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“वाह.. भतीजे के लाड़ दुलार चल रहे हैं, उसे मलाई खिलाई जा रही है, चलो अच्छा हुआ, मैं भी कहूँ कि ये कहाँ का न्याय है कि बहू पे इतनी मुहब्बत जता रहे हो और बेचारे भतीजे को सूखा सूखा छोड़ दिया कल रात !” चाची की आवाज आई।
वे नहा कर सीधे हमारे कमरे में चली आई थीं।
चाची भी काशीरा की तरह ही अधनंगी आई थीं, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहनी थी। पर क्या ब्रा थी, एकदम तंग और कसी हुई। उनके नारियल जैसे बड़े बड़े मम्मे ब्रा के कपों में समा नहीं रहे थे, जबकि ब्रा काफ़ी बड़े साइज़ की थी। पैंटी बस उनकी बुर की लकीर को और दोनों चूतड़ों के बीच की खाई को ढके थी, उनके बड़े बड़े पहाड़ जैसे चूतड़ों का बाकी भाग साफ़ दिख रहा था। और क्या बदन था चाची का, चिकना, मखमले, मांसल, कुंदन जैसा दमकता हुआ।
“आज बहुत दिनों में ऐसी सजी हो भाग्यवान, क्या बात है? यह ब्रा और पैंटी नई लगती हैं, पहले कभी देखी नहीं?” चचा बोले।
“अब तुमको तो फ़रक पड़ता नहीं, तुम तो सीधे चढ़ जाते हो, पर मैंने सोचा कि बच्चों को जरा ठीक से अपना जोबन दिखाऊं, नहीं तो वे समझते होंगे कि यह कहाँ की मुटल्ली है। कल रात को इमरान भी मुझे पूरा देखने की जिद कर रहा था, मैंने कहा अब दिन में ही दिखाऊँगी ठीक से। पिछले महने खरीदे थे मैंने ये कपड़े, कैसी लग रही हूँ मैं इमरान बेटे? तुझे चाची को देखना था ना? ले अपनी आंखें ठंडी कर ले !” चाची बोलीं।
“चाची… आप तो… अब क्या कहूँ…!” मैं बोला और उनसे लिपट गया।
“हाँ चाची, बहुत मस्त दिख रही हैं आप, मैं तो कब से कह रही हूँ इमरान से कि असली माल चाहते हो तो चाची के पास जाओ।” काशीरा चाची के पास आकर बोली।
मैं चाची के बदन का जो हिस्सा सामने आये, वो चूमने लगा। ब्रा में भरे उनके मम्मे दबाये और उनके बड़े बड़े चूतड़ों को दबाने लगा।
काशीरा ने चाची की दोनों चूचियों को हथेली में लेकर उठाया जैसे वजन नाप रही हो- चाचीजान, ये तो दो दो किलो के पपीते जैसे लगते हैं, क्या नाप है आपका? इतनी बड़ी ब्रा मिलती हैं मार्केट में?
“ये बयालीस साइज़ की हैं बेटी, कप डी डी। एक दुकान में दिख गई थीं तो उठा लाई। तेरा तो अड़तीस नाप होगा, है ना, मस्त कसी चूचियाँ हैं तेरी। आखिर गरम जवानी है।”
“चाची, असल में छत्तीस हैं, टाइट है इसलिये आपको लग रहा होगा। आप ही खुद देख लो !” काशीरा ने उठाकर चाची का हाथ अपनी ब्रा पर रख लिया।
चाची दबाने लगीं, फ़िर काशीरा को चूमने लगीं- बड़ी प्यारी है तू काशीरा, इसीलिये तो तेरे चचाजी दो दिनों से अजीब सी हरकत कर रहे हैं। आ इधर आ, मेरे पास बैठ, तुझे ठीक से देखूँ तो !”
