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प्रेषक : निखिल शर्मा
हेलो, मेरा नाम निखिल है, मेरी उमर 24 साल है। यह कहानी एक साल पहले की है। हमारे यहाँ गीता सफाई का काम करती थी। गीता एक शादीशुदा औरत थी जिसका पति उसे छोड़ कर जा चुका था। गीता का बदन कसा हुआ और गठीला था। उसके चुच्चे बहुत बड़े और गोल थे। जब वो चलती थी तो उसके मोटे चूतड़ अच्छे- अच्छों का लंड खड़ा कर देती थी।
जब भी मुझे मौका मिलता था तो मैं उसे काम करते हुए देखता था। वो झड़ू हमेशा झुक कर लगाती थी जिससे उसके बड़े-बड़े चुच्चे साफ नज़र आते थे। पौंछा लगाते हुए वो सूट को पीछे से उठा लेती थी जिससे उसकी पाजामी जो उसकी गांड में घुसी रहती थी, साफ़ नज़र आती थी और वो कभी कच्छी भी नहीं पहनती थी तो उसकी गांड साफ दिखती थी।
उसे इस तरह देख कर मेरा उसे चोदने का दिल करता था। मैंने सोचा कि धीरे-धीरे शुरुआत की जाए। जब माँ घर पर नहीं होती थी तो मैं उसकी सफाई में मदद करने लगा। शुरुआत में मैंने धीरे-धीरे उसके सामने कम कपड़े पहनने शुरू किए जिससे वो मुझे देखे।
जब वो अलमारी की सफाई करती तो मैं उसकी मदद करता, कभी उसे पीछे से पकड़ने का नाटक करता तो कभी जानबूझ कर उसके कूल्हों को छू लेता।
एक दिन जब वो अलमारी साफ कर रही थी तो उसने सूट पीछे से उठा रखा था, यह देख मुझसे रहा नहीं गया, मैं मदद करने के बहाने से उसके पीछे खड़ा हो गया। मेरे पास ब्लेड था जिसे मैंने धीरे से उसकी पाजामी पर पीछे से चला दिया, उससे पता ही नहीं चला लेकिन उसकी पाजामी गाण्ड के पास से फट चुकी थी। अब जब वो पौंछा लगाने लगी तो उसकी गाण्ड का छेद दिख रहा था। यह देख मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ एक तौलिया ढीले से लपेट लिया।
अब वो रसोई में काम कर रही थी और मैं तौलिए में ही कुछ सामान लेने के बहाने वहाँ चला गया। जैसे ही मैंने देखा कि वो मुझे देख रही है, मैंने तौलिया हल्के से खोल दिया जिससे वो नीचे गिर गया और मैंने उसे उठाने के बजाए ऐसे नाटक किया कि ‘यह क्या हो गया’ और खड़े लंड पर सिर्फ़ हाथ रख कर चल दिया।
बाथरूम में जाकर मैंने उसे आवाज़ दी और तौलिया माँगा। मैं उसका चेहरा देखना चाहता था कि उसे कैसा लग रहा है।
और मेरा विश्वास और भी बढ़ गया जब वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
अब अगले दिन मम्मी को कहीं जाना था तो मैंने भी कॉलेज की छुट्टी कर ली। गीता के आने से पहले मैंने दरवाजा खुला छोड़ दिया और सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गया।
जैसे ही गीता ने दरवाजा खोला, मैं सोने की एक्टिंग करने लगा। मैं बिस्तर पर नंगा लेटा था और मेरा 8 इंच का लंड हवा में झूल रहा था।
गीता सफाई करती-2 मेरे कमरे में आई और जैसे ही उसने लाइट जलाई तो मुझे नंगा देख पहले तो थोड़ा हैरान हुई, फिर मुस्कुराने लगी।
मैं थोड़ी-2 आँख खोल के देख रहा था। वो पहले तो देखती रही और फिर मेरे पास आकर बैठ गई। वो मुझे देख रही थी।
तभी मैंने उसे खींच के अपने पास लिटा लिया और उसे बाहों में भर लिया। पहले तो वो छूटने की कोशिश करने लगी पर जैसे ही मैंने उसकी चूत दबाई वो ज़ोर से मुझसे चिपक गई। अब मैंने उसके होंटों को चूसना शुरू किया और उसके सारे कपड़े उतार दिए। वो भी मेरा साथ दे रही थी और मेरे लंड को मसल रही थी।
अब मैंने उसे उठाया और उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। वो मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी और मैं उसके बड़े-2 चुच्चे दबा रहा था। फिर मैं बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर बैठा लिया। वो मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर ज़ोर-2 से उछलने लगी और अपनी चूत को चुदवाने लगी।
फिर मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत में लंड घुसा कर ज़ोर से चोदने लगा। वो जोरों से चिल्ला रही थी- उम्म आह… अह… मंह.. आह…
उसकी आवाजों से मुझे और ज़्यादा जोश आ रहा था और मैं उसकी चूत को हैवानों की तरह चोद रहा था। मेरा 8 इंच का लंड उसके आँसू निकाल रहा था। चूत चोदने के बाद मैंने उसे घुमाया और उसकी गाण्ड में थोड़ा तेल डाल दिया। उसकी गाण्ड का छेद चिकना करने के बाद जैसे ही मैंने अपना लंड डाला वो ज़ोर से चिल्ला उठी और मैंने उसके चुच्चे दबा कर उसकी गांड चोदनी शुरू कर दी। थोड़ी देर गाण्ड चोदने के बाद मैंने उसकी गांद में ही झाड़ दिया। उसकी गांड अब मेरे वीर्य से नहा रही थी।
मैंने उसे पलटा और वीर्य वाला लंड उसके मुँह में डाल दिया और वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
गीता ने हमारे घर 6 महीने तक काम किया और इन 6 महीनों में मैंने उसकी ना जाने कितनी बार चूत मारी होगी। उसके बाद वो अपने गाँव वापिस चली गई क्यूँकि उसके पिता की मृत्यु हो गई थी।
मेरी कहानी पर आप निम्न इमेल आईडी पर विचार दे सकते हैं।
धन्यवाद।
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