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हेलो, मैं हूँ गोपी ! जी हाँ, मैं ही हूँ आपकी जानी पहचानी नाजुक सी, सदा खिलखिलाती सी गोलू मोलू सी गोपी भाभी !
मैं सुबह मस्त नहा धोकर तैयार हुई और मैं पहुँच गई स्कूल, आधा घण्टा इम्तिहान से पहले। मैंने देखा कि आधे से ज़्यादा छात्र आ चुके थे। मैंने अपना कमरे देखा और रोल नम्बर चेक कर लिया। मेरा कमरा नम्बर 6 में इम्तिहान था और सीट सबसे पीछे वाली थी कोने में !
मैं फिर बाहर आ गई और सर को ढूंढने लगी। मुझे क्लर्क ऑफ़िस में सर बातें करते नज़र आए, मैंने उनके पास जाकर उन्हें बुलाया।
मैं- सर एक्सक्यूज़ मी सर !
सर- हाँ जी बेटे कैसे हो? इम्तिहान की तैयारी कैसी है?
मैं- सिर बस आपकी मेहरबानी होगी तो इम्तिहान भी अच्छा होगा।
सर- बेटा फिकर मत करो, मैं हूँ ना, तुम्हें फर्स्ट डिवीज़न दिलवा कर ही दम लूँगा।
मैं- थैंक्स सर… सर, मैं आपको और भी खुश करूँगी.. बस पास करवा दीजिए अच्छे नम्बरों के साथ।
सर- बेटा पक्का… बाकी थोड़ा सा ध्यान रखना… सुपरिंटेंडेंट सख्त आया है… जब वो दूसरे कमरे में जाया करेगा तब मैं तुम्हारी हेल्प कर सकता हूँ !
मैं- सर, प्लीज़ मेरा ख्याल रखना, मुझे कुछ नहीं आता… सर प्लीज़ सुपरिंटेंडेंट को मना लीजिए !
सर- अरे वो बहुत स्ट्रिक्ट है… बुड्ढा है साला… मानता नहीं… असूलों की बात करता है… लेकिन मैं सम्भाल लूंगा, घबराओ मत !
मैं- सर थैंक्स… सर, सिर्फ़ 15 मिनट रह गये हैं…
तभी बेल बज गई और सभी अपने अपने कमरों में जाने लगे।
सर- ऑल द बेस्ट बेटा…
मैं- थैंक्स सर…
मैं भी फिर अपना पेन, पेन्सिल लेकर अपने कमरे में आकर सीट पर बैठ गई और सोचने लगी कि कहीं वो सुपरिंटेंडेंट कुछ पंगा ना कर दे !
मैं अपनी साँसों को काबू में रखने की कोशिश कर रही थी और मेरे सामने 2 टीचर अन्सर शीट्स को खोल रहे थे। उनमें एक पुरुष था एक महिला ! पुरुष टीचर कुछ 30 का होगा और चेक वाली शर्ट और काली फॉर्मल पैंट पहने हुए सामान्य बदन का मालिक था। उसको देख कर मैं अंदाज़ा लगा सकती थी कि उसका लंड मोटा ज़रूर होगा और टीचर 40-45 की होगी जो मस्त काले रंग की टाइट पजामी सूट पहन कर आई थी जो उसके दूध से लेकर थाइज़ तक चिपक रहा था, उसके 38″ के बड़े बड़े दूध थे और 40″ की मस्त गांड होगी। उन्होंने अन्सर शीट्स बांटनी शुरु की और साथ साथ में निर्देश भी देते गये कि कैसे करना है। 5-6 मिनट में सब काम हो गया और तब उनके पास प्रश्न पत्र आ गये और मेरी आँखें बस टकटकी लगा कर देख रही थी कि कैसे उन्होंने वो लिफ़ाफ़ा खोला और उसमें से पेपर्स निकाले।
तभी पुरुष टीचर ने घड़ी देखी और ‘आपका टाइम शुरू है !’ कहते हुए पेपर बांटने शुरू किए। मेरे डेस्क पर पेपर आते ही मैंने जब उसे पढ़ा तो…
देखा कि तीन सेक्शन थे, 40-40-20 मार्क्स के और मुझे सिर्फ़ पहले 2 में 1-1 प्रश्न आता था और वो भी 100% सही नहीं। मेरी तो फट गई, मेरी रोने वाली शक्ल हो गई थी। दस पन्द्रह मिनट हो गये थे, मैंने वो प्रश्न ख़त्म किया जो मुझे थोड़ा सा आता था… तभी हमारे सर आए कमरे में और हंस कर कहा- बेटा पेपर आसान है ना?
सभी ने कहा- हाँ…
लेकिन मैंने हां में सिर नहीं हिलाया और उनकी तरफ रोंदू शक्ल से देखने लगी। फिर वो मेरे पास आए और पूछा- परचा कैसा है?
मैंने कहा- सर मुझे आता नहीं कुछ भी !
तो सर ने कहा- अच्छा !
