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प्रेषक : सोनू चौधरी
उह्ह्ह…जान, थोड़ा धीरे करना…तुम्हारा लंड सच में बहुत ज़ालिम है, मेरी हालत ख़राब कर देगा।” रिंकी ने डरते हुए अपना सर उठा कर मुझसे कहा और अपने दांत भींच लिए।
उसकी चूत सच में बहुत कसी थी। अब तक जैसा कि मैं सोच रहा था कि उसने पहले भी लंड खाए होंगे वैसा लग नहीं रहा था। उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड के सुपारे को पूरी तरह से जकड़ लिया था। मेरे सुपारे पे एक खुजली सी होने लगी और ऐसा लगा मानो चूत लंड को अपनी ओर खींच रही हो।
मैंने अब थोड़ा जोर का झटका देने का सोचा, मुझे पता था कि जिस तरह से उसकी चूत ने सुपारे को जकड़ा था उस अवस्था में धीरे धीरे लंड को अन्दर करना कठिन था। मैंने अपनी सांस रोकी और एक जोरदार धक्का उसकी चूत पे दे मारा।
“आई ईई ईईई ईईईई ईईईग……मर गई……सोनू, मुझे छोड़ दो…मुझसे नहीं होगा……” रिंकी के मुँह से एक तेज़ चीख निकल गई।
उसकी चीख ने मुझे थोड़ा डरा दिया और मैं रुक गया। मैंने उसकी तरफ देखा और अपने एक हाथ से उसके चेहरे पे अपनी उंगलियाँ बिखेर कर उसके होंठों को छुआ।
मैंने झुक कर देखा तो मेरा आधा लंड रिंकी की चूत में समा चुका था। मेरे चेहरे पर एक मुस्कान खिल गई।
“अब बस अगली बार में तो किला फ़तेह ही समझो।” मैंने अपने आप से कहा और आगे झुक कर रिंकी की चूचियों को अपने मुँह में भर लिया।
मैंने धीरे धीरे उसकी चूचियों को चुभलाना शुरू किया और दूसरी चूची को अपने हाथों से हल्के हल्के दबाने लगा।
मैंने कई कहानियों में पढ़ा था कि जब लड़की या औरत कि चूत में लंड अटक जाए या दर्द देने लगे तो उसका ध्यान उसकी चूचियों को चूस कर बाँट देना चाहिए ताकि वो अपना दर्द भूल जाए।
कहानियों से सीखी हुईं बातों को ध्यान में रख कर मैंने उसे प्यार से सहलाते हुए उलझाये रखा और धीरे धीरे अपने लंड को उतना ही अन्दर रखते हुए रगड़ता रहा। रिंकी अब शांत हो गई थी और मेरे लंड का स्वागत अपनी कमर हिला कर करने लगी। उसने अपनी गांड नीचे से उठा कर मेरे लंड को चूत में खींचा।
मैं समझ गया कि अब असली खेल खेलने का सही वक़्त आ चुका है। मैंने फिर से एक लम्बी सांस खींची और अपने हाथों के सहारे अपनी कमर के ऊपर के हिस्से को उठा लिया। अब मैं तैयार था रिंकी को ज़न्नत दिखाने के लिए। मैंने सांस रोक कर एक जबरदस्त धक्का मारा और मेरा पूरा लंड रिंकी की कोमल चिकनी मुनिया को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
“आईईई ईईईई ईई ईईईई……ओह माँ……बचाओ मुझे…” रिंकी ने इतनी जोर से चीख मारी कि उसकी आवाज़ कमरे में गूंजने लगी और उसने अपना सर उठा कर मेरे सीने पे अपने दांत जोर से गड़ा दिए।
मैं तड़प उठा…लेकिन बिना रुके अपना लंड पूरा बाहर खींचकर एक और जोर का झटका दिया। इस बार भी मेरा पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया पर इस बार कुछ और भी हुआ…
