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चचाजान का खत आया कि वो तीन चार दिन के लिये हमारे यहाँ आ रहे हैं। जब मैंने काशीरा को चचा-चचीजान के आने की बात बताई, तो वो बोली ‘अहमद चचा आ रहे हैं? ये वही वाले चाचा हैं ना जो हमारी शादी में थे, अच्छा गठा बदन है, ऊँचे पूरे हैं और वो उनकी घरवाली वही है ना मोटी मोटी गोरी गोरी लैला चाची?’
‘हाँ हाँ वही ! लैला चची के साथ वो हमारी शादी में थे !’ ‘अरे तो आने दो ना, बड़ा मजा आयेगा, काफ़ी रसिया किस्म के मर्द लगे थे मुझको !’ मेरा लंड पकड़कर काशीरा बोली। ‘अरे अब उनके पीछे पड़ोगी क्या? पिछले हफ़्ते मेरे दो दोस्तों से चुदवा कर तुम्हारा मन नहीं भरा?’ मैंने काशीरा की चूची दबा कर कहा। ‘और तुमने नहीं उनकी बीवियों को चोदा? उस जोया की तो गांड भी मारी !’ काशीरा ने उलट कर कहा।
‘हाँ डार्लिंग वो ठीक है पर मैं इसलिये कह रहा था कि यह घर की बात है, चाचा-चाची की बात और है।’ ‘अरे अगर ये वही वाले चचा हैं जो शादी में थे तो मजा आ जायेगा। तब भी मुँह दिखाई के वक्त मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे खा जायेंगे। वैसे हैं बड़े प्यारे और सजीले, सच कहूँ, उनको देख कर वहीं मेरी बुर में गुदगुदी होने लगी थी।’ ‘क्या चुदैल रंडी है तू काशीरा, अब देख, उनके सामने तमाशा नहीं करना !’ ‘ठीक है देख तो लूँ उनके रंग ढंग, और चाची भी हैं ना, उनको तुम देख लेना, वैसे मुझे जैसा याद है, बड़ी चिकनी गोल मटोल थीं चाची, वहाँ शादी में जब तुम्हारे परिवार की औरतों के साथ थी तब उनका पल्लू गिरा था, तब मैंने चूचियाँ देखी थीं, ये बड़ी बड़ी…!’ काशीरा बोली और मुझे आँख मार कर हंसने लगी। मैं समझ गया कि इसको जो करना है वो करके रहेगी।
चचा-चाची आये, काशीरा ने अच्छी आवभगत की। दोपहर के खाने पर भी खूब सारी चीजें बनाईं। अहमद चचा ने तारीफ़ के पुल बांध दिये, मेरा माथा ठनका क्योंकि काशीरा अब बड़े जोश से उनकी खातिर में जुट गई थी- चचाजान, और मिठाई लीजिये ना… चाची, आप ने तो कुछ खाया ही नहीं ! वगैरह वगैरह !
उनके दो दिन एक शादी अटेंड करने में निकल गये। रात को देर से आते थे। एक रात वे वहीं शादी के घर सोये। फ़िर दूसरे दिन दोपहर को आये। आकर नहाए-धोए क्योंकि शादी के घर में काफ़ी भीड़ भाड़ थी।
जब दोपहर का खाना खाने के बाद वे दोनों आराम करने चले गये तो काशीरा मेरे पास आई- इमरान राजा, चचा को आज फ़ांस ही लेती हूँ। उनके बड़े लंड को लिये बिना चैन नहीं आयेगा !’ काशीरा मेरे लंड को सहलाती हुई बोली। ‘तूने कब देखा उनका लण्ड?’ ‘अरे अभी जब वो नहाने के बाद कपड़े बदल रहे थे तब दरवाजे की चीर में से देखा था। बैठा था फिर भी चड्डी में समा नहीं रहा था। मैं तो असल में बाथरूम में झांक कर देखने वाली थी पर चाची कमरे में थीं इसलिये लौट गई !’ काशीरा बोली।
‘मेरी चुदैल रानी, इतने लंड पिलवा चुकी है तू अपने अन्दर, मेरे तीन चार दोस्तों से चुदवाती है, जब भी मौका आता है, मैं तुझे तेरी पसंद के और मर्दों से भी चुदवा देता हूँ, फिर भी तेरा मन नहीं भरा। अब चचा के पीछे पड़ गई? वो क्या सोचेंगे कि उनके सगे भतीजे की बीवी कैसी चुदक्कड़ है !’ मैंने काशीरा की चूची दबा कर पूछा।
