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प्रेषिका : स्लिमसीमा कहानी का पहला भाग : माया मेम साब-1 कहानी का चौथा भाग : माया मेम साब-4
‘ओह मेरी तो फुद्दी और गला दोनों दुखने लगे हैं!’ ‘पर भगवान् ने लड़की को एक और छेद भी तो दिया है?’ ‘की मतलब?’ ‘अरे मेरी चंपाकलि तुम्हारी गाण्ड का छेद भी तो एक दम पटाका है!’ ‘तुस्सी पागल ते नइ होए?’
‘अरे मेरी छमक छल्लो एक बार इसका मज़ा तो लेकर देखो… तुम तो दीवानी बन जाओगी!’ ‘ना… बाबा… ना… तुम तो मुझे मार ही डालोगे… देखो यह कितना मोटा और खूंखार लग रहा है!’
‘मेरी सोनियो! इसे तो जन्नत का दूसरा दरवाज़ा कहते हैं। इसमें जो आनंद मिलता है दुनिया की किसी दूसरी क्रिया में नहीं मिलता!’
वो मेरे लण्ड को हाथ में पकड़े घूरे जा रही थी। मैं उसके मन की हालत जानता था। कोई भी लड़की पहली बार चुदवाने और गाण्ड मरवाने के लिए इतना जल्दी अपने आप को मानसिक रूप से तैयार नहीं कर पाती। पर मेरा अनुमान था वो थोड़ी ना नुकर के बाद मान जायेगी। ‘फिर तुमने उस मधु मक्खी को बिना गाण्ड मारे कैसे छोड़ दिया?’
‘ओह… वो दरअसल उसकी चूत और मुँह दोनों जल्दी नहीं थकते इसलिए गाण्ड मारने की नौबत ही नहीं आई!’ ‘साली इक्क नंबर दी लण्डखोर हैगी!’ उसने बुरा सा मुँह बनाया। ‘माया सच कहता हूँ इसमें लड़कियों को भी बहुत मज़ा आता है?’
‘पर मैंने तो सुना है इसमें बहुत दर्द होता है?’ ‘तुमने किस से सुना है?’ ‘वो .. मेरी एक सहेली है .. वो बता रही थी कि जब भी उसका बॉयफ्रेंड उसकी गाण्ड मारता है तो उसे बड़ा दर्द होता है।’
‘अरे मेरी पटियाला की मोरनी तुम खुद ही सोचो अगर ऐसा होता तो वो बार बार उसे अपनी गाण्ड क्यों मारने देती है?’ ‘हाँ यह बात तो तुमने सही कही!’
बस अब तो मेरी सारी बाधाएं अपने आप दूर हो गई थी। गाण्ड मारने का रास्ता निष्कंटक (साफ़) हो गया था। मैंने झट से उसे अपनी बाहों में दबोच लिया। वो तो उईईईईईई… करती ही रह गई।
‘जीजू मुझे डर लग रहा है… प्लीज धीरे धीरे करना!’ ‘अरे मेरी बुलबुल मेरी सोनिये तू बिल्कुल चिंता मत कर .. यह गाण्ड चुदाई तो तुम्हें जिन्दगी भर याद रहेगी!’
वह पेट के बल लेट गई और उसने अपने नितम्ब फिर से ऊपर उठा दिए। मैंने स्टूल पर पड़ी पड़ी क्रीम की डब्बी उठाई और ढेर सारी क्रीम उसकी गाण्ड के छेद पर लगा दी। फिर धीरे से एक अंगुली उसकी गाण्ड के छेद में डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।
रोमांच और डर के मारे उसने अपनी गाण्ड को अन्दर भींच सा लिया। मैंने उसे समझाया कि वो इसे बिल्कुल ढीला छोड़ दे, मैं आराम से करूँगा बिल्कुल दर्द नहीं होने दूंगा।
अब मैंने अपने गिरधारी लाल पर भी क्रीम लगा ली। पहाले तो मैंने सोचा था कि थूक से ही काम चला लूं पर फिर मुझे ख्याल आया कि चलो चूत तो हो सकता है कि पहले से चुदी हो पर गाण्ड एक दम कुंवारी और झकास है, कहीं इसे दर्द हुआ और इसने गाण्ड मरवाने से मना कर दिया तो मेरी दिली तमन्ना तो चूर चूर ही हो जायेगी। मैं कतई ऐसा नहीं चाहता था।
फिर मैंने उसे अपने दोनों हाथों से अपने नितम्बों को चौड़ा करने को कहा। उसने मेरे बताये अनुसार अपने नितम्बों को थोड़ा सा ऊपर उठाया और फिर दोनों हाथों को पीछे करते हुए नितम्बों की खाई को चौड़ा कर दिया। भूरे रंग का छोटा सा छेद तो जैसे थिरक ही रहा था। मैंने एक हाथ में अपना लण्ड पकड़ा और उस छेद पर रगड़ने लगा, फिर उसे ठीक से छेद पर टिका दिया। अब मैंने उसकी कमर पकड़ी और आगे की ओर दबाव बनाया। वो थोड़ा सा कसमसाई पर मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़े रखा।
अब उसका छेद चौड़ा होने लगा था और मैंने महसूस किया मेरा सुपारा अन्दर सरकने लगा है।
‘ऊईई .. जीजू… बस… ओह… रुको… आह… ईईईईइ…!’
