भी कभी उंगली नहीं की थी।” मैंने कहा।
शर्मीला बोली- पर मेरी गांड तो प्यासी है।”
मैंने शर्मीला को ऐसे उठाया कि उसके पैर मेरी कमर पर लिपट गए और हाथ मेरे गले का हार बन गए, उसके चूचे मेरी छाती से भिंचे हुए थे। ऐसा करने से उसकी गांड चौड़ी हो गई और मैं ऊँगलियाँ घुसा कर अंदर-बाहर करने लगा, उसे चूमते हुए बोला- कल सवेरे सिर्फ तुम्हें चोदूँगा, जैसे तुम बोलोगी, जब तक तुम बोलोगी।”
“चल झूठे… चलो जानू, अब सो जाते हैं।” शर्मीला बोली और चूमने लगी। हम वहीं ऋतु के पास चिपट कर सो गए।
अगले दिन की बात अगले भाग में…
अब तक की आपबीती कैसी लगी? [email protected] पर मेल करके बतायें। कहानी का तीसरा भाग : शर्मीला की ननद-3
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