‘तो तुम भी तो अपने दोस्तों की बीवियों को चोदते हो, कैसे लपलपा कर पीछे पड़ जाते हो। पिछले माह जब हम तुम्हारे दूसरे दोस्त के यहाँ गये थे तो उसकी नौकरानी पर ही फ़िदा हो गये थे, तब मैंने नहीं मदद की थी तुम्हारी? दो दिन तक हर दोपहर को तुमको उस छम्मक छल्लो के साथ छोड़कर तुम्हारे दोस्त की बीवी को शॉपिंग के लिये ले गई थी।’
‘हाँ मेरी रानी, नाराज मत हो, मैं कहाँ तुमको ये सब बंद करने को कह रहा हूँ? तुम खूब चुदवाओ, मुझे तो बस तुम्हारी खुशी चाहिये मेरी जान। पर अहमद चचा…?’ मैंने कहा तो काशीरा बोली,’अहमद चचा के लंड की बात ही और है। सगे चचा हुए तो क्या हुआ, बड़े रसिया हैं, कैसे मेरी ओर देखते हैं, जैसे बस चले तो अभी पटक कर चढ़ जायें मुझपे। और मैं सिर्फ़ अपने बारे में ही थोड़े सोच रही हूँ, वो मुटल्ली चची भी तो माल है। मैं आज चचाजी का लंड खा ही लेती हूँ, तुम चाची की बुर चख लो, सच पाव रोटी जैसी गुदाज होगी !’ काशीरा अपनी बुर को प्यार से सहलाते हुए बोली।
‘हाँ रानी, बात तो सच है, चाची का बदन तो खोवा है खोवा, मुँह मारने का मन करता है। चलो ठीक है, करके देखते हैं। चचाजान तो तेरे एक इशारे पर तुझ पर टूट पड़ेंगे। कैसे घूर रहे थे तुझे दोपहर खाने पर !’ मैं काशीरा की चूचियाँ दबाकर बोला ‘तू भी उस्ताद है अपना जोबन दिखा कर लोगों को रिझाने में, कैसे बार बार आंचल गिरा कर झुक रही थी तू आज दोपहर के खाने के वक्त ! जानबूझ कर दिखा रही थी चचाजी को ये अपना माल !’
‘मैं तो उन्हें रिझा रही थी, पूरे फ़ंस गये हैं वे अब मेरे जाल में। तुम भी चची के साथ मजे कर लो आज, उनकी भी बड़ी नजर रहती है तुम पर। तब तक मैं चचाजी से चुदवा लेती हूँ !’ काशीरा मुझसे बोली।
‘ठीक है मेरी जान पर अकेले में नहीं। मैं भी देखूँगा चचाजी से तुझे चुदते वक्त। तेरी चूत को वो मूसल फ़ाड़ेगा तो कैसे रोयेगी मैं देखना चाहता हूँ, अभी तो बड़ी उचक रही हो, जब वो मूसल अंदर जायेगा तो चिल्ला चिल्ला कर रो पड़ोगी ! बोलोगी कि इमरान, बचाओ मुझे, तब मुझे ही आना पड़ेगा तेरे को बचाने को !’ मैंने काशीरा को चिढ़ाया।
‘रोये मेरी जूती ! मैं तो चचाजी को ही अंदर ले लूँ, लंड की क्या बात है, मेरी चूत की गहराई को अब तक नहीं पहचाना तुमने। चलो, तुम देख लेना मेरी चुदाई, और बातें मत बनाओ, बीवी को चुदते देख तुमको बड़ा मजा आता है, ये कहो। और नये नये लंड देखने की फ़िराक में भी रहते हो, है ना?’ मैं बोला- कहाँ? वो तो मैं बस तुम्हारे लिये…! ‘अब गुस्सा मत दिलाओ मुझे। वो दोस्त है तुम्हारा सलमान, उसके लंड को पिछली बार कैसे चूस रहे थे?’ काशीरा बोली। ‘वो तो तुमने कहा था, जब तुम उसकी बीवी जोया की बुर चूस रही थी तब !’ ‘हाँ पर बड़े मजे लेकर चूस रहे थे। मैं भी कहाँ मना कर रही हूँ तुमको, जैसे कभी कभी बुर का स्वाद अच्छा लगता है मेरे को, वैसे तुम भी लंड का मजा लिया करो !’ काशीरा से बहस में जीतना नामुमकिन है, मेरी सब कमजोरियों को अच्छे से पहचानती है, प्यार भी बहुत करती है मुझसे।
