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प्रेषक : सोनू चौधरी
“रिंकी ने देरी नहीं की और उठ कर मेरे दोनों पैरों के बीच आकर मुझ पर लेट गई। उसका नंगा बदन मेरे नंगे बदन से चिपक गया। मेरा लंड अब भी सख्त था और ठुनक रहा था।
रिंकी ने मेरे लंड को अपने हाथों से नीचे की तरफ एडजस्ट किया और अपनी चूत की दीवार को मेरे लंड पे रख कर उसे अपनी चूत से दबा दिया। लंड तो दबने का नाम ही नहीं ले रहा था लेकिन रिंकी ने उसे जबरदस्ती दबाये रखा और मेरे सीने पे अपनी चूचियों को रगड़ने लगी।
मैं अब भी अपनी आँखें बंद किये हुए मज़े ले रहा था।
तभी मेरे होंठों से कुछ लगा और मैंने अपनी आँखें खोल लीं। सामने देखा तो रिंकी अपने एक हाथ से अपनी एक चूची के निप्पल को मेरे होंठों पे रगड़ रही थी। मैंने उसकी निप्पल का स्वागत किया और अपने होंठ खोल कर उसे अन्दर कर लिया और जोर से चूस लिया।
“उह्ह्ह्ह…धीरे जान…अभी भी दुःख रहा है।” रिंकी ने एक सिसकारी लेकर मेरे बालों में उँगलियाँ फिराते हुए कहा।
मैंने उसे मुस्कुरा कर देखा और उसे पकड़ कर अपने बगल में पलट दिया। अब रिंकी मदर्जात नंगी मेरी बाहों में बिस्तर पे लेटी हुई थी और मेरा मुँह उसकी चूची को चूस रहा था। मैंने अपने हाथ को हरकत दी और उसके चिकने बदन को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा। रिंकी मज़े से तड़पने लगी और मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने अपने हाथों को उसकी जाँघों पे लेजाकर उसकी चिकनी जाँघों को हल्के हल्के मुट्ठी में भर कर दबाना शुरू किया। रिंकी के पैर खुद बा खुद अलग होने लगे। यह इस बात का इशारा था कि अब उसकी चूत कुछ मांग रही थी।
मैंने अपने हाथ को उसकी जाँघों के बीच सरका दिया और धीरे धीरे ज़न्नत के दरवाज़े की तरफ बढ़ा। जैसे जैसे मेरे हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ रहे थे, मुझे कुछ गीलापन और गर्मी महसूस होने लगी। मैं समझ गया था कि इतने देर से चल रहे इस चुदाई क्रीड़ा का असर था कि उसकी चूत ने अपना रस बाहर निकाल दिया था।
मैंने सहसा अपना हाथ सीधे उसकी चूत पे रख दिया और उसकी छोटी सी नर्म मुलायम चिकनी चूत मेरी हथेली में खो गई। उफ्फ्फ्फ़……क्या गर्म चूत थी, मानो किसी आग की भट्टी पे हाथ रख दिया हो मैंने…
“उफ्फ्फ्फ़……सोनू…” रिंकी ने मेरे बालों को जोर से पकड़ लिया और अपनी कमर को ऊपर उठा लिया।
उसे एक झटका सा लगा और उसने अपनी अवस्था का ज्ञान अपनी कमर हिलाकर करवाया। मैंने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में हल्के से भर कर धीरे धीरे ऐसे दबाना चालू किया जैसे कॉस्को की गेंद हो। उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी और मेरे हथेली को रस से भर दिया था। मैं मज़े से उसकी चूचियों को पीते पीते उसकी चूत को सहलाता रहा और अपनी उँगलियों से चूत की दीवारों को छेड़ता रहा।
रिंकी लगातार मेरे बालों में अपनी उँगलियों से खेलते हुए अपनी कमर उठा उठा कर मज़े लेती रही। उसकी रस से भरी चूत ने मुझे ज्यादा देर खुद से दूर नहीं रहने दिया। रस से भरी चूत मेरी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो रही थी। मैंने उसकी चूचियों को मुँह से निकाल कर उसके होंठों को एक बार फिर से चूमा और सीधे नीचे उसकी चूत की तरफ बढ़ गया।
उसकी चूत कमरे की रोशनी में चमक रही थी। चूत की दीवारें रस से भरी हुई थीं। लेकिन उसकी चूत का उपरी हिस्सा जो कि पाव रोटी की तरह फूली हुई थी वो थोड़ी खुश्क लग रही थी। शायद बालों को साफ़ करने के लिए क्रीम लगाने कि वजह से वो जगह थोड़ी ज्यादा खुश्क हो गई थी। मैंने उस फूली हुई जगह पे अपने हाथ फेरे और अपना मुँह नीचे करके चूम लिया। जैसे ही मैंने चूमा, रिंकी ने एक जोर की सांस ली।
