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प्रेषक : मुकेश कुमार
कैरोल को चोदते हुए पता लगा रांड और प्रेमिका को चोदने का फर्क। प्रेमिका उचक उचक कर प्रेम क्रीडा का मज़ा लेती है और देती है।
थोड़ी देर के बाद कैरोल को सीधा लिटाया उसके पैर हवा में अपने कंधे पर रख फिर जोश के साथ चोदने लगा। हर धक्के से उसके बूब्स हिल रहे थे। मेरे गति बढ़ने पर कैरोल की आवाज़ें पहले तेज और फिर धीमी हो गई तथा बदन में अकड़न के साथ वो स्खलित हो गई। मेरा भी वीर्य निकलने वाला था तो अपना लौड़ा चूत से निकाल सारा माल कैरोल के पेट पर निकाल दिया। उसकी नाभि मेरे वीर्य से भर गई। फिर सुख से निढाल हो उसके पास लुढ़क गया।
पसीने से लथपथ हम एक दूसरे को चूमते हुए चिपट कर सो गए।
सुबह चार बजे कैरोल की नींद खुली तो मेरे लंड को जगाने के लिए मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरी नींद भी खुल गई, मैं कैरोल के बालों में हाथ फेरते हुए पीठ के रास्ते गांड और चूत को उंगली से उत्तेजित करने लगा।
“माय पुसी इस हंगरी फॉर योर डिक !” (मेरी चूत तुम्हारे लौड़े की भूखी है) कैरोल ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर चूसने में लग गई। मेरा लंड अब कैरोल का दास बन चुका था, कैरोल की इच्छा पूर्ति के लिए तन गया।
कैरोल घुटने के बल बैठी मेरे दोनों पैर अपने पैरों के बीच कर। उसकी प्यासी चूत झाँटों के बीच से झांक रही थी। दोनों कड़क मम्मे जवानी को सलामी दे रहे थे। फिर झुकी और मेरे टट्टे चूसने लगी, बायां हाथ लंड को सहला कर और लम्बा कर रहा था। यकायक कैरोल ने दायें हाथ के बीच वाली उंगली मेरी गांड में घुसा दी। मेरा लंड पूरी तरह तन चुका था।
कैरोल थोड़ी उठी और लंड को चूत में ले ऊपर नीचे होने लगी और झुक कर मुझे चूमा। मैं भी अपने पुट्ठे उचका कर उसकी प्यास बुझाने में मदद कर रहा था। कमरा कैरोल की मादक चीखों से गूंज रहा था। साढ़े चार बजे के सन्नाटे में कैरोल का मादक संगीत माहौल को सेक्सी बना रहा था।
मैंने उठ कैरोल के ऊपर आना चाहा पर कैरोल ने मेरी छाती पर हाथ रख ऐसे ही चुदाई करने का इशारा किया। उसके बूब्स ऊपर नीचे हो मेरे को और उत्तेजित कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद में बोला,”जान ऑय ऍम गोइंग तो कम !” (मेरा निकलने वाला है)
मैं इसलिए भी बोला क्यूंकि कैरोल मेरे ऊपर थी और मेरा लंड निकलना संभव नहीं था। पर कैरोल कामक्रीड़ा में इतनी मस्त थी कि सिर्फ इतना ही बोली, “ऊह ओह… कम इन मी !”
हम दोनों फिर एक साथ स्खलित हुए। संतोष के भाव के साथ कैरोल मेरे ऊपर निढाल हो कर गिर गई। हम फिर पसीने से लथपथ एक दूसरे से लिपट कर सो गए।
सवेरे 11 बजे घंटी बजी तो कैरोल जागी। मेरा सुसुप्त लंड उसकी चूत रानी में अभी भी सो रहा था। उसने प्यार से निकाला मेरे ऊपर से उठी। मेरा टी-शर्ट पहना, मुझे चादर से ढका और दरवाजा खोलने गई।
कामवाली बाई थी।
बाई के चेहरे पर असमंजस के भाव थे- मे इदर काम करती है, झाड़ू कटका !”