और मेरे डेस्क पर चुपके से एक चिट छोड़ दी। मैंने भी जल्दी से वो चिट छुपा ली।
फिर सर ने कहा- मैं वापिस आऊँगा थोड़ी देर में ! अगर कोई प्राब्लम हुई तो बताना।
मैंने चिट में देखा तो वहाँ पहले सेक्शन के आन्सर्स थे। मैंने जल्दी से चेपी मारनी शुरू कर दी। मेरा रोंदू चेहरे के बगीचे में अब ख़ुशियों के फूल खिल गये थे। मैं मज़े से पेपर कर रही थी।
अभी मैंने एक ही आन्सर अच्छे से किया कि सुपरिंटेंडेंट सर अंदर आ गये। मैंने देखा कि वो सफ़ेद बालों वाले, सख्त मिज़ाज़ दिखने वाले और सामान्य शरीर में रोबदार व्यक्तित्व वाले थे। उन्होंने पहले टीचर से बात की और फिर कमरे में घूमने लगे। मैंने जब देखा कि वो मेरे पास आ रहे हैं तो मैंने चिट छुपा ली और लिखने की ऐक्टिंग करने लगी। वो मेरे पास 10 मिनट रुके, मैं बस लिखने की ऐक्टिंग कर रही थी और मन में सोच रही थी कि साला हरामी कब जाएगा और डर रही थी कि कहीं इसे शक़ तो नहीं हो गया…
लेकिन फिर वो चला गया और मैं फिर से मस्त होकर नकल मारने लगी। मैंने पूरा सेक्शन ख़त्म कर लिया और फिर मैं सिर का इंतज़ार करने लगी। तभी सर जल्दी से अंदर आए और मुझे 4-5 चिट्स दे दी और चले गये। इतनी चिट्स थी, मुझे डर लग रहा था कि कहीं सुपरिंटेंडेंट ना आ जाए तो मैंने 1 चिट रख ली और बाकी को ऐसी जगह छुपा लिया जहाँ कोई नहीं ढूंढ सकता था। मैंने लिखना शुरु किया पर तभी साला सुपरिंटेंडेंट आ गया और मेरे बेंच के पास आकर खड़ा हो गया और मुझसे कहा- लिखो…
अब मैं चिट को देखे बिना कैसे लिखती, मैं डर गई और मुझे पसीना आने लगा था… तो सुपरिंटेंडेंट ने टीचर से कहा- इसे दूसरे कमरे में भेजो… यह अब मेरे पास बैठकर पेपर करेगी।
मैं तो डर गई… मेरी गांड फट गई थी, मैंने बहुत मनाया लेकिन कोई बात नहीं बनी और मैं वहाँ चल पड़ी।
सुपरिंटेंडेंट ने एक कमरे में मुझे बिताया और लिखने को कहा। मैंने जब कुछ नहीं लिखा तो उसने कहा- मुझे पता है तुम नकल कर रही हो, अब मुझे चिट्स दे दो, नहीं तो तुम्हारा परचा कैन्सल कर दूँगा।
मैं- सर, प्लीज़ ऐसा मत करना ! सर, मैंने नकल नहीं मारी। सर, प्लीज़ !
सर- मुझे ईडियट मत समझो… मैंने तुम्हें चिट से नकल करते देखा है, निकालो कहाँ है चिट?
मैं- सिर प्लीज़… मैंने कोई चीटिंग नहीं की… सर प्लीज़…
सर- लगता है तुम ऐसे नहीं मानोगी, तो ठीक है अंसरशीट दो… .मैं चीटिंग केस बनाता हूँ…
मैं- सर नहीं… प्लीज़… सर नहीं प्लीज़… सर मैंने चीटिंग की है…
सर- तो मुझे चिट दो… जल्दी करो !
मैं- सर लेकिन मैंने वो गुप्त जगह में छुपाई है…
सर- मुझे नहीं पता, मुझे वो चिट्स चाहिएँ !
मैंने सोचा अब क्या करूँ… फिर मेरा दिमाग़ ने शैतानी सोची… मैंने सोचा शायद सुपरिंटेंडेंट भी काबू में आ जाए…
मैंने कहा- ओके सर… मैं अभी देती हूँ…
वो मुझे देख रहा था तो मैंने अभी शर्ट में हाथ डाला, मैंने सफ़ेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट पहनी थी.. स्कूल ड्रेस, और अपनी ब्रा के अंदर धीरे धीरे हाथ डाला और अपना दायाँ वाला दूध थोड़ा सा बाहर निकाला जिससे उसको मेरा निप्पल आराम से नज़र आ रहा होगा, और मेरा आधा मोटा दूध उसकी नज़रों में बस गया होगा।
मैंने फिर और नीचे की ब्रा और 3 चिट निकाली, लेकिन तब तक उसे मेरा पूरा दूध 5-6 सेकेंड के लिए दिख गया होगा, पक्का उसको बहुत मज़ा आया होगा मेरा गोरा चिट्टा मोटा दूध देख कर, उसका दिल कर गया होगा मेरे दूध को मसल मसल कर चूसने को…
कहानी जारी रहेगी।
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