मैम भी खुश थी

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प्रेषक : कौशल चौधरी और ओमप्रकाश चन्द्रा

लन्ड की प्यासी भाभियों और आन्टियों को मेरे खड़े लण्ड का प्रणाम !

मेरा नाम कौशल चौधरी है। मैं भोपाल के एक निज़ी इन्ज़ीनियरिन्ग कालेज़ के तीसरे वर्ष का विद्यार्थी हूँ। मैं अन्तर्वासना का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ।

मैं एक बाडीबिल्डर हूँ, मेरे कक्षा के दोस्त मुझे “स्टीलबाय” कहते हैं। मैं झूठ नहीं बोलूँगा, मेरे लन्ड की लम्बाई 7 इन्च ही है जो लगभग सभी की चूत की प्यास बुझा सकती है चाहे वो 20 की हो या 50 की।

मैं अपनी असली कहानी पर आता हूँ। यह एक घटित सच्ची कहानी है जो मेरे और मेरे प्रिय मित्र ओमप्रकाश चन्द्रा के साथ घटी थी। हम उन्हें प्यार से चन्द्रा कहते थे। इस कहानी के लगभग सभी अंश सच्चे हैं और कुछ कल्पना पर आधारित है।

यह कहानी है मेरे कालेज़ के मैथ डिपार्ट्मेन्ट की सन्ध्या शुक्ला, मेरे और चन्द्रा की। उन पर पूरा कालेज़ फ़िदा था। क्या फ़िगर था उनका 32-26-32 मतलब मम्मे 32 कमर 26 और चूतड़ 32″ बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा लगती थी। हमें क्या पता था कि वो हसीना एक दिन हमसे चुदेगी।

वो कालेज़ के एक कमरे में रहती थी और हम होस्टल में। हमारी उनसे खूब पटती थी। हम हमेशा उन्हें चोदने के बारे में सोचा करते थे। मैं और मेरा प्रिय दोस्त चन्द्रा उनसे कोचिंग लेते थे, और 4 दोस्त भी थे लेकिन मेरी चन्द्रा से खूब पटती थी। हमने एक साथ कई लड़कियाँ चोदी थी। मैं हमेशा सन्ध्या मैम के नाम की मुट्ठ मारा करता था। हम पढ़ते कम थे उनके चूचे ज्यादा देखते थे।

एक बार की बात है बरसात हो रही थी तो सभी लड़कों ने फ़ैसला किया कि आज कोचिंग नहीं जाएगे लेकिन हम दोनों ठहरे निहायती कमीने, हमने फ़ैसला किया कि हम तो जाएँगे, पढ़ने न सही लाइन मारने।

हम दोनों रेनकोट पहन कर उनके कमरे के पास पहुँचे। हमने देखा वहा तो पहले से एक कार खड़ी है। वो कार हमारे कालेज़ के प्रोफ़ेसर की थी।

पहले तो चन्द्रा ने कहा- चल बे चलते है सर किसी काम से आए होंगे।

मेरा दिमाग ठनका, मैंने कहा- नहीं, चल अन्दर चल कर देखते हैं क्या चल रह है।

हम खिड़की के पास चले गये। बरसात की वजह से वहाँ कोई नहीं था। खिड़की से झांकते ही हमारी आँखें फ़टी रह गई, हमने देखा कि प्रोफ़ेसर मैडम के कपड़े उतार रहा था, फ़िर उसने मैम को किस करना शुरू किया उसने करीब 10 मिनट तक किस किया। फ़िर उसने ब्रा उतारी और फ़िर पैन्टी। देखते ही देखते मैम पूरी नन्गी खड़ी थी।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिसे हम चोदने के सपने देखा करते थे वो आज किसी दूसरे का लन्ड लेने वाली थी। मैडम की चूत क्या लग रही थी बिल्कुल गुलाबी गुलाबी। प्रोफ़ेसर ने फ़िर मैडम की चूत चाटनी शुरू की, मैडम सिसकारियाँ ले रही थी- आह उह्ह… आह ऊह्ह… अम्म… अम्म्म्।