रिंकी की चूत से ‘फचाक’ की एक आवाज़ आई और खून के एक धार बाहर निकलने लगी।
“ओह…ये तो बिल्कुल कुंवारी है।” मैंने अपने मन में सोचा और मेरी आँखें इस बात से चमक उठीं। मैं और जोश में आ गया और तेज़ी से एक धक्का लगाया।
“आअह्ह्ह्ह…ममम्मम्म…मैं गई।” इतना बोलकर रिंकी ने अपन सर बिस्तर पर गिरा दिया। मेरा ध्यान बरबस ही उस पर चला गया। मैंने देखा कि रिंकी की आँखें सफ़ेद हो गईं थीं और वो बेहोश होने लगी थी।
मैं थोड़ा डर गया। मैं रुक गया और उसके गालों पे अपने हाथ से थपकी देने लगा…थपकी देने से रिंकी ने अपनी आँखों को धीरे से खोला और मेरी तरफ देख कर ऐसा करने लगी जैसे उसे असहनीय पीड़ा हो रही हो…
“प…प्लीज सोनू…मैं मर जाऊँगी…” रिंकी ने टूटे हुए शब्दों में मुझसे कहा।
मुझे उस पर दया आ गई। मैंने उसे पुचकारते हुए उसके होंठों को चूमा और कहा, “बस मेरी जान, जो होना था वो हो चुका है। अब तुम्हें तकलीफ नहीं होगी।”
“ओह माँ… मुझसे भूल हो गई जो मैं तुम्हारा लंड लेने के लिए तड़प उठी। प्लीज इसे बाहर निकाल लो…प्लीज सोनू…फिर किसी दिन कर लेना।” रिंकी ने रोनी सी सूरत बनाकर मुझे कहा।
एक बार तो मैंने सोचा कि उसकी बात मान लूँ और उसे छोड़ दूँ…फिर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि अगर आज इसे छोड़ दिया तो फिर यह पट्ठी कभी भी मेरा लंड लेने को तैयार नहीं होगी, इसलिए आज इसे लंड का असली मज़ा देना ही होगा ताकि यह मेरी गुलाम बन जाए और दिन रात मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर रखे।
मैंने रिंकी के होंठों को अपने होंठों में भरा और प्यार से चुभलाने लगा और अपने हाथों को उसकी चूचियों पे रख कर मसलता रहा। साथ ही साथ मैंने अपने लंड को बिल्कुल धीरे धीरे उसकी चूत में वैसे ही फंसा कर आगे पीछे करना शुरू किया।
चूत को मैंने चाट चाट कर भरपूर गीला कर दिया था और साथ ही उसकी चूत ने पानी छोड़ कर चिकनाई और भी बढ़ा दी थी लेकिन इतनी चिकनाई के बावजूद मेरा लंड ऐसे फंस गया था जैसे बिना तेल लगे बालों में कंघी फंस जाती है।
मैंने अपनी कोशिश जारी रखी और लंड से उसकी चूत को रगड़ता रहा। थोड़ी देर बीतने के बाद रिंकी ने मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसना शुरू किया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में ठेलने लगी। अब वो अपने दर्द को भूल कर चूचियों की मसलाई और चूत में लंड की रगड़ का मज़ा लेने लगी।
मैंने भी महसूस किया कि अब उसकी चूत ने अपना मुँह खोलना शुरू किया है। धीरे धीरे उसकी गांड हिलने लगी और उसने मस्त होकर मुझे अपनी बाहीं में लपेट लिया। मैंने उसका इशारा समझ लिया और उसी अवस्था में अपने लंड को बाहर निकल कर धक्के मारने लगा। मैंने अपनी गति धीमी ही रखी थी ताकि उसे दुबारा दर्द का एहसास न हो। मैं मंद गति से चोद रहा था और वो मेरे पीठ पे अपने हाथ फेर रही थी। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया और थोड़ा सा उठ कर एक तेज़ धक्का पेल दिया।