अब रुकने का क्या काम था मैंने एक धक्का लगा दिया। इसके साथ ही गच्च की आवाज के साथ आधा लण्ड गाण्ड के अन्दर समां गया। उसके साथ ही माया की चीख निकल गई।
‘ऊईईइ…माँ आ अ… हाय.. म .. मर… गई इ इ इ…? ओह… अबे भोसड़ी के… ओह… साले निकाल बाहर.. आआआआ…?’ ‘बस मेरी जान..’
‘अबे भेन के.. लण्ड! मेरी गाण्ड फ़ट रही है!’
मैं जल्दी उसके ऊपर आ गया और उसे अपनी बाहों में कस लिया। वो कसमसाने लगी थी और मेरी पकड़ से छूट जाना चाहती थी। मैं जानता था थोड़ी देर उसे दर्द जरुर होगा पर बाद में सब ठीक हो जाएगा। मैंने उसकी पीठ और गले को चूमते हुए उसे समझाया।
‘बस… बस… मेरी जान… जो होना था हो गया!’
‘जीजू, बहुत दर्द हो रहा है.. ओह… मुझे तो लग रहा है यह फट गई है प्लीज बाहर निकाल लो नहीं तो मेरी जान निकल जायेगी आया… ईईईई…!’
मैं उसे बातों में उलझाए रखना चाहता था ताकि उसका दर्द कुछ कम हो जाए और मेरा लण्ड अन्दर समायोजित हो जाए। कहीं ऐसा ना हो कि वो बीच में ही मेरा काम खराब कर दे और मैं फिर से कच्चा भुन्ना रह जाऊँ। इस बार मैं बिना शतक लगाए आउट नहीं होना चाहता था।
‘माया तुम बहुत खूबसूरत हो .. पूरी पटाका हो यार.. मैंने आज तक तुम्हारे जैसी फिगर वाली लड़की नहीं देखी.. सच कहता हूँ तुम जिससे भी शादी करोगी पता नहीं वो कितना किस्मत वाला बन्दा होगा।’
‘हुंह.. बस झूठी तारीफ रहने दो जी .. झूठे कहीं के..? तुम तो उस मधु मक्खी के दीवाने बने फिरते हो?’
‘ओह… माया… देखो भगवान् हम दोनों पर कितना दयालु है, उसने हम दोनों के मिलन का कितना बढ़िया रास्ता निकाल ही दिया!’
‘पता है, मैं तो कल ही अहमदाबाद जाने वाली थी… तुम्हारे कारण ही आज रात के लिए रुकी हूँ।’
‘थैंक यू माया! यू आर सो हॉट एंड स्वीट!’
मैंने उसके गले पीठ और कानों को चूम लिया। उसने अपनी गाण्ड के छल्ले का संकोचन किया तो मेरा लण्ड तो गाण्ड के अन्दर ही ठुमकने लगा।
‘माया अब तो दर्द नहीं हो रहा ना?’ ‘ओह.. थोड़ा ते हो रया है? पर तुस्सी चिंता ना करो कि पूरा अन्दर चला गिया?’
मेरा आधा लण्ड ही अन्दर गया था पर मैं उसे यह बात नहीं बताना चाहता था। मैंने उसे गोल मोल जवाब दिया’ओह .. मेरी जान आज तो तुमने मुझे वो सुख दिया है जो मधुर ने भी कभी नहीं दिया?’