मैंने लगातार कई चुम्बन उसकी चूत के ऊपरी भाग पे किये और अपने दांतों से थोड़ा सा काट लिया।
“उईईइ…हम्म्म्म…क्या कर रहे हो मेरे राजा जी…दुखता है ना।” रिंकी ने इतने प्यार से और इतनी अदा के साथ कहा कि मेरा दिल खुश हो गया।
तभी मेरी नज़र बिस्तर पे पास में रखे हुए उस पैकेट पे गई जो रिंकी किचन से लेकर आई थी। मैंने झट से वो पैकेट उठाया और अपनी दो उँगलियों से ढेर सारा मक्खन निकल कर उसकी चूत के ऊपर रख दिया।
रिंकी को शायद इस बात का एहसास हो गया, उसने मेरी तरफ देखा और शरमाकर मुस्कुराने लगी। हमारे बीच ज्यादा बातचीत तो नहीं हो रही थी लेकिन हम दोनों अपनी अपनी हरकतों और अदाओं से एक दूसरे को घायल किये जा रहे थे और अपनी हर बात एक दूसरे को समझा रहे थे।
मैंने मक्खन को अच्छी तरह से उसकी चूत पे फिला दिया और अपनी हथेली में भी थोड़ा सा मक्खन लगा कर उसकी चूत को धीरे धीरे मसलने लगा। मक्खन की चिकनाई ने रिंकी की चूत को और भी ज्यादा चिकना और मुलायम कर दिया। मेरे हाथ अब अपने आप उसकी चूत पे फिसलने लगे। मुझे बड़ा मज़ा आरहा था और मैं बिल्कुल मन लगा कर उसकी चूत को सहलाता रहा।
रिंकी की चूत से निकल रहे रस ने मक्खन के साथ मिलकर ऐसा संगम बना दिया था कि देख कर किसी के भी मुँह में पानी आ जाता।
मेरा गला सूख गया और मैंने अपनी जीभ अपने होंठों पे फेरनी शुरू कर दी। अपनी जीभ होंठों पे फेरते फेरते मैंने रिंकी की तरफ एक बार देखा तो उसे अपनी धुन में गर्दन इधर उधर करते हुए पाया।
मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और झुक कर अपनी जीभ सीधे उसकी चूत के मुँह पे रख दिया। मेरे जीभ की गर्मी ने रिंकी को इसका एहसास दिलाया और उसने अपनी टाँगें और भी खोल दी। मैंने अपनी जीभ को पूरी तरह से बाहर निकाल कर उसकी चूत की दरारों पे ऊपर से नीचे की तरफ सहलाया। मेरे नाक में उसकी चूत की एक मादक सी सुगंध समां गई। चूत से एक और भी भीनी भीनी खुशबू आ रही थी। मुझे समझते देर नहीं लगी कि वो उस क्रीम की खुशबू थी जिससे रिंकी ने अपनी झांटों को साफ़ किया था।
मैंने अपनी दो उँगलियों से उसकी चूत को थोड़ा खोला तो एक सुर्ख गुलाबी रस से सराबोर बिल्कुल बंद सा सुराख दिखाई दिया। उसके ठीक ऊपर किशमिश के दाने के समान उसकी चूत का दाना दिखा जो कि धीरे धीरे हिल रहा था। मैंने अपनी जीभ थोड़ी लम्बी करके उसके दाने को जीभ की नोक से छुआ।
“उम्म्मम्म……उफफ्फ्फ्फ़…सोनू…चाट लो इसे…ये तुम्हारी है …सिर्फ तुम्हारी…” रिंकी ने जोर से सिसकते हुए कहा और मेरे बालों को खींचने लगी।
मैंने मंद मंद उसकी चूत को वैसे ही खोलकर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और धीरे से अपने हाथों को ऊपर लेजाकर उसकी दोनों चूचियों को थाम लिया। रिंकी ने अब मेरा सर पकड़ लिया और अपनी चूत पे घिसने लगी। साथ ही साथ वो अपनी कमर को भी ऊपर नीचे करने लगी।
मैंने अब तेज़ी से उसकी चूत को अन्दर तक चाटना और चूसना शुरू किया और साथ साथ उसकी चूचियों को भी मसलता रहा।
“उम्म्म्म…ह्म्म्मम्म…ओह सोनू…खा जाओ …चबा जाओ इसे…कल रात से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है।” रिंकी ने जोश से भर कर मुझसे कहा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया।
मैंने रिंकी की बात सुनी तो अपना सर उसकी चूत से हटा लिया और उसकी तरफ देखकर आँख मारते हुए पूछा, “मेरे लंड के लिए तड़प रही थी या पप्पू के लंड के लिए।”
“तड़प तो मैं पप्पू के लंड के लिए ही रही थी लेकिन मुझे क्या पता था कि मुझे तुम्हारा लंड मिल जायेगा…पप्पू का लंड तो तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं मेरे रजा…बस मेरी प्यास बुझा दो…” रिंकी ने भी आँख मारी और फिर मदहोश होकर मेरे सर को अपनी चूत पे दबा दिया।
