मेरे इम्तिहान की तैयारी

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हेलो, मैं हूँ गोपी ! जी हाँ, मैं ही हूँ आपकी जानी पहचानी नाजुक सी, सदा खिलखिलाती सी गोलू मोलू सी गोपी भाभी !

मैं आज आपको अपने कालेज के दिनों की एक मस्त कहानी सुनाने जा रही हूँ.. कि कैसे मैंने बिना पढ़ाई किए इम्तिहान पास किया, मुझे तो बचपन से ही यह कला आती है कि कैसे अपना काम निकलवाना है दूसरों से !

लीजिए पढ़िए मेरी कहानी:

मेरे इम्तिहान सर पर थे और मैंने तो पूरा साल पढ़ाई नहीं की थी, अब मुझे डर लग रहा है कि पास कैसे होऊँगी। लेकिन मुझे ख्याल आया कि मैं अपने टीचर वीरेन्द्र सर से क्यूँ न कह कर देखूँ ! उनकी ड्यूटी भी है हमारी क्लास में और उनकी काफी चलती है, वो पहले भी नक़ल करवा चुके हैं, वो हमें ट्यूशन भी पढ़ाते हैं।

वैसे तो मैं उनसे ज्यादा ट्यूशन क्लासेज़ नहीं ले पाई थी, लेकिन अब पेपर पास होने की वजह से मैं रोज ही जाने लगी। मैं रोज़ यही सोचती कि अपनी सिफारिश डाल दूँ उन्हें लेकिन मेरा दिल डरता कि कहीं वो बुरा न मान जाएँ और मेरा रोल नम्बर ही ना कैंसल करवा दें।

पर एक दिन मेरा सब्र टूट गया, मैंने पूरा मन बनाया कि आज तो मैं जाकर कहूँगी ही !

मैंने उस दिन सेक्सी ड्रेस पहनी, सफ़ेद टॉप और नीली जींस पहन के ट्यूशन गई ताकि सर मेरे शरीर पर रहम खा कर मेरी मदद करें और जब सब छात्र ट्यूशन से चले गए तो मैंने उनसे कहा कि…

:

मैं- सर जी, आप से इक बात करनी है?

वीरेन्द्र सर जी- हाँ जी गोपी ! बोलो?

मैं- सर, आप बुरा तो नहीं मानोगे ना?

सर- बुरा क्या मानना !

मैं- सर, मैं आपसे यह कहना चाहती हूँ कि आपको पता है कि मैं पढ़ाई में थोड़ी कमज़ोर हूँ और मैं शायद पास भी ना हो पाऊँ, इसलिए…

सर- हाँ बोलो बेटा क्या?

मैं– सर जी, आप मेरी कुछ मदद कर देंगे?

सर- बेटा, मैंने नोट्स पूरे तैयार करवा दिए हैं ना !

मैं- सर जी, वो नहीं ! आप… मुझे नक़ल करवा देंगे ना?

मुझे डर लगने लगा…

सर- यह तुम क्या कह रही हो… नहीं ! मैं ऐसा नहीं करूँगा।

मैं- जी प्लीज सर ! यह मेरे फ़्यूचर का सवाल है सर !

सर- नहीं यह गलत है… ना !

मैंने सोचा ऐसे बात नहीं बनेगी तो मैंने कहा- सर, आप जो मर्ज़ी मुझसे करवा लीजिये… मैं सब करने को तैयार हूँ… पर आप मुझे पास करवा दीजिये ! प्लीज सर !

मैं जानबूझ कर सर के पैरों में गिरी थी और उनकी पैंट को पकड़ा हुआ था ताकि मेरा नरम हाथ उनकी बदन को महसूस हो।

गोपी- सर प्लीज़, आप जो काम कहेंगे, मैं करुँगी।

सर- सोच लो…?

मैं-सर जो मर्ज़ी…

सर- बुरा तो नहीं मानोगी?

मैं- सर जो मर्ज़ी काम.. बस मुझे पास करवा दो।

सर- तुम मुझे खुश कर दो !

मैं समझ गई पर बोली- जी, आपका मतलब?

सर- देखो मैं जबरदस्ती नहीं कर रहा !

मैं– ठीक है सर.. लेकिन मुझे पास जरूर करवा देना !

सर की पत्नी घर पर नहीं थी।

सर- मेरे पास आओ !

मैं सर के पास चली गई।

सर– गोपी, मुझे खुश करना शुरू करो…

मैं तो पास होने के लिए कुछ भी कर सकती थी इसलिए मैंने सबसे पहले सर के सामने अपने मम्मों को दबाया.. गोल-गोल !