फ़िर सर ने अपना लगभग साढ़े 5 इन्च का लन्ड निकाला और मैम की चूत में कुछ देर रगड़ा और पेल दिया। मैम को थोड़ा दर्द हुआ पर वो सह गई।

हमारे सामने वो हुस्न की मल्लिका चुद रही थी। मैं सब्र से काम ले रहा था, मैं अपने मोबाइल से पूरी रिकोर्डिंग कर रहा था। वो ज्यादा नहीं चिल्ला रही थी बस कराह रही थी। पूरे कमरे में चुदाई की सेक्सी आवाजें आ रही थी।

सर ने करीब 10 मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई की और झड़ गये मैम के पेट पे, मैम झड़ी या नहीं, पता नहीं।

फ़िर सर ने मैम को किस किया करीब दो मिनट और कपड़े पहन कर जाने लगे, हम छुप गये थे।

चन्द्रा ने कहा- चल बे, अब हम चोदने चलते हैं।

हमारी गान्ड भी फ़ट रही थी क्योंकि वो हमारी मैम थी पर किसी ने सच ही कहा है कि खड़े लन्ड के दिमाग नहीं होता। हमने बिना कुछ सोचे समझे मैम का दरवाजा खटखटा दिया।मैडम हमें दरवाजे पर देखकर चौंक गई, मैम ने कहा- कौशल तुम लोग यहाँ इस वक्त?

हमने कहा- हाँ मैडम, हम लोग यहाँ !

उन्होंने कहा- क्या काम है?

मैंने बिना डरे कहा- मैम, हमने आपकी और सर की पूरी चुदाई देखी है और हमने मोबाइल में रिकॉर्ड भी कर ली है।

यह सुन कर मैडम डर गई और उन्होंने कहा- तुम्हें क्या चाहिये?

मैंने कहा- आपकी चुदाई।

मैम ने कहा- क्या बकवास करते हो?

मैंने कहा- बकवास नहीं, सच कह रहा हूँ।

मैंने कहा- एक बार चोदने दो, नहीं तो यह क्लिप पूरे कालेज में फ़ैला दूँगा।

उनके पास कोई रास्ता नहीं था, उन्हें मानना पडा। हमने ठान लिया था कि आज चोदना है तो चोदना है।

मैंने उन्हें कमरे में ले जाकर दरवाजा बन्द कर दिया। मैंने उनके साथ चूमा चाटी शुरु कर दी, वो मना कर रही थी। चन्द्रा उनके कपड़े उतारने लगा। कुछ ही पल में हमने मैडम को बिल्कुल नंगी कर दिया। उनकी चूत देखकर हम दोनों अपने काबू से बाहर हो गये। ओमप्रकाश मैडम के दूध पीने लगा और मैं उनकी चूत चाटने लगा।

पहले वो हमारा साथ नहीं दे रही थी फ़िर जैसे ही मैंने उनकी चूत चाटना चालू किया, वो मदहोश होने लगी और काबू से बाहर होने लगी और हमारा साथ देने लगी।

मैं उनकी छोटी-छोटी झांटों वाली चूत और उससे बहते हुए पानी को चाट रहा था। चन्द्रा उन्हें चूमने में लगा हुआ था।

मैंने जैसे ही अपना लन्ड निकाला, वो डर गई, उन्होंने कहा- इतना मोटा मैं नहीं ले पाऊँगी, मेरी फ़ट जायेगी।

चन्द्रा ठहरा जोशीला, उसने भी अपना लण्ड निकाल लिया, इतने मोटे-मोटे लंड देखकर वो डर रही थी।

इतने में मैंने कहा- ले चूस इसको।

उन्होंने साफ़ मना कर दिया। चन्द्रा ने मैडम को पकड़ा, मैंने अपना लन्ड मैडम के मुँह में डाल दिया। मजबूरी में उन्हें चूसना पड़ा। ऐसा लग रहा था कि जैसे वो उल्टी कर देगी, मैं समझ गया कि मैडम ने पहली बार मुँह में लिया है।