काशीरा थोड़ी देर चुप रही, खोई खोई सी थी, शायद चचाजी के लंड को याद कर रही थी, फ़िर अचानक बोली- पर चचा को कहोगे कैसे कि मेरे सामने चोद मेरी बीवी को? तुमको भी अगर साथ रहना है तो तुमको ही कहना पड़ेगा। मैं तो अकेले में ही फ़ांस कर चोद लूँगी उनको !’ ‘वो मैं कर लूँगा। खाने के बाद बात छेड़ता हूँ, तू दस मिनट में आ जाना और उनकी गोद में बैठ जाना, बाकी मैं संभाल लूंगा।’ मैंने कहा।
खाने के बाद मैं चाचा के साथ बैठा था, बोला ‘चचाजान, एक बात कहूँ, काशीरा के बारे में?’ ‘हाँ कहो बेटा !’ चचा संभल कर बैठ गये। ‘आप को कैसी लगी काशीरा?’ मैंने पूछा। ‘अच्छी लड़की है, बहुत सुंदर है, तेरे भाग हैं कि तुझे ऐसी लड़की मिली !’ चचा मुझे देख कर बोले। ‘आप भी बड़े लकी हैं चचाजी, चाची भी क्या चीज हैं !’ मैंने कहा। ‘हाँ वो तो है। पन्द्रह बरस पहले देखते तो फ़िदा हो जाते, बड़ी तीखी छुरी थी, वैसे अब भी है पर मोटी हो गई है !’ चचा मेरी ओर देख कर बोले।
‘चचा, सच कहूँ, मुझे चाची बहुत अच्छी लगती हैं। वैसे ही जैसे आप को काशीरा अच्छी लगती है। वैसे बचपन से चाची मुझे बहुत भाती हैं पर अब जरा .. यानि बहुत मस्त लगती हैं।’ मैंने कहा।
चचा मेरी बात में छुपा इशारा समझ गये- अरे, तो शरमाता क्यों है, चाची से मेल जोल बढ़ा, उनसे गप्पें लड़ा, वो भी कह रही थी कि इमरान बड़ा प्यारा लड़का है। वैसे काशीरा के बारे में कह रहा था ना तू?’
मैं चचा के पास खिसका- बड़ी गरम चीज है चाचाजी ! मुझसे नहीं संभलती !’ ‘याने बाहर मुँह मारती है क्या? इतनी चालू है? तुमने कहा उससे कि ऐसा न करे? आखिर बहू है घर की?’ ‘अब चचा, आप से क्या छुपाऊँ, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ, बहुत सुख देती है मुझे, इसलिये उसके सुख का भी खयाल मुझे रखना पड़ता है। अब आप पर नजर है उसकी। कह रही थी कि अहमद चचा कितने अच्छे लगते हैं। उनके साथ मेल जोल बढ़ाने का दिल करता है।’
चचाजान मस्त हो गये- अरे, तो इसमें पूछने की क्या बात है, बहू के लिये तो मेरी जान हाजिर है। ‘जान तो ठीक है चचाजी, आप उसे थोड़ी ठंडी कर दें तो…’ ‘अरे बिल्कुल ठंडी कर दूंगा। तू उसे मेरे पास छोड़ तो सही। बहू-बेगमों की तो हर इच्छा पूरी करनी चाहिये बेटे कि उन्हें घर के बाहर जाने की जरूरत न पड़े। और तू यहाँ क्यों बैठा है, जा ना चाची के पास, वो अकेली अपने कमरे में पड़ी है, कह रही थी कि सिर दुख रहा है, मैंने कहा कि भेजता हूँ किसी को खाने के बाद मालिश के लिये। मैं तो खुद तुझसे कहने वाला था, तू जा। मैं बहू का इंतजार करता हूँ यहाँ, जम जाये तो आज ही उसे खुश कर दूँगा।’
तभी काशीरा अंदर आई। बस एक नाइटी पहने थी। अंदर की ब्रा और पैंटी भी निकाल दी थी। नाइटी के बारीक कपड़े में से उसका हर अंग दिख रहा था। आकर सीधी चचा की गोद में बैठ गई,’क्या बातें हो रही थीं चचा-भतीजे में, मैं भी तो सुनूं। मुझे खुश करने की बात कर रहे थे चचाजी? कैसे खुश करेंगे मुझे बताइये ना चचाजी !’