बाई बोली और कैरोल के जवाब सुने बगैर सीदे अन्दर के कमरे के दरवाजे पर आ गई। कामवाली कमरे की हालत देख कर समझ गई कि रात को क्या हुआ होगा।
मैं सकपका कर उठा कि क्या जवाब दूं, वैसे कोई जवाब देने की ज़रुरत नहीं थी, पर डर था कि बिल्डिंग में क्या बोलेगी, चादर से निकल भी नहीं सकता था, पूर्ण नग्न जो था।
तभी कैरोल ने सहजता से कमरे में आ कर इधर-उधर बिखरी पड़ी ब्रा, पेंटी, शॉर्ट्स, व अन्य चीजे उठाना शुरू की और बोली, “मैं इनकी पत्नी हूँ, कल ही गाँव से आई हूँ।”
मेरे टी-शर्ट में कैरोल एकदम नंगी थी। झुक झुक कर कपड़े उठा रही थी तो चूत रानी और गांड के दर्शन हो रहे थे। जाहिर है मेरे लंड को पता चल गया तो फिर तन गया। चादर में बम्बू खड़ा होने पर तम्बू बन गया, कामवाली ने भी देख लिया, शरमा कर वो रसोई में चली गई।
कैरोल नाराज़ होते हुए बोली, “क्या बाई को देख कर भी खड़ा हो जाता है? क्या इसके साथ भी…?”
“नो डार्लिंग, यह तो तुम्हारी देख कर खड़ा हुआ।” कह कर मैंने उसके चूत को सहला दिया। तभी उसे पता चला, तो पेंटी बगैर तोता रंग की शॉर्ट्स पहन ली। मुझे चुम्मी दे बाई के पीछे चली गई। यकायक मुझे शादीशुदा होने का एहसास हुआ।
मेरा फ्लैट छोटा था और रात को खाना भी नहीं खाया इसलिए बाई को ज्यादा टाइम नहीं लगा। आधा घन्टा भी कैरोल के कारण लगा। बाई के जाते ही नंगा ही मैंने कैरोल को पीछे से पकड़ लिया और चूमने लगा और चूचियाँ मसलने लगा।
कैरोल मुड़ते हुए बोली, “चलो राजा पहले ब्रश करते है, फिर शेविंग भी तो करनी है?”
कह कर मेरी झांटों से खेलने लगी।
बाथरूम में हम दोनों पूरे नंगे थे, उसने मेरे दांत ब्रश किये मैंने उसके। बिना कुल्ला किये एक दूसरे को चूमा। बीच बीच में एक दूसरे के अंगों से भी खेल रहे थे।
कैरोल के पास बरोन्न जर्मनी का इलेक्ट्रॉनिक शेवर था, मुझे दिया और अपने पैर चौड़े कर बैठ गई बोली,” साफ़ कर दो मेरे बाल, फिर मैं तुम्हारे कर दूँगी। चूसने के टाइम मुँह में नहीं आयेंगे।”
“मैं तो सोचता था क्रीम से जल्दी होता है?” मैंने पूछा।
“हाँ, पर कभी स्किन इर्रीटेशन भी होता है, और स्किन भी काली हो जाती है !”
वाकई एपिलेटर एक मस्त मशीन है। मैंने कैरोल की चूत साफ़ की, गांड के आसपास के बाल साफ़ किये। फिर नारियल तेल लेकर चमका दिया। तेल लगते वक्त चूत और गांड में भी उंगली की। उसके बाद मेरी बारी थी। कैरोल मेरी छाती पर बैठ गई और एक छोटी कैंची से पहले जांट के बाल छोटे किये फिर एपिलेटर से साफ़ किया। उसकी इस कार्यवाही के दौरान मेरा लौड़ा तन गया। फिर उसने मेरे को घोड़ा बना गांड के बाल भी साफ़ किये।
कैरोल तेल लगाने लगी पर मेरा पप्पू अब मेरे बस में नहीं रहा।
“मुझे गांड मारनी है !” मैंने कहा।
“नहीं जानू पागल हो क्या? मैंने कभी गांड नहीं मरवाई फट जायगी !” कैरोल बगावत करने लगी।
मुझे भी लगा शायद मैं पागलपन ही कर रहा हूँ। यह मेरे से प्यार करती है और मैं जानवर बन रहा हूँ, बात संभालते हुए बोला, “जस्ट किडिंग ! मजाक कर रहा हूँ।”
फिर साथ साथ नहाने गए। बाथरूम में खड़े खड़े चोद दिया। जब वीर्य निकलने वाला था तो कैरोल ने मुँह में ले लिया और पी गई।
इसके बाद हम पति पत्नी की तरह साथ साथ रहते मगर ऑफिस में एकदम सचेत। यहाँ तक की कैरोल की महिला मित्रों को भी पता नहीं था। कैरोल मुझे बताती कि कैसे कई पुरुष सहकर्मी फ़्लर्ट करते। हम हर रात को सेक्स करते, कैरोल के पीरियड्स के दिनों में वह मुँह में ले लेती या हाथ से वीर्य निकालने में मदद करती।
सप्ताहान्तों पर हम अंडर गारमेंट्स नहीं पहनते थे और घर में पूरे नंगे ही घूमते थे। शुक्र और शनिवार शाम सिगरेट शराब और कबाब के नाम होती थी।
एक शनिवार दस बजे उठा तो देखा मेरी छाती पर कैरोल की ब्रा थी और बूब्स के लिए तीन तीन टमाटर भरे थे। कैरोल ने मेरा लौड़ा भी पैरों के बीच पीछे मोड़ मुझे अपनी पेंटी पहना दी। रात की दारु सर थोड़ा भारी था और ऊपर से कैरोल ने छाती पर भी बोझ लाद दिया। “जानू …” मैंने आवाज़ दी तो मेरे सामने मेरी अंडरवियर में कैरोल थी।
उसने चूत में एक केला घुसा दिया जो खड़े लंड जैसा आभास देता था।
“यह क्या है रानी?”