“उम्म्म्म…हाँ…सोनू अब ठीक है…अब करते जाओ…करते जाओ…” रिंकी ने मेरी कमर पे अपने हाथ रख दिए और अपनी गांड थोड़ा थोड़ा ऊपर उठा कर लंड का स्वागत करने लगी।
“क्या करूँ मेरी जान…खुलकर बोलो ना?” मैंने उसे और भी मस्ती में लाने के लिए उससे खुल कर मज़े लेने के लिए कहा और अपने लंड का प्रहार जारी रखा।
“बड़े वो हो तुम…मुझे अपनी तरह गन्दी बना दोगे क्या?” रिंकी ने मुझे प्यार भरी नज़रों से देखते हुए लंड खाते खाते कहा।
“तुम एक बार खुल कर मज़े लेने की कोशिश तो करो रिंकी रानी…देखना तुम अपना सारा दर्द भूल कर मुझे अपनी चूत में घुसा लोगी।” मैंने भी उसे चोदते हुए सेक्सी अंदाज़ में उसे जवाब दिया।
“उफ्फ्फ्फ़…मेरे राजा जी…तुम तो जादूगर हो…अपनी बातों में फंसा कर तुमने मुझे चोद ही डाला…अब और मत तड़पाओ, मैं कल से तड़प रही हूँ…मेरी प्यास बुझा दो।” रिंकी अब मदहोश हो चुकी थी और खुलने भी लगी थी।
“उम्म्म्म…हूँन्न……ऐसे ही मेरे सोनू……आज इस कमीनी चूत की सारी गर्मी निकाल दो…चोदो… आआह्ह्ह्ह…और चोदो…”
रिंकी के शब्दों ने जैसे आग में पेट्रोल का काम किया और मैंने ताबड़तोड़ अपने लंड को उसकी चूत में पेलना शुरू किया।
अब तक रिंकी और मैं चुदाई के सबसे साधारण आसन से चुदाई किये जा रहे थे लेकिन मैंने अब उसे दूसरे तरीके से चोदने का मन बनाया। मैंने एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकल लिया। लंड बाहर निकलते ही रिंकी ने चौंक कर मेरी तरफ देखा और मुझसे पूछने लगी,”क्या हुआ…? बाहर क्यूँ निकाला… इसे जल्दी से अन्दर डालो ना !” इतना कहकर रिंकी ने अपने हाथ बढ़ाये और मेरे लंड को पकड़ कर खींचने लगी। लंड चूत के रस से बिल्कुल गीला था तो रिंकी के हाथों से फिसल गया। लंड हाथों से फिसलते ही रिंकी उठ कर बैठ गई और पागलों कि तरह मुझसे लिपट कर मेरे ऊपर चढ़ने लगी।
मैं सोच रहा था कि उसे घोड़ी बनाकर उसके पीछे से उसकी चूत को चोदूँगा लेकिन उसने मुझे धकेल कर लिटा दिया और खुद बैठ कर मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया और मुठ मारने लगी।
“हम्म्म्म…आज मैं तुझे नहीं छोडूंगी…कच्चा चबा जाऊँगी तुझे…हुन्न्न…” रिंकी मेरे लंड से खेलते हुए कह रही थी और अचानक से झुक कर उसने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।
मैंने कई बार ब्लू फिल्मों में ऐसा देखा था कि लड़की चुदवाते चुदवाते लंड बाहर निकाल कर फिर से चूसने लगती है और फिर चूत में डालकर चुदवाती है। रिंकी की इस हरकत ने मुझे यह सोचने पे मजबूर कर दिया और मुझे यकीन हो चला था कि उसने जरुर ब्लू फ़िल्में देखीं हैं और वहीं से यह सब सीखा है।
खैर मेरे लिए तो उसकी हर हरकत मज़े का एक नया रूप दिखा रही थी। मैं मस्त होकर अपना लंड चुसवाने लगा।