कहकर चाची काशीरा को लेकर पलंग पर बैठ गईं, काशीरा को गोद में बिठा लिया। फ़िर दोनों में मस्ती की चूमाचाटी होने लगी। कभी चाची काशीरा की चूचियाँ दबाती कभी पैंटी में हाथ डालकर बुर को खोदतीं। काशीरा तो बस उनके मम्मों पर टूट पड़ी थी, ब्रा के ऊपर से ही चाची के निप्पल चूस रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं तना लंड लेकर उनके पास बैठा था, मन हो रहा था कि काशीरा को बाजू में करके चाची पर चढ़ जाऊँ। चाची मेरी हालत जान कर मुझे और तरसाने पर जुट गईं। नीचे लेटकर उन्होंने अपनी टांगें फ़ैला दीं और बोली- काशीरा बिटिया, देख कैसी हालत हो गई है तुझे देख के, कल तेरे मर्द ने मुझे बहुत सुख दिया पर तू कोई कम नहीं है।” और उन्होंने पैंटी की पट्टी बुर पर से खिसकाकर उंगली से अपनी चूत खोली और काशीरा को दिखाई।
“ह ऽ य चाची, कितनी प्यारी है और कितनी बड़ी… बहुत मीठी दिख रही है चाची.. तभी कल इमरान कह रहा था कि रात भर चाशनी पी कर आया है !”
“तो तू भी पी ले, तेरा भी हक है, आ जा बेटी.. ये ले !” कहकर चाची ने पैंटी उतार दी। काशीरा ने मुँह डाल दिया और चूसने लगी।
“आह .. अरे इमरान.. मेरी कब से तमन्ना थी… जब से बहू को देख है लगता था कि कब इसे अंग से लगाऊँ.. तू यहाँ आ ना, इनको देख.. ले मैं ब्रा उतार देती हूँ।”
चाची ने ब्रा उतारी तो उनके नारियल जैसे मम्मे लटकने लगे। खजूर से निप्पल थे और आजू-बाजू के भूरे गोले चाय की तश्तरी जैसे बड़े थे। मैंने मुँह में ले लिया और चूची दबा दबा कर चूसने लगा।
चचा लंड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे कर रहे थे, अब वो फिर से खड़ा होने लगा था। वो सरक कर काशीरा के पास आये और उसकी पैंटी खिसकाने की कोशिश करने लगे। काशीरा ने उनका हाथ झटक दिया।
“बड़ी हरामन है, साली गांड देखने भी नहीं देती, मारने क्या देगी !” पैंटी के ऊपर से ही काशीरा के चूतड़ दबा कर चचा बोले।
काशीरा चाची की बुर से मुँह उठा कर बोली- चचा, मेरी गांड तो आप को नहीं मिलेगी, कम से कम आज तो नहीं, आप तो चाची की रोज मारते होंगे ना, फिर क्यों मस्ती चढ़ रही है आपको?”
“अरे बेटी, मेरी तो मार मार के चौड़ी कर दी है इन्होंने, अब कोई जवान कोरी गांड चाहिये इनको !”चाची काशीरा के सिर को जांघों में दबा कर हचकती हुई बोलीं।
“नहीं चाची, आपकी गांड सच में मस्त है, स्पंज के पहाड़ हैं पहाड़। कल रात बहुत मजा आया था मारने में, जरा दिखाइये ना ठीक से !”
चाची ने काशीरा से कहा “बेटी उठ जरा, इस लड़के के मन की भी कर दूँ !” उन्होंने काशीरा को नीचे लिटाया और उसके ऊपर उल्टी लेट गईं।
काशीरा के मुँह में अपनी चूत दी और चूतड़ हिला कर बोलीं- ले, देख ले, मुँह मारना है तो वो भी कर ले !