मैंने भी एक लम्बी सी सांस अन्दर खींची और तेज़ी से अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा। रिंकी की चूत ने मचल कर ढेर सारा पानी छोड़ दिया और अब मेरे जीभ और चूत के मिलन का स्वर कमरे में रिंकी की सिसकारियों के साथ गूंजने लगा।
चपर चपर करके मैंने उसके चूत से निकलते हुए काम रस को गटक लिया और चूत की चुसाई जारी रखी…
“उफ्फ्फ…मेरे जान… अब बर्दाश्त नहीं होता…प्लीज कुछ करो……प्लीज…अब और नहीं सहा जाता।” रिंकी ने मेरे बालों को जोर से खींच कर मेरा मुँह अपनी चूत से अलग कर दिया और अपनी एक उंगली चूत पर ले जाकर चूत को तेज़ी से सहलाने लगी।
मैंने रिंकी को हाथ से पकड़ कर उठाया और उसे अपने सीने से लगा लिया। उसने मुझसे लिपट कर न जाने कितने चुम्बन मेरे गले और गालों पर जड़ दिए।
इन सब के बीच रिंकी का हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया जो कि चूत की रासलीला से एक बार फिर तन कर अकड़ गया था और अब अपनी असली जगह ढूंढ रहा था। रिंकी ने मेरे लंड को पकड़ कर हिलाया और उसे खींचने लगी अपनी चूत की तरफ।
मैं उसकी इस बेताबी पर बहुत खुश हुआ और उसे वापस धीरे से बिस्तर पे लिटा दिया। अब मैं उठ कर उसकी टांगों के बीच में आ गया। मैंने एक भरपूर निगाह उसकी चूत पर डाली जो कि मेरे मुँह के लार और उसके खुद के रस से सराबोर होकर चमक रही थी। मैंने थोड़ा गौर से देखा तो पाया कि उसकी चूत के फांकें धीरे धीरे हिल रही हैं…जै से कि वो मेरे लंड को बुला रही हों।
मैंने देरी नहीं की …बर्दाश्त तो मुझसे भी नहीं हो रहा था। मैंने अपने लंड की चमड़ी हटाई और अपने सुपारे को बाहर निकाल कर थोड़ा सा झुक गया और उसकी चूत की दरार पर रख दिया। रिंकी ने एक आह भरी और अपनी टांगों को अच्छी तरह से एडजस्ट कर लिया। शायद उसे पता था कि अब वो चुदने वाली है। मैंने अपने सुपाड़े को उसकी चूत की दरार पे धीरे धीरे रगड़ा और वैसे ही थोड़ी देर उसकी चूत को अपने लंड से सहलाता रहा।
रिंकी ने अपने हाथ नीचे किये और अपनी दो उँगलियों से चूत की दरार को फैला दिया। इससे उसकी चूत का मुँह थोड़ा खुला और मैंने सुपारे को और अन्दर करके रगड़ना शुरू किया।
रिंकी ने अपनी साँसें रोक लीं, वो अब धक्के खाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी।
मैंने कई बार ब्लू फिल्म में देखा था कि मर्द एक ही झटके में लंड पूरा अन्दर डाल देते हैं और लड़की की चूत को फाड़ डालते हैं। मैंने भी ऐसा ही करने का सोचा लेकिन तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि कहीं मेरी हरकत से रिंकी को ज्यादा तकलीफ न हो जाए और हमारा भाण्डा न फूट जाए।
मैंने प्यार से काम लेना ही उचित समझा। अब मैंने अपने लंड को धीरे से रिंकी की चूत में धकेला। सुपारा फिसला और धक्का उसके चूत के दाने पे लगा।
“उह्ह्ह्ह…क्या कर रहे हो?” रिंकी ने तड़प कर कहा।
मैंने फिर से अपने लंड को ठीक जगह पे रखकर सख्ती से धक्का दिया। सुपारा चूत के छोटे से दरवाज़े में अटक गया और रिंकी ने एक जोर की सांस लेकर अपने शरीर को कड़ा कर लिया। मैंने थोड़ा सा रुक कर एक हल्का सा धक्का और दिया। इस बार मेरा सुपारा थोड़ा और अन्दर गया।
“उह्ह्ह…जान, थोड़ा धीरे करना…तुम्हारा लंड सच में बहुत ज़ालिम है, मेरी हालत ख़राब कर देगा।” रिंकी ने डरते हुए अपना सर उठा कर मुझसे कहा और अपने दांत भींच लिए।
उसकी चूत सच में बहुत कसी थी। अब तक जैसा कि मैं सोच रहा था कि उसने पहले भी लंड खाए होंगे वैसा लग नहीं रहा था। उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड के सुपारे को पूरी तरह से जकड़ लिया था। मेरे सुपारे पे एक खुजली सी होने लगी और ऐसा लगा मानो चूत लंड को अपनी ओर खींच रही हो।
कहानी जारी रहेगी…
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