थोड़ी देर मज़े से लंड को चूसने के बाद रिंकी उठी और मेरे दोनों तरफ पैर करके मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पे लगा कर बैठने लगी। चूत तो पहले से ही गीली और खुली हुई थी तो मेरा सुपारा आसानी से उसकी चूत के अन्दर प्रवेश कर गया। सुपाड़ा घुसने के बाद रिंकी ने लंड को हाथों से छोड़ दिया और दोनों हाथ मेरे सीने पे रख कर धीरे धीरे लण्ड को चूत के अन्दर डालते हुए बैठने लगी। जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था, रिंकी के चेहरे के भाव बदल रहे थे। आधा लंड अन्दर हो चुका था…
रिंकी ने मेरी आँखों में देखा और अपने होंठों को दांतों से दबा कर एकदम से बैठ गई।
“आअह्ह्ह्ह…माँ……बड़ा ही ज़ालिम है ये…पूरी दीवार छील के रख दी तुम्हारे लंड ने…उफ्फ्फ…” रिंकी ने मादक अदा के साथ पूरा लंड अपनी चूत में उतार लिया और थोड़ी देर रुक गई।
मैं उसे प्यार से देखता रहा और फिर अपने हाथ बढ़ा कर उसकी कोमल चूचियों को थाम लिया। जैसे ही मैंने उसकी चूचियाँ पकड़ीं, रिंकी ने अपनी कमर को थोड़ी गति दी और हिलने लगी। मैं मज़े से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और मज़े लेने लगा। रिंकी बड़े प्यार से अपनी कमर हिला हिला कर लंड को अपनी चूत से चूस रही थी।
मैं बयाँ नहीं कर सकता कि कुदरत के बनाये इस खेल में कितना आनंद भरा है। ये तो उस वक़्त बस मैं समझ रहा था या रिंकी…।
“उम्म्मम्म…आह्ह्ह्ह…रिंकी मेरी जान…मैं दीवाना हो गया तुम्हारा……ऐसे ही खेलती रहो…” मैं मज़े से उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसे जोश दिलाता रहा और वो उच्चल उछल कर चुदवाने लगी।
“हाँ…सोनू, तूने तो मुझे ज़न्नत दिखा दिया…मैं तुम्हारी गुलाम हो गई रजा…उफ्फ्फ…उम्म्म्म…” रिंकी अपने मुँह से तरह तरह की आवाजें निकलती रही और लगातार कूद कूद कर लंड लेती रही।
मैं थोड़ा सा उठ गया और मैंने उसकी चूचियों को अपने मुँह में भर लिया। उसकी चूचियों को चूसते हुए मैंने अपने हाथों को पीछे ले जाकर उसके कूल्हों को पकड़ लिया और उसे अपनी ओर खींच कर खुद से और भी सटा लिया। अब उसकी चूत और मेरा लंड और भी चिपक गए थे और एक दूसरे की चमड़ी को घिस घिस कर चुदाई का मज़ा ले रहे थे। रिंकी ने अपने बाहें मेरे गले में डाल ली थीं और मैं उसकी चूचियों का रस पान करते हुए अपनी तरफ से भी धक्के लगा रहा था।
काफी देर तक इसी अवस्था में चोदने के बाद मैंने रिंकी को पकड़ कर पलट दिया और अब मैं उसके ऊपर था और वो मेरे नीचे।
मैंने अब पोजीशन बदलने की सोची और रिंकी के ऊपर से उठ गया।
रिंकी ने फिर से सवालों भरे अंदाजा में मेरी तरफ देखा। मैंने मुस्कुरा कर रिंकी का हाथ थमा और उसे बिस्तर से नीचे उतार दिया। हम दोनों खड़े हो चुके थे। मैं रिंकी के पीछे हो गया और उसे दीवार की तरफ घुमा दिया जिस तरफ आदमकद आइना लगा था। अब स्थिति यह थी कि मैं रिंकी के पीछे और रिंकी की पीठ मेरी तरफ थी और हमारे सामने बड़ा सा आइना था जिसमे हम दोनों मादरजात नंगे दिखाई दे रहे थे।
कहानी जारी रहेगी…
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