चाची के दो चूतड़ याने बड़े बड़े रसीले तरबूज थे। मैं उनको चाटने और चूमने लगा। फ़िर गांड खोल कर उनका छेद चाटने लगा, जीभ भी अंदर डाली।
काशीरा नीचे से बोली “चचाजी, आज आपको न चाची की गांड मिलेगी न मेरी, आप तो और कोई ढूंढ लो।”
चाची झल्ला कर अपने पति से बोलीं “अजीब आदमी हो, वो इमरान की गांड नहीं दिख रही है? अरे इतनी गोरी गोरी और चिकनी तो औरतों की भी नहीं होती। तुमको तो गांड चाहिये ना, फ़िर ये तो है तुम्हारे सामने !”
चचाजी मेरे चूतड़ों पर हाथ फ़िराने लगे- हाँ भाग्यवान, मैंने देखा, बड़ी मस्त है, मैं तो कल से देख रहा हूँ, बहू भी अभी थोड़ी देर पहले बोल रही थी कि मार लो, मैंने सोचा साली चुदैल मजाक कर रही है।
“तो ले लो ना, इमरान मना थोड़े करेगा अपने चचा को, आखिर बचपन में गोदी में खिलाया है उसको, और तुम्हारा लंड नहीं चूसा उसने अभी, तुम्हारा लंड भा गया है उसको !”
चचा झुक कर मेरे चूतड़ चूमने लगे। कभी चाटते, कभी नाक लगाकर सूंघते। फ़िर अपने लंड को मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगे- आह.. बड़ी मस्त है रे इमरान.. मेरा लौड़ा देख .. साला एक मिनट में कैसे तन गया फ़िर से… मारने देगा?
मैं कुछ बोलता इसके पहले काशीरा बोल पड़ी- मार लो ना चचा, आपके हक की है, सगे भतीजे की, आपको नहीं देगा तो किसको देगा? .. वैसे सब को नहीं देता मेरा सैंया, बड़ी संभाल कर रखता है चचाजी !
चचा ने मुँह में उंगली ले कर गीली की और मेरी गांड में उंगली करने लगे, मैंने गांड सिकोड़ ली। “वाह.. बड़ी मस्त टाइट गांड है इमरान तेरी.. मार लूँ क्या बेटे… अब नहीं रहा जाता रे… बहू नहीं मारने दे रही है.. तू ही मरवा ले.. अरे क्या छेद है तेरा… मुलायम और गुलाबी !” कहकर फिर मेरे छेद को चूसने लगे, उनकी जीभ अब अंदर जाने को बेताब थी।
“अरे क्यों बार बार पूछ रहे हो, उसने मना किया एक बार भी? मार लो ना, नहीं मरवायेगा तो मैं देख लूँगी उसको !” चाची बोलीं।
चचा तैश में आकर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगे। उनका बड़ा सुपाड़ा मेरे गुदा के छेद को खोलने की कोशिश कर रहा था। मुझे दर्द हुआ तो मैं सी-सी करने लगा।
“अरे कैसे बेरहम हो जी, कुछ लगा तो लो, यह क्या चूत है जो ऐसे ही डाल दोगे? तुम्हारे भतीजे की कोरी गांड है !” चाची बोलीं।
चचा जाकर तेल की शीशी ले आये। काशीरा बोली- चचा, तेल से काम नहीं चलेगा, आपका बहुत बड़ा है, मेरी मानो तो जाकर फ़्रिज में से मक्खन का डिब्बा ले आओ, मस्त सटकेगा आपका लंड !
काशीरा बोली- वो ऊपर रखा है, स्टील का डिब्बा है, घर का मक्खन है !
चचा झट से उठ कर चल दिये।
मैं बोला- काशीरा, डर लगता है, चचाजी फ़ाड़ न दें मेरी?
चाची ने मेरा लंड टटोला और हंसने लगीं- तेरे को डर लगता है तो ये कैसे मस्त उचक रहा है? अब नखरा मत कर, सच तेरे चचाजी का लंड कमाल की चीज है, जो एक बार लेता है, फ़िदा हो जाता है !