चचाजी थोड़े हड़बड़ा गये,’कुछ नहीं बहू, इमरान बता रहा था तेरे बारे में, बड़ी सुंदर और प्यारी है तू। इमरान के बड़े भाग हैं जो तेरे जैसी बेगम इसे मिली है। तुझे खुश रखने को मैं क्या, सब लोग जो तू चाहे वो करेंगे ऐसा मैं कह रहा था !’
मैंने झूठमूठ काशीरा को डांटा- अरे तू क्या बच्ची है जो ऐसे जाकर चचाजान की गोद में बैठ गई? ये क्या सोचेंगे? काशीरा बोली- चचा तो बड़े हैं, उनकी गोद में बैठने से क्या शरमाना ! चचाजी मुझे बहुत प्यार करते हैं, है ना चचाजी? आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। चचा बोले- हाँ बहू ! इमरान, उसे मत डांट, उसका हक है मेरी गोद में बैठने का ! और काशीरा की पीठ सहलाने लगे।
काशीरा बोली- हाँ चचा, वैसे ही जैसे इमरान का हक है चाची से लाड़ पाने का, है ना? और फ़िर चचा को चूमने लगी, पहले गाल चूमे, फ़िर सीधे होंठ चूमने लगी।
चचा भी मस्त हो गये। काशीरा को बाहों में भर लिया और चूमने लगे, मुझे बोले- इमरान, तू जा तो, चाची का सिर दबा दे। चिंता मत कर, मैं बहू का पूरा खयाल रखूंगा, बड़ी प्यारी बच्ची है !’
काशीरा ने उनका एक हाथ उठा कर अपने स्तन पर रख लिया- चाचाजी देखिये ना, छाती बड़ी कसमसाती है मेरी। न जाने ऐसा क्यों होता है? अब तो चचा एकदम मस्ती में आ गये, काशीरा की चूची दबा दबा कर कस के उसके चुम्बन लेने लगे, चूमते चूमते बोले- अरे तेरी जवानी की गरमी है इसलिये ऐसा होता है, तेरे इस भरे पूरे जोबन को ठीक से मालिश करनी चाहिये, तब यह काबू में आयेगा। इमरान, तू अब तक यहीं है? जा ना लैला के पास !
मैंने कहा- चचाजी, थोड़ी देर के बाद चाची के पास चला जाऊँगा। अभी देखना चाहता हूँ कि ये क्या गुल खिलाती है। बड़ी शैतान है ! काशीरा, चचा तुमको बहुत प्यार करते हैं, जरा ठीक से पेश आना, बद्तमीजी नहीं करना। इसीलिये मैं तो रुकूंगा और कुछ देर, मुझे भरोसा नहीं है तुम्हारा !
‘मेरे राजा, मैं जानती हूँ कि वे बहुत प्यार करते हैं। ये देखो सबूत। मैं कब से देख रही हूँ कि जब चचा मुझे देखते हैं तो प्यार से ऐसी हालत हो जाती है इनकी, है ना चचाजी?’ कहकर काशीरा ने उनके पाजामे के तंबू पर हाथ रख दिया !
‘चलिये ना चचा, अंदर चलिये, मुझे ठीक से प्यार कीजिये, आप के पास तो के खास खिलौना है मुझे प्यार करने के लिये !’
‘हाँ चचा, अंदर ले चलिये काशीरा को उठाकर, फ़िर इसे ठंडी कीजिये। असल में मैं बहुत प्यार करता हूँ इसे, इसको और कोई भी प्यार करे तो मुझे मजा आ जाता है। और अब आप इसे प्यार करेंगे ये तो बड़ी खुशी की बात है, काशीरा भी कब से राह देख रही है, आप जैसे बड़ों से प्यार कराने में उसे बहुत आनन्द मिलता है, मैं जरा देख लूँ कि ये कितनी खुश होगी आप से प्यार पाकर, फ़िर चाची की सेवा करूँगा जाकर !’ मैंने कहा।
चचा समझ गये। उठ कर काशीरा को बाहों में लिया और अंदर ले गये- आ जा इमरान, देख ले कि ऐसी जवान बहू को कैसे प्यार किया जाता है’ अंदर जाकर उन्होंने काशीरा को नीचे उतारा तो पहले तो काशीरा ने अपनी नाइटी निकाल दी। जब तक चचा आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर उसका जोबन देख रहे थे, तब तक उसने चचा के कपड़े भी निकाल दिये। मैं भी नंगा हो गया था।
मैंने एक कुरसी पर बैठ कर लंड हाथ में लिया और बोला- चचा, साफ़ बात कहूँ, बड़ी चुदैल लड़की है, आप पर मरती है, कब से आपके लंड की ताक में है, आज जरा इसे अपने लंड की ताकत दिखा ही दीजिये ! ‘बहू तो अप्सरा है अप्सरा ! क्या माल लाया है तू इमरान बेटे, चबा चबा कर खा जाने का मन करता है !’ चचा काशीरा के बदन पर हर जगह हाथ फ़ेरते हुए बोले।
काशीरा अब नीचे बैठ कर चचाजी के लंड को हाथ में लेकर चूम रही थी- इमरान राजा, मैंने कहा था ना कि कितना बड़ा है चचा का ! हाय चचाजान, यह तो घोड़े के लंड सा लगता है, चाची की तो आप ने आज तक पूरी खोल दी होगी?