सर देखते ही रह गए…

फिर मैंने अपनी चूत के ऊपर हाथ फ़ेरा.. और अपनी टांगों को कभी चौड़ा किया और कभी बंद करके सर को दिखाया।

फिर मैं अपनी सबसे अच्छी चीज़ अपने चूतड़ अपने सर जी को दिखाने के लिए घूम गई।

और मैंने थोड़ी झुक कर अपने कूल्हे सर की तरफ किए और अपनी गांड को मसला….

सर से रहा ना गया….वो अपने हाथ मेर चूतड़ों पर फ़िराने लगे।

सर ने पीछे से मेरी जींस में अपना हाथ घुसाने की कोशिश की पर कामयाब नहीं हुए क्योंकि मेरी जींस काफ़ी टाईट थी।

मैंने फिर सीधी होकर अपने होंठ सर के होंठों पर रख दिए और गप गप चूसने लगी।

उम्म्म्म ! हमारी जीभें जैसे फेविकोल से इक-दूसरे से जुड़ गई।

सर मेरी जीभ का सारा मीठा रस पीने लगे और मैं भी सर की जीभ अपने मुंह के अंदर खींचने लगी।

सर जी मेरे मम्मों को गोल-गोल दबाने लगे, मैंने सर को कस के पकड़ा हुआ था और रसपान कर रही थी और सर ने भी अपना हाथ मेरी गांड के ऊपर फेरना शुरू कर दिया…

हमने कुछ देर तक इक दूसरे का शरीर मसला और चुम्मा चाटी की।

फिर सर ने मेरे कपड़े धीरे-धीरे खोलने शुरू किये।

सर- बेटी, यू आर वण्डरफ़ुल… क्या जवानी है तेरी… क्या मम्मे हैं तेरे…

सर मेरी दोनों चूतड़ों को मसल रहे थे और मेरी बूंड की मोरी में उंगली डाल रहे थे, सर मेरी बूंड का छेद अपने हाथों से खोलने की कोशिश कर रहे थे।

मैं भी गर्म हो गई थी, मैंने कहा- सर मेरा पूरा जिस्म आपका है… जो मर्ज़ी कीजिये ! इक-इक चीज़ चूसिये…आ जाइए मेरे पास, मेरी चूत मारिये सर.. !

सर- क्या चूत है तेरी !

सर ने थोड़ा तेल मेरी चूत पर लगाया और थोड़ा अपने लौड़े पर और मेरी चूत के ऊपर रख दिया…

“अह्ह्ह्हह्ह्ह !” मैंने कहा- सर जल्दी से इक ही धक्का मार कर अंदर डाल दीजिये ! सर, मुझे कोई दर्द नहीं होगा… मेरी सील पहले ही टूटी हुई है..

सर ने एक ही धक्के में अपना लुल्ला मेरी चूत के अन्दर कर दिया….अंदर जाते ही वो घस्से मारने लगे…

“अह्ह्ह्ह गोपी ! तेरी फ़ुदीईइ…हाँह…!”

मुझे भी उनका लौड़ा अपनी फुद्दी के अंदर अच्छा लग रहा था…

“सर प्लीज……और मारिये मेरी सर ! और मारिये मेरी… अपनी ज़िन्दगी की सारी प्यास बुझा लीजिये… सर मेरी चूत मारो अह्ह बहुत मजा आ रहा है सर !”

सर का लौड़ा मेरी चूत के अंदर रगड़ खा-खा कर मुझे भी मजा दे रहा था और खुद भी बहुत मजा ले रहा था।

मैंने कहा- सर जी, हर इक पोज़ बना कर लीजिये ! यह चूत आपको पूरा मजा देगी…

सर ने मेरी टाँगें अपने कन्धों पर रखी और अपने पूरे जोर के साथ मेरी चूत को चोदने लगे…

उनका पूरे का पूरा लौड़ा अंदर चूत में था…

मैं आँखें बंद करके मजे से अपनी इज्ज़त लुटा रही थी..

“अह्ह सर..अह्ह्ह सर… आप बहुत मजा दे रहे हैं !”

सर ने काफी देर तक मेरी इज्ज़त मसली.. फिर उनका लौड़ा जवाब देने ही वाला था कि उन्होंने उसे बाहर निकाल लिया और मेरे पेट के ऊपर अपना माल निकाल दिया..

अह.. गोपी ! आ यो हां !”

उनका गरम-गरम माल मेरे पेट पर गिरता रहा…

सर- गोपी, मेरी इक इच्छा है।

“बोलिए सर !”