चचा वापस आये और मेरी गांड में मक्खन चुपड़ने लगे।
“अरे ये क्या जरा सा चुपड़ रहे हो, दो चार लौंदे भर दो, जरा अंदर तक जाये तब तो काम होगा, तुम्हारा इतना लंबा है, गहरा जायेगा इमरान की गांड में, बिना मक्खन के मारोगे तो फ़ट जायेगी बेचारे की !” चाची बोलीं।
चचाजी ने तीन चार लौंदे भर दिये मेरी गांड में। काशीरा चाची के नीचे से निकल आई।
“अरे बेटी, और चूस ना मेरी बुर, अभी तो पानी निकलना शुरू हुआ है, बहुत पिलाना है तुझे अभी !”
“चाची, बस अभी चूसती हूँ, पहले जरा देखूँ तो कि इमरान कैसे लेता है। मैं तो ताली बजा कर हंसूँगी जब ये चिल्लायेंगे। इसके दोस्त जब मुझे चोदते हैं तो ये मजे लेते हैं, आज मैं लूंगी !”
“अरी रानी, पर तुझे तो मजा आता है उनसे चुदने में !” मैंने कहा तो काशीरा बोली “और तुमको नहीं आ रहा है, बन रहे हो पर मन में लड्डू फ़ूट रहे हैं !”
चचाजी अपने लंड पर मक्खन रगड़कर तैयार हुए तो काशीरा ने मुझे ओंधा पलंग पर पटक दिया। मेरा सिर उठाकर चाची की छाती पर रख दिया- चाची, आप इसको अपनी चूची चुसवा दो, याने मुँह बंद रहेगा इसका। चलो चचाजी, डाल दो मेरे सैंया की गांड में अपना ये मूसल !
चचाजी मेरे पीछे बैठकर अपना सुपाड़ा मेरे गुदा में पेलने लगे। मैंने गुदा ढीला छोड़ा तो जरा सा अंदर ढंस गया।
“ऐसे ही बेटे, ढीला छोड़ तो अभी डालता हूँ !”
सुपाड़े से मुझको दर्द हो रहा था तो मैंने थोड़ा आह-उफ़ किया। चाची ने अपनी चूची मेरे मुँह में ठूंस दी और बोली- डालो जी, अब ये चुप रहेगा !
चचाजी ने जोर लगाकर सुपारा मेरे छल्ले के पार कर दिया, मैं गों गों करने लगा। काशीरा चहक उठी- ये हुई ना बात, अब देखो कैसे तड़प रहा है, जब इसके उस दोस्त ने मेरी मारी थी तो मुझे भी दुखा था, तब ये हंस रहा था।
चचा ने लंड पेल कर तीन चार इंच अंदर कर दिया। मैं सिर उठाने की कोशिश करने लगा, पर चाचीजी ने कस के उसे दबाये रखा।
“तेरी कसम बहू, बड़ी टाइट गांड है लौंडे की। अच्छा लग रहा है बेटे?”
काशीरा तुनक कर बोली “चचाजी, उससे न पूछो, मैं कह रही हूँ कि बहुत मस्ती में है इमरान। आप तो पूरा डाल दो !”
चचाजी ने जोर लगाकर पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया। मैं हाथ पैर मारने लगा तो काशीरा मेरे हाथों पर बैठ गई और चाची ने मेरी कमर कस के पकड़ ली- मारो जी मारो, अभी मस्ती से गुटर गुटर करने लगेगा कबूतर जैसे !
चचाजी लंड अंदर-बाहर करने लगे। मुझे अब मजा आ रहा था। दर्द के साथ गांड में मस्त गुदगुदी हो रही थी। मैं कमर हिलाने लगा तो चाची बोलीं- बस बेटी, छोड़ दे, अब तो खुद मरवायेगा ये रंडी जैसा ! मेरे मुँह से चूची भी निकाल ली।
मैं ‘आह-ओह’ ‘हाँ चचाजी’ करने लगा, चचाजी धीरे धीरे लंड पेलते हुए बोले- मजा आया बेटे?