चचाजी बोले- अरे तेरी चाची क्या कम है? उसका तो कुआं है कुआं, वो तो हाथी का ले ले उसका बस चले तो, घोड़ा क्या चीज है उसके सामने। बहू अब यहाँ आ बेटी, अपनी बुर दिखा, अम्मी-कसम क्या महक रही है साली ! ‘पहले लंड चूसूँगी चचाजी, फ़िर अपनी बुर चटवाऊँगी !’ काशीरा बोली और लंड का सुपाड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी, बोली- ये सुपारा है या पाव भर का टमाटर? मैं तो खा जाऊँगी इसको !
चचाजी बोले- चूसेगी या चुदवायेगी? जल्दी बोल, डरती है शायद, डींगें मार रही है, मेरे लंड की साइज़ देखकर डर गई है, इसलिये चूस कर छोटा कर देना चाहती है ! ‘इस लौड़े से डरे मेरी सास, लो चचा, चोद दो, आज आप को दिखाती हूँ कि चुदवाना किसे कहते हैं !’ काशीरा अपने मम्मे दबाती हुए बोली।
काशीरा टांगें खोल के लेट गई, चचाजी टूट पड़े और लपालप उसकी बुर चाटने लगे- क्या चूत है बहू की, क्या रेशमी झांटें हैं, और ये लाल लाल होंठ और ये बहता हुआ खालिस घी ! इमरान, तेरी तो चांदी है बेटे, रोज इस जन्नत की सैर करता है, इस इमरत को चखता है, बहू जरा टांगें और फ़ैला, जीभ डालने दे ठीक से !
काशीरा ने टांगें पूरी फ़ैला दीं। चचाजी ने उसकी बुर उंगली से खोली और जीभ अंदर डाल डाल कर रस चाटने लगे। काशीरा कमर उचकाने लगी। ‘चूसते ही रहोगे या चोदोगे भी? डालो ना चचा, लंड तो डालो। अब क्यों तड़पाते हो चचा अपनी बहू को, पाप लगेगा आपको !’ काशीरा उनके सिर को पकड़कर बुर पर उनका मुँह रगड़ती हुई बोली।
चचा उठ कर बैठ गये- ये ऐसे नहीं मानेगी साली ! इतना बढ़िया बुर का रस है, ठीक से पीने भी नहीं देती। इमरान, मैं चोद देता हूँ इसे, बुर बाद में चूस लूँगा, अब तो ये घर का माल है। चल बहू, बुर पूरी खोल नहीं तो फ़ट जायेगी, दर्द से रिरियाने लगेगी !
काशीरा ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत को चौड़ा किया, चचा ने सुपाड़ा रखा और पेलने लगे। वो सेब सा सुपाड़ा आधा अंदर गया तो काशीरा कराह उठी- हाय..! अरे जालिम..! रुक ना थोड़ा..! कितना अच्छा लग रहा है इमरान.. बहुत बड़ा है चचा का… ओह..! ओह..! ये तो सच में फ़ाड़ देगा मेरी ! लगता है..! हाऽय ..! चचाजी.. डालो ना अंदर… दुखता है ऐसे करते हो तो…! ओह… ओह ..!