हर लड़की विशेष रूप से प्रेमिका अपनी तुलना अपने प्रेमी की पत्नी से जरूर करती है और उसे अपने आप को खूबसूरत और बेहतर कहलवाना बहुत अच्छा लगता है। यह सब गुरु ज्ञान मेरे से ज्यादा भला कौन जान सकता है।
अब मैंने उसके उरोजों को फिर से मसलना चालू कर दिया। माया ने अपने नितम्ब कुछ ऊपर कर दिए और मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकला और फिर से एक हल्का धक्का लगाया तो पूरा लण्ड अन्दर विराजमान हो गया। अब तो उसे अन्दर बाहर होने में जरा भी दिक्कत नहीं हो रही थी।
गाण्ड की यही तो लज्जत और खासियत होती है। चूत का कसाव तो थोड़े दिनों की चुदाई के बाद कम होने लगता है पर गाण्ड कितनी भी बार मार ली जाए उसका कसाव हमेशा लण्ड के चारों ओर अनुभव होता ही रहता है।
खेली खाई औरतों और लड़कियों को गाण्ड मरवाने में चूत से भी अधिक मज़ा आता है। इसका एक कारण यह भी है कि बहुत दिनों तक तो यह पता ही नहीं चलता कि गाण्ड कुंवारी है या चुद चुकी है। गाण्ड मारने वाले को तो यही गुमान रहता है कि उसे प्रेमिका की कुंवारी गाण्ड चोदने को मिल रही है।
अब तो माया भी अपने नितम्ब उचकाने लगी थी। उसका दर्द ख़त्म हो गया था और लण्ड के घर्षण से उसकी गाण्ड का छल्ला अन्दर बाहर होने से उसे बहुत मज़ा आने लगा था। अब तो वो फिर से सित्कार करने लगी थी। और अपना एक अंगूठा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी और दूसरे हाथ से अपने उरोजों की घुंडी मसल रही थी।
‘मेरी जान .. आह…!’ मैं भी बीच बीच में उसे पुचकारता जा रहा था और मीठी सित्कार कर रहा था। एक बात आपको जरूर बताना चाहूँगा। यह विवाद का विषय हो सकता है कि औरत को गाण्ड मरवाने में मज़ा आता है या नहीं पर उसे इस बात की ख़ुशी जरूर होती है कि उसने अपने प्रेमी या पति को इस आनंद को भोगने में सहयोग दिया है।
मैंने एक हाथ से उसके अनारदाने (भगान्कुर) को अपनी चिमटी में लेकर मसलना चालू कर दिया। माया तो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि अपने नितम्बों को जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी। ‘ओह.. जीजू एक बार पूरा डाल दो… आह… उईईईईइ… या या या…’
मैंने दनादन धक्के लगाने चालू कर दिए। मुझे लगा माया एक बार फिर से झड़ गई है। अब मैं भी किनारे पर आ गया था। आधे घंटे के घमासान के बाद अब मुझे लगने लगा था कि मेरा सैंकड़ा नहीं सवा सैंकड़ा होने वाला है। मैंने उसे अपनी बाहों में फिर से कस लिया और फिर 5-7 धक्के और लगा दिए। उसके साथ ही माया की चित्कार और मेरी पिचकारी एक साथ फूट गई।
कोई 5-6 मिनट हम इसी तरह पड़े रहे। जब मेरा लण्ड फिसल कर बाहर आ गया तो मैं उसके ऊपर से उठ कर बैठ गया। माया भी उठ बैठी। वो मुस्कुरा कर मेरी ओर देख रही थी जैसे पूछ रही थी कि उसकी दूसरी पिच कैसी थी।
‘माया इस अनुपम भेंट के लिए तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद!’ ‘हाई मैं मर जांवां .. सदके जावां? मेरे भोले बलमा!’ ‘थैंक यू माया’ कहते हुए मैंने अपनी बाहें उसकी ओर बढ़ा दी।
‘जीजू तुम सच कहते थे .. बहुत मज़ा आया!’ उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी। मैंने एक बार फिर से उसके होंठों को चूम लिया। ‘जिज्जू, तुम्हारी यह बैटिंग तो मुझे जिन्दगी भर याद रहेगी! पता नहीं ऐसी चुदाई फिर कभी नसीब होगी या नहीं?’
‘अरे मेरी पटियाला दी पटोला मैं तो रोज़ ऐसी ही बैटिंग करने को तैयार हूँ बस तुम्हारी हाँ की जरुरत है!’ ‘ओये होए .. वो मधु मक्खी तुम्हें खा जायेगी?’ कहते हुए माया अपनी नाइटी उठा कर नीचे भाग गई। और फिर मैं भी लुंगी तान कर सो गया।
मेरे प्रिय पाठको और पाठिकाओ आपको यह’माया मेम साब’ कैसी लगी मुझे बताएँगे ना? आपका प्रेम गुरु [email protected] [email protected]
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