“हाँ चचा… बहुत मस्त है आपका… मारिये ना.. दर्द भी हो रहा है.. ये मार डालेगा मुझको… पर अच्छा लग रहा है चचाजी.. हाँ.. आह.. और चचाजी.. और…” मैं बोला।
“यह बात हुई ना, ये लो बेटे !” कहकर चचाजी जोर से लंड पेलने लगे, काशीरा से बोले- वाकई मस्त टाइट गांड है तेरे पति की, बहुत शुक्रिया बेटी, तेरी वजह से मुझे ये गांड मिली !
“बदले में भी कुछ लूँगी चचाजी !” काशीरा बोली।
चचाजी मस्ती में थे, झट से गले से चार तोले की सोने की चेन निकाली और दे दी। काशीरा ने लेकर रख ली और बोली- ये तो ठीक है चचाजी, पर अब आज रात मुझे पूरा चोदना पड़ेगा, बस आप और मैं, एक मिनट को नहीं छोड़ूँगी मैं आपको, और जो कहूँगी करना पड़ेगा !
चचाजी हचक हचक कर मेरी गांड चोदते हुए बोली- तू जो कहेगी बेटी, वो करूंगा।
“अब आप ऐसा करो को इमरान पर लेट जाओ और उसको बाहों में ले लो, ऐसे दूर से बैठे बैठे क्या मार रहे हो, आखिर आपका सगा भतीजा है, प्यार से बदन सटाकर मारो, चुम्मे ले लेकर मारो !” काशीरा बोली।
चचाजी को बात जंच गई, वे मेरे ऊपर लेट गये और अपने हाथों और पैरों से मेरे बदन को लपेट कर मेरी गर्दन चूमते हुए मेरी मारने लगे। फ़िर मेरा सिर घुमाकर मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगे। मैंने भी अपनी जीभ उनको दे दी चूसने को।
उधर चाची और काशीरा गरम होकर एक दूसरे की बुर चूसने लगीं। बुर चूसते हुए वे हमें देखती जातीं।
“बेटी देख.. वो इमरान की गांड कैसी चौड़ी होती है जब ये लंड बाहर खींचते हैं.. देखा.. ऐसा लगता जैसे अब फ़टी अब फ़टी !”
“हाँ चाची.. पर मजबूत गांड है मेरे इमरान की, चचाजी के लंड को आराम से खा लेगी। इमरान राजा… मजा आ रहा है?”
मैं बोला- हाँ रानी.. बहुत मजा आ.. रहा है.. पेट तक जाता है लंड… चचाजी का… जवाब नहीं.. और पेलिये चचाजी… कस के.. हाँ चचाजी… हाँ… बहुत मस्त चचाजी… ओह.. ओह.. अब समझा काशीरा… क्यों दीवानी है.. आपके लंड की… चोद डालिये चचाजी… चोद डालिये मुझे… आपका ही भतीजा हूँ.. आप क्या प्यारा हूँ चचाजी… मारिये चचाजी… चोदिये और.. आह.. ओह…!
“हाँ बेटे.. साले मादरचोद गांडू.. बहुत प्यारा है तू.. मुझे लगा था कि.. बस तेरी बहू ऐसी… छिनाल है… तू भी कम चोदू… नहीं है.. साली क्या गांड पाई है… लंड को ऐसे पकड़ रही है… आह.. आह… मजा आ गया मेरे बच्चे.. साले फ़ाड़ दूंगा आज तेरी चोद चोद के.. चौड़ा भोसड़ा बना दूंगा… एकदम फ़ुकला कर दूंगा.. तेरी गांड की बुर बना दूंगा.. रंडी की बुर जैसी चौड़ी कर दूंगा… आह.. ओह…” और चचाजी झड़ गये। जब वे हांफ़ते हांफ़ते मेरी पीठ पर लस्त पड़े थे तो मैं सिर घुमाकर उनके होंठ चूसने लगा। बड़ा मजा आ रहा था, अच्छा लग रहा था कि चचाजी को मैंने इतना सुख दिया।
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