‘कभी रोती है और कभी लंड डालने को कहती है ये हरामन !’ चचा मुस्कराकर बोले। ‘डाल दो ना चचा.. पूरा डाल दो… मेरी परवा ना करो !’ काशीरा मचल कर बोली।
‘डाल दूँगा, डाल दूँगा, मेरे सुपारे का मजा तो ले, तेरी चूत को ये ठीक से चौड़ा करेगा, तेरी चाची की बुर का भोसड़ा इसी सुपाड़े ने बनाया है !’ कहकर चचाजी थोड़ी देर सुपारा अंदर बाहर करते रहे, फ़िर पक्क से अंदर कर दिया। ‘उई ऽ अम्मीऽ…’ काशीरा चीख पड़ी। ‘अब कैसे चिल्लाने लगी ये चुदैल लड़की ! देखा इमरान, अरे मेरे लंड को झेलना सब के बस की बात नहीं है।’ चचा काशीरा की चूचियाँ दबाते हुए बोले।
‘अरे डालो नो .. रुक क्यों गये… मजा आ रहा है .. ओह इमरान.. लगता है कोई जैसे पूरा हाथ अंदर डाल रहा है .. सुपारा ऐसा लग रहा है जैसे किसी की मुठ्ठी हो… आज मेरी चूत के लायक लंड मिला है .. आह… दुखता है चचाजी .. मेरे अच्छे चचाजी .. पर बड़ा मजा आ रहा है चाची की कसम, करिये ना और…’
चचाजी लंड पेलने लगे, आधा लंड अंदर गया तो काशीरा छटपटाने लगी- ओह .. नहीं सहा जाता चचाजी .. मर गई मैं .. बहुत बड़ा है .. उई मां ऽ इमरान राजा… तेरे चचाजी तो सांड हैं सांड… हाय रे…! चचा ने मेरी ओर देखा कि रुकूँ या डाल दूँ?
मैंने कहा- डाल दो चचा, चिल्लाने दो, फ़ट जाये तो भी परवा नहीं। वैसे आप जानते नहीं इस हरामन को, चिल्लाती भी है तो मस्ती से, साली जरा नहीं डरती। आप तो डालो और चोदो मजे से !
चचाजी ने पूरा लंड गप्प से उतार दिया। काशीरा का बदन ऐंठ गया। वो चिल्लाये इसके पहले चचा ने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और चोदने लगे।
काशीरा ‘गों-गों’ करके छटपटाते हुए हाथ पैर फ़ेंकने लगी। पर चचाजी का लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था, इसका मतलब था कि काशीरा की बुर इतनी चू रही थी कि एकदम चिकनी हो गई थी, मैं समझ गया कि दुख वुख कुछ नहीं रहा है, नाटक कर रही है। चचा काशीरा का मुँह ऐसे चूस रहे थे जैसे रसीला फ़ल चूस रहे हों, साथ ही सधी रफ़्तार से बिना रुके चोदते जाते। काशीरा अपने बंद मुँह से बस ‘अंःअंहअंम्म’ करती रही, फ़िर चुप हो गई।
चचाजी ने काशीरा का मुँह छोड़ा और झुक कर उसकी चूची चूसने लगे। काशीरा फ़िर से हाथ पैर मारने लगी, सिसकती हुई कमर हिला हिला कर चचाजी के लंड को और अंदर लेने की कोशिश करने लगी, फ़िर चचाजी के इर्द गिर्द अपने हाथ पैर लपेट लिये और बोली- ओह .. ओह.. चचा.. बहुत जानदार है चाचाजी आपका… मैं जानती थी… यही एक लंड है जो मेरी चूत की अगन ठंडी कर सकता है… चोद डालिये चचाजी… चोदिये आपकी बहू को.. अपनी बेटी की चूत को… पेल पेल के फ़ाड़ दीजिये चचाजी… चोद डालिये चचाजी…
‘बिल्कुल चोद डालूंगा बहू, हमारे घर आई है बहू बनके, तेरी हर इच्छा पूरी करना हमारा फ़र्ज़ है, ले .. ले .. और जोर से पेलूं? .. ये ले…’ चचाजी बोले और फ़िर हचक हचक कर काशीरा को चोदने लगे।
काशीरा अब नीचे से ऐसे चूतड़ उचका रही थी कि जैसे उनके लंड को पेट में लेने की कोशिश कर रही हो।
‘इमरान देख तेरी बीवी को तेरे सामने चोद रहा हूँ। क्या छिनाल रंडी है साली, देखो कैसे चूतड़ उचका कर मेरा लंड पिलवा रही है अपनी चूत में ! मुझे लगा था कि टें बोल जायेगी, तेरी चाची भी बेहोश हो गई थी सुहागरात में .. पर ये तो रंडियों से भी बढ़ कर है चुदवाने में’ चचा काशीरा की बुर में अपना लंड पेलते हुए बोले।
‘हाँ चचा, बड़ी गरम है, मुझसे संभलती नहीं है साली हरामन। आज आप इतना चोद दो कि साली खाट से उठ न पाये !’ मैं लंड को हाथ से मस्ती से सहलाते हुए बोला। काशीरा की गोरी चूत एकदम चौड़ी हो गई थी, चचाजी का मूसल उसे चौड़ा करके अंदर बाहर हो रहा था।