मैंने अपन लन्ड बाहर निकाल लिया। थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें बिस्तर में पटक दिया और अपना लन्ड उनकी चूत में रगड़ने लगा।

उनके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।

फ़िर मैंने जोरदार धक्का मारा, मैडम की एक जोरदार चीख निकली- आ आ आ आ आ्ह…ई ई ई् …इई ईइ ई।

और फ़िर आह आह…उम्म्म …ऊह ऊह्ह्ह कराहने की आवाजें निकाल रही थी जो महौल को गर्म कर रही थी।

फ़िर मैंने और जोर-जोर से धक्के लगाने चालू कर दिये, उन्हें बरदाश्त नहीं हो रहा था। मैंने लगातार 15 मिनट तक चूत फ़ाडू चुदाई की और वो झड़ गई, फ़िर भी मैं उन्हें चोदता रहा।

वो कह रही थी- कौशल, मुझे छोड़ दो, मुझे तकलीफ़ हो रही है।

फ़िर भी मैंने उनकी एक ना सुनी और उन्हें चोदता रहा। मेरे सब्र का बान्ध टूटा और थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया और अपना सारा माल उनकी चूत में डाल दिया। जब मैंने अपना लन्ड उनकी चूत से निकाला तो मेरा वीर्य उनकी चूत से बह रहा था। मुझे यह देख कर बड़ा मजा आ रहा था। अब उनकी चूत चूत ना होकर भोसड़ा हो गई थी। वो सर की चुदाई भूल चुकी थी।

मैडम को चुदाई का भरपूर मजा मिला था और वो पूरी तरह होश में नहीं थी झड़ने के बाद।

अब बारी थी चन्द्रा की, चन्द्रा ने देर न करते हुए अपना शैतानी साढ़े 6 इन्च का लन्ड मैडम की चूत में डाल दिया, ओह सॉरी ! पेल दिया।

मैडम के मुँह से जोर की चीख निकली, मैंने कहा- अबे आराम से डाल बहनचोद।लेकिन भगवान ने औरतों को किसी भी आकार के लन्ड खाने की महान शक्ति दी है और गाण्ड मराने की भी। मैंने तुरन्त लन्ड निकाल कर फ़िर मैडम के मुँह में डाल दिया और फ़िर चन्द्रा की चुदाई चालू हो गई।

मैडम आह आह आह्…म्म्म म्म्म्म्म आह्ह्ह्ह् उह्ह उह्ह… उम्म्म्म कर रही थी। चन्द्रा काफ़ी जोश में था फ़िर भी उसने 15 मिनट तक मैडम की चूत का भोसड़ा बनाया।

मैम ने चन्द्रा से कहा- प्लीज़ इसे बाहर निकाल लो, अब मैं नहीं सह सकती।

इसके बाद कुछ देर और चोदने के बाद उसने अपना सारा वीर्य मैडम की चूत में छोड़ दिया। इस बार भी सन्ध्या मैडम झड़ गई। मैम की चूत इतनी फ़ैल गई थी कि लग रहा था कि चन्द्रा उसमें समा जायेगा।

इस तरह हमने मैडम की लगभग एक घन्टे तक मां चोदी। मैम की चूत से हमारे लन्डों का पानी चू रहा था। क्या मनमोहक दृश्य था वह, सोच के ही दिल खुश हो जाता है।

मैम चुदाई के बाद उठ भी नहीं पा रही थी, हमने उन्हें उठाया और नंगी ही बिस्तर में सुला दिया। बिस्तर में वीर्य और चूत का पानी गिर रहा था। हमने पूरा मजा लिया।

ओमप्रकाश ने कहा- अबे, अब गान्ड भी मारनी है।

मैंने कहा- अबे, यह अभी नहीं झेल पायेगी, अगली बार चोद लेंगे।

मैने मैम से कहा- हम आपके पास फ़िर आयेंगे। लेकिन इस बार हम आपकी गान्ड मारेंगे।

उस दिन के बाद हमारा मैम को देखने का नजरिया बिल्कुल बदल गया। मैम भी हम से चुदा कर खुश थी, हमने उन्हें परम आनन्द जो दिया था।

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