सर- मेरा लंड तुम मुंह में लेकर चूसो !….मेरी पत्नी भी नहीं मानती.. तुम प्लीज़ अपने मुँह में मेरा लंड लेकर मेरा माल पीयो…

“सर जी, मैं आपके चूप्पे तो मार दूंगी लेकिन माल नहीं पिऊँगी !”

सर- प्लीज़ बेटी… ! देखो पास जरूर करवा दूँगा।

“ओ के सर !”

फिर मैं नीचे झुकी और उनका बैठा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। सर मजे से पागल होने लगे… सर का लंड पहली बार किसी ने मुँह में लिया था…

“गोपी… जोर-जोर से चूसो… जोर-जोर से ! …अह्ह हाँ… अंदर तक लेकर जाओ !”

“..हाँ रानीईई..!”

उनका लंड फिर से फौलाद की तरह तन गया और मैं जोर-जोर के चुप्पे देती रही.. सर भी अपनी कमर हिलाकर मेरे मुँह में अपना लंड अंदर-बाहर करते रहे.. मैं लॉलीपॉप की तरह लुल्ला चाट रही थी…

काफ़ी देर बाद सर ने मेरे मुँह मे,न पिचकारी मार दी और मैं मजबूरी में उसे गटक गई, मुझे उल्टी करने का मन हो रहा था पर इम्तिहान में पास होने के लालच में मैं सब सह गई।

फ़िर कुछ देर बाद मैं बोली- जी, अब मेरा काम हो जाएगा ना…?

सर- फ़र्स्ट डिविजन से !

मैं– सर जी, मैं फ़र्स्ट डिविजन लेकर आपको पार्टी देने जरूर आऊँगी।

सर- जरूर आना बेटी… जरूर आना !

आखिर वो इम्तिहान के दिन आ ही गये… अगले दिन मेरा इम्तिहान है तो सोचा मैं कुछ तो पढ़ लूँ ताकि वहाँ कुछ लिख दूँ लेकिन साला दिमाग में तो तब आएगा ना अगर सारा साल कुछ पढ़ा होगा ! मुझसे पढ़ा नहीं जा रहा था तो मैंने अपने बॉयफ़्रेन्ड रनबीर को कॉल की और उसके मस्त मस्त बातें करनी लगी।

रनबीर- हाँ जान, तैयारी हो गई कल के एक्ज़ाम की?

मैं- यस जानू ! रीविज़न भी कर ली, बस कल पेपर आसान आ जाए तो मजा आ जायेगा।

रनबीर- अरे जरूर ! तू फ़र्स्ट डिविजन से पास होयेगी !

मैं- थैंक्स जान..और बताओ, क्या कर रहे थे?

रनबीर-तुझे याद कर रहा था मेरी रानी…और बताओ, फ्रेश होने का मूड है?

मैं- बिल्कुल जान…पढ़ पढ़ के बोर हो गई हूँ…फ्रेश कर दो न मुझे !

रनबीर- तो आ जा… बोल क्या पहना है?

मैं- पजामा और टी-शर्ट…

रनबीर- और अन्दर?

मैं- कुछ भी नहीं यार…

रनबीर- उफ्फ्फ्फ़ क्या बात है…..फिर तो गरम है तू पहले से ही !

मैं- हाँ जान आकर मेरी प्यास बुझा दो…

रनबीर- आ गया जान…..चल अभ पजामा नीचे कर दे और चूत में उंगली डाल मेरे नाम की !

मैं- यह लो जान, पजामा नीचे कर दिया और उंगली ले ली अन्दर पूरी !

रनबीर- हईईई ! चोद अब अपनी चूत को…सोच मैं चोद रहा हूँ…

मैं- हाँ जान…आई लव यू…

रनबीर- आइ लव यू टू… मैंने भी कच्छा खोल लिया और अपना लण्ड पकड़ कर तेरे नाम की मुठ मार रहा हूँ।

मैं- वाह मेरी जान ! मारो… मेरी चूत के बारे में सोच के मुठ मारो !

रनबीर- हाँ यही कर रहा हूँ… अह्ह… अह्ह्ह !

मैं- हाँ जान… मेरी चूत गीली हो गई है और पानी छोड़ने के लिए तरस रही है।

रनबीर- निकाल दे साली… इधर मैं भी कण्ट्रोल से बाहर हो रहा हूँ।

मैं- अह ह्ह जाअन…अह !

रनबीर- यह ले… अह…साली…गोपी आई लव यू कुत्ती…!

मैं- आई लव यू कुत्ते…अह्ह !

ऐसी ही गन्दी गन्दी बातें करने के बाब मुझे नींद आने लगी और मैंने उसे गुड बाय कह दिया।

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