‘चोदिये ना चचाजी… चोद दीजिये मुझ को… और जोर से… कस के पेलिये जीजू .. और जोर से चोदिये ना… फ़ाड़िये ना मेरी चूत… अम्मी के भाई जी… मसल डालिये मेरे को… ओह.. हं ऽ… आह ऽ.. ओह ऽ… आह ऽ… ‘ मस्ती में आँखें बंद करके काशीरा बड़बड़ा रही थी। अपने हाथों और पैरों से उसने चचाजी का बदन बांध कर रखा था और उनसे चिपटी हुई थी।
‘मुझको कभी मामा कहती है कभी जीजू कहती है साली… इनसे भी चुदवाती थी क्या?’ चचाजी ने धक्के मारना बंद करके मुझसे पूछा।
‘पता नहीं चचाजी, शायद, वैसे उमर में बड़े और खास कर बड़े लंड वालों से चुदवाने में बहुत मजा आता है इसे, मैं चोदता हूँ तो कभी मस्ती में मुझे मामाजी कहती है तो कभी जीजाजी… बचपन से चुदैल है… मैं तो देखते ही पहचान गया था.. इसलिये तो मैंने शादी को हाँ कर दी अहमद चचा… सोचा कि ऐसी चुदैल चीज जितनी जल्दी घर में आये उतना अच्छा है… अब सारे खानदान को चोद डालेगी ये हरामन !’ मैं कस के अपने लंड को मुठिया रहा था।
चचा ठीक से काशीरा पर चढ़ गये और फ़िर घचाघच चोदने लगे- है बड़ी नमकीन छोकरी.. माल है साली माल… अब इस माल को मैं कैसे गपागप कर जाता हूँ देखना… इतना चोदूँगा आज कि मेरे बिना किसी का नाम नहीं लेगी बाद में… और तू क्यों मुठ्ठ मार रहा है वहाँ नालायक… आ जा.. साथ साथ चोदेंगे… साली के मुँह में डाल दे लंड और चोद डाल… तू कहे तो मैं नीचे होता हूँ… गांड मार ले हरामन की… बहुत गुदाज है… तू तो मारता ही होगा… मेरा मन हो रहा था असल में गांड मारने को… पर साली की बुर इतनी मीठी दिखती है कि…’ कहकर चचाजी ने काशीरा के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगे।
‘मैंने तो बहुत बार चोदा है… गांड भी मारी है… आज आप मजा कर लो अहमद चचा.. वैसे आप का लंड बड़ा शानदार है, चाचीजी तो मरती होंगी आप पर !’ मैंने कहा। लैला चाची के मोटे मांसल बदन को याद करके मेरा और उछलने लगा।
‘हाँ इमरान… तेरी चाची भी माल है… पर तेरी ये बहू तो एकदम तीखी कटारी है.. आह काशीरा बेटी… साली छिनाल… कैसे मेरे लंड को पकड़ रही है चूत से .. गाय के थन जैसा दुह रही है .. आज तेरी चूत की भोसड़ा न बना दूं तो कहना !’ चचा हांफ़ते हुए घचाघच धक्के लगाते हुए बोले।
‘अहमद चचा… आप मार डालो मुझे चोद चोद के.. आप के मुस्टंडे ने मार डाला तो भी.. उसे दुआ दूंगी… हाय.. हाय.. अरे साले चचा के बच्चे… घुसेड़ ना और अंदर… और चाची माल है तो मेरा ये सैंया इमरान ! क्या कम है… चाची का माल इसे.. दिलवा दो.. चोद ना साले… चोद ना और !’ काशीरा अब तैश में आकर बुरी तरह तड़प रही थी।
‘दिलवा दूंगा.. मैंने तो पहले ही कहा था.. यही घर का ही माल है.. इमरान को पसंद आयेगा.. खोवा है खोवा.. क्यों रे इमरान.. चाची को चोदेगा.. साली अब पिलपिली हो गई है… चूत और गांड का भोसड़ा हो गया है.. तेरे लंड समेत तुझे निगल लेगी.. पर है बड़ी जायकेदार साली मुटल्ली… रस चूता है तो बिस्तर गीला कर देती है…तू जा ना इमरान.. तेरी चाची चूत खोल कर… तेरा इंतजार कर रही होगी…’ चचाजान अब हचक हचक कर ऐसे चोदने लगे जैसे काशीरा का कचूमर निकाल देंगे।
काशीरा अचानक सी-सी-सी करके हाथ पैर पटकने लगी। फ़िर लस्त हो गई।
‘खलास कर दिया साऽलीऽ हराऽमऽजाऽदीऽ रंडीऽ को… चली थी मेरे लंड से लोहा लेने.. ओह.. ओह.. काशीरा बेटी.. आह !’ कहकर चचा भी ढेर हो गये। मैं कस कर मुठ्ठ मार रहा था, इतनी मस्त चुदाई देख के मजा आ गया था। खास कर काशीरा को बहुत मजा आया था, यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा था। आखिर मेरी प्यारी बीवी है, उस पर जान छिड़कता हूँ मैं। आखरी मौके पर आकर मैंने हाथ हटा लिया और लंड को झड़ने नहीं दिया। वहाँ चाची से मार थोड़ी खानी थी मुझे !