“आज मैं तुम्हें चोदूंगा।” कैरोल बोली।
और हम चुम्मा-चाटी करने लगे। “वीकेंड्स में अंडर गारमेंट्स नहीं पहनने के नियम को तुमने तोड़ा है !” मैं बोला।
“मैंने तो एक ही पहना है तुमने तो ब्रा और पेंटी दोनों। तुम बड़े कलप्रिट (गुनहगार) हो।”
इतना कह वो मेरे टमाटर का मर्दन करने लगी और मैं उसके बूब्स मसलने लगा।
“इतना सेक्सी और हॉट मर्द मैंने कभी नहीं देखा !” मैंने कहा।
मसलते हुए टमाटर के जूस निकल गया तो कैरोल ने मेरे लंड पर बहने दिया और लौड़ा चूस चूस कर जूस पीने लगी।
“ऑय वांट तो सक्क योर डिक ! मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ !” मैंने कहा।
कैरोल ने पहनी चड्डी उतार कर केला छीला, थोड़ा सा चूत में घुसाया और मैंने उस केले को मुंह में लेकर एक बार चूसा फ़िर पूरा केला खा लिया और फ़िर जीभ घुमा घुमा कर चूत चाटने लगा।
मज़ाक से शुरू हुआ खेल अब सेक्स में तब्दील हो चुका था मेरा लौड़ा भी कैरोल की चूत का दीवाना था, इतने महीनों में भी हमारी प्यास बुझी नहीं थी। तुरंत बिस्तर पर ले जाकर करवट के बल लिटा एक टांग हवा में उठा कर पीछे से कैरोल की चूत में लंड पेल दिया। कैरोल भी साथ दे मस्ती से चुदवा रही थी।
फिर उठी और एक बार और मेरे लंड को चूसने लगी। ऊपर से आकर हाथों से दीवाने लंड को अपनी चूत के अंदर ले लिया। कैरोल के असली बूब्स हर धक्के पर उचक उचक कर मुझे और दीवाना बना देते।
“आय ऍम कमिंग, मेरा निकलने वाला है !” मैंने एलान किया पर कैरोल जारी रही।
तभी मेरी पिचकारी कैरोल की चूत में चल गई, दो चार झटके मार कैरोल का पानी भी निकल पड़ा। कैरोल ने शरीर अकड़ा कर सारा पानी मेरे माल के साथ मेरे पेट पर निकाल दिया।
दोस्तो, मैंने और कैरोल ने कई तरह से काफ़ी पल साथ बिताये कई तरह से सेक्स किया। बाथरूम, किचन, हॉल, ज़मीन, बिस्तर, सोफ़ा कोई जगह नहीं छोड़ी।
पर किस्मत को हमारा मिलन पसंद नहीं आया। कैरोल के मम्मी-पापा हमारी शादी के खिलाफ थे और बहुत ड्रामे के बाद और यह जानते हुए कि हम शारीरिक सम्बन्ध बना चुके हैं, वे कैरोल को मेरी ज़िन्दगी से बहुत दूर ले गए। उसकी शादी एक सजातीय से कर दी जो गल्फ में कहीं जॉब करता है।
मैंने अपना फ़ोन नंबर नहीं बदला इस आशा में कि कैरोल का फोन आएगा।
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