चचा थोड़ी देर से उठे और रुमाल से अपना लंड पोछने लगे। उनके लंड पर गाढ़े सफ़ेद वीर्य के कतरे लगे थे। अनजाने में मैंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फ़िरा दी, इतना मस्त माल वेस्ट जा रहा है यह मुझसे देखा नहीं जा रहा था !
काशीरा ने मेरी ओर देखा, इशारा किया कि मौका मत जाने दो। पर मेरी हिम्मत नहीं हुई। न जाने चचाजी क्या सोचें अगर मेरे दिल की बात जान गये तो?
मेरी प्यारी काशीरा मेरे दिल की बात समझ गई, उसने गाली दे के मुझे बुलाया ‘इमरान राजा, वहाँ क्यों बैठे हो मूरख जैसे, चल साले, आ और मेरी चूत साफ़ कर…’
अहमद चचा बोले- अरी बहू, उसे क्यों तकलीफ़ देती है, मैं रुमाल से साफ़ कर देता हूँ !
‘नहीं चचा, हमेशा इमरान ही साफ़ करता है, वो भी जीभ से। असल में उसे अच्छा लगता है, है ना इमरान?’
‘हाँ रानी, ये इमरत तो मैं कभी नहीं छोड़ता !’ कहकर मैं काशीरा के पास गया। वो टांगें खोल कर बैठ गई। मैं उसकी जांघें और चूत चाटने लगा। चचा बोले- अरे बेटे, देख मेरा वीर्य रिस रहा है बहू की चूत से, तेरे मुँह में चला जायेगा देख !
काशीरा बोली- तो क्या हुआ चचा, आप क्या पराये हो, अब तो मेरे सैंया बन गये हो। इमरान को मेरी बुर का पानी बहुत अच्छा लगता है, जरा भी नहीं छोड़ता, उस चक्कर में जरा आप की मलाई चख लेगा तो क्या बुरा है !
मैंने पूरी बुर साफ़ की। चचाजी के गाढ़े गाढ़े खारे वीर्य से काशीरा की बुर का पानी बड़ा मसालेदार हो गया था। मन ही मन मैंने काशीरा का शुक्रिया किया कि मेरे मन की बात ताड़ कर बड़ी खूबी से उसने मुझे चचाजी का वीर्य चखा दिया था।
चचा काशीरा को बाहों में लेकर लेट गये और उसके मम्मे मसलने लगे- आज रात भर चोदूंगा बहू तुझे, फ़िर कभी नहीं कहेगी कि मुझे प्यासा छोड़ दिया। बेटे इमरान, अब जाओ, चाची का क्या हाल है देखो, जरा उसकी भी सेवा करो, दुआ देगी !
‘दुआ से काम नहीं चलेगा चचाजी। इमरान को माल चाहिये माल चाची के बदन का !’ काशीरा चचाजी के लंड को मुठियाते हुए बोली ‘और आप जल्दी करो, इस मुस्टंडे को फ़िर से जगाओ, आज की रात उसे सोने नहीं मिलेगा, इस बार घंटे भर नहीं चोदा तो तलाक दे दूंगी !
उनकी नोंक झोंक चलती रही, मैं उठ कर चाची के कमरे की तरफ़ चल दिया।
कहानी चलती